प्रतापगढ़ डार्क ज़ोन में शामिल हैं, क्योंकि यहाँ की भूमि में जल स्तर कम है, और इसका एक कारण यह भी है कि यह ऊंचाई पर स्थित है. लिहाज़ा यहाँ जल ग्रहण योजना चलाई जा रही है. जैसा कि नाम से ही पता चलता है, योजना के तहत अधिकाधिक पानी का संग्रहण किया जाएगा! मसलन- दलोट में जल ग्रहण योजना के तहत हमीरपूरा पठार में केचमेंट क्षेत्र में ट्रीटमेंट वाटर टेंक निर्माण का काम चल रहा है. योजना के पूरा होते ही यहाँ पानी का संचयन किया जा सकेगा. अक्सर बारिश में आने वाला पानी पहाड़ी इलाकों में नीचे की ओर बह कर व्यर्थ हो जाता है जिसका कोई फायदा लोगों को नहीं मिलता. लिहाज़ा सरकार योजना के तहत प्रतापगढ़ के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पानी मुहैया कराना चाहती है. दलोट भी एक बड़ा पहाड़ी इलाका है जहाँ पानी की समस्या लंबे अरसे से गहरा रही है. यहाँ भी योजना के तहत निर्माण चल रहे हैं, जिसके निरिक्षण विभाग की टीम भी आ रही है. अधिकारी का कहना है कि योजना के सफल होते ही पहाड़ी इलाकों में जल की विकराल समस्या दूर होगी! योजना के तहत कच्चे एनिकट बनाए जाएंगे जो पहाडो के पानी को संरक्षित करेंगे..! यहाँ अधिकारीयों की टीम भी पहुंची जिन्होंने MINI TANK, STANDARD TANK, DEEP CONTINUOUS TANK का निरिक्षण किया. मौजूद कंसल्टेंट ने उन्हें निर्माण कार्यों से अवगत कराया!
निर्माण कार्यों का जायजा लेने के मकसद से बांसवाडा, जालोर, पाली, राजसमन्द से कई अधिकारी पहुंचे... सरकार इस योजना को सफल बनाकर सुदूर पहाड़ी इलाकों में भी पानी की उपलब्धता बढ़ाना चाहती है, जिससे लोगों को सीधे फायदा पहुंचे और पानी के लिए दूर भटकना न पड़े!
श्यामलाल प्रजापत, रिपोर्टर, दलोट
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