पहला मामला - प्रतापगढ़ में किसानो को मिलने वाले मुआवजे पर सवाल खड़े हो रहे हैं. पटवारियों ने रसूखवालों से मिली भगत कर ऐसी रिपोर्ट बनाई, कि सारा मुआवजा रसूखवालों के हाथ लग गया. और गरीब किसानों को फूटी कोड़ी तक नहीं मिली. जिला कलेक्ट्रेट में मधुरातलब, सरी पीपली, लुहारिया, बसाड, बरावर्दा सहित दर्जनों गाँव के वाशिंदे धरने पर उतर आए हैं. जिला कलेक्ट्रेट में मानों एक के बाद एक गाँव से आ रहे किसानों का मैला लगा हुआ हो. आज ही के दिन यहाँ दो हजार से ज्यादा किसान मुआवजे को लेकर आ चुके हैं, जो ताजुब की बात है. सचिवालय में आकर किसानों ने आकर जम कर हंगामा किया. किसान अपनी बरबाद हुई फसलों के नमूने लेकर पहुंचे. किसानों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. पटवारियों द्वारा बनाई गई झूठी रिपोर्ट पर किसानों का गुस्सा फूट पद. नगर निकाय चुनाव के लिए नामांकन लिए जा रहे थे. ऐसे में कोई अधिकारी बात करने नहीं पहुंचा. लिहाज़ा किसानों को निराश लौटना पडा. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलें बरबाद हुई थी. उसके बाद सरकार मदद गार बन कर सामने आई. लेकिन झूठी रिपोर्ट की वजह से सारी योजना पर पानी फिर गया. और मुआवजे के नाम पर बाटे गए करोड़ों रूपए चंद लोगों के हाथ लगे, और हकदार निराश ही रह गए.
दूसरा मामला- पहले ही किसान मुआवजा ना मिलने की वजह से परेशान थे. ऊपर से गत दिनों हुई अतिवृष्टि ने फिर किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. किसानों का कहना है कि बुवाई के बाद हुई लगातार बारिश ने फिर उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है. ज्यादा बारिश होने से फसलें गल कर खत्म हो गई है. जिससे एक बार फिर उन्हें भारी हानि उठानी पड़ी है. लगातार हुई बारिश ने गेंहू, सोयाबीन की फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया है. इसके बाद मक्का और बाजरा भी खराबे में शामिल हैं. किसानों के पास अब कोई चारा नहीं बचा है. किसान पूरी तरह टूट चुके हैं. एक नया संकट यह भी, कि बेंक से लोन की किश्त चल रही है. उसे कैसे पूरा करें, यह भी किसानों को समझ नहीं आ रहा है.
इधर जिला कलेक्टर से हमने बात की, तो उन्होंने भी हैरान कर देने वाला जवाब दे डाला. उनका कहना था कि उन्होंने गाँव-गाँव जाकर जायजा लिया है. और कहीं भी फसल खराबे का मामला सामने नहीं आया है.
Satya Prakash Baswala, Distt. Collector |
कलेक्टर की इस बात पर किसानों ने फिर पलटवार किया. और कहा की कलेक्टर एक बार भी उनके गाँव नहीं आए हैं. और ना ही कोई जायजा लिया गया है.
कहाँ कितना खराबा हुआ, यह बात अब गिरदावरी के बाद ही सामने आ सकती है, जिसका प्रयास प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा. पूरे मामले से एक बात तो साफ़ है. किसानो की कमर मौसम की मार से टूटती जा रही है, तो वहीँ प्रशासन मददगार बन कर सामने नहीं आ रहा है. ऐसे में किसान अब बेबस महसूस कर रहे हैं. प्रशासनिक अधिकारीयों से किसानों की आस पूरी तरह टूट चुकी है. और अब मुख्यमंत्री को किसान अपने सन्देश पहुँचाना चाहते हैं. किसानों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री उनके दुःख-दर्द को समझेंगी और मुआवजे का ऐलान करेंगी. किसानों की आस तो बड़ी लंबी है. क्योंकि हाल ही में सरकार ने मुआवजे के नाम पर अपनी जेब ढीली की है. देखना होगा किसानों की मांग अब कब तक पूरी हो पाती है.
कहाँ कितना खराबा हुआ, यह बात अब गिरदावरी के बाद ही सामने आ सकती है, जिसका प्रयास प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा. पूरे मामले से एक बात तो साफ़ है. किसानो की कमर मौसम की मार से टूटती जा रही है, तो वहीँ प्रशासन मददगार बन कर सामने नहीं आ रहा है. ऐसे में किसान अब बेबस महसूस कर रहे हैं. प्रशासनिक अधिकारीयों से किसानों की आस पूरी तरह टूट चुकी है. और अब मुख्यमंत्री को किसान अपने सन्देश पहुँचाना चाहते हैं. किसानों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री उनके दुःख-दर्द को समझेंगी और मुआवजे का ऐलान करेंगी. किसानों की आस तो बड़ी लंबी है. क्योंकि हाल ही में सरकार ने मुआवजे के नाम पर अपनी जेब ढीली की है. देखना होगा किसानों की मांग अब कब तक पूरी हो पाती है.
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