Sunday, August 2, 2015

प्रतापगढ़ के दंपत्ति की शर्मनाक करतूत. माँ को पीट-पीट कर घर से निकाला. चोटिल महिला का लोगो ने कराया इलाज!




आज भागदौड भरी जिंदगी में हम रिश्तों की अहमियत को भूलते जा रहे हैं. तभी तो आज के लोग रिश्तों की अहमियत को नहीं समझते. एक माँ को पीट-पीट कर घर से बाहर निकाल देने की ऐसी कहानी हम बताने जा रहे हैं, जिसे सुन कर आप गदगद हो उठेंगे! देखिए प्रतापगढ़ के एक दंपत्ति की शर्मनाक करतूत. 
हर रिश्ते की अपनी अहमियत होती है और माँ का रिश्ता तो सबसे बड़ा होता है. ईट-पत्थरों की दीवारों में जब रिश्तों का एहसास पनपता है तभी वह घर कहलाता है. कितने ही ऎसे रिश्ते हैं जो हमारे संबंधों का आधार होता है और हमें जीवनभर ये रिश्ते निभाने होते हैं. लेकिन आज रिश्तों की अहमियत खत्म होती जा रही है. प्रतापगढ़ से ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुन कर आप सिहर उठेंगे. हम एक माँ के साथ गुजरी ऐसी दर्दनाक दास्ताँ सुनाने जा रहे हैं, जो आपको कतई पसंद नहीं आएगी. जिस बुज़ुर्ग महिला को देख रहे हैं, इसका नाम है नर्मदा बाई. और ये प्रतापगढ़ के तलाई मोहल्ले की रहने वाली है. महिला को देख अंदाज़ा लग गया होगा कि इसकी उम्र 80 साल है. और यह अस्पताल के बिस्तर पर इसलिए पड़ी है, क्योंकि इसने अपने बेटे-बहु के साथ-साथ वक्त की मार खूब सही है. क्या कुछ कहना है इस महिला का-

नर्मदा बाई, पीडिता : मुझे मंदिर में दाल देना. मैं धर्मशाला में खाकर रह जाउंगी. पर मैं मेरे घर नहीं जाउंगी. मैं उस देहली के ऊपर पाँव नहीं रखूंगी. बस यही कहूँगी की मुझे वृद्धाश्रम में डाल दो...!



आखिर क्यों यह महिला वृद्धाश्रम जाने की भीख मांग रही है! और क्यों घर जाने से इतनी डरी हुई है. तो हम बताते हैं कि क्या कुछ हुआ इसके साथ...! 25 जुलाई कल दिन - तेज बारिश का दिन था... और घर से बाहर निकलना तो कड़ी चुनौती से कम नहीं थी. छोटी-सी कहासुनी पर इस महिला को इसके बेटे-बहु ने पीट-पीट कर घर से निकाल दिया. शाम को घर से निकलने के बाद यह महिला सहारा ढूँढने लगी. लेकिन किसी ने मदद नहीं की. महिला भटकते हुए शहर के बस स्टेंड जा पहुंची. और इधर-उधर खाने के लिए भीख मांगने लगी. महिला ने यहीं आस-पास भीख मांग कर खाते हुए 4 दिन गुज़ारे. और 30 तारीख के दिन किसी ने बस में बैठा कर महिला को पास कुलमीपूरा के वृद्धाश्रम पहुंचा दिया. वहाँ वृद्धाश्रम के कर्मचारियों ने महिला की हालत देखी, तो सन्न रह गए. महिला की बच्चे-दानी बाहर थी, ऊपर से नीचे तक ज़ख्म ही ज़ख्म थे. महिला ने अपनी दास्ताँ वृद्धाश्रम में सुनाई, तो हर कोई चौंक उठा! इधर कलयुगी बेटे-बहु चैन की नींद सो रहे थे. 31 जुलाई के दिन महिला की तबियत अचानक और बिगड़ने लगी. जिस पर महिला को 108 एम्बुलेंस द्वारा जिला चिकित्सालय लाकर भर्ती करवाया गया. चिकित्सकों ने भी महिला को तत्काल भर्ती कर इलाज शुरू किया, और जैसे-तैसे महिला को होश आया.


मनोहर, 108 एम्बुलेंस चालक : पांच दिन पहले बच्चों ने पीट कर घर से निकाल दिया. फिर वृद्धाश्रम पहुंची. और बताया कि बच्चों ने खूब मारा है. और कह रही है कि बच्चों को बुलाना मत यहाँ... नहीं तो मुझे जान से मार डालेंगे.


महिला के अनुसार उसके बच्चे उसको जान से मारने की फिराक में है. ऐसे में यह महिला किसी वृद्धाश्रम को संरक्षण देने के लिए दरकार लगा रही है. इधर पूरे मामले के बाद हमने महिला की बहु को सुचना दी. तो वह अस्पताल पहुंची. लेकिन यहाँ वह आकर पल्ला झाड़ने लगी.


संगीता, पीड़ित बुज़ुर्ग महिला की बहु : शाम को बाहर बैठे थे ये. फिर अपने आप चले गए थे बिना कुछ कहे. हमको आठ दिन हो गए ढूंढते-ढूंढते. 
अब मैं इन्हें घर ले जाउंगी और ध्यान रखूंगी.


इसके बाद हमने पीडिता की बहु को इस बात के लिए पाबंध किया, कि ऐसी हरकत दोबारा ना करें. पीडिता ने अपनी गलती तो स्वीकार नहीं करना चाहि, लेकिन इस बात का आश्वासन ज़रुर दिया कि अब वो इन्हें घर ले जाएगी.

इस तरह के मामले दिल देहला देते हैं. यह एक शर्मनाक कहानी है, जिससे सभी को सबक लेना चाहिए. माता-पिता से बढ़ कर कोई नहीं होता. आज की पीढ़ी को यह बात समझनी चाहिए. यह मुहीम तभी सार्थक होगी, जिस दिन औलादें माँ-बाप को घर में महफूज़ रखेंगी, और देश में वृद्धाश्रम की ज़रूरत खत्म हो जाएगी!

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