प्रतापगढ़ जिले में लगातार जमीन के अंदर का पानी यानि "भू-जल" कम होता जा रहा है. भू-जल स्तर कम होने से जिले भर में पानी के लिए हाहा-कार मच रहा है... हालत यह है कि कई जगह लोगो को बूंद-बूंद पानी पीकर जीना पड़ रहा है...!
प्रतापगढ़ जिले का आलम यह है अधिकांश इलाको के हेंडपंप बंद हो गए हैं! कुओं में पानी नहीं है, हेंडपंप से पानी की एक बूंद नहीं आ रही... और इधर जलाशयों में भी पानी सूखता जा रहा है. जमीन के अंदर पानी की कमी से भूमि का कटाव भी हो रहा है. भूमि लगातार सूखती जा रही है. ऐसी स्थिति में जिले में बड़ा संकट गहरा गया है. पेयजल की समस्या तो बढती जा रही ही है, साथ ही आगामी फसलों के लिए पानी कहाँ से आएगा, यह किसी को पता नहीं है. डार्क-ज़ोन में शुमार प्रतापगढ़ अब अपनी आज तक की सबसे बुरी स्थिति फस चूका है. भौगोलिक स्थिति की बात करें, तो प्रतापगढ़ एक पहाड़ी इलाका है. प्रतापगढ़ राजस्थान का दुसरे सबसे ऊंचा स्थान भी है. और यही वजह से कि यहाँ बारिश का पानी टिक नहीं पाता. ये पानी जमीन में गहराई तक चला जाता है. पहले जैसे-तैसे खुदाई करने पर, बोरिंग करने पर ,हेंडपंप लगाने पर यह पानी निकल आता था. लेकिन गुज़रे सालों में बारिश में आई कमी, लगातार हुए अवैध जल दोहन, और अनगिनत बोरवेल के चलते ये पानी कम हो गया... इस विकत स्थिति से इंसान और जानवर... हर कोई जूझ रहा है!
क्या जानवर और क्या इंसान...-- इन तस्वीरों को देख कर आपका भी मन पिसज रहा होगा. आपको भी इन मासूम जानवरों पर दया आ रही होगी जो पानी के लिए मशक्कत कर रहे हैं. ये नज़ारा पीपलखूंट इलाके का है. जहाँ एक सुनसान वीरान सड़क पर ना-मात्र सा पानी पड़ा है, और बेचारे मासूम बन्दर इसे पीने की कोशिश कर रहे हैं. एक बन्दर पीने लगा तो और एक और आ गया... पर फिर भी प्यास ना बुझी!
जिले में सूखे का संकट हर किसी पर भारी पड़ रहा है. यहाँ के लोग इस संकट से कैसे उभर पाएंगे, इसका जवाब भविष्य के गर्त में है... जिले में मोटीखेड़ी, पठार, खेरोट, सुहागपुरा, दलोट ,अरनोद, सिद्धपुरा, बारावरदा समेत का ईलाके है जहाँ पानी की विकराल समस्या गहरा गई है. आने वाले वक्त में लोग कैसे पानी जुटाएंगे, यह वाकय में सोचने वाली बात है. किसानों और आम लोगो को अब बस अच्छी बारिश की उम्मीद है. क्योकि अब अच्छी बारिश ही स्थिति को बदल सकती है.
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