Sunday, December 20, 2015

अशिक्षा बन रही हादसों की वजह! ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट. नौसिखिए वाहन चालक बन रहे घातक! देखिए खास रिपोर्ट.



आजकल सड़क दुर्घटनाएं कितनी बढ़ रही है इस बात से सभी वाकिब हैं... लेकिन क्या आप जानते हैं इन हादसों के पीछे की एक बड़ी वजह - ILLITERACY...यानि अशिक्षा भी है...! कैसे? प्रतापगढ़ से आई इस रिपोर्ट में देखिए--

बेपरवाह होकर वाहन चलाते लोग और नौसिखिए चालक... ये वहीँ है जो सड़क हादसों को अंजाम देते हैं. बात हो प्रतापगढ़ जैसे जिले की, तो शर्मनाक आंकड़ा निकल कर सामने आता है. जहाँ अशिक्षा हादसों के पीछे सबसे बड़ी वजह निकल कर सामने आती है. प्रतापगढ़ में अधिकांश एक्सीडेंट की घटनाएँ सिर्फ ग्रामीण इलाकों में होती है. एक विश्लेषण के मुताबिक़ इन हादसों के पीछे नौसिखिए और अनपढ़ वाहन चालकों का हाथ होता है. कैसे अशिक्षा सड़क हादसों की वजह है??-

  • अशिक्षित अक्सर सड़क पर लगे SIGNS को नहीं समझ पाते. 
  • अशिक्षित लोग अक्सर इंडिकेटर, सड़क चिन्ह, रोड लाइट्स और रोड सेफ्टी से जुटी चीजों को शायद कभी पढ़ ही नहीं पाते.
  • अशिक्षित लोगों को लाइसेंस नहीं मिलता, बावजूद इसके वाहन हाथ में लेते हैं...
  • अशिक्षित लोग सड़क अपराध से जुड़े कई बिंदुओं से वाकिब नहीं होते...
  • अशिक्षित परिवारों में बच्चों को कभी सड़क नियमों की शिक्षा मिल ही नहीं पाती. 

सरकार ने लाइसेंस लेने के लिए कम से कम शैक्षणिक योग्यता आंठवी पास की है. मतलब सरकारी मानती है कि आठवीं पास कर सड़क पर लगे SIGNS को समझा जा सकता है. लेकिन फिर भी प्रतापगढ़ में इन नियमों का सरेआम उल्लंघन होता है... यहाँ अशिक्षित ग्रामीण और आदिवासी शिक्षा के अभाव में और ना समझी में गाड़ी चलाने लगता है.. और ऐसे में हादसे को अंजाम देते हैं. एक विश्लेषण के मुताबिक प्रतापगढ़ में 90 प्रतिशत हाथ से ग्रामीण इलाको में होते हैं. अधिकतर बिना लाइसेंसी यानि अशिक्षित ही होते हैं. इन लोगों को सड़क सुरक्षा से जुडी बातों की जानकारी नहीं होती.

प्रतापगढ़ शहर का दायरा बेहद सिमित है. अधिकांश गाडिया और चालक ग्रामीण इलाकों में ही है. यह उन ग्रामीण इलाकों में से एक है जो विकास की दौड में सबसे पीछे हैं. यहाँ शिक्षा के पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं है. सरकार ने गली-गली में स्कूल खोल दिए लेकिन कोई खास परिणाम हाथ नहीं लगा है. लोगों को शिक्षित करने के लिए तमाम प्रयास किए गए---बाल शिक्षा, महिला शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा वगैरह.. लेकिन आज भी हालत जस के तस बने हुए हैं.

जिले में 2001 में साक्षरता दर 47.40 प्रतिशत थी, जो 2011 में बढ़ कर सिर्फ 56.30 प्रतिशत पहुंची. 2015 में इस डर का 57.50 % होने का अनुमान है. देखा जा सकता है कि 10 सालों के बड़े अंतराल में भी लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि साक्षरता में हो पाई है. सरकार महिला शिक्षा पर बल देने की बात कहती हो, लेकिन जिले में वर्ष 2001 में महिला साक्षरता दर 30.68% थी, जो बढ़ कर महज़ महज़ 42.40% तक पहुंची है. जिले में पुरुष साक्षरता दर 70.11% और महिला साक्षरता दर 42.40% है. 2011 की जनगणना के अनुसार प्रतापगढ़ की जनसँख्या 8,67,848 है. जिनमे 4,95,944 साक्षर हैं. जनजाति क्षेत्रों में लोगों के शिक्षा से जुड़ने के दावे किए जाते हैं, लेकिन आंकड़े हकीकत बयान करने के लिए काफी हैं.
अशिक्षा भी हादसों की वजह है- अक्सर इस बात पर ध्यान नहीं जाता. 

  • एक शिक्षित युवक सड़क पर लगे SIGNS और सुरक्षा से जुडी बातों को भली-भाँती समझता है... 
  • शिक्षित सहजता से गाडी चलाने में विश्वास करते हैं. 
  • शिक्षित लोग अक्सर सड़क अपराधों से डरते हैं.. 

यह सच है कि अशिक्षा को दूर कर सड़क हादसों में अच्छी-खासी कमी लाइ जा सकती है... ऐसे में सरकार को शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास और तेज करने की ज़रूरत है...

(प्रवेश परदेशी, ज़ी मीडिया, प्रतापगढ़)

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