मामला सचिवालय के सामने स्थित राजकीय जनजाति आवासीय छात्रावास का है. जहाँ 12 कक्षा में पढ़ने वाला ईश्वारलाल मीणा नाम का एक बच्चा बुरी तरह बीमार हो गया. साथी दोस्त छात्रावास अधीक्षक को शाम छ: बजे से कॉल करते रहे, लेकिन वार्डन ने एक बार भी सुध नहीं ली.. कई घंटे गुजर गए और ऐसे में छात्र की तबियत भी और बिगड़ती गई. छात्रों को जब लगा कि वार्डन साहब नहीं आएँगे तो उन्होंने खुद ही 108 एम्बुलेंस को कॉल किया और जिला चिकित्सालय लेकर आए, फिर अपनी आपबीती सुनाई... सरकार ने जनजाति छात्रावास गरीब आदिवासी बच्चों को उच्च स्तर की शिक्षा और आवास देने के लिए खोले हैं, लेकिन अब सुरक्षा के अभाव में छात्र डरे हुए हैं...
इससे पहले भी समाज कल्याण विभाग में बच्चों के बीमार होने पर वार्डन द्वारा लापरवाही का मामला सामने आया था, जिसमें जनजाति विकास मंत्री नंदलाल मीणा ने वार्डन को बर्खास्त किया था.. लेकिन अब ज़िम्मेदारी और बढ़ गई है , क्योंकि मामला उन्ही के विभाग ---यानि जनजाति छात्रावास का है... देखना होगा अब वार्डन पर क्या कार्रवाई हो पाती है.!
इससे पहले भी समाज कल्याण विभाग में बच्चों के बीमार होने पर वार्डन द्वारा लापरवाही का मामला सामने आया था, जिसमें जनजाति विकास मंत्री नंदलाल मीणा ने वार्डन को बर्खास्त किया था.. लेकिन अब ज़िम्मेदारी और बढ़ गई है , क्योंकि मामला उन्ही के विभाग ---यानि जनजाति छात्रावास का है... देखना होगा अब वार्डन पर क्या कार्रवाई हो पाती है.!
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