इस बार विभाग ने अफीम उत्पादन पर निगरानी की ज़िम्मेदारी किसानों के मुखिया को सौंपी है, जिन्हे लम्बरदार कहा जा रहा है. सरकार ऐसा कर काम को और आसान बनाना चाहती है. हर गाँव में अफीम उत्पादन पर नज़र रखने के लिए एक लम्बरदार नियुक्त किया गया है. यह लम्बरदार गाँव का ही स्थानीय होगा और सभी गतिविधियों पर नज़र रखेगा. अफीम उत्पादन से लेकर इसके अवैध व्यापार पर निगरानी की सारी ज़िम्मेदारी इसी की होगी. यदि किसी किसान ने हेरफेर की... तो इसके लिए जिम्मेदार लम्बरदार का अफीम लाइसेंस भी कट जाएगा. इस लम्बरदार की ज़िम्मेदारी होगी कि यह सभी दस्तावेज़ काश्तारों तक पहुंचाएगा, अगर गाँव में कोई भी अवैध अफीम तस्करी के मामले में पकड़ा जाता है तो उसकी सुचना विभाग को देगा और पैमाइश के दौरान विभाग के साथ रहेगा... सरकार की इस प्रक्रिया से विभाग को अकेले प्रतापगढ़ में करीब दस लाख रूपए का फायदा हर साल होगा. साथ ही विभाग के कर्मचारियों और अधिकारीयों को बार-बार निगरानी नहीं रखनी पड़ेगी. लूट-खसोट और राहजनी जैसी वारदातों पर भी अंकुश लगेगा. जिले में कुल 216 गांवों को अफीम लाइसेंस जारी किए गए हैं.
JAGDISH MAAWAL, JILA AFEEM ADHIKARI : फसल के लिए अफीम पट्टे दे दिए हैं. हर गाँव में मुखिया नियुक्त किए हैं. लम्बरदार कहते हैं इन्हें. इन सभी को दस्तावेज़ काश्तारों को देने के लिए कहा है. इनकी DUTY बनाई है कि उन्हें किसी भी प्रकार की अनियमितता का ध्यान रखना होगा. और दिशा-निर्देशों का पालन करेगा... NDPS के केस में कोई पकड़ा जाता है तो सूचित करेगा, अवैध उत्पादन के लिए सूचित करेगा, पैमाइश कार्य में साथ रहेगा.
विभाग ऐसा कर अपना बोझ हल्का करना चाहता है... लेकिन गाँव के ही स्थानीय से सांठ-गाँठ कर अवैध अफीम का व्यापार और आसान हो जाएगा- लिहाज़ा अवैध अवैध व्यापार और तस्करी बढ़ने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता... गौरतलब है कि अफीम प्रतापगढ़ की प्रमुख उपज है, जिसकी बड़े पैमाने पर तस्करी मादक पदार्थों के निर्माण के लिए की जाती है. प्रतापगढ़ इसके लिए कुख्यात भी है...!
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