प्रतापगढ़ में इन दिनों महिला उत्पीडन और बलात्कार के मामले चरम पर है. जब हमने महिला थाने जाकर पड़ताल की, तो पता चला इस साल सबसे अधिक महिला उत्पीडन और बलात्कार के मामले सामने आ रहे हैं. आंकड़ों से यह साफ़ है कि समाज में महिलाओं के साथ क्या सुलूक हो रहा है. आदिवासी इलाकों में अक्सर महिलाओं पर ज़ुल्म होता है. बेटियों को यहाँ अभिशाप माना जाता है. प्रतापगढ़ का हाल भी कुछ ऐसा ही है. क्योंकि यह भी एक ग्रामीण क्षेत्र है. ग्रामीण अंचल होने से कई सैंकडों मामले तो दर्ज भी नहीं हो पाते. ग्रामीण इलाकों में लगभग हर घर में महिलाओं पर अत्याचार होता है. महिलाओं को दबा कर रखा जाता है. फिर भी कुछ साहस कर मामला दर्ज करवाती हैं. आंकडो के अनुसार इस साल 25 जुलाई तक 133 मामले आ चुके हैं. जिनमे से 122 का निस्तारण हो चूका है. इसके अलावा कई छोटे-बड़े मामले आते हैं, जिन्हें मौके पर सुलझाया जाता है. पुलिस के अनुसार लगभग रोज एक-दो मामले आ रहे हैं, जबकि गुज़रे सालों में इतने नहीं थे. इन मामलों में पत्नी के साथ मारपीट करना, दहेज के लिए प्रताडित करना, मोबाइल पर बात करने पर शक करना, बलात्कार करना, यौन शोषण करना, जैसे मामले शामिल हैं.
महिला उत्पीडन समाज का एक घटिया सच है, और चिंता का विषय भी. समाज में इस तरह मामले तब तक बढते रहेंगे... जब तक खुद लोग समझदार नहीं हो जाते. ज़रूरत है, लोगों में महिलाओं के प्रति सम्मान होने की. तभी इस तरह मामले बंद होंगे.
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