प्रतापगढ़ के बरोठा में विशेष आयोजन हुआ. दशहरे के ठीक पांच दिन बाद यहाँ बन्दूक से रावण को छलनी किया गया. लेकिन यह आयोजन थोडा दिलचस्प रहा, रावण को मारने से पहले राम और रावण की सेना में जम कर बहस हुई, और माहौल रोमांच से भर उठा.
रावण दहन को लेकर हर साल देश भर में उत्साह रहता है. लेकिन प्रतापगढ़ जिले के बरोठा में दशहरे के ठीक पांच-छ: दिन बाद एक विशेष आयोजन होता है, जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार रहता है. इस बार भी हुआ आयोजन बेहद दिलचस्प रहा. रावण को गोलियों से छलनी किया गया, तो इससे पहले राम-रावण की सेना में खूब बहस हुई.. राम की सेना ने रावण पर तो रावण की सेना ने राम पर बातों ही बातों के खूब तीर बरसाए...
रावण दहन को लेकर हर साल देश भर में उत्साह रहता है. लेकिन प्रतापगढ़ जिले के बरोठा में दशहरे के ठीक पांच-छ: दिन बाद एक विशेष आयोजन होता है, जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार रहता है. इस बार भी हुआ आयोजन बेहद दिलचस्प रहा. रावण को गोलियों से छलनी किया गया, तो इससे पहले राम-रावण की सेना में खूब बहस हुई.. राम की सेना ने रावण पर तो रावण की सेना ने राम पर बातों ही बातों के खूब तीर बरसाए...
इसके बाद शुरू हुआ रावण को छलनी करने का सिलसिला. बन्दूकों के लाइसेंस धारी मैदान में पहुंचे, और रावण को गोलियों से दागना शुरू किया. कुछ ही देर में रावण को ढेर कर दिया. इस आयोजन में ग्रामीण बड़ी संख्या में शरीक हुए. और पुलिस के भी इंतजाम पुख्ता रहे.
रावण को बन्दूक से छलनी करना और इससे पहले अनोखी बहस होना दिलचस्प होता है. ऐसा करके ग्रामीण हर गम-तकलीफ को भूल जाते हैं. रावण को जलाने के बजाय गोलियों से छलनी कर पर्यावरण संरक्षण का सन्देश भी दिया जाता है.
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