Saturday, March 26, 2016

होली के बाद शुरू हुए गैर-नृत्य! जिले भर में रही गैर की धूम. ग्रामीणों ने की बड़ी संख्या में शिरकत.




होली के बाद प्रतापगढ़ में गैर नृत्य शुरू हो गए है. जिला का सम्मानीय मीणा समाज अपना पारंपरिक गैर नृत्य कर सारे ग़मों-तकलीफों को भुला रहा है...


प्रतापगढ़ में हर साल होली-धुलंडी के बाद गैर नृत्य शुरू हो जाते हैं. ये नृत्य जिले का मीणा समाज करता है. इस नृत्य में ग्रामीण लोग हाथ में लाठियां लिए अनोखे तरीके से नाचते-गाते हैं. ये नृत्य बेहद आकर्षक होता है. जो भी इसे देखता है देखता रह जाता है. इस नृत्य में कोई संगीत नहीं होगा. बस ढोल की थाप होती और आदिवासी अपनी ही भाषा में अपने ही गीत गाते हुए नाचते रहते हैं. इस नृत्य के पीछे की मान्यता साल भर से सभी दुःख-तकलीफों को भुलाने की है. भले आर्थिक तंगी हो, या पारिवारिक झगडा, या फसल खराबे की चिंता, गैर नृत्य के साथ ग्रामीण सब कुछ भूल जाते हैं. इस नृत्य में साल में शादी करने वाले सभी लड़के दुल्हा बन कर आते हैं और नृत्य में भाग लेते हैं. दुल्हे की ड्रेस में नाचना-गाना बेहद शुभ माना जाता है. 

जिले के धोलापानी, बारवरदा, मधुरातालब, धरियावद समेत कई इलाको में यह नृत्य हो रहे हैं. जहाँ हजारों की संख्या में ग्रामवासी पहुँच रहे हैं. राजस्थान का प्रतापगढ़ एक ग्रामीण जिला है यहाँ ये नृत्य सालों-साल से चले आ रहे हैं. ये नृत्य पुरानी परम्पराओं को आज भी कायम रखे हुए हैं.

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