Friday, June 10, 2016

प्रतापगढ़ में निर्माण के दौरान ढही दिवार. तीन मजदूर दबे. एक की दर्दनाक मौत.


प्रतापगढ़ में मकान निर्माण के दौरान दिवार ढहने से एक महिला समेत तीन मजदूर दबे.... महिला मजदूर की मौत, अन्य दो मजदूर घायल...

हादसा अरनोद थाना इलाके के टांडा में हुआ. यहाँ मकान निर्माण कार्य के दौरान दिवार ढह गई. इसके बाद एक महिला मजदूर कला मीणा की मौत हो गई तो बाकी दो पुरुष मजदूर भी घायल हो गए. घायलों को उपचार के लिए अरनोद हॉस्पिटल लाया गया है. दुखद बात यह रही कि महिला श्रमिक को बचाया नहीं जा सका. जांच की जा रही है कि दीवार ढहने की वजह क्या रही...

मजदूरी के दौरान अक्सर श्रमिकों को बिना सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के खतरे में झोक दिया जाता है, जिस पर लगाम लगनी चाहिए..!

प्रतापगढ़ में NDPS कोर्ट का फ़ैसला. दो आरोपियों को 4 साल की सजा. अफीम तस्करी का है मामला.


प्रतापगढ़ में विशिष्ठ न्यायाधीश, एन.डी.पी.एस. अश्विनी विज ने आज अफीम तस्करी के एक मामले में आरोपियों को चार-चार वर्ष का कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रूपये जुर्माने से दण्डित किया। विशिष्ठ लोक अभियोजक एन.डी.पी.एस. शिवशंकर भांड ने बताया कि दिनांक 5 जुलाई 2005 को थानाधिकारी प्रतापगढ़ कन्हैयालाल गुर्जर को जरिये मुखबिर सूचना मिली. थानाधिकारी मय जाप्ता बस स्टेण्ड प्रतापगढ़ पहॅूचे, जहां एक प्राईवेट बस आई। जिसमें से दो व्यक्ति अपने हाथों में अलग-अलग प्लास्टिक के थेल लिये नीचे उतरे, जो पुलिस जाप्ते को देखकर भागने लगे। जिन्हें पुलिस जाप्ता ने घेरा देकर पकड़ा। दोनों व्यक्तियों की तलाशी ली व नाम पता पूछा तो एक ने अपना नाम प्रभुलाल मीणा तथा दूसरे ने अपना नाम वजेराम मीणा बताया। तलाशी में दोनों के हाथों में पकड़े थेलों में डेढ़-डेढ़ किलोग्राम अफीम मिली। पुलिस ने अनुसंधान सम्पूर्ण कर धारा 8/18 एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने आज दिनांक 9 जून को दोनों व्यक्तियों को चार-चार साल के कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रूपये के जुर्माने से दण्डित किया। अदम अदायगी 2 माह का कारावास अलग से सुनाया। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी विशिष्ठ लोक अभियोजक शिवशंकर भांड ने की।

सरपंचो के विरोध के बाद टेंडर निरस्त. अरनोद पंचायत समिति का मामला.


प्रतापगढ़ के अरनोद में सरपंचों के विरोध के बाद पंचायत समिति को टेंडर निरस्त करने पड़े. सरपंचो ने सभी टेंडर ग्राम पंचायतो के स्तर पर होने की मांग की और ऐसा ना होने पर सभी टेंडर निरस्त करने की बात कही.

अरनोद पंचायत समिति ने नौगावा, अचनारा और रायपुर ग्राम पंचायतों के लिए ऑफिस-सामग्री खरीदने हेतु टेंडर निकाले थे पर इसी बीच सरपंचो ने विरोध किया, जिस वजह से अधिकारीयों को यह टेण्डर निरस्त करना पड़ा. राजस्थान सरपंच संघ द्वारा बीएसआर दर पर सामग्री के क्रय का अधिकार ग्राम पंचायतो को देने की मांग लम्बे समय से चल रही है. जिसके चलते वित्तीय वर्ष 2016-17 के टेण्डर अप्रेल में होने थे, लेकिन सरपंच संघ के बहिष्कार के चलते टेण्डर नहीं हो सके... और दुसरी बार पंचायत समिति द्वारा टेण्डर प्रक्रिया आज प्रारम्भ की गई, लेकिन सरपंचों के विरोध के चलते टेण्डर नहीं हो सके. इस विरोध में करीब 30 सरपंच शामिल रहे. इसके बाद सरपंचो ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र भी लिखा और समस्त टेंडरो को पंचायत स्तर कर करने की मांग की... इस तरह के टेंडर अन्य ग्राम पंचायतो के लिए भी निकलने वाले हैं, लेकिन सरपंचो से इसका पूर्ण बहिष्कार कर दिया है. और आगे किसी भी टेंडर को नहीं होने देने की बात कही है.

Friday, June 3, 2016

प्रतापगढ़ जिले के कई गाँवों में नरेगा कार्य ठप्प होने से गरीब ग्रामीणों पर गहराया रोज़ी-रोटी का संकट. सैंकडो ग्रामीण पहुंचे मिनी सचिवालय.



प्रतापगढ़ जिले के कई गाँवों मनरेगा योजना के तहत कार्य नहीं चल रहे, जिस वजह से ग्रामीण परेशान हैं. ऐसे में ग्रामीणों पर आर्थिक संकट भी गहरा रहा है. मामला असावता ग्राम पंचायत क्षेत्र का है. यहाँ असावता, बजरंगगढ़, रामगढ़, अरनिया, उमरखेडी, भनावदा समेत कई गाँवों में काम बंद है और मजदूर खाली बैठे हैं, खेती-बाड़ी चल नहीं रही, रोजगार है नहीं. लिहाज़ा ग्रामीण परेशान है. आज मनरेगा मजदूर जिला कलेक्टर से गुहार लगाने पहुंचे. इस दौरान महिला मजदूरों की संख्या देखने लायक रही. ग्रामीणों का आरोप था कि नरेगा काम ठप्प पड़े हैं. शिकायत पर जिला कलेक्टर ने समाधान का भरोसा दिया है. मनरेगा योजना का मकसद था गांव-गाँव काम शुरू कर मजदूरों को रोजगार देना. पर यहाँ की तस्वीर निराशाजनक है. सरपंच कैलाशी देवी ने तुरंत कार्रवाई की मांग की है.

प्रतापगढ़ पीजी कोलेज में स्टुडेंट्स के साथ खिलवाड़. सीटें बढ़ाई पर स्टाफ नहीं. 16 व्याख्याता कैसे पढाएंगे 1000 से ज्यादा स्टुडेंट्स को? एडमिशन शुरू. पूरी रिपोर्ट.



प्रतापगढ़ के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में नए एडमिशन शुरू हो गए हैं, लेकिन स्टाफ वहीँ का वहीँ है. पढ़ने वालों की सीटें बढ़ाई जा रही हैं, पर लेक्चरार नहीं. ऐसे में एक बार फिर यहाँ पढ़ाई पर ग्रहण लगता नज़र आ रहा है.

सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है, लेकिन प्रतापगढ़ में तो हाल वैसे के वैसे ही हैं. इस ग्रामीण जिले में शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत अन्य इलाको की तुलना में काफी ज्यादा है, पर होता कुछ नहीं है. हर साल की तरह इस साल भी जिले के सबसे बड़े राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय यानि पीजी कोलेज में नए एडमिशन शुरू हो गए हैं. 1 जून से ऑनलाइन एडमिशन शुरू हो गए हैं जो 15 जून तक जारी रहेंगे. इस बार तो महाविद्यालय प्रबंधन ने सीटों में भी इजाफा किया है. अब आर्ट्स में 10 सेक्शन में कुल 800, साइंस में 2 सेक्शन में कुल 140 और कोमर्स में 1 सेक्शन में कुल 80 एडमिशन होंगे. इसके अलावा पीजी में उपलब्ध एक मात्र सब्जेक्ट आर्ट्स में 40 सीटें एडमिशन होंगे. लेकिन सवाल यह... कि स्टाफ है नहीं, तो पढ़ाई होगी कैसे? यहाँ स्वीकृत 44 में से 16 पद कार्यरत है. यानि कि 16 व्याख्याता और 1000 से ज्यादा बच्चे. यही नहीं, साइंस में 140 सीटें है और बोटनी और होम साइंस में एक भी व्याख्याता नहीं है. ऐसी स्थिति में एडमिशन के साथ-साथ सीटें बढ़ाना छात्र-छात्रों को बेवकूफ बनाने जैसा लग रहा है. इस कोलेज में जिले भर से पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राएं आते हैं. प्राचार्य सुआ लाल परिहार का कहना है कि कई बार वे सरकार को व्याख्याताओं के लिए लिख चुके हैं, पर हाल जस के तस बने हुए हैं.


प्रतापगढ़ जिले के साथ शिक्षा के मामले में कभी न्याय नहीं हुआ है. प्राइमरी स्कूल से लगाकर कोलेज तक पढाने वालों का टोटा है. पढ़ने वाले तो बढ़ रहे हैं, पर पढाने वाले नहीं. ऐसी हालत में यहाँ के छात्र-छात्रों को पढ़ने बाहर जाना पड़ रहा है. सरकार को इस ओर गंभीर होने की ज़रूरत है.

वन प्रेमियों के लिए अच्छी खबर. उड़न गिलहरी का बढ़ रहा है कुनबा.



प्रतापगढ़ में दुर्लभ वन्यजीव उड़न गिलहरी... यानि उड़ने वाली गिलहरी का कुनबा बढ़ता जा रहा है. यह साफ़ हुआ है वन विभाग के आंकड़ों से. पहली बार सीतामाता अभयारण्य के अलावा जिले के दूसरे वन क्षेत्र में उड़न गिलहरी देखी गई है. जिस वजह से उड़न गिलहरी के अच्छे भविष्य की उम्मीद बढ़ गई है.

प्रतापगढ़ में वनक्षेत्र लगातार कम हो रहा है. बावजूद इसके एक अच्छी खबर निकल कर आई है. लगातार वनक्षेत्र कम होने के बावजूद उड़न गिलहरी की संख्या में इजाफा हुआ है. उड़न गिलहरी प्रतापगढ़ जिले के सीता माता अभ्यारण की एक दुर्लभ जीव है. और इसी उड़न गिलहरी के लिए अभयारण्य जाना भी जाता है. लेकिन पहली बार अभयारण्य के अलावा दूसरे वन क्षेत्र में उड़न गिलहरी देखी गई है. उड़न गिलहरी को आरामपूरा वन खंड में देखा गया है. वन विभाग ने यहाँ अलग-अलग समय में तीन उड़न गिलहरी को रिपोर्ट किया है. दो को शाम के समय और एक को देर रात 2 बजे देखा गया. पहले यह उड़न गिलहरी केवल सीता माता अभ्यारण में ही मिलती थी. इसके अलावा यह उड़न गिलहरी दक्षिण भारत में ही पाई जाती है. पर अब अन्य वन क्षेत्र में भी उसका मिलना एक अच्छा संकेत है. उड़न गिलहरी का स्वभाव अन्य जीवो से भिन्न होता है.

उड़न गिलहरी दिनभर ऊंचे वृक्षों में बने अपने कोटरो में निवास करती है और शाम के बाद निकलती है. उड़न गिलहरी एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर ग्लाइड करते हुए उड़ती है. यह दृश्य काफी दुर्लभ होते हैं. सीता माता वन अभयारण्य के अलावा अन्य वन क्षेत्र में उड़न गिलहरी मिलना वाकय में अच्छी बात है. उम्मीद है उड़न गिलहरी का कुनबा बढ़ता रहेगा और आने वाली पीढ़ी इसे देख पायेगी.

सुगना राम जाट, उप वन संरक्षक - पहली बार उड़न गिलहरी देखी है, तीन उड़न गिलहरी देखी है, फोटो भी लिए हैं, यह खुशी की बात है..