प्रतापगढ़ जिले में सरकार से बार-बार गुहार लगाने के बाद भी किसानों को उनकी फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिला है. अभी तक मुआवजे की राशि जिले तक पहुंची नहीं है. प्राकृतिक आपदा में बर्बाद हुए लाखों किसानों की मुआवजे की आस अब भी पूरी नहीं हुई है। किसानों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति बनी हुई है और वे अगली फसल के लिए भी तैयारी करने में अपने आप को अक्षम महसूस कर रहे हैं। ऐसे में प्रकृति का मारा किसान अब भगवान के ही भरोसे है। पिछले साल जिले में खरीफ की फसल में बड़ा खराबा हुआ था. तब से किसानो को मुआवजे का इंतज़ार है.
खरीफ फसल के खराबे से किसानों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से बिगड़ गई है. इतने माह बाद भी मुआवजा नहीं मिला तो अब किसानों को अगली फसल की चिन्ता सता रही है। किसानों को मुआवजा देने की मांग को लेकर किसान संगठन कई बार जिला कलक्टर के माध्यम से सरकार को लिख चुके हैं. इसके बाद भी सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।
खरीफ की फसल के दौरान पूरे जिले में फसलों में खराबा हुआ था। इसके बाद राहत मंत्री गुलाबचंद कटारिया के आदेश पर 10 सितम्बर 2015 को जिला कलक्टर को खराबे की रिपोर्ट बना कर भेजने के निर्देश दिए थे. प्रतापगढ़ से 15 अक्टूबर 2015 तक सर्वे तैयार कर रिपोर्ट तैयार की गई. इस रिपोर्ट में अरनोद उपखण्ड को छोड़कर सभी उपखण्ड पीपलखूंट, धरियावद, प्रतापगढ़ एवं छोटीसादड़ी क्षेत्र में 50 से 60 प्रतिशत खराबा बताया गया. इसमें 2 लाख 15 हजार 341 किसानों को 92 करोड़ 68 लाख 62 हजार 248 रुपए मुआवजा का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया. जिले में हुए खराबे के सर्वे में सबसे ज्यादा किसान प्रतापगढ़ उपखण्ड के थे. यहां पर 74 हजार 708 किसानों को 39.08 करोड़ 89 हजार 178 रुपए मुआवजा मिलना था. वहीं धरियावद में 49 हजार 594 किसानों को 15 करोड़ 57 लाख 37 हजार 722 रुपए, पीपलखूंट में 46 हजार 345 किसानों को 19 करोड़ 19 लाख 91 हजार 504 रुपए एवं छोटीसादड़ी उपखण्ड क्षेत्र के 44 हजार 694 किसानों को 18 करोड़ 82 लाख 44 हजार 144 रुपए मुआवजा दिए जाने की सिफारिश की गई. अभी तक जिला प्रशासन को मुआवजे की राशि मिली नहीं है.
खरीफ फसल के खराबे का मुआवजा नहीं मिलने से किसान टूटते जा रहे हैं. जरुरत है कि अब सरकार तत्काल जिले को मुआवजा राशि दे ताकि किसानों को मिल सके.
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