प्रतापगढ़ जिले के आदिवासी और ग्रामीण बच्चों को कंप्यूटर से जोड़ने की कवायद ने दम तोड़ दिया है. सरकार की ओर से आई.सी.टी. योजना के अंतर्गत 64 स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा देने का प्रावधान था. करोड़ों रूपए खर्च कर स्कूलों में कंप्यूटर भिजवाए गए. योजना के तहत तीन फेज़ में काम होना था. प्रथम फेज़ में 24 स्कूल, दूसरे फेस में 30 स्कूल तो वहीं तीसरे फेस में 10 स्कूल को चयनित किए गए थे. पहले और दूसरे फेज़ में पहले कॉन्ट्रैक्ट बेस पर शिक्षा दी जानी थी, उसके बाद विद्यालय को अपने स्तर पर यह शिक्षा बच्चों को देनी थी, इसके लिए विद्यालय को मौजूदा शिक्षकों का उपयोग करना था. तो कहीं तीसरे फेज़ में भी यह जिम्मा स्कूल का ही था. लेकिन जैसे ही ज़िम्मा स्कूलों पर आया, कंप्यूटर शिक्षा के बुरे दिन शुरू हो गए. महीनों बाद जब कंप्यूटर कक्षों के दरवाज़े खोले गए तो घटिया तस्वीर निकल कर आई. कंप्यूटर धुल फांक रहे थे, मकड़ी के जाले बने हुए थे... यह कंप्यूटर अब उपयोग में ना आने और रख-रखाव ना होने की वजह से खराब हो गए हैं.
सरकार की कोई भी योजना हो --शुरुआत में जोर शोर से प्रचार होता है. उसके बाद में धीरे-धीरे योजनाओं का दम घुटने लगता है.संस्था प्रधानों की लापरवाही के चलते कंप्यूटर शिक्षा का कोई फायदा आदिवासी बच्चों को नहीं मिल रहा है---ऐसे में योजना पर फूंके गए लाखों सरकारी रूपए अब फालतू ही नज़र आ रहे हैं.
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