Sunday, March 27, 2016

विंडमिल गिरोह के दो और आरोपी गिरफ्तार. एसपी कालूराम रावत के निर्देश पर कार्रवाई. पकडे गए सभी बदमाश.




प्रतापगढ़ पुलिस ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश है, जो विंडमिल से बेशकीमती ताम्बे के तारों को चुरा कर बेच दिया करते थे. ये चोर इन तारों को बेच करोड़ों की कमाई करते थे. लेकिन इसी बीच पुलिस के हत्थे चढ़ गए... 

प्रतापगढ़ जिले में सुहागपुरा थाना क्षेत्र के सोनाकोठी और देवगढ़ थाना के चित्तौडी में लगी विंडमिल पर देर रात अज्ञात बदमाषों द्वारा नकबजनी की कर ताम्बे की केबलें काटकर चुरा ले जाने का मामला सामने आया था. चूँकि मामला गंभीर था, जिला पुलिस अधीक्षक व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रभावी पर्यवेक्षण करते हुए सुहागपुरा थानाधिकारी व देवगढ़ थानाधिकारी को आरोपियों की गिरफ़्तारी और चोरी के माल की बरामदगी हेतु निर्देषित किया गया. पुलिस बल द्वारा गोपनीय सूचना पर दबिष देकर 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. उनके घरों से चुराई हुई ताम्बे की केबलें व अन्य सामान बरामद कर लिए गए. दो आरोपी फरार होने के कामयाब हो गए. आरोपी नारायण लाल मीणा और राजु मीणा की गिरफ्तारी के लिये सुहागपुरा व देवगढ़ थाना पुलिस लगातार प्रयासरत थे. फरार दोनों आरोपियों के बारे में सुहागपुरा थानाधिकारी को सुचना मिली कि दोनों ही अपने-अपने घर आए हुए हैं... ऐसे में पुलिस ने तत्काल टीम गठित कर कार्रवाई को अंजाम दिया. सुनियोजित तरीके से दोनों आरोपियों नारायणलाल व राजु के घर पर दबिष देकर आरोपियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही हैं.
प्रतापगढ़ जिला पहाड़ी इलाका है. ऐसे में यहाँ बड़े पैमाने पर विद्युत उत्पादन के लिए विंडमिल लगाईं गई है. विंडमिल यानि पवन ऊर्जा संयत्र, जो हवा से बिजली पैदा करते हैं. पर चूँकि इन विंडमिल में बेशकीमती ताम्बे के तार होते हैं, इसलिए अक्सर चोरों की निगाह रहती है... उम्मीद है कार्रवाई के बाद विंडमिल चोरी की घटनाओं पर लगाम लग पाएगी..!

Saturday, March 26, 2016

प्रतापगढ़ जिले में लगातार सुख रहा जमीन के अंदर का पानी. भू-जल स्तर कम होने से जिले भर में पानी के लिए मचा हाहा-कार! खास रिपोर्ट.








प्रतापगढ़ जिले में लगातार जमीन के अंदर का पानी यानि "भू-जल" कम होता जा रहा है. भू-जल स्तर कम होने से जिले भर में पानी के लिए हाहा-कार मच रहा है... हालत यह है कि कई जगह लोगो को बूंद-बूंद पानी पीकर जीना पड़ रहा है...!

प्रतापगढ़ जिले का आलम यह है अधिकांश इलाको के हेंडपंप बंद हो गए हैं! कुओं में पानी नहीं है, हेंडपंप से पानी की एक बूंद नहीं आ रही... और इधर जलाशयों में भी पानी सूखता जा रहा है. जमीन के अंदर पानी की कमी से भूमि का कटाव भी हो रहा है. भूमि लगातार सूखती जा रही है. ऐसी स्थिति में जिले में बड़ा संकट गहरा गया है. पेयजल की समस्या तो बढती जा रही ही है, साथ ही आगामी फसलों के लिए पानी कहाँ से आएगा, यह किसी को पता नहीं है. डार्क-ज़ोन में शुमार प्रतापगढ़ अब अपनी आज तक की सबसे बुरी स्थिति फस चूका है. भौगोलिक स्थिति की बात करें, तो प्रतापगढ़ एक पहाड़ी इलाका है. प्रतापगढ़ राजस्थान का दुसरे सबसे ऊंचा स्थान भी है. और यही वजह से कि यहाँ बारिश का पानी टिक नहीं पाता. ये पानी जमीन में गहराई तक चला जाता है. पहले जैसे-तैसे खुदाई करने पर, बोरिंग करने पर ,हेंडपंप लगाने पर यह पानी निकल आता था. लेकिन गुज़रे सालों में बारिश में आई कमी, लगातार हुए अवैध जल दोहन, और अनगिनत बोरवेल के चलते ये पानी कम हो गया... इस विकत स्थिति से इंसान और जानवर... हर कोई जूझ रहा है!



क्या जानवर और क्या इंसान...--  इन तस्वीरों को देख कर आपका भी मन पिसज रहा होगा. आपको भी इन मासूम जानवरों पर दया आ रही होगी जो पानी के लिए मशक्कत कर रहे हैं. ये नज़ारा पीपलखूंट इलाके का है. जहाँ एक सुनसान वीरान सड़क पर ना-मात्र सा पानी पड़ा है, और बेचारे मासूम बन्दर इसे पीने की कोशिश कर रहे हैं. एक बन्दर पीने लगा तो और एक और आ गया... पर फिर भी प्यास ना बुझी! 

जिले में सूखे का संकट हर किसी पर भारी पड़ रहा है. यहाँ के लोग इस संकट से कैसे उभर पाएंगे, इसका जवाब भविष्य के गर्त में है... जिले में मोटीखेड़ी, पठार, खेरोट, सुहागपुरा, दलोट ,अरनोद, सिद्धपुरा, बारावरदा समेत का ईलाके है जहाँ पानी की विकराल समस्या गहरा गई है. आने वाले वक्त में लोग कैसे पानी जुटाएंगे, यह वाकय में सोचने वाली बात है. किसानों और आम लोगो को अब बस अच्छी बारिश की उम्मीद है. क्योकि अब अच्छी बारिश ही स्थिति को बदल सकती है.

APC कोलेज में मीडिया-मिलन समारोह का आयोजन. मीडिया-कर्मियों से साधा संवाद.


प्रतापगढ़ के एशिया पेसिफिक कॉन्वेंट कोलेज में होली के बाद मीडिया मिलन समारोह का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में APC के संस्थापक पिंकेश पोरवाल, प्रगति स्कूल और APC स्कूल के प्रिंसिपल समेत पूरा संस्था महकमा मौजूद रहा. सभी ने कार्यक्रम में आए लोगो का होली के रंग से तिलक लगा कर स्वागत किया. इसके बाद अलग-अलग कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मनोरंजन किया. कार्यक्रम में पुराने गीतों की भरमार रही. कार्यक्रम में चार-चाँद लगाने के लिए हास्य-प्रस्तुति कार्यक्रम भी रखा गया, जिसमे अलग-अलग कलाकारों ने अपनी प्रस्तुत्यिओं से सभी को खूब हंसाया.. कार्यक्रम में आज ये युग में मीडिया की महत्ता पर प्रकाश डाला गया. एशिया पेसिफिक कॉन्वेंट कोलेज संस्थापक पिंकेश पोरवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया...

विद्युत विभाग में बरोठा के ग्रामीणों का हंगामा. पुलिस ने पहुँच कर लिया आरोपियों को हिरासत में. समझाइश के बाद शांत हुआ मामला.



विद्युत विभाग में लोगो ने आज जम कर हंगामा खड़ा कर दिया. हालत यह हो गई कि पुलिस को बुलाना पड़ा. दरअसल इन दिनों प्रतापगढ़ विद्युत विभाग का वसूली अभियान चल रहा है ऐसे में विभाग घर-घर जाकर कनेक्शन काट रहा है. जिन गाँवों में बकाया ज्यादा है, वहाँ पूरे गाँव की ही बिजली काटी जा रही है. विभाग ने गुज़रे कुछ दिनों में छ: गाँवों की बिजली बंद की थी. इसी में एक गाँव बरोठा के लोग आज विभाग पहुंचे और जम कर हंगामा खड़ा कर दिया. ग्रामवासी यहाँ बड़ी संख्या में पहुंचे थे. और आते ही अधिशाषी अभियंता के ऑफिस में हंगामा खड़ा कर दिया ऐसी हालत में विभाग ने पुलिस कंट्रोल रूम फोन कर सुचना दी और पुलिस पहुंची. पुलिस ने एक महिला समेत सभी लोगो को हिरासत में लिया. इसके बाद विभाग और गाँव वालो के बीच समझाइश की गई... बरोठा के ग्रामवासियों की मांग थी कि बिजली फिर चालु की जाए... इधर विभाग बिल जमा होने तक बिजली देने को तैयार नहीं है. बहरहाल पुलिस ने दखलअंदाजी कर मामला शांत कराया है. विद्युत विभाग को अपने वसूली अभियान में कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

होली के बाद शुरू हुए गैर-नृत्य! जिले भर में रही गैर की धूम. ग्रामीणों ने की बड़ी संख्या में शिरकत.




होली के बाद प्रतापगढ़ में गैर नृत्य शुरू हो गए है. जिला का सम्मानीय मीणा समाज अपना पारंपरिक गैर नृत्य कर सारे ग़मों-तकलीफों को भुला रहा है...


प्रतापगढ़ में हर साल होली-धुलंडी के बाद गैर नृत्य शुरू हो जाते हैं. ये नृत्य जिले का मीणा समाज करता है. इस नृत्य में ग्रामीण लोग हाथ में लाठियां लिए अनोखे तरीके से नाचते-गाते हैं. ये नृत्य बेहद आकर्षक होता है. जो भी इसे देखता है देखता रह जाता है. इस नृत्य में कोई संगीत नहीं होगा. बस ढोल की थाप होती और आदिवासी अपनी ही भाषा में अपने ही गीत गाते हुए नाचते रहते हैं. इस नृत्य के पीछे की मान्यता साल भर से सभी दुःख-तकलीफों को भुलाने की है. भले आर्थिक तंगी हो, या पारिवारिक झगडा, या फसल खराबे की चिंता, गैर नृत्य के साथ ग्रामीण सब कुछ भूल जाते हैं. इस नृत्य में साल में शादी करने वाले सभी लड़के दुल्हा बन कर आते हैं और नृत्य में भाग लेते हैं. दुल्हे की ड्रेस में नाचना-गाना बेहद शुभ माना जाता है. 

जिले के धोलापानी, बारवरदा, मधुरातालब, धरियावद समेत कई इलाको में यह नृत्य हो रहे हैं. जहाँ हजारों की संख्या में ग्रामवासी पहुँच रहे हैं. राजस्थान का प्रतापगढ़ एक ग्रामीण जिला है यहाँ ये नृत्य सालों-साल से चले आ रहे हैं. ये नृत्य पुरानी परम्पराओं को आज भी कायम रखे हुए हैं.

चारागाह भूमि विकास समिति योजना पर ग्रहण. पंचायत समिति ने नहीं बाटी पुस्तके. ग्राम पंचायतों को नहीं है योजना की जानकारी.



प्रतापगढ़ में पंचायत समिति कर्मचारियों की लापरवाही के चलते बहुउपयोगी पुस्तकों का वितरण अभी तक नहीं हो पाया है. यहाँ सैंकडो की संख्या में सरकार ने चारागाह भूमि विकास समितियों के सन्दर्भ में पुस्तकें भेजी थी. इन पुस्तकों को हर ग्रामपंचायत कार्यालय पर भिजवाना था, ताकि वे योजना को समझ सकें. लेकिन अधिकारियो-कर्मचारियों की लापरवाही के चलते पुस्तकें नहीं बाटी जा सकी. लिहाज़ा अब ये धुल का रही है... और इसी वजह से योजना भी अभी तक अटकी पड़ी है. दरअसल राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के नियम 170 के अंतर्गत चरागाह भूमि के संचालन और विकास के लिए हर ग्राम स्तर पर 5 सदस्यीय "चरागाह भूमि विकास समिति" बनाई जानी थी. जिसका मुखिया वार्ड-पञ्च होता और गांव की दो महिलाओं को इसमें शामिल भी किया जाता. इतने साल गुजरने के बावजूद आज तक जिले में एक भी ग्राम पंचायत में ये समिति नहीं बनाई गई. पुस्तकें नहीं बाटी गई तो पंचायतों को जानकारी भी नहीं हुई... ऐसे में सरकार की इस योजना पर पानी फिर चूका है. योजना का मकसद आज भी अधूरा ही है. इस "चरागाह भूमि विकास समिति" योजना के पीछे का मकसद यही था कि बेकार पड़ी चरागाह भूमि का उपयोग हो सके. जो जमीन किसी काम ना आती हो, उसे बहु-उपयोगी बनाया जा सके. और ये काम ग्रामीण अपनी सोच और इच्छा के मुताबिक करें. जब तक पुस्तके वितरित नहीं होंगी ,तब तक ग्रामवासी योजना को नही समझ सकेंगे..!

छोटीसादडी में शुरू हुआ महाशिवरात्रि का मैला. हजारों की संख्या में पहुँच रहे ग्रामीण.





छोटीसादडी में होली के पर्व के साथ ही महाशिवरात्रि और होली सामूहिक भव्य मैले का आयोजन 21 मार्च से शुरू हो गया है. नगरपालिका के उपाध्यक्ष रामचंद्र माली ने बताया कि यह मैला आज से 27 तारीख तक चलेगा. आदिवासी इलाके में लगने वाले इस मैले में हज़ारों की संख्या में लोग आ रहे हैं.. यहाँ हर कोई मैले का लुत्फ़ भरपूर उठा रहा है. यहाँ होली पर पहली बार होली पर ये मैला आयोजित हुआ है. यह मैला 27 तारीख तक जारी रहेगा. मैले में कई तरह की दुकानें सजाई गई हैं, जहाँ खरीददारी करने उपखंड के कई ग्रामीण लोग पहुंच रहे हैं. मैले में आज रात संस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. नाच-गानों से कलाकार लोगो का मनोरंजन करेंगे. तो वहीँ हास्य कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे... मैले में सुरक्षा के लिहाज़ से पुलिस का भारी बल तैनात किया गया है. छोटीसादडी थाना पुलिस मैले में सुरक्षा के लिहाज़ से लगातार निगरानी रख रही है. इतनी बड़ी संख्या में ग्रामीणों का आना अपने आप में मिसाल पेश कर रहा है... यह मैला हर साल महाशिवरात्रि पर लगता था, पर इस साल होली पर आयोजित किया गया है... ऐसे में इसे महाशिवरात्रि और होली के मिलेजुले रूप में देखा जा रहा है..

घर-घर शौचालय का अभियान साबित हो रहा फिसड्डी. खुद प्रतापगढ़ शहर में नहीं बन पाए शौचालय. खुले में शोच करते पुरुष और महिलाऐं!



प्रतापगढ़ में सरकार का घर-घर शौचालय अभियान पूरी तरह फिसड्डी साबित हो रहा है. खुद प्रतापगढ़ शहर में ही अभी घर घर शौचालय नहीं बन पाए हैं. सरकार के शौचालय अभियान की पड़ताल करने हम तलाई मोहल्ला पहुंचे. यहां आकर मालूम हुआ कि कई लोगों को अभी तक इस योजना के बारे में पता ही नहीं है. इसके अलावा जिन लोगों को योजना के बारे में पता है और जो लोग आवेदन कर चुके हैं, उन्हें भी अभी तक योजना का कोई लाभ नहीं मिला है. इस इलाके में हरदम गंदगी पसरी रहती है. कोलोनी में एक मात्र सार्वजनिक शौचालय है और वो भी अपने आप में इतना गंदा होता है कि लोग यहां पर आने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है. सार्वजनिक शौचालय के चारों ओर गंदगी पसरी होती है. ऐसी स्थिति में लोगों को खुले मैदानों में शौच करना जाना पड़ता है. इलाके के महिलाओं को भी खुले में शौच करना पड़ता है. आज के समय में भी इस तरह के हालात कायम होना सरकार के रवैया पर सवाल खड़े करता है. सरकारी योजनाओं का मकसद कितना भी भला क्यों ना हो, उन्हें इम्प्लीमेंट करने वाले अधिकारियों की लापरवाही के चलते सफल नहीं हो पाते.

13 क्विंटल अवैध डोडा चुरा बरामद. अरनोद थाना पुलिस की बड़ी कार्रवाई. शातिर बदमाश फरार होने में कामयाब.




प्रतापगढ़ पुलिस ने अवैध डोडा चुरा पर बड़ी कार्रवाई करते हुए एक साथ 13 क्विंटल की बड़ी मात्रा में डोडा चुरा बरामद किया है... पुलिस ने तस्करों की चाल को नाकाम करने में सफलता हांसिल की है...!

दरअसल अरनोद पुलिस को सुचना मिली थी कि रीछा में लालसिंह नाम के शख्स के पास तस्करी के लिए बड़ी मात्रा में मध्यप्रदेश से लाया गया डोडा चुरा पड़ा है. और उसने यह डोडाचुरा मनोहर सिंह के घर पर रखा हुआ है. ऐसे में पुलिस सक्रीय हुई और विशेष टीम का गठन किया. एसपी के निर्देशन में पूरी टीम रीछा गई और मौके पर दबिश दी. पुलिस को देखते ही दोनों आरोपी भाग फरार हो गए. पुलिस ने घर में तलाशी ली, तो इतनी बड़ी मात्र में डोडा चुरा पड़ा देख सन्न रह गई. पुलिस ने डोडा चुरा जब्त किया. खास बात यह भी कि घर से एक लोडेड बन्दूक भी बरामद हुई.


अरनोद थाना पुलिस ने इस साल की पहली डोडा चुरा कार्रवाई की है. इसके अलावा साल की पहली ब्राउन शुगर तस्करी पर भी इसी थाने ने कार्रवाई की थी.. उम्मीद है पुलिस की यह तेज़ी बरकरार रहेगी और तस्करी गिरोह पर नकेल कसने में कामयाब होगी!

प्रतापगढ़ शहर में नहीं खेली गई होली. पुरानी परंपरा के चलते सुने रहा माहौल. अब रंग-तेरस पर बिखरेंगे होली के रंग.

जब पूरा देश होली के रंगों में सराबोर है, तब प्रतापगढ़ सुनसान! जब हर जगह होली पर लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगते हैं, फाग के गीत गए जाते हैं, गीतों की मस्ती में लोग झूमते हैं, तब प्रतापगढ़ पूरा सुनसान रहता है...

होली और धुलेंडी का दिन नजदीक आने पर पूरे देश में जहां खुशी और मस्ती का माहौल रहता है ....छोटे-छोटे बच्चें हाथों में पिचकारियाँ लेकर पानी की बोछारों से एक दूसरों को भिगो देते है, सभी एक दूसरे पर रंग और गुलाल लगा कर खुश होते है, लेकिन प्रदेश में प्रतापगढ़ ही एक ऐसा इलाका है, जहां यह सब नहीं होता है. प्रतापगढ़ और आस पास के ग्रामीण इलाको में लोग होलिका दहन तो करते हैं, लेकिन दूसरे दिन धुलेंडी का पर्व नहीं मनाते है...

प्रतापगढ़ में होली नहीं खेली जाती! कारण- राजपरिवार में हुई मौत... आज भी प्रतापगढ़ में उस मौत का मातम होता है, और होली नहीं खेली जाती ... प्रतापगढ़ के लोग होली नहीं खेलते, वो इसलिए क्योकि यहाँ रियासतकाल में राज परिवार में हुई मौत का मातम आज भी मनाया जाता है... रियासतकालीन दौर में जब प्रतापगढ़ भी एक रिसासत थी. तब कभी यहाँ पर भी रंगों का यह त्यौहार बड़े उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता था.. राजपरिवार में 150-160 साल पहले राजा रामसिंह तत्कालीन महाराजा थे, उस समय राजपरिवार के किसी सदस्य की होली के दौरान मौत हो गई थी, इसलिए इस दिन लोगों ने होली मनाना छोड़ दिया. यहाँ धुलंडी और होली... रंग तेरस के दिन मनाई जाती है. आज के दिन यहाँ के बाजार बिलकुल सुनसान रहते हैं. होली की चका-चौंध यहाँ नहीं होती. यहाँ हर तरफ बस शांति-शांति होती है. शहर के मुख्य बाज़ार हों या गली-मोहल्ले हर जगह सन्नाटा पसरा रहता है. यहाँ के लोग आज का दिन एक आम दिन की तरह मनाते हैं...
हिंदू संस्कृति में परिवार के किसी सदस्य की मौत होने पर बारह दिनों तक शोक रहता है. कोई खुशी का कार्यक्रम नहीं होता. तेरहंवे दिन उस शोक का निवारण किया जाता है. राजपरिवार में हुई उस घटना के तेहरवें दिन यहाँ पर रंग तेरस का पर्व मनाया जाने लगा. तब ही से यहाँ लोग तेरस को ही रंग-तेरस के रूप में धुलेंडी पर्व मनाते है और एक दूसरे पर रंग और गुलाल लगाते है...