आज हजारों की संख्या में ग्रामीण प्रतापगढ़ पहुंचे. सबसे पहले राज राजेश्वरी माता मंदिर के पास विशाल सभा का आयोजन हुआ. जहाँ कई कवियों ने भी शिरकत की. यहाँ सीएम वसुंधरा के साथ-साथ जनजाति विकास मंत्री नंदलाल मीणा को भी आड़े हाथ लिया और रामलाल ने कहा कि नंदलाल मीणा की नीतियां तो प्रधानमंत्री के भी खिलाफ है, प्रधानमंत्री परिवारवाद खत्म करना चाहते हैं, और यहाँ तो मंत्री जी के परिवार से ही सब राजनीती में बड़े पदों पर है, बहु जिला प्रमुख है, खुद मंत्री हैं... इसके अलावा मीना-मीणा विवाद पर भी खूब तीर बरसाए, और मांग की कि सरकार मीणा जाति प्रमाण पत्र बनाने का काम शुरू करे. किसानों के बिजली बिल माफ हो, पेयजल मिले, गत वर्ष फसल खराबे का मुआवजा मिले, जिला चिकित्सालय समेत सभी अस्पतालों में चिकित्सकों की भर्ती हो, मंदसौर-प्रतापगढ़ सड़क का निर्माण हो... इन सभी मांगो के साथ रामलाल अपने समूह के साथ मिनी सचिवालय पर मानों कूच करने ही पहुँच गए. यहाँ आते ही धरना शुरू कर दिया. ग्रामीण नहीं मानें. धरना जारी रखा, और आश्वासन के बाद ही उठने की बात कही. इसी बीच कुछ ऐसा हुआ, जिसने सभी को चिंता में डाल दिए. अचानक तीन युवक पानी की टंकी पर चढ़ गए, और आत्महत्या की धमकी देने लगे. इस दौरान ग्रामीणों भीड़ सारी की सारी टंकी के नीचे आकर धरना देने लगी. ऊपर तीनों टंकी पर थे, तो नीचे धरना जारी रहा, पुलिस अधिकारी समझाइश कर कर के थक गए, पर कुछ हुआ नहीं... आख़िरकार जिला कलेक्टर कक्ष में अतिरिक्त जिला कलेक्टर अनुराग भार्गव, एसपी कालूराम रावत, सीईओ रामावतार मीणा समेत कई अधिकारीयों की मौजूदगी में रामलाल को ले जाकर समझाइश की गई. इस समझाइश में दो घंटे का वक्त बीत जाने के बाद रामलाल मानें... इस बीच उखड़ते भी रहे, तो पकड़-पकड़ कर बार-बार लाना पड़ा..
रामलाल मीणा कौन है? रामलाल मीणा प्रतापगढ़ जिले का जाना-मना चहरा है. रामलाल मीणा गत विधानसभा चुनाव में राष्ट्रिय जनता पार्टी (राजपा) से चुनाव लड़ चुके हैं. रामलाल मीणा वर्तमान में ग्रामीणों के बड़े और प्रमुख नेता बन कर उभरे हैं, एक ही आवाज़ में हजारों ग्रामीण दौड़े चले आते हैं. ऐसे में जब इस जनजाति जिले में छोटी-मोटी समस्या से ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है, रामलाल को एक विकल्प के तौर पर भी देखा जा रहा है... हालाँकि रामलाल मीणा खुद को बस आदिवासियों के हित-रक्षक के तौर पर ज़ाहिर कर रहे हैं.