Thursday, December 31, 2015

अरनोद थाने ने अनूठे तरीके से कम किया क्राइम. खेल-खेल में कम हो गए क्राइम. थाने ने कायम की मिसाल. कैसे मिली सफलता? देखिए इस रिपोर्ट में-

प्रतापगढ़ के एक पुलिस थाने ने अनूठे तरीके से क्राइम कम करने में सफलता हांसिल की है... इस थाने बिना लोगों में खौफ पैदा किए कैसे कम किया क्राइम? देखिए इस खास रिपोर्ट में--

प्रतापगढ़ के एक पुलिस थाने ने अनोखे तरीके से क्राइम पर लगाम लगाने में सफलता हांसिल की है. यह थाना है "अरनोद" का... अरनोद थाना क्षेत्र क्राइम के लिए कुख्यात था. यह वही इलाका है, जहाँ कुख्यात फिरौती गिरोह सक्रीय रहते थे... जो तस्करी और फायरिंग के कभी अव्वल था.. लेकिन अब यहाँ उल्लेखनीय बदलाव आया है... इस बदलाव को लाने के लिए पुलिस ने जो तरीका अपनाया...वह वाकय में मिसाल है... थानाधिकारी और RPS अधिकारी गोपीचंद मीणा ने खेल-खेल में ही क्राइम कर दिए... जो काम पुलिस की सख्ती नहीं कर सकी, वह काम महज़ चंद दिनों में खेल के माध्यम से हो गया. हर सुबह और शाम इलाके के लोगों को वोलिबोल खेलने के लिए बुलाया जाता... शुरू में तो लोग थाने में पुलिस अधिकारीयों के साथ खेलने में हिचकिचाए--- लेकिन फिर सब आम होता चला गया. लोगों की संवेदना पुलिस के साथ बेहतर होती चली गई.. नतीजा यह हुआ कि लोग क्राइम करने में ही संकोच करने लगे. यही नहीं, कोई भी बात हो पुलिस के साथ आसानी से साझा करने लगे... अब हाल यह है कि गुज़रे एक साल में फिरौती-फायरिंग का क्राइम लगभग पूरा खत्म हो गया है... थानाधिकारी का कहना है कि खेल सभी के जीवन का अहम हिस्सा है... खेल के माध्यम से लोग उनके करीब आए, और क्राइम करने में शर्मिंदा महसूस करने लगे.. साथ ही अपने मन की बात शेयर भी करने लगे... अगर सभी पुलिस थाने इस तरह खेल-खेल में आम जन से करीब आकर रिलेशन बेहतर करें, तो निश्चित तौर पर क्राइम में कमी आ सकती है... जो काम रोप का डंडा नहीं कर सका, वह काम अरनोद पुलिस की पोजिटिव पहल ने करके दिखाया है...

प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना साबित हुई फिसड्डी. किसान में सूखे के मारे मचा हाहाकार. मुआवजे के लिए क्या फिर सड़कों पर उतरेंगे किसान?

प्रतापगढ़ में प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना फिसड्डी साबित होती दिख रही है. एक तरह किसान सूखे के मारे हाहाकार कर रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रशासन चैन की नींद सो रहा है...

प्रतापगढ़ में इस वर्ष बारिश कम होने से सुखा पैदा हो गया है. बारिश कम होने से जलस्रोतों में पानी कम है, तो सिंचाई के लिए किसान महंगे टेंकर पर निर्भर है. क्योंकि सिंचाई के लिए चलाई जा रही योजना का भी कोई फायदा नहीं मिल रहा है... आंकडो पर नज़र डाली जाए तो -- 600 हेक्टेयर के अगेंस्ट 150 हेक्टयेर, फव्वारे के 2150 हेक्टयेर के अगेंस्ट 1000 हेक्टयेर, मसाला फसलों में 50 हेक्टेयर के अगेंस्ट 35 हेक्टयेर ही पूरे हुए हैं. कई गाँव ऐसे हैं, जहाँ सूखे से फसलें खराब हो रही हैं. वहाँ अभी तक विभाग का कोई नुमाइंदा नहीं पहुंचा है... सूखे के पीछे कम बारिश और अवैध जल दोहन को कारण माना जा रहा है... इधर प्रशासन की सुस्ती ने चिंता और बढ़ा दी है... ऐसी हालत में जब किसान सूखे की मार से परेशान हों, प्रशासन को आगे आकार सहायता करनी चाहिए... नहीं तो एक बार फिर खराबा होगा और किसान मुआवजे के लिए सड़कों पर उतरेंगे...

जवाबदेही यात्रा प्रतापगढ़ पहुंची. पंचायत समिति कार्यालय के सामने विशेष कार्यक्रम का आयोजन. सरकार अधिकारीयों के खिलाफ जवाबदेही का नियम बनाए जाने की मांग.

जवाबदेही यात्रा प्रतापगढ़ पहुंची जहाँ उन्होंने पंचायत समिति कार्यालय के सामने विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम से हर किसी को मोह लिया. कार्यक्रम में भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ थी, जिसे नाच-गा कर और नाटक के माध्यम से तेज किया गया. आयोजन के चारों ओर लोगों का जमावड़ा लगा. यात्रा में आए लोगों ने मांग की है कि सरकार अधिकारीयों के खिलाफ जवाबदेही का नियम बनाए. जिसके अंतर्गत काम नहीं होने पर उसका कारण वे बताएं. यह यात्रा 1 दिसंबर को जयपुर से शुरू हुई है जो सभी जिलों में जा रही है. हर जिले में तीन-तीन दिन बिताए जा रहे हैं. यात्रा में 100 लोग शामिल हैं. मांग यह भी है कि कर्मचारियों पर काम न होने की स्थिति में जुर्माना लगाया जाए.

Friday, December 25, 2015

प्रतापगढ़ में कंप्यूटर शिक्षा योजना ने तोडा दम. 64 स्कूलों में दी जानी थी कंप्यूटर शिक्षा. अध्यापकों और संस्था प्रधानों की लापरवाही से बदहाल हुई व्यवस्था. कई स्कूलों में धुल फांक रहे कंप्यूटर.





ग्रामीण इलाको में बच्चों को कंप्यूटर की बेहतर शिक्षा देने की सरकारी योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही है. प्रतापगढ़ से आई इस रिपोर्ट को देखिए. और जानिये किस तरह से कंप्यूटर शिक्षा योजना का दम ही घुट गया है.

प्रतापगढ़ जिले के आदिवासी और ग्रामीण बच्चों को कंप्यूटर से जोड़ने की कवायद ने दम तोड़ दिया है. सरकार की ओर से आई.सी.टी. योजना के अंतर्गत 64 स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा देने का प्रावधान था. करोड़ों रूपए खर्च कर स्कूलों में कंप्यूटर भिजवाए गए. योजना के तहत तीन फेज़ में काम होना था. प्रथम फेज़ में 24 स्कूल, दूसरे फेस में 30 स्कूल तो वहीं तीसरे फेस में 10 स्कूल को चयनित किए गए थे. पहले और दूसरे फेज़ में पहले कॉन्ट्रैक्ट बेस पर शिक्षा दी जानी थी, उसके बाद विद्यालय को अपने स्तर पर यह शिक्षा बच्चों को देनी थी, इसके लिए विद्यालय को मौजूदा शिक्षकों का उपयोग करना था. तो कहीं तीसरे फेज़ में भी यह जिम्मा स्कूल का ही था. लेकिन जैसे ही ज़िम्मा स्कूलों पर आया, कंप्यूटर शिक्षा के बुरे दिन शुरू हो गए. महीनों बाद जब कंप्यूटर कक्षों के दरवाज़े खोले गए तो घटिया तस्वीर निकल कर आई. कंप्यूटर धुल फांक रहे थे, मकड़ी के जाले बने हुए थे... यह कंप्यूटर अब उपयोग में ना आने और रख-रखाव ना होने की वजह से खराब हो गए हैं.

सरकार की कोई भी योजना हो --शुरुआत में जोर शोर से प्रचार होता है. उसके बाद में धीरे-धीरे योजनाओं का दम घुटने लगता है.संस्था प्रधानों की लापरवाही के चलते कंप्यूटर शिक्षा का कोई फायदा आदिवासी बच्चों को नहीं मिल रहा है---ऐसे में योजना पर फूंके गए लाखों सरकारी रूपए अब फालतू ही नज़र आ रहे हैं.

प्रतापगढ़ की लुटेरी दुल्हन की कहानी ! शादी के बाद हमेशा के लिए पति को कहा अलविदा. पति को लगाईं पौने दो लाख रूपए की चपत. 90 हजार रूपए में हुआ था शादी का सौदा. खास रिपोर्ट.






उस विकलांग ने भी शादी के बाद सुनहरे जीवन के सपने संजोय थे, लेकिन दुल्हन ने सब कुछ बर्बाद कर दिया... एक अनजान महिला से सौदा कर शादी करना युवक को महंगा पड़ गया! मामला प्रतापगढ़ से है जहां एक दुल्हन अपने पति को पौने दो लाख रुपए की चपत लगा कर हमेशा के लिए अलविदा कह गई...

राजस्थान के प्रतापगढ़ के मानपुरा में एक युवक के साथ शादी के बाद धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. स्थानीय युवक राजेश गायरी ने 90 हजार रुपए देकर महाराष्ट्र की आकोला की रहने वाली कल्पना गायकवाड से शादी रचाई थी. यह सौदा राजेश अपनी जान-पहचान वाले मध्यप्रदेश के नारायाणगढ़ निवासी भागीरथ पाटीदार ने तय करवाया था. सौदे के मुताबिक 40 हजार रुपए शादी के पहले और बाकी 50 हजार रुपए शादी के बाद दिए गए. स्थानीय मंदिर में शादी हुई और कल्पना राजेश के साथ रहने लगी. शादी के बाद कल्पना ने अच्छे व्यवहार से सभी को प्रभावित भी रखा.

10 दिन बाद अचानक कल्पना ने माँ के बीमार होने का बहाना बनाया और इलाज के नाम पर 40 हजार रूपए और लेकर घर चली गई. जब महीने भर तक पत्नी घर नहीं लौटी तो पति ने फोन किया. पत्नी के कहने पर पति ने उसके बेंक खाते में 700 रूपए किराए के जमा भी कर दिए.. लेकिन फिर पत्नी ने आने से इनकार कर दिया. और यह तक कह डाला कि --"अब से मुझे कभी फोन मत करना. मैं अब कभी नहीं आऊंगी. तुझे जो करना है कर ले..." यह सुनते ही तो मानों राजेश के पैरों तले जमीन खिसक गई.


राजेश को यह भी नहीं मालूम कि कल्पना के घर का पता क्या है, वो कहाँ रहती है, उसके माता-पिता कौन है और उसका चरित्र कैसा है!!! युवक भागीरथ ने राजेश को बस कल्पना की फोटो दिखाई थी... कुछ यूँही सौदा तय हुआ था.


कहानी का सबसे दुखद पहलु यह है कि राजेश अपंग है और माँ विधवा. माँ पास के ही सरकारी स्कूल में चपरासी है और 1000 रूपए महीना तनख्वाह से घर बार बमुश्किल चलता है... माँ ने अपने विकलांग बेटे की शादी के लिए सारा पैसा गाँव के लोगों से ही उधार लिया था.. जो अब रोज घर मांगने आ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक 90 हजार शादी के, 40 हजार पीहर भेजते समय, और 50 हजार रूपए शादी में खर्च हुए थे.. इस तरह कुल 1 लाख 80 हजार रूपए खर्च हो गए... यह सभी पैसे उधर के ही थे... अब भुलिभाई और राजेश के सामने यह पैसा चुकाने का भी संकट मंडरा रहा है... राजेश ने भागीरथ, कल्पना और उसके अन्य साथी देवचंद के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. देवचंद इगले ने अपने आप को कल्पना का रिश्तेदार बताया था.

शादी जीवन का सबसे अहम निर्णय होता है.छोटी-सी चूक भी जिंदगी बर्बाद कर सकती है. ज़रूरत है कि लोग सौदे वाली शादियों से बचें... और सोच-समझ कर फ़ैसला लें. बहरहाल राजेश को पत्नी का इंतज़ार है...!

पुलिस ने सुलझाई ब्लाइंड मर्डर केस की गुत्थी. चचेरे भाई की निकले आरोपी. जंगल में किया था युवक पर हमला. कैसे किया पुलिस ने खुलासा? देखिए इस रिपोर्ट में



प्रतापगढ़ पुलिस ने जंगल के सुनसान इलाके में हुए ब्लाइंड मर्डर केस का पर्दाफाश कर लिया है... पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर पूरी गुत्थी सुलझा ली है..
मामला प्रतापगढ़ के सुहागपुरा थाना क्षेत्र का है. बड़ीलाक में वन क्षेत्र में युवक की हत्या की गई थी. मामले में पुलिस ने मृतक के चचेरे भाइयों को गिरफ्तार किया है. पारिवारिक रंजिश के चलते दोनों ने हत्या करना कुबूल किया है. sp ने बताया कि पीपली का पठार जंगल में सूने स्थान पर 15 दिसंबर को देवी लाल मीणा और वालाराम मीणा चुपना मजदूरी कर मोटरसाइकिल पर गांव आ रहे थे. उन पर अज्ञात लोगों ने हमला किया था. इसमें देवीलाल की उपचार के दौरान मौत हो गई थी. थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए एडिशनल sp के नेतृत्व में तीन टीमें गठित की गई. सामने आया कि पारिवारिक रंजिश के चलते चचेरे भाई आसूराम मीणा और अशोक मीणा ने हमला किया था .. पुलिस ने दोनों को पकड़कर कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में आरोपियों ने पीपली का पठार वन क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से घटना को अंजाम देना कुबूल किया. दोनों भाइयों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें दो दिन के पुलिसिया रिमांड पर भेज दिया गया.,..

हमले को लेकर पहले से योजना बनाई गई थी. आरोपियों को पता था कि देवीलाल और बालाराम बाइक से आते हैं. घटना के लिए उन्होंने जंगल और शाम का समय चुना... बहरहाल आरोपी पुलिस गिरफ्त में है. उम्मीद है मृतक को सही न्याय मिलेगा.

गौतस्कारों की जमानत खारिज. पीपलखूंट थाना पुलिस से जुड़ा है मामला. आरोपी कय्यूम मुसलमान और बहादुर बंजारा ने जमानत के लिए किया था आवेदन.

प्रतापगढ़ के जिला एवं सेशन कोर्ट ने गौतस्कारों की जमानत खारिज करने के आदेश दिए हैं...मामला पीपलखूंट थाना पुलिस से जुड़ा है. पुलिस ने 17 दिसम्बर को गौतस्कारी कर रहे दो युवकों को पिकअप समेत गिरफ्तार किया था. आरोपियों से चार गाय के बछड़े मुक्त करवाए गए थे. आरोपी कय्यूम मुसलमान और बहादुर बंजारा ने जमानत के लिए आवेदन किया था. लेकिन कोर्ट ने अब इसे खारिज कर दिया है... कोर्ट ने लोक अभियोजक तरुण दास बैरागी और अधिक्वक्ता रमेश शर्मा ने जमानत होने का विरोध किया था... ये आरोपी इन गायों को एमपी से गुजरात ले जा रहे थे. एमपी में पुलिस ने इन्हें छोड़ दिया लेकिन राजस्थान पुलिस से बच नहीं सके...

RMSA योजना में गडबड उजागर. घटिया सामग्री से हुआ था निर्माण. बदहाल हालत में प्रिंसिपल ने ले लिया भवन. ठेकेदार ने सरकार को लगाया चुना. क्या है पूरा मामला? देखिए इस रिपोर्ट में!!






RMSA योजना के तहत प्रतापगढ़ के सबसे बड़े गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल के हुए भवन निर्माण में घपलेबाजी की बू आ रही है. जर-जर कर टूटता नया भवन बहुत कुछ बयाँ कर रहा है.

प्रतापगढ़ में RMSA योजना के तहत गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल में पांच कमरो की बिल्डिंग तैयार की गई थी. ठेकेदार ने आधा-अधूरा भवन बना कर स्कूल को हेंडओवर कर दिया. ताजुब की बात यह, कि स्कूल ने इस भवन को ले भी लिया. 21.67 लाख की लागत से बने इस भवन में अभी तक रंगरोगन तो दूर--- निर्माण भी पूरा नहीं हुआ है. दो ही महीनो ने दीवारें टूटने लगी है, जगह-जगह से सीमेंट निकल रही है, ईंटे बाहर आने लगी है, तो वहीँ फर्श पर दरारे भी हैं. दरवाज़े जाम हो गए हैं, तो कमरों में कबूतर मरे पड़े हैं, तो सीढियों पर रेलिंग तक नहीं है... ऐसे में सवाल ये कि जब भवन पूरा बना ही नही था तो कैसे स्कूल की प्रधानाचार्या ने इसे लिया... बेहद निम्न और घटिया निर्माण के बाद भी भवन ले लेने के इस मामले में घपलेबाजी की बू आ रही है... क्योंकि भवन पूरा नहीं हुआ है और बिल पूरा बन गया है. अभी तक 18.50 लाख का पेमेंट ठेकेदार को हो गया है.. बाकी पेमेंट इस सप्ताह होने जा रहा है. भवन की हालत देख लगता है कि एक साल में ही धराशाई हो जाएगा. अगर यहाँ बालिकाओं के साथ अनहोनी होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? मामले में महिला प्रिंसिपल , जूनियर इंजिनियर और सहायक इंजिनियर पर घपले के आरोप लग रहे हैं... इन सभी की मोनिटरिंग पर सवाल उठ रहे हैं...
योजना के तहत जिले के 57 स्कूलों में करोड़ों रूपए खर्च कर भवन बनाए गए हैं... लेकिन जो दीवारे हाथ लगाते टूटने लगें, उनका भविष्य ही क्या... इस पूरे मामले को निष्पक्ष विभागीय तफ्तीश की जरुरत है.

Sunday, December 20, 2015

अशिक्षा बन रही हादसों की वजह! ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट. नौसिखिए वाहन चालक बन रहे घातक! देखिए खास रिपोर्ट.



आजकल सड़क दुर्घटनाएं कितनी बढ़ रही है इस बात से सभी वाकिब हैं... लेकिन क्या आप जानते हैं इन हादसों के पीछे की एक बड़ी वजह - ILLITERACY...यानि अशिक्षा भी है...! कैसे? प्रतापगढ़ से आई इस रिपोर्ट में देखिए--

बेपरवाह होकर वाहन चलाते लोग और नौसिखिए चालक... ये वहीँ है जो सड़क हादसों को अंजाम देते हैं. बात हो प्रतापगढ़ जैसे जिले की, तो शर्मनाक आंकड़ा निकल कर सामने आता है. जहाँ अशिक्षा हादसों के पीछे सबसे बड़ी वजह निकल कर सामने आती है. प्रतापगढ़ में अधिकांश एक्सीडेंट की घटनाएँ सिर्फ ग्रामीण इलाकों में होती है. एक विश्लेषण के मुताबिक़ इन हादसों के पीछे नौसिखिए और अनपढ़ वाहन चालकों का हाथ होता है. कैसे अशिक्षा सड़क हादसों की वजह है??-

  • अशिक्षित अक्सर सड़क पर लगे SIGNS को नहीं समझ पाते. 
  • अशिक्षित लोग अक्सर इंडिकेटर, सड़क चिन्ह, रोड लाइट्स और रोड सेफ्टी से जुटी चीजों को शायद कभी पढ़ ही नहीं पाते.
  • अशिक्षित लोगों को लाइसेंस नहीं मिलता, बावजूद इसके वाहन हाथ में लेते हैं...
  • अशिक्षित लोग सड़क अपराध से जुड़े कई बिंदुओं से वाकिब नहीं होते...
  • अशिक्षित परिवारों में बच्चों को कभी सड़क नियमों की शिक्षा मिल ही नहीं पाती. 

सरकार ने लाइसेंस लेने के लिए कम से कम शैक्षणिक योग्यता आंठवी पास की है. मतलब सरकारी मानती है कि आठवीं पास कर सड़क पर लगे SIGNS को समझा जा सकता है. लेकिन फिर भी प्रतापगढ़ में इन नियमों का सरेआम उल्लंघन होता है... यहाँ अशिक्षित ग्रामीण और आदिवासी शिक्षा के अभाव में और ना समझी में गाड़ी चलाने लगता है.. और ऐसे में हादसे को अंजाम देते हैं. एक विश्लेषण के मुताबिक प्रतापगढ़ में 90 प्रतिशत हाथ से ग्रामीण इलाको में होते हैं. अधिकतर बिना लाइसेंसी यानि अशिक्षित ही होते हैं. इन लोगों को सड़क सुरक्षा से जुडी बातों की जानकारी नहीं होती.

प्रतापगढ़ शहर का दायरा बेहद सिमित है. अधिकांश गाडिया और चालक ग्रामीण इलाकों में ही है. यह उन ग्रामीण इलाकों में से एक है जो विकास की दौड में सबसे पीछे हैं. यहाँ शिक्षा के पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं है. सरकार ने गली-गली में स्कूल खोल दिए लेकिन कोई खास परिणाम हाथ नहीं लगा है. लोगों को शिक्षित करने के लिए तमाम प्रयास किए गए---बाल शिक्षा, महिला शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा वगैरह.. लेकिन आज भी हालत जस के तस बने हुए हैं.

जिले में 2001 में साक्षरता दर 47.40 प्रतिशत थी, जो 2011 में बढ़ कर सिर्फ 56.30 प्रतिशत पहुंची. 2015 में इस डर का 57.50 % होने का अनुमान है. देखा जा सकता है कि 10 सालों के बड़े अंतराल में भी लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि साक्षरता में हो पाई है. सरकार महिला शिक्षा पर बल देने की बात कहती हो, लेकिन जिले में वर्ष 2001 में महिला साक्षरता दर 30.68% थी, जो बढ़ कर महज़ महज़ 42.40% तक पहुंची है. जिले में पुरुष साक्षरता दर 70.11% और महिला साक्षरता दर 42.40% है. 2011 की जनगणना के अनुसार प्रतापगढ़ की जनसँख्या 8,67,848 है. जिनमे 4,95,944 साक्षर हैं. जनजाति क्षेत्रों में लोगों के शिक्षा से जुड़ने के दावे किए जाते हैं, लेकिन आंकड़े हकीकत बयान करने के लिए काफी हैं.
अशिक्षा भी हादसों की वजह है- अक्सर इस बात पर ध्यान नहीं जाता. 

  • एक शिक्षित युवक सड़क पर लगे SIGNS और सुरक्षा से जुडी बातों को भली-भाँती समझता है... 
  • शिक्षित सहजता से गाडी चलाने में विश्वास करते हैं. 
  • शिक्षित लोग अक्सर सड़क अपराधों से डरते हैं.. 

यह सच है कि अशिक्षा को दूर कर सड़क हादसों में अच्छी-खासी कमी लाइ जा सकती है... ऐसे में सरकार को शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास और तेज करने की ज़रूरत है...

(प्रवेश परदेशी, ज़ी मीडिया, प्रतापगढ़)

सेक्योरिटी राशि वसूलने का विरोध शुरू. विभाग ने शुरू की कार्रवाई. जमा नहीं होने पर काटे जाएंगे कनेक्शन. क्या सफल होगी कवायद? करीब एक करोड का है बकाया.






प्रतापगढ़ में विद्युत विभाग की सेक्योरिटी राशि वसूले की कवायद का उपभोक्ताओं ने विरोध शुरु कर दिया है...

दरअसल लगातार बढ़ रहे लोसेस के चलते विद्युत विभाग ने सिक्योरिटी राशि वसूलने की कवायद शुरु की है. बिल जमा होने के बावजूद उपभोक्ताओं को अब सिक्योरिटी राशि जमा करने के नोटिस थमाए जा रहे हैं और नहीं जमा करने पर कनेक्शन काट देने की चेतावनी भी दी जा रही है. जिसका उपभोक्ता विरोध कर रहे हैं. उपभोक्ताओं का कहना है कि पहले ही वे भारी-भरकम बिलों से परेशान है. ऐसे में सेक्योरिटी राशि जमा नहीं करने पर कनेक्शन काट देना कहां तक वाजिब है! उपभोक्ताओं ने कहा कि विद्युत विद्युत विभाग उपभोक्ताओं को रियायत दे. ताकि सिक्योरिटी राशि जमा करने के लिए थोड़ा समझ जुटा सकें. प्रतापगढ़ शहर में 25900 उपभोक्ता है. जिनमे 10996 उपभोक्ताओं पर सेक्योरिटी राशि के 1 करोड 80 लाख रूपए बकाया है. यह राशि एक साल के CONSUMPTION के आधार पर निकली जाती है.

गजेंद्र चंडालिया स्थानीय निवासी : उपभोक्ताओं को प्रतिभूति राशि के लिए डिमांड भेजे गए हैं, इससे उपभोक्ता प्रेषण है. क्योंकि पहले ही बिजली बिल ज्यादा आ रहे हैं ऊपर से यह परेशानी और बढ़ी हुई है... (सारी बात)

सचिन पटवा स्थानीय निवासी : सेक्योरिटी नहीं जमा हुई तो कनेक्शन काटने की बात कह रहे हैं, पर यह कहाँ तक वाजिब है...
सुमित शर्मा, सहायक अभियंता, विद्युत विभाग , प्रतापगढ़ : लगभग 25900 उपभोक्ता है. 10996 उपभोक्ता की राशि वसूलनी है, एक साल के CONSUMPTION के आधार पर कम थी. 1 करोड 80 लाख रूपए बकाया है. उपभोक्ताओं को जमा कराने हैं. उपभोग के आधार पर यह राशि निकली जाती है. जिस पर बेंक रेत से साल के पहले बिल में राशि का ब्याज मिलेगा. जो उपभोक्ता बिल नहीं जमा कराते हैं, तो इस राशि से बिल एडजस्ट किए जाते हैं. कंस्यूमर को कोई नुकसान नहीं है.,.. अगर कोई जमा नहीं कराते हैं, तो कनेक्शन काटने की कार्रवाई की जाएगी...

विभाग उपभोक्ताओं को रियायत देने को तैयार नहीं है, तो इधर उपभोक्ता जमा करने को.. देखना होगा अब विभाग कैसे इस कवायद में सफल हो पाता है...

प्रदेश के एक whatsapp ग्रुप ने की अनोखी पहल! बेघर लोगों को बाटें कम्बल. तहसीलदार विनोद मल्होत्रा हैं एडमिन. देखिए स्पेशल रिपोर्ट..



WHATSAPP का बखूबी इस्तेमाल किस तरह हो सकता है ---इस की मिसाल कायम की है प्रतापगढ़ के एक whatsapp ग्रुप ने. जिसने फूटपाथ पर सोने वालों की सुरक्षा का अनूठा बीड़ा उठाया है. इस ग्रुप में सरकारी अधिकारी और शहर के आम जन है.. कैसे हो रहा है यह काम? देखें इस रिपोर्ट-

ये whatsapp ग्रूप डायमंड ऑफ प्रतापगढ़ के सदस्य है, जिसके एडमिन तहसीलदार विनोद मल्होत्रा और वरिष्ठ मेंबर जिला अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रतन सिंह है. इस ग्रुप में नगरपरिषद सभापति कमलेश जोशी, रिटायर्ड संभागीय डिप्टी डायरेक्टर आयुर्वेद विभाग समेत शहर के गणमान्य नागरिक जुड़े हुए हैं. इस whatsapp ग्रुप में जो बीड़ा उठाया है वह सभी के लिए एक मिसाल है. इस whatsapp ग्रुप ने लोगों को सर्दी में ठिठुर वह लोगों को कंबल देने है और उनकी देख-रेख का बीड़ा उठाया है.


हुआ यूं कि ग्रुप में चर्चा हुई कि कोई सामाजिक सरोकार से जुडा काम किया जाए. इसी बीच सभी ने अपनी सहमति दी और ठीक समय पर सभी लोग नगर परिषद सभागार पहुंचे. मीटिंग के बाद सभी लोग कंबल वितरण के लिए रवाना हुए और 300 फूटपाथ पर सोने वालों को कम्बल दिए गए. जो कि अपने लिए मिसाल है. सरकारी अधिकारी और आम लोग मिलकर अपना कुछ अंश दान कर कंबल खरीद रहे हैं और गरीबों को दान कर रहे हैं.
whatsapp ग्रुप में फिजूल की बातें करते लोगों को आपने जरुर देखा होगा लेकिन इसका सही इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है , यह कर दिखाया है DIAMONDS OF PRATAPGARH ने... अगर सभी ग्रुप इस तरह का बीड़ा उठाएं, तो बात ही क्या!

Friday, December 11, 2015

प्रतापगढ़ में दर्दनाक हादसा. अस्पताल में युवक ने की स्यूसाइड. पत्नी की मौत से गम में था पति. किए-करे का किया पश्चाताप.

एक बड़ी खबर प्रतापगढ़ से है, जहाँ पत्नी की मौत के गम में पति ने सरे आम चिकित्सालय परिसर में ट्रांसफार्मर पर चढ़ बिजली से झुलस कर आत्महत्या कर ली...

20 वर्षीय युवती रीटा राजपूत अपने पति जयंत राजपूत के साथ प्रतापगढ़ में रह रही थी. यह गुजराती दंपत्ति है जो यहाँ काम करने आया था... पत्नी अक्सर पति को माँ से मिला लाने को कहती लेकिन पति मना करता. इस पर पत्नी ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. पत्नी के शव को जिला चिकित्सालय लाया गया. पति अपने किए-करे पर इतना दुखी था कि शव को मोर्चरी में ले जाते हुए सभी के बीच से भागता हुआ ट्रांसफार्मर पर चढ़ गया और चिपक कर आत्महत्या कर ली. युवक कई देर झुलसता रहा, युवक को नीचे उतारा भी गया, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चूका था...

Friday, December 4, 2015

पूर्व सरकार पर जम कर बरसे नंदलाल मीणा. कहा- सरकार का आधा पैसा चोर उठा ले गए. जनजाति विभाग की कार्यशैली पर भी उठाए सवाल. कोलेज में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में की शिरकत.




"राजस्थान सरकार से जो पैसा प्रतापगढ़ तक आना चाहिए वो आधा बीच में चोर उठा ले गए. कहाँ ले गए.. जनता को पता भी नहीं है..." यह बातें जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग मंत्री नंदलाल मीणा ने प्रतापगढ़ कोलेज में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कही...

मंत्री नन्दलाल मीणा कोलेज में शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने पहुंचे. उन्होंने घोषणा की --- कि अगले स्तर पर जिले का पहला बालिका महाविद्यालय खुल जाएगा... मंत्री ने अब बालिका महाविद्यालय की आस बढा दी है. प्रतापगढ़ जिले में अब तक एक भी बालिका महाविद्यालय नहीं होने से आदिवासी गरीब छात्राओं को परेशानी झेलनी पड़ती थी. कई बार माँ-बाप स्कूल के आगे पढ़ने तक नहीं भेजते थे... इस घोषणा के बाद मानों जिले की गरीब छात्राओं में खुशी की लहर है...


मौके पर मंत्री पूर्व सरकार पर भी खूब बरसे और कहा कि - राजस्थान सरकार से जो पैसा प्रतापगढ़ तक आना चाहिए वो आधा बीच में चोर उठा ले गए. कहाँ ले गए.. जनता को पता भी नहीं है... कहा कि आयुक्त जनजाति विकास विभाग की रिपोर्ट के अनुसार वार्षित बजट का का 51 % पैसा सिर्फ बागीडोरा में खर्च हुआ. अब वो 51% पैसा प्रतापगढ़ में खर्च करेंगे और न्याय करेंगे...उन्होंने माना कि प्रतापगढ़ की जनता के साथ अन्याय हुआ है... कोंग्रेस ने अन्याय किया है... प्रतापगढ़ को न्याय मिलना चाहिए...


उन्होंने बताया कि वर्तमान कोलेज को आदर्श कोलेज बनाने के इए नगर परिषद सभपति कमलेश डोशी के साथ समिति का गठन किया गया है. वह समिति की भावना की कद्र करते हुए इन मांगों पर विचार कर कोलेज के सर्वांगीण विकास का प्रयास करेंगे. मंत्री ने प्रतापगढ़ में बालिका कोलेज खोलने के सम्बन्ध के में हुई प्रगति के बारे में कहा कि उन्होंने इस भावना से मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया है... और वह पूरा प्रयास कर रहे हैं अगले सत्र तक यह बालिका कोलेज भी खुल जाए. इससे पहले मंत्राी नन्दलाल मीणा ने छात्रा संघ अध्यक्ष अनिल मीणा, महासचिव नरेन्द्र लबाना, संयुक्त सचिव कृतिका सिसौदिया एवं अन्य पदाधिकारियों को महाविद्यालय के विकास, अनुशासन व गरिमा बनाए रखने की शपथ ग्रहण करवाकर छात्रासंघ के विधिवत उद्घाटन की घोषणा की।

सभापति कमलेश डोसी ने मंत्राी मीणा के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह अनुसूचित क्षेत्रा के लोगों की हर समस्या का समाधान करने के लिए तत्पर रहते हैं। चाहे बिजली हो या पानीया सिंचाई, सड़क व अन्य कोई निर्माण कार्य हो। नन्दलाल मीणा शिक्षा के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने पिछले दो दिन में करीब 13 करोड़ रुपए की लागत के पांच बालिका आश्रम छात्रावासों का शिलान्यास किया। वहां रहकर शिक्षा अर्जित करने वाली बालिकाएं आने वाले सालों में कॉलेज की सदस्य बनकर उच्च शिक्षा हासिल करेंगी।

समारोह में प्रतापगढ़ पंचायत समिति प्रधान कारी बाई, नंदलाल मीणा के बेटे हेमन्त मीणा, भाजपा जिलाध्यक्ष धनराज शर्मा, मांगू सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि, पूर्व छात्रासंघ अध्यक्ष, कॉलेज स्टाफ व छात्रा-छात्राओं सहित कई लोग मौजूद रहे।

जनजाति छात्रावास में अधीक्षक की लापरवाही की बानगी! बीमार छात्र को नहीं पहुँचाया चिकित्सालय. छात्रों ने ही संभाला मोर्चा. 108 एम्बुलेंस को लगाया कॉल.



समाज कल्याण विभाग के छात्रावास की लापरवाही उजागर होने के बाद अब जनजाति छात्रावास सवालों के घेरे में है. एक बार फिर वार्डन की लापरवाही उजागर हुई है..
मामला सचिवालय के सामने स्थित राजकीय जनजाति आवासीय छात्रावास का है. जहाँ 12 कक्षा में पढ़ने वाला ईश्वारलाल मीणा नाम का एक बच्चा बुरी तरह बीमार हो गया. साथी दोस्त छात्रावास अधीक्षक को शाम छ: बजे से कॉल करते रहे, लेकिन वार्डन ने एक बार भी सुध नहीं ली.. कई घंटे गुजर गए और ऐसे में छात्र की तबियत भी और बिगड़ती गई. छात्रों को जब लगा कि वार्डन साहब नहीं आएँगे तो उन्होंने खुद ही 108 एम्बुलेंस को कॉल किया और जिला चिकित्सालय लेकर आए, फिर अपनी आपबीती सुनाई... सरकार ने जनजाति छात्रावास गरीब आदिवासी बच्चों को उच्च स्तर की शिक्षा और आवास देने के लिए खोले हैं, लेकिन अब सुरक्षा के अभाव में छात्र डरे हुए हैं...

इससे पहले भी समाज कल्याण विभाग में बच्चों के बीमार होने पर वार्डन द्वारा लापरवाही का मामला सामने आया था, जिसमें जनजाति विकास मंत्री नंदलाल मीणा ने वार्डन को बर्खास्त किया था.. लेकिन अब ज़िम्मेदारी और बढ़ गई है , क्योंकि मामला उन्ही के विभाग ---यानि जनजाति छात्रावास का है... देखना होगा अब वार्डन पर क्या कार्रवाई हो पाती है.!

विद्युत विभाग ने शुरू की प्रतिभूति राशि वसूलने की कवायद. TND लोसेज़ के चलते अब उपभोक्ताओं से शुरू हुई वसूली. अधिकारीयों ने जारी किए निर्देश.





प्रतापगढ़ के विद्युत विभाग ने लगातार बढ़ रहे TND लोसेज़ के चलते अब उपभोक्ताओं से प्रतिभूति राशि वसूली का अभियान छेड दिया है... जिसके तहत उनके उपभोग के तर्ज पर राशि वसूली जाएगी.
अजमेर विद्युत वितरण निगम द्वारा विद्युत उपभोक्ताओं को नियमित बिल के साथ उनकी बढ़ी हुई प्रतिभूति (सिक्योरिटी) राशि के नोटिस भी भिजवाएं जा रहे हैं, जिन्हें जमा कराया जाना जरूरी है। यह राशि विद्युत उपभोक्ता से गत वर्ष में उपभोग की गई बिजली के दो माह के औसत उपभोग के आधार पर निकली जाएगी. उपभोक्ता की जितनी प्रतिभूति राशि पूर्व में जमा है... उससे अधिक राशि का निर्धारण होने पर उपभोक्ता से उसकी अन्तर राशि वसूली की जाएगी है. इस प्रतिभूति राशि पर निगम द्वारा नो प्रतिशत ब्याज उपभोक्ताओं को दिया जाता है. जिसे प्रत्येक वर्ष के प्रथम बिल में समायोजित कर दिया जाता है. यह बढ़ी हुई प्रतिभूति राशि प्रत्येक उपभोक्ता को जमा कराना जरूरी है.. ऐसा नहीं होने पर विभाग कार्रवाई करने को भी तैयार है..
प्रतापगढ़ के बढ़ रहे बकाया के बोझ के तले अधिकारीयों को तरह तरह के हथकंडे अपनाने पड़ रहे हैं... देखना होगा विद्युत विभाग की यह कवायद लोसेस कम करने में कितनी कारगर साबित हो पाती है..

रतनजोत के बीज खाने से आदिवासी बच्चे हो रहे हैं बीमार! खाने में स्वादिष्ट लगता है रतनजोत का बीज. ग्रामीण बच्चे पहुँच रहे चिकित्सालय. क्या है रतनजोत ? देखिए इस रिपोर्ट में



प्रतापगढ़ में इन दिनों ग्रामीण बच्चे एक रतनजोत नामक पौधे के बीज को खा-खा कर बीमार हो रहे हैं. हालत यह हो जाती है, कि माँ-बाप को अस्पताल आना पड़ता है... क्योंकि यह बीज जहरीला होता है. क्या है रतनजोत ? और कैसे बच्चे खाते हैं इसे? देखिए इस रिपोर्ट में-

हमें सुचना मिली कि जिला चिकित्सालय में 3 और 4 वर्ष उम्र की दो बच्चियां पहुंची है, जो ज़हरीला बीज खाने से बुरी तरह बीमार हो गई है... ये बच्चियां अपने घर के बाहर खेल रही थी, इसी दरमियान रतनजोत का बीज खा लिया... हम चिकित्सालय पहुंचे और पड़ताल की तो पता चला कि जिले के आदिवासी बच्चे इन दिनों रतन जोत नामक बीच को खाकर बीमार पड़ रहे हैं. इतने कि जिला चिकित्सालय में रोज इस तरह के बच्चे आ रहे हैं. दरअसल रतन जोत खेतों के आस-पास उगने वाला एक पौधा है. इससे जो बीज गिरते हैं, वह हुबहू किसी फल की तरह नज़र आते हैं. ऐसे में बच्चे इन्हें फल समझने की भूल कर खा लेते हैं. इसके बाद जब तबियत बिगड़ती है तो इलाज के लिए अस्पताल लाया जाता है. ये रतनजोत के बीज खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं, ऐसे में बच्चे एक के बाद एक खाते ही जाते हैं. रतनजोत का यह पौधा किसी भी खाल ईलाके में उग जाता है.

रतनजोत एक वनस्पति की प्रजाति है. जो प्रतापगढ़ में पाई जाती है. इसे वन-रेड के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम जेट्रोफा करकस है. यह उष्णकटीबंधिय सदाबहार मुलायम काष्ट वाला झाडीनुमा पौधा है... इसकी ऊंचाई चार मीटर तक होती है. पत्तियां हृदयाकार होती हैं... यह रतनजोत प्रतापगढ़ के लगभग हर गाँव में मिल जाते हैं.
आदिवासी इलाकों के किसानों को चाहिए कि वे खेत पर काम करते वक्त बच्चों को साथ न ले जाए... और बच्चों को इस तरह के ज़हरीले बीजों से अवगत कराएं. साथ ही खेतों और घरों के आस-पास इनका पूर्ण रूप से सफाया कर देन...ताकि कोई हादसा न हो!