दरअसल जिले के पाल मुंगाणा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय और मुंगाणा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय को मर्ज किया जाने का प्रशासनिक प्लान था, जिसके बाद लगातार विरोध चल रहा था. कुछ दिनों पहले भी मर्ज के विरोध में स्कूली छात्र-छात्राओं ने स्कूल के बाहर नारेबाजी और प्रदर्शन किया था. आज ग्रामीण हंगामा करने जा रहे थे, धरियावद-मुंगाणा मार्ग जाम होना था, भनक लगते ही प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस मौके पर पहुंचे और समझाइश की गई. प्रशासन ने ग्रामीणों की सारी मांगे मानते हुए मर्ज होने से रोक दिया. अब ये दोनों स्कूल अलग-अलग ही रहेंगे , लेकिन पाल मुंगाणा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पर कार्याधिकार मुंगाणा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल के पास होगा. ग्रामीणों ने मांग पूरी होने के बाद चैन की सांस ली है. समझाइश के दौरान ब्लोक शिक्षा अधिकारी भंवर लाल शर्मा, पारसोला थाना धिकारी ज्ञान चंद जाट, स्थानीय सरपंच, पूर्व सरपंच और इलाके के वरिष्ट जन मौजूद रहे.
विरोध के पीछे ग्रामीणों का तर्क था कि प्राइमरी कक्षाओ में पढ़ने के लिए पाल मुंगाणा के अभिभावक कई किलोमीटर दूर मुंगाणा में बच्चों को नहीं भेजना चाहते. और आखिर सरकार ने गाँव-गाँव प्राइमरी स्कूल खोले ही इसीलिए हैं ताकि बच्चों को कम से कम प्राइमरी लेवल पर पढ़ने के लिए बाहर ना जाना पड़े... तो ऐसे में स्कूलों को मर्ज किया जाना कहाँ तक सही है?...
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