हमें सुचना मिली कि जिला चिकित्सालय में 3 और 4 वर्ष उम्र की दो बच्चियां पहुंची है, जो ज़हरीला बीज खाने से बुरी तरह बीमार हो गई है... ये बच्चियां अपने घर के बाहर खेल रही थी, इसी दरमियान रतनजोत का बीज खा लिया... हम चिकित्सालय पहुंचे और पड़ताल की तो पता चला कि जिले के आदिवासी बच्चे इन दिनों रतन जोत नामक बीच को खाकर बीमार पड़ रहे हैं. इतने कि जिला चिकित्सालय में रोज इस तरह के बच्चे आ रहे हैं. दरअसल रतन जोत खेतों के आस-पास उगने वाला एक पौधा है. इससे जो बीज गिरते हैं, वह हुबहू किसी फल की तरह नज़र आते हैं. ऐसे में बच्चे इन्हें फल समझने की भूल कर खा लेते हैं. इसके बाद जब तबियत बिगड़ती है तो इलाज के लिए अस्पताल लाया जाता है. ये रतनजोत के बीज खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं, ऐसे में बच्चे एक के बाद एक खाते ही जाते हैं. रतनजोत का यह पौधा किसी भी खाल ईलाके में उग जाता है.
रतनजोत एक वनस्पति की प्रजाति है. जो प्रतापगढ़ में पाई जाती है. इसे वन-रेड के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम जेट्रोफा करकस है. यह उष्णकटीबंधिय सदाबहार मुलायम काष्ट वाला झाडीनुमा पौधा है... इसकी ऊंचाई चार मीटर तक होती है. पत्तियां हृदयाकार होती हैं... यह रतनजोत प्रतापगढ़ के लगभग हर गाँव में मिल जाते हैं.
आदिवासी इलाकों के किसानों को चाहिए कि वे खेत पर काम करते वक्त बच्चों को साथ न ले जाए... और बच्चों को इस तरह के ज़हरीले बीजों से अवगत कराएं. साथ ही खेतों और घरों के आस-पास इनका पूर्ण रूप से सफाया कर देन...ताकि कोई हादसा न हो!
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