प्रतापगढ़ में सरकार की कवायद पर सरकार की ही लापरवाही ने पानी फेर दिया है. गाँव-गाँव बच्चों का ख़याल रखने, उन्हें पोषण युक्त आहार देने, शिक्षा देने और कुपोषण को दूर भगाने के मकसद से आंगनवाडी केन्द्र खोले गए थे. लेकिन रखरखाव के आभाव में अब ये भवन बेकार हो रहे हैं. बात प्रतापगढ़ की करें, तो यहाँ अधिकांश आंगनवाडी बदहाल ही पड़े हैं. कई भवन तो कभी भी गिरने की हालत में हैं. जिले में कुल पांच उपखंड है - प्रतापगढ़, धरियावद, पीपलखूंट, अरनोद, छोटीसादडी... सभी में कुल मिलाकर 1126 आंगनवाडी केन्द्र है. रिपोर्ट के मुताबिक 80% आंगनवाडी केन्द्र के भवन बदहाल हैं. कई भवनों की हालत ऐसी है, कि उसमे बैठना खतरे से खाली नहीं है. ऐसी स्थिति में इन्हें तुरंत मरम्मत की ज़रूरत है. जिसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग में अतिरिक्त बजट का कोई प्रावधान नहीं है. विभाग ग्राम पंचायत स्तर पर बजट से भवन मरम्मत करने की राह देख रहा है और इसके लिए प्रस्ताव भी भेज दिया गया है.
बात केवल बदहाल भवनों तक ही सिमित नहीं है. रखरखाव के अभाव में आंगनवाडी केन्द्र में आने वाली हर एक चीज़ जैसे टेबल-कुर्सी भी बेकार हो गए हैं. ऐसी स्थिति में जिले के आंगनवाडी केन्द्रों को इस दुर्दशा से बाहर लाने की ज़रूरत है. ऐसा करने पर ही सरकार का मकसद सफल हो सकेगा.
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