प्रतापगढ़ में सरकार का घर-घर शौचालय अभियान पूरी तरह फिसड्डी साबित हो रहा है. खुद प्रतापगढ़ शहर में ही अभी घर घर शौचालय नहीं बन पाए हैं. सरकार के शौचालय अभियान की पड़ताल करने हम तलाई मोहल्ला पहुंचे. यहां आकर मालूम हुआ कि कई लोगों को अभी तक इस योजना के बारे में पता ही नहीं है. इसके अलावा जिन लोगों को योजना के बारे में पता है और जो लोग आवेदन कर चुके हैं, उन्हें भी अभी तक योजना का कोई लाभ नहीं मिला है. इस इलाके में हरदम गंदगी पसरी रहती है. कोलोनी में एक मात्र सार्वजनिक शौचालय है और वो भी अपने आप में इतना गंदा होता है कि लोग यहां पर आने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है. सार्वजनिक शौचालय के चारों ओर गंदगी पसरी होती है. ऐसी स्थिति में लोगों को खुले मैदानों में शौच करना जाना पड़ता है. इलाके के महिलाओं को भी खुले में शौच करना पड़ता है. आज के समय में भी इस तरह के हालात कायम होना सरकार के रवैया पर सवाल खड़े करता है. सरकारी योजनाओं का मकसद कितना भी भला क्यों ना हो, उन्हें इम्प्लीमेंट करने वाले अधिकारियों की लापरवाही के चलते सफल नहीं हो पाते.
Saturday, March 26, 2016
घर-घर शौचालय का अभियान साबित हो रहा फिसड्डी. खुद प्रतापगढ़ शहर में नहीं बन पाए शौचालय. खुले में शोच करते पुरुष और महिलाऐं!
प्रतापगढ़ में सरकार का घर-घर शौचालय अभियान पूरी तरह फिसड्डी साबित हो रहा है. खुद प्रतापगढ़ शहर में ही अभी घर घर शौचालय नहीं बन पाए हैं. सरकार के शौचालय अभियान की पड़ताल करने हम तलाई मोहल्ला पहुंचे. यहां आकर मालूम हुआ कि कई लोगों को अभी तक इस योजना के बारे में पता ही नहीं है. इसके अलावा जिन लोगों को योजना के बारे में पता है और जो लोग आवेदन कर चुके हैं, उन्हें भी अभी तक योजना का कोई लाभ नहीं मिला है. इस इलाके में हरदम गंदगी पसरी रहती है. कोलोनी में एक मात्र सार्वजनिक शौचालय है और वो भी अपने आप में इतना गंदा होता है कि लोग यहां पर आने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है. सार्वजनिक शौचालय के चारों ओर गंदगी पसरी होती है. ऐसी स्थिति में लोगों को खुले मैदानों में शौच करना जाना पड़ता है. इलाके के महिलाओं को भी खुले में शौच करना पड़ता है. आज के समय में भी इस तरह के हालात कायम होना सरकार के रवैया पर सवाल खड़े करता है. सरकारी योजनाओं का मकसद कितना भी भला क्यों ना हो, उन्हें इम्प्लीमेंट करने वाले अधिकारियों की लापरवाही के चलते सफल नहीं हो पाते.
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