प्रतापगढ़ के एक पुलिस थाने ने अनूठे तरीके से क्राइम कम करने में सफलता हांसिल की है... इस थाने बिना लोगों में खौफ पैदा किए कैसे कम किया क्राइम? देखिए इस खास रिपोर्ट में--
प्रतापगढ़ के एक पुलिस थाने ने अनोखे तरीके से क्राइम पर लगाम लगाने में सफलता हांसिल की है. यह थाना है "अरनोद" का... अरनोद थाना क्षेत्र क्राइम के लिए कुख्यात था. यह वही इलाका है, जहाँ कुख्यात फिरौती गिरोह सक्रीय रहते थे... जो तस्करी और फायरिंग के कभी अव्वल था.. लेकिन अब यहाँ उल्लेखनीय बदलाव आया है... इस बदलाव को लाने के लिए पुलिस ने जो तरीका अपनाया...वह वाकय में मिसाल है... थानाधिकारी और RPS अधिकारी गोपीचंद मीणा ने खेल-खेल में ही क्राइम कर दिए... जो काम पुलिस की सख्ती नहीं कर सकी, वह काम महज़ चंद दिनों में खेल के माध्यम से हो गया. हर सुबह और शाम इलाके के लोगों को वोलिबोल खेलने के लिए बुलाया जाता... शुरू में तो लोग थाने में पुलिस अधिकारीयों के साथ खेलने में हिचकिचाए--- लेकिन फिर सब आम होता चला गया. लोगों की संवेदना पुलिस के साथ बेहतर होती चली गई.. नतीजा यह हुआ कि लोग क्राइम करने में ही संकोच करने लगे. यही नहीं, कोई भी बात हो पुलिस के साथ आसानी से साझा करने लगे... अब हाल यह है कि गुज़रे एक साल में फिरौती-फायरिंग का क्राइम लगभग पूरा खत्म हो गया है... थानाधिकारी का कहना है कि खेल सभी के जीवन का अहम हिस्सा है... खेल के माध्यम से लोग उनके करीब आए, और क्राइम करने में शर्मिंदा महसूस करने लगे.. साथ ही अपने मन की बात शेयर भी करने लगे... अगर सभी पुलिस थाने इस तरह खेल-खेल में आम जन से करीब आकर रिलेशन बेहतर करें, तो निश्चित तौर पर क्राइम में कमी आ सकती है... जो काम रोप का डंडा नहीं कर सका, वह काम अरनोद पुलिस की पोजिटिव पहल ने करके दिखाया है...
प्रतापगढ़ के एक पुलिस थाने ने अनोखे तरीके से क्राइम पर लगाम लगाने में सफलता हांसिल की है. यह थाना है "अरनोद" का... अरनोद थाना क्षेत्र क्राइम के लिए कुख्यात था. यह वही इलाका है, जहाँ कुख्यात फिरौती गिरोह सक्रीय रहते थे... जो तस्करी और फायरिंग के कभी अव्वल था.. लेकिन अब यहाँ उल्लेखनीय बदलाव आया है... इस बदलाव को लाने के लिए पुलिस ने जो तरीका अपनाया...वह वाकय में मिसाल है... थानाधिकारी और RPS अधिकारी गोपीचंद मीणा ने खेल-खेल में ही क्राइम कर दिए... जो काम पुलिस की सख्ती नहीं कर सकी, वह काम महज़ चंद दिनों में खेल के माध्यम से हो गया. हर सुबह और शाम इलाके के लोगों को वोलिबोल खेलने के लिए बुलाया जाता... शुरू में तो लोग थाने में पुलिस अधिकारीयों के साथ खेलने में हिचकिचाए--- लेकिन फिर सब आम होता चला गया. लोगों की संवेदना पुलिस के साथ बेहतर होती चली गई.. नतीजा यह हुआ कि लोग क्राइम करने में ही संकोच करने लगे. यही नहीं, कोई भी बात हो पुलिस के साथ आसानी से साझा करने लगे... अब हाल यह है कि गुज़रे एक साल में फिरौती-फायरिंग का क्राइम लगभग पूरा खत्म हो गया है... थानाधिकारी का कहना है कि खेल सभी के जीवन का अहम हिस्सा है... खेल के माध्यम से लोग उनके करीब आए, और क्राइम करने में शर्मिंदा महसूस करने लगे.. साथ ही अपने मन की बात शेयर भी करने लगे... अगर सभी पुलिस थाने इस तरह खेल-खेल में आम जन से करीब आकर रिलेशन बेहतर करें, तो निश्चित तौर पर क्राइम में कमी आ सकती है... जो काम रोप का डंडा नहीं कर सका, वह काम अरनोद पुलिस की पोजिटिव पहल ने करके दिखाया है...