Friday, November 6, 2015

प्रतापगढ़ की मस्कट बनी उड़न गिलहरी. दुर्लभ जीव के संरक्षण के लिए खुले रास्ते. सीतामाता अभयारण्य की दुर्लभ जीव है उड़न गिलहरी.


प्रतापगढ़ की दुर्लभ उड़न गिलहरी को आखिर पहचान मिल ही गई ! लंबे अरसे से उठ रही मांग के बाद सरकार ने फैसला लिया है कि अब प्रतापगढ़ को उड़न गिलहरी के तौर पर ही जाना जाएगा... जब कभी भी कहीं भी प्रतापगढ़ का उल्लेख होगा, तो उड़न गिलहरी को ही प्रतिक चिन्ह बना कर सामने लाया जाएगा.

उड़न गिलहरी अब प्रतापगढ़ जिले की मस्कट बन गई है. वन प्रेमियों के अथक प्रयासों ने इसे यह दर्जा दिलाया है. लंबे अरसे से मांग उठती आ रही थी कि उड़न गिलहरी को प्रतापगढ़ का मस्कट यानि शुभंकर बनाया जाए, जिसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजे गए, और मंजूरी मिलने पर फैसला लिया गया कि अब प्रतापगढ़ को उड़न गिलहरी के तौर पर ही जाना जाएगा. इस बात से फायदा यह हुआ कि अब सरकार का ध्यान लुप्त होते इस जीव पर बढ़ता दिख रहा है. अब लग रहा है कि इसके संरक्षण के प्रयास भी तेज किए जाएंगे. उड़न गिलहरी एक दुर्लभ जीव है. यह ऐसी गिलहरी है जो उडती हुई नज़र आती है. यह एक पेड से दूसरे पेड पर ग्लाइड करती है. इसकी दुर्लभ हरकतों को केमरे में कैद करने सैलानी भी आते हैं. लेकिन दुर्भाग्यवश अब इसकी संख्या में शिकार और घटते वन क्षेत्र के चलते कमी आई है. यह गिलहरी ऊंचे पेड़ों पर कोटरों में रहना पसंद करती है. पर चूँकि ऊंचे पेड पहले काटे जाते हीं, इसलिए इसके घर भी उजड गए हैं.

SUGNA RAM JAT, DFO (IFS) : प्रतापगढ़ को उड़न गिलहरी के रूप में जाना जाएगा... क्योंकि यहाँ उड़न गिलहरी पाई जाती है जो विशेष है... यह स्तनधारी प्राणी है, जो दुर्लभ है, यह सीतामाता अभयारण्य में ही पाई जाती है, यह विशेष स्थान रखती है.


उड़ने वाली यह गिलहरी सिर्फ प्रतापगढ़ के सीतामाता वन अभयारण्य में मिलती है. लिहाज़ा प्रतापगढ़ की पहचान भी इसी से की जाएगी... ऐसे में वन प्रेमियों की आस बढ़ी है , कि अब इसका संरक्षण भी होगा!

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