प्रतापगढ़ में दुर्लभ वन्यजीव उड़न गिलहरी... यानि उड़ने वाली गिलहरी का कुनबा बढ़ता जा रहा है. यह साफ़ हुआ है वन विभाग के आंकड़ों से. पहली बार सीतामाता अभयारण्य के अलावा जिले के दूसरे वन क्षेत्र में उड़न गिलहरी देखी गई है. जिस वजह से उड़न गिलहरी के अच्छे भविष्य की उम्मीद बढ़ गई है.
प्रतापगढ़ में वनक्षेत्र लगातार कम हो रहा है. बावजूद इसके एक अच्छी खबर निकल कर आई है. लगातार वनक्षेत्र कम होने के बावजूद उड़न गिलहरी की संख्या में इजाफा हुआ है. उड़न गिलहरी प्रतापगढ़ जिले के सीता माता अभ्यारण की एक दुर्लभ जीव है. और इसी उड़न गिलहरी के लिए अभयारण्य जाना भी जाता है. लेकिन पहली बार अभयारण्य के अलावा दूसरे वन क्षेत्र में उड़न गिलहरी देखी गई है. उड़न गिलहरी को आरामपूरा वन खंड में देखा गया है. वन विभाग ने यहाँ अलग-अलग समय में तीन उड़न गिलहरी को रिपोर्ट किया है. दो को शाम के समय और एक को देर रात 2 बजे देखा गया. पहले यह उड़न गिलहरी केवल सीता माता अभ्यारण में ही मिलती थी. इसके अलावा यह उड़न गिलहरी दक्षिण भारत में ही पाई जाती है. पर अब अन्य वन क्षेत्र में भी उसका मिलना एक अच्छा संकेत है. उड़न गिलहरी का स्वभाव अन्य जीवो से भिन्न होता है.
उड़न गिलहरी दिनभर ऊंचे वृक्षों में बने अपने कोटरो में निवास करती है और शाम के बाद निकलती है. उड़न गिलहरी एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर ग्लाइड करते हुए उड़ती है. यह दृश्य काफी दुर्लभ होते हैं. सीता माता वन अभयारण्य के अलावा अन्य वन क्षेत्र में उड़न गिलहरी मिलना वाकय में अच्छी बात है. उम्मीद है उड़न गिलहरी का कुनबा बढ़ता रहेगा और आने वाली पीढ़ी इसे देख पायेगी.
सुगना राम जाट, उप वन संरक्षक - पहली बार उड़न गिलहरी देखी है, तीन उड़न गिलहरी देखी है, फोटो भी लिए हैं, यह खुशी की बात है..