Saturday, October 24, 2015

प्रतापगढ़ के बस स्टेंड पर एक युवक को चोरी के आरोप में सरेआम बांधा. मोबाइल और नगद चुराने का है आरोप. लोगों का लगा जमावड़ा. मंदसौर से चोरी कर आया प्रतापगढ़.



प्रतापगढ़ के बस स्टेंड पर एक युवक को अर्धनग्न अवस्था में बाँध दिया गया, और जम कर पिटाई भी की गई...

इस युवक पर आरोप है कि इसने एक महंगा मोबाइल और 10 हजार रूपए की चोरी की है. युवक का नाम आबिद है जो कि निकटवर्ती बजरंगगढ़ का रहने वाला बताया जा रहा है. युवक पर चोरी का इलज़ाम लगाकर इसे सरेआम बस स्टेंड पर एक ट्रांसपोर्ट की दूकान के बाहर बाँध दिया गया. युवक पर लगातार अत्याचार किये जा रहे हैं. सुबह से खाने को एक दाना नहीं दिया गया है. यहाँ तक की युवक पानी के लिए भी तरस रहा है. युवक पर चोरी का आरोप है. लोगों का कहना है कि इसने मोबाइल को निकटवर्ती अवलेश्वर में किसी को बेच दिया है और नगद रूपए छिपा दिए हैं. अगर यह मोबाइल और पैसे नहीं देगा, तो इसी और पिटाई करेंगे और इसे इसी तरह बंधे रखेंगे...

दरअसल स्थानीय युवक युवक मुकेश सिंह मंदसौर गया था, इसी दरमियान यह चोर आबिद उसका मोबाइल और नगद लेकर प्रतापगढ़ की ओर भाग आया, प्रतापगढ़ में इसे पकड़ लिया गया और फिर यहाँ बाँध दिया गया... मुकेश प्रतापगढ़ का ही रहने वाला है जो मंदसौर खरीददारी के लिए गया था, वहीँ आबिद प्रतापगढ़-मंदसौर मार्ग पर स्थित गाँव बजरंगगढ़ का रहने वाला है...

Friday, October 23, 2015

प्रतापगढ़ बना "स्यूसाइडगढ़ ". जिले में क्यों बढ़ी आत्महत्या की घटनाएं! हर महीने औसतन आत्महत्या के चार मामले आ रहे सामने. आत्महत्या के आंकड़ों के साथ एक खास रिपोर्ट.




प्रतापगढ़ में इन दिनो आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. प्रतापगढ़ में आए दिन लोग आत्महत्या कर रहे है. आइए हम आपको दिखाते है प्रतापगढ़ से यह खास रिपोर्ट.

प्रतापगढ़ इन दिनो "स्यूसाइडगढ़" बना हुआ है... क्योंकि यहां पर आए दिन सुसाइड के मामले को रहे है. हमारे आंकडो के मुताबिक प्रतापगढ़ में औसतन हर महीने कम से कम 4 स्यूसाइड की घटनाएं हो रही है. भले नाबालिक हो या वयस्क, हर कोई आत्महत्या को चिंता से निपटने का रास्ता बना रहा है. कभी कोई पढ़ाई से परेशान होकर आत्महत्या कर लेता ,है तो कभी कोई प्रेम प्रसंग को लेकर. आत्महत्या के मामले विगत वर्षों की तुलना में काफी बढ़ चुके है. इसे यह भी साफ है कि लोगों में संयम की कितनी ज्यादा कमी आ रही है. आत्महत्या के बढ़ते मामले समाज के लिए चिंता का विषय है. हम आपको दिखाते है क्या है प्रतापगढ़ आत्महत्या के चौकाने वाले आंकड़े -

तारीख - 21 अक्टूबर 2015 - जंगल में पेड से फंदा लगा कर नाबालिग ने की आत्महत्या. एक सप्ताह तक पेड पर लटक कर सदती रही ललाश. छोटी सादडी थाना क्षेत्र के रावण मगरी की घटना.

तारीख - 19 अक्टूबर 2015 - युवक ने अज्ञात कारणों से लगाई फांसी. अपने ही कुए पर पेड़ से लगाईं फांसी. धोलापानी थाना क्षेत्र के अम्बावली की घटना.

तारीख - 12 अक्टूबर 2015 - अज्ञात कारणों के चलते युवक अम्बालाल मीणा ने लगाई फांसी. घर के निकट खेत पर पेड़ पर लटका मिला. सालमगढ़ थाना क्षेत्र के जुनाखाला की घटना.

तारीख - 10 अक्टूबर 2015 - विवाहिता ने फंदा लगा कर की आत्महत्या. घर में ही की आत्महत्या. पारसोला थाना क्षेत्र की घटना. मौत के कारणों का नहीं खुलासा.

तारीख - 8 अक्टूबर 2015 - STC कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा ने की आत्महत्या. अपने ही घर में फांसी लगा कर दी जान.प्रतापगढ़ के STC कॉलेज में पढ़ती थी छात्रा. धमोतर थाना क्षेत्र की है घटना.बॉयफ्रेंड की बेवफाई से उठाया आत्महत्या का कदम.

तारीख - 28 सितम्बर 2015 - औलाद न होने पर युवक ने की आत्महत्या. छत से फंदा लगा की आत्महत्या. शादी के कई वर्षों बाद भी नहीं हुई औलाद. पत्नी भी नाराज़ होकर गई मायके. जिले के पाडलिया का मामला.

तारीख - 27 सितम्बर 2015 - 22वर्षीय विवाहिता ने की आत्महत्या. घर में फंदा लगा कर की आत्महत्या. मौत के कारणों का नहीं खुलासा. धरियावद थाना क्षेत्र के केशरियावाद की घटना

तारीख - 17 सितम्बर 2015 - अरनोद में विवाहिता ने की आत्महत्या. साड़ी से फंदा लगाकर की आत्महत्या. पहले मकान मालिक पर किराए के लिए उकसाने का मामला दर्ज. बाद में प्रेमप्रसंग का खुलासा. समाज में बदनामी से की आत्महत्या.

तारीख - 3 अक्टूबर 2015 - 11 वीं कक्षा में पढ़ने वाले 15 वर्षीयछात्र ने अपने ही घर में फांसी लगा कर की आत्महत्या.सालमगद्ग थाना क्षेत्र के दलोट की घटना.

तारीख- 6 अगस्त 2015- संतान नहीं होने से युवक ने की आत्महत्या. पेड से फंदा लगा कर दी जान. शादी के कई वर्षों बाद भी नहीं हुई संतान. मंगरीफला का रहने वाला था युवक पेमा मीणा. धरियावद थाना क्षेत्र की घटना. पत्नी भी छोड़ कर चली गई थी मायके.

तारीख- 23 जुलाई 2015- ग्रामपंचायत कार्यालय के सामने बबूल के पेड़ से फंदा लगाकर निजी बस चालक युवक ने की आत्महत्या. प्रतापगढ़ थाना क्षेत्र के अमलावद की घटना.

तारीख- 15 जुलाई 2015- ससुराल में युवक ने की आत्महत्या. मंदिर के पास पेड़ से फंदा लगा कर दी जान. पत्नी से झगडे के बाद नाराज़ था युवक गेहरीलाल माली.

तारीख- 10 जुलाई 2015- जमीन विवाद में विधवा महिला रामकन्या ने की आत्महत्या. गुमशुदगी के 2 दिन बाद खेत पर मिली लाश. देवर लगातार जमीन के लिए बना रहा था दबाव. आरोपी देवर बद्रीलाल गिरफ्तार. हथुनिया थाना क्षेत्र के बसाड़ की घटना

तारीख- 7 जुलाई 2015- युवक ने फंदा कर की आत्महत्या. सुने घर में की आत्महत्या. शराब पीने का आदि था युवक केसिया. धरियावद थाना क्षेत्र के माना का मामला

तारीख- 3 जुलाई 2015- पत्नी से झगडा होने पर पति ने फांसी लगाकर की आत्महत्या. पति के शहर जाने की बात पर पत्नी ने किया था झगडा कई बार मना करने के बावजूद प्रतापगढ़ शहर आ गया था पति. सुहागपुरा थाना क्षेत्र के करोली गाँव की घटना.


यह आंकड़े महज़ गुजरे तीन महीनों के है. सोचिये साल भर में कितने मामले होंगे. आत्महत्या की बढती घटनाएं समाज के लिए चिंता का विषय है. आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, मनोभाजन, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवन जैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है. तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है. आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में मानसिक बीमारी का उपचार करना तथा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकना तथा आर्थिक विकास को बेहतर करना शामिल हैं. लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में इसके होने का समभावना तीन से चार गुना तक अधिक है. अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 10 से 20 मिलियन गैर-घातक आत्महत्या प्रयास होते हैं. युवाओं तथा महिलाओं में प्रयास अधिक आम हैं.

लोग अक्सर छोटे-मोटे तनाव से आत्महत्या कर लेते हैं जो कि गलत है. ऐसे लोग को चाहिए कि किसी भी समस्या से निपटने के लिए संयम से काम लें. साथ ही कोई भी चिंता हो उसको अपने बड़ों से साझा करें. परिवार अथवा मित्रों से बात कीजिए. अपने परिवार के किसी सदस्य या मित्र अथवा किसी सहयोगी से बात भर कर लेने से आपको बहुत राहत मिल सकती है. डॉक्टर से बात कीजिए. यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से हीन भावना से ग्रस्त है अथवा आत्महत्या करने की सोच रहा है तो वह एक मानसिक बीमारी से ग्रस्त है. रासायनिक असंतुलन के कारण इस प्रकार की चिकित्सकीय परिस्थिति उत्पन्न होती है और दवाइयों और अथवा चिकित्सा पद्धति के माध्यम से डॉक्टरों द्वारा सामान्यतः इसका उपचार किया जा सकता है.


आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान का नहीं है. ईश्वर ने जो जीवन दिया है उसे जीने में विश्वास रखना चाहिए. आज के ज़माने की तनाव भरी जिंदगी में आत्महत्या आम हो चला है. ऐसे तनावग्रस्त लोगों को चाहिए कि किसी भी समस्या में ठन्डे दिमाग काम लें. अपने आस-पास का वातावरण बदलें और खुश रहें!

प्रतापगढ़ में चमगादड़ों का खात्मा! अपने ही मित्र को मार रहा मनुष्य. पर्यावरण के लिए बेहद उपयोगी है चमगादड़. आखिर क्यों डरते हैं लोग? चमगादड़ पर खास रिपोर्ट.





आज मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है कि जो जीव उसका मित्र होता है, जो उसका हितैषी होता है, उसी की जान ले लेता है... कभी मांस के लिए, कभी खाल के लिए मनुष्य ने कई जीव-जंतुओं का पृथ्वी से नामोनिशान मिटा दिया है... मनुष्य के इस वहशीपन का शिकार मासूम चमगादड़ भी हो रहे हैं, जिसने सदियों से जंगलों को बढाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है...

राजस्थान के प्रतापगढ़ और आसपास के जिलों में मनुष्य चमगादड़ों का सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है...हालत यह है कि किसी गाँव में बस्ती के निकट किसी पेड़ पर चमगादड़ अपनी बस्ती बसा लेता है, तो उसकी शामत आ जाती है... लोगों में अंधविश्वास है कि ये चमगादड़ प्रेत होते हैं. इंसानों का खून चूसते हैं...पेड़ों पर उलटे लटके ये चमगादड़ अपशकुनी और गंदे जीव हैं, इसकी बोली कर्कश और डरावनी है... गाँव के निकट इनका रहना ठीक नहीं... ये जहां भी जाते हैं, वहां उजाड़ कर देते हैं... इसी अंधविश्वास के कारण लोग पत्थर से, गिलोल से या गोफण से चमगादड़ों को मार भगाते हैं और गाँव के आसपास उनकी बस्तियां बसने नहीं देते...

चमगादड़ों के खून चूसने वाली अफवाहों को तूल मिलता है "ड्रेकुला" जैसे किरदारों से. हमारे देश में गोआ और लाटिन अमरीका में पाई जानी वाली वेम्पायर जाति का चमगादड़ ही केवल खून पीता है, वह भी इंसानों का नहीं बल्कि मवेशियों और पक्षियों का... प्रतापगढ़ जिले में साल-दर साल चमगादड़ों की संख्या कम होती जा रही है... अब ग्राम-बस्तियों के बाहर चमगादड़ों के बड़े झुण्ड नजर नहीं आते...अब इनकी बस्तियां बहुत कम नजर आती है. चमगादड़ की कम होती संख्या चिंता का विषय इसलिए हैं क्योंकि यह पर्यावरण के लिए बेहद उपयोगी हैं.

यह चमगादड़ जंगल उगाने में अहम भूमिका निभाता है. यह चमगादड़ जब फल खाते हैं तो उड़ते हुए उनके बीजों को जमीन पर गिरा देते हैं, यही नहीं, इनके मल से भी बीज गिरते हैं, जिससे नए पेड-पौधे विकसित होते हैं. कई चमगादड़ कीट-पतंग खाते हैं, जो भी हमारे फायदे की बात है. कीड़े खाने वाले चमगादड़ों की खासियत यह है की यह रात के समय हर घंटे लगभग 600-1000 कीड़ों को खा सकते हैं. खासकर ऐसे कीड़े जो हमारे जंगल-फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं..ये चमगादड़ हानिकारक कीड़ों को मारने का काम मुफ्त में करते हैं... जिसके लिए आज कई पेस्टीसाईड कंपनियां भारी कीमत वसूलती हैं.

फल खाने वाले चमगादड़ तो प्रकृति के लिए एक बड़ा वरदान है...यह फूलों के पराग या फलों का सेवन करते हैं और पराग को एक फूल से दूसरे फूल तक पहुंचाते हैं और परागण में मदद करते हैं. लोंगों का मानना है कि ये चमगादड़ ढेरों फल खाकर फलों के बगीचों को नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए इन्हें मार भगाते हैं, जबकि चमगादड़ केवल ऐसे फल खाते हैं जो पकने में अक्षम होते हैं. चमगादड़ जब इन फलों का सेवन करते हैं तो इनके बीजों को अपनी चोंच में एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं या फिर इन्हें अपनी मल में निकालते हैं, जो कि इन बीजों को जंगल में गिरने के बाद तेज़ी से अंकुरित करने में मदद करती है. साथ ही साथ बीजों को इधर उधर कोसों दूर फैंककर यह चमगादड़ पुराने मृत जंगल में भी पेड़ों की नई पैदाइश में मददगार होते हैं.

तो देखा आपने, यह चमगादड़ कितने उपयोगी है... खतरनाक दिखने वाले यह चमगादड़ असल में बहुत भोले होते हैं. और तो और इंसानों से तो इन्हें कोई लेना-देना नहीं होता. उल्टा यह हमारे ही काम आते हैं.

DEVENDRA MISTRI, WILDLIFE EXPERT : चमगादड़ पर्यावरण के लिए बहुत उपयोगी है. यह जामुन अंजीर खाता है. पीपल बरगत के फैलाव में बहुत अहम भूमिका रखता है. फल खाता है, उसके लिए मीलों चलता है. खाते हुए बीज बिखेरता है. जंगल उगाने में एजेंट है. यह अभी काफी कम हो रहे हैं. यह ग्रुप में रहते हैं. इनके पसंदीदा पेड और स्थल होते हैं. कई जातियां कीट और पतंग खाती हैं.  हम लोग हर चीज़ से इतने दर गए हैं, कि किसी को भी हानिकार्न जीव घोषित कर देते हैं. जिनका परिणाम जीवों को भुगतना पड़ता है. इन जीवों के उपयोग को हम नहीं समझ पाए हैं. यह छोटा-मोटा नुकसान करते हैं. लेकिन जंगलों को उगाने वाले यही जीव हैं. यह आहार श्रंखला से लेकर बीज वितरण तक यह काम का जानवर है... हम इसे अपने मतलब के लिए हानिकार्न जीव् मान रहे हैं. हम निर्दयी हो गए हैं इसलिए हमें सभी हानिकारक नजर आ रहे हैं.

गत सालों में शिकार के चलते इसकी संख्या में भारी कमी आई है. दुखद पहलु यह है कि इस चमगादड़ के शिकार पर कोई सजा नहीं है. चमगादड़ों को वन्य जीव अधिनियम 1972 के शेड्यूल 5 में चूहे के साथ रखा है. जिसका मतलब है कि इन्हें उस वर्ग में रखा गया है, जिसमें वे जीव जंतु, कीड़े-मकौड़े हैं, जो अनाज को नुक्सान पहुंचाते हैं और जिन्हें मारने पर कानूनी सज़ा का प्रावधान भी नहीं है. लिहाज़ा इसका शिकार भी सरेआम होता है... खुद वन अधिकारी भी इसे बड़ी श्रेणियों में शिफ्ट करने की इच्छा जता रहे हैं-

MUKESH SAINI, DFO (IFS OFFICER) : वन जीव् सुरक्षा अधिनियम 1972 बना था, तब इन्हें SCHEDULE 5 में रखा है, चूहे के साथ. लेकिन अब इनकी संक्या कम हो रही है. इसलिए ऐसा नहीं हो सकता कि हम इसे खत्म होने दे. जिस तरह ब्लेक बग को और अन्य प्राणियों को आगे अन्य श्रेणियों में रखा है, उसी तरह इसका भी ग्रेड बढ़ाया जाना चाहिए.

चमगादड़ पर इस तरह की ज्यादती से प्रतापगढ़ का वन विभाग भी कम चिंतित नहीं है... पर्यावरणविदों के साथ वन अधिकारी ग्रामवासियों को यह समझाने का प्रयास करते हैं कि चमगादड़ से मानव जीवन को कोई ख़तरा नहीं है..चमगादड़ों को मारकर हम अपने ही वर्तमान और भविष्य को चौपट कर रहे हैं. चमगादड़ प्रजातियों को लुप्त होने से बचाना है, तो इसे भारतीय वन्य जीव अधिनयम के सुरक्षित दर्जों में कम से कम शिड्यूल-3 में शामिल करने की जरूरत है, ताकि इसे मारने वालों को कानूनी तौर पर सजा मिल सके... नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब प्रकृति के लिए बहुउपयोगी यह चमगादड़ लुप्त हो जाएंगे...!

प्रतापगढ़ में बनेगा ट्रांसपोर्ट नगर. बड़ी समस्या का होगा समाधान. नगरपरिषद ने अरनोद रोड पर भूमि कर सर्वे किया शुरू. अगले साल शुरू हो सकता है निर्माण.



प्रतापगढ़ शहर को जल्द ही ट्रांसपोर्ट नगर की सौगात मिलने वाली है. जल्द ही प्रतापगढ़ में ट्रांसपोर्ट नगर बनेगा और शहर वासियों को रोज होने वाले समस्या से छुटकारा मिल पाएगा. दरअसल इन दिनों प्रतापगढ़ में लोडिंग वाहनों के घुस आने से परेशानी बेहद बड़ी हुई है, ऐसे में इस ट्रांसपोर्ट नगर को सुनहरे भविष्य के तौर पर देखा जा रहा है.

प्रतापगढ़ शहर के बाजारों और पोश कॉलोनियों से गुजरने वाले भारी वाहनों की समस्याओं से निजात मिलने वाली है. इस समस्या से निपटने के लिए नगर परिषद शहर के बाहर ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की तैयारी कर रहा है. परिषद की ओर से ट्रांसपोर्ट नगर के लिए अरनोद रोड पर आरक्षित भूमिका सर्वे कराया जा रहा है. इससे बनने के बाद शहर में माल के आयात निर्यात के दौरान होने वाली समस्याएं दूर हो सकेगी. परिषद सूत्रों के अनुसार इस का निर्माण कार्य के अगले वर्ष की शुरुआत से ही शुरू हो जाएगा. नगर परिषद की ओर से ट्रांसपोर्ट नगर के लिए रोड पर ही भूल आरक्षित की गई थी, जो कि सिविल लाइन के पास मानपुर एनिकट के पास है. इस भूमि पर नगर परिषद की ओर से सभी कराया जा रहा है. ट्रांसपोर्ट नगर में गोदाम आदि का निर्माण किया जाएगा. यहां से रोड भी बनेगा. इसके अलावा ट्रांसपोर्ट नगर तक मुख्य मार्ग से जुड़ने के लिए सड़क का निर्माण भी किया जाएगा. प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे जो टाउन प्लानिंग विभाग को भेजे जाएंगे.

कमलेश डोशी, सभापति : प्रतापगढ़ में ट्रांसपोर्ट नगर बनेगा. जहाँ शहर के ट्रांसपोर्टर आएँगे. अपना व्यवसाय साथ में करेंगे. आदेश की पालना में जगह उपलब्ध थी, उसका सर्वे किया... टाउन प्लानर और जिला कलेक्टर को बता दी है.. कल टाउन प्लानर के अधिकारी देख कर गए हैं.  शहर में जो ट्रांसपोर्टर बंधू अलग-अलग जगह व्यवसाय कर रहे हैं, उन्हें सुविधा होगी. एक साथ बैठ कर व्यापर करेंगे. पार्किंग की भी बड़ी व्यवस्था होगी. शहर वालों को भी तकलीफ होती है, वह भी दूर होगी.

शहर में ट्रांसपोर्ट नगर बनने के बाद भारी वाहनों को बाजार में रूकने की इजाजत नहीं होगी. व्यापारियों को भी ट्रांसपोर्ट नगर में ही गोदाम बनाने पड़ेंगे. यहीं ट्रक खाली होंगे और इसके बाद दुकान या शोरूम तक सामान छोटे वाहनों से ही लाया जाएगा. प्रतापगढ़ में भारी वाहनों से इन दिनों पूरी व्यवस्था बदहाल हो चली है. प्रतापगढ़ में जब भारी वाहन घुसते हैं तो लंबा जाम लगता है और आम लोगों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. लिहाजा इस ट्रांसपोर्ट नगर को प्रतापगढ़ के सुनहरे भविष्य के तौर पर देखा जा रहा है..

Tuesday, October 20, 2015

नगरपरिषद में कर्मचारियों की कमी से बढ़ी परेशानी. सिमित अधिकारीयों-कर्मचारियों पर बढ़ता काम का बोझ. कैसे होगा नगर का संचालन!



किसी भी शहर में नगर परिषद की जिम्मेदारी काफी अहम होती है. नगर परिषद एक तरह से पूरे शहर का संचालन करता है. लेकिन कर्मचारियों के अभाव में प्रतापगढ़ का नगर परिषद सही ढंग से काम नहीं कर पा रहा है. यहां पर जरुरत के मुताबिक कर्मचारियों की बहुत कमी है जिस वजह से सारी व्यवस्था चरमरा गई है.
प्रतापगढ़ का नगर परिषद इन दिनों ठीक से काम नहीं कर पा रहा है. क्योंकि यहां पर कर्मचारियों की बेहद कमी है. नगर परिषद ने कर्मचारियों के 252 में से 129 पद खाली है आपको जानकर ताजुब होगा कि यहां पर अग्नि शमन वाहन चालक के चारो के चारो पद रिक्त पड़े है. इसके साथ ही यहां पर फायरमैन के 14 में से 11 पद रिक्त पड़े है. ऐसे में कहीं पर आग लगने से बड़े हादसों का खतरा बना हुआ है. यहां पर सफाई जमादार के चार पद रिक्त पड़े है, सफाई निरीक्षक के दो पद रिक्त पड़े है और सफाई कर्मचारियों के 61 पद रिक्त पड़े है इसके अलावा यहां पर कई पद रिक्त पड़े है. वरिष्ट लिपिक के पांच पद रिक्त पड़े हैं. कनिष्ठ लिपिक के आठ पद रिक्त पड़े है और राजस्व निरीक्षक के दो पद रिक्त पड़े है. इस कार्यालय में सहायक के दो पद रिक्त पड़े है. इसी के साथ ही यहां पर कई और पद रिक्त पड़े है. इस वजह से नगर परिषद कोई भी कार्रवाई नहीं कर पा रहा. कर्मचारियों की कमी से शहर का संचालन करना एक टेढ़ी खीर बना हुआ है. शहर में जगह-जगह गंदगी पथरी है और उस पर सफाई नहीं हो पा रही. यहां पर निरीक्षण के लिए सफाई निरिक्षक का पद खाली पड़ा है ऐसे में जो गंदगी पसरी है उस का निरीक्षण नहीं हो पाता और बिना निरीक्षण के कार्रवाई नहीं हो पाती. यहां पर अग्नि शमन गाड़ी के वाहन चालक ना होना भी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है... क्योंकि इन दिनो आग लगने की घटनाएं भी बढ़ी है. ऐसे में अगर अग्निशमन वाहन चालक ही नहीं होंगे तो किस तरह से बड़ी घटनाओं पर लगाम लगाया जाएगा. अधिकारियों की माने तो उन्होंने कई बार मुख्यालय को समस्या से अवगत भी कराया था लेकिन कभी भी इस और कोई कार्रवाई नहीं हुई. नगर परिषद ने कर्मचारियों का लोचा आज की ही बात नहीं है, यहां पर वर्षो से ही कर्मचारियों की कमी चलती आ रही है जिसका खामियाजा सीधे तौर पर जनता को भुगतना पड़ रहा है. नगर परिषद में सिमित कर्मचारियों पर काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. जब लोग नगर परिषद ने अपना काम करवाने आते हम तो यहां पर लंबी लाइन में लगती है. एक-एक कर्मचारी को कई लोग को एक साथ संभलना पड़ता है. नगर परिषद मे राजस्व निरीक्षक का पद रिक्त पड़ा है जिसका खामियाजा राजस्व निरीक्षक नहीं हो पा रहा.

शहर की सफाई, विकास की ज़िम्मेदारी इसी नगरपरिषद की होती है. लेकिन लगता है सरकार इसी नगरपरिषद की तरह सबसे ज्यादा लापरवाही बरत रही है. अधिकारी भी मान रहे हैं कि कर्मचारी होंगे तो काम में तेज़ी आएगी-

नसीम खान, आयुक्त : कर्मचारी 50% से ज्यादा पद खाली हैं. कर्मचारी होंगे तो काम ज्यादा अच्छे से कर पाएंगे. 

नगरपरिषद को अब कर्मचारियों की सख्त जरुरत है. कर्मचारियों की भर्ती से ना सिर्फ नगरपरिषद का बोझ हल्का होगा, बल्कि शहर की व्यवस्था में भी बदलाव सामने आएगा. मुख्यालय को चाहिए कि यहाँ तत्काल कर्मचारी लगाए, ताकि लोगों को भी उनके काम से राहत मिल सके.

अवैध शराब निर्माण और तस्करी पर कैसे लगे लगाम? आबकारी विभाग की मजबूरी. नहीं है फिल्ड ऑफिसर्स. एक इंस्पेक्टर के पास जिले भर का काम.





प्रतापगढ़ में अवैध शराब निर्माण और तस्करी का काम परवान पर है और उस पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी आबकारी विभाग की है लेकिन ऑफिसर्स की कमी से विभाग के मानों हाथ कटे हुए है....

यहां पर फील्ड ऑफिसर की छह में से महज़ एक पोस्ट भरी हुई है. इंस्पेक्टर का महज़ एक ही पद कार्यरत है.. कुल मिलाकर एक इंस्पेक्टर पूरे जिले का कार्य भर संभालें हुए है. ताजुब की बात है, जिले भर में अवैध शराब का निर्माण वर्षो से चल रहा है और सरकार ने यहाँ सिर्फ एक इन्स्पेक्टर लगाया हुआ है.! कार्रवाई करने के लिए विभाग को कर्मचारियों की सख्त जरुरत है. लेकिन प्रशासन को कई बार अवगत कराने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई. इधर अधिकारियों का भी यही कहना है कि मुख्यालय को भी कई बार अवगत कराया जा चूका है बावजूद इसके यहां पर इंस्पेक्टर की और अन्य कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई. कर्मचारियों और इंस्पेक्टर के अभाव में अधिकारी कार्रवाई करने से परहेज कर रहे है. अधिकारियों का भी मानना है कि अगर यहां पर और कर्मचारी या फिर और इंस्पेक्टर या फिर फील्ड ऑफिसर होंगे... तो यहां पर कार्रवाई में तेरी लाइ जा सकेगी। सरकार को भी ध्यान देना चाहिए और तत्काल यहां पर पद भरने चाहिए ताकि जिले में अवेध शराब के निर्माण के कारोबार पर पूर्ण रूप से लगाम लगाया जा सके।

मोती सिंह, जिला आबकारी अधिकारी: यहाँ पर फिल्ड ऑफिसर्स की कमी है. नया बेच आएगा तब ही काम होगा. अभी तक मुश्किलें आ रही है. 6 के अगेंस्ट एक ही है.


गौरतलब है कि प्रतापगढ़ के आबकारी विभाग ने अवेध शराब निर्माण के खिलाफ हाल ही में कार्रवाई की है और 122 मामला दर्ज किए है। लेकिन जिस बड़े पैमाने पर शराब निर्माण का काम चल रहा है उसके अनुपात में 65 मामले मिलना बहुत कम है। अगर कर्मचारी हों तो विभाग का मनोबल बढ़ेगा। ऐसे में कई और कारोबारी भी बेशक शिकंजे में आएंगे।

प्रतापगढ़ पुलिस को मिली सफलता. एक साथ 9 स्थाई वारंटी गिरफ्तार. एसपी के निर्देश के बाद कार्रवाई. कई थानों ने की कार्रवाई.








प्रतापगढ़ पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 9 स्थाई वारंटी और आदतन, बदनाम अपराधियों को गिरफ्तार किया है।

प्रतापगढ़ के एसपी कालू राम रावत के सभी थाना अधिकारीयों को निर्देश दिए थे है कि अपने थाने में स्थाई वारंटी की गिरफ्तारी की जाए। ऐसे में जिले के अलग-अलग स्थानों में नाका बंदी की। नाका बंदी कर अलग-अलग जगह से इन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। कुल मिलाकर 9 स्थाई वारंटी को गिरफ्तार किया है। यह वारंटी अलग यह अपराधी अलग-अलग तरह के अपराध में लिप्त है और इनकी गिरफ्तारी के बाद मानो पुलिस ने भी चैन की सांस ली है। यह अपराधी आदतन अपराधी हैं. जो कि लगातार आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहे हैं. पुलिस ने यह कार्रवाई कर ना सिर्फ अपराधियों को शिकंजे में लिया है, बल्कि लोगों की को सुरक्षित करने में भी अहम कदम उठाया है. इस कार्रवाई में एक ब्राउन शुगर तस्कर भी शामिल हैं. प्रतापगढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रतन सिंह का कहना है कि उनका यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक सभी स्थाई वारंटियों की गिरफ्तारी नही हो जाती। 



RATAN SINGH, ADDITIONAL SP : सभी थानाधिकारियों को निर्देशित किया, सभी ने नाकाबंदी कर कार्रवाई की और आरोपियों को गिरफ्तार किया...!

Monday, October 19, 2015

प्रतापगढ़ में आबकारी विभाग को मिली सफलता. 122 के खिलाफ मामला दर्ज. अवैध शराब निर्माण, बिक्री के हैं मामले. निर्धारित मूल्य से ज्यादा वसूलने वाले भी अब शिकंजे में.



प्रतापगढ़ के आबकारी विभाग ने इस वित्तीय वर्ष 122 शराब विक्रेताओं को खिलाफ मामला दर्ज किया है... यह आरोपी अवैध शराब निर्माण, तस्करी से जुड़े थे, तो कई लाइसेंसी निर्धारित मूल्य से ज्यादा वसूल रहे थे.


आबकारी विभाग को सुचना मिल रही थी कि जिले में अवैध शराब का गोरखधंधा चल रहा है. साथ ही लाइसेंसी दुकानदार तय कीमतों से ज्यादा पर शराब की बिक्री कर रहे हैं. ऐसे में जिला आबकारी अधिकारी मोटी सिंह ने टीम गठित की, जिसने जिले भर में कार्रवाई करते हुए 122 के खिलाफ मामला दर्ज किया. 57 केस ओवर बिलिंग के हैं और 65 केस अवैध शराब बिक्री से जुड़े हैं. जिले भर में कुल 78 रजिस्टर्ड दुकानें हैं. इनमे से 57 पर ओवर बिलिंग का केस बना है. ऐसे में साफ़ है कि अधिकतर दुकानदार धडल्ले से अवैध रूप से शराब पर मोटी रकम वसूल रहे हैं. विभाग का मानना है कि पूरे उदयपुर ज़ोन में इससे बड़ी कार्रवाई कभी नहीं हुई और प्रतापगढ़ अभी तक अवैध शराब बिक्री पर कार्रवाई में अव्वल रहा है.

मोती सिंह, जिला आबकारी अधिकारी: 65 केस अवैध वालों के खिलाफ... और एक महत्वपूर्ण केस है. 262 पेटियां एमपी की मिली है. दूसरा - दुकानदारों के खिलाफ शिकायते आई थी.. ज्यादा वसूली की... तो कार्रवाई की. ज़ोन में सबसे ज्यादा केसेज बनाएँ हैं.


ध्यान देने वाली बात यह भी है- कि आबकारी विभाग ने कार्रवाई तो कर दी, लेकिन इससे यह भी साफ़ हो गया कि जिले में अवैध शराब निर्माण और बिक्री का काला कारोबार चरम पर है. तो वहीँ जो अधिकृत दुकानदार हैं, वह भी तय मूल्य से ज्यादा वसूल रहे हैं. गौरतलब है कि प्रतापगढ़ मादक पदार्थों के निर्माण और तस्करी के लिए कुख्यात है.

पिकअप ने तीन साल की बच्ची को रोंदा. बच्ची की मौत. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल. सुहागपुरा-पीपलखूंट के बीच भाटड़ा की है घटना.




प्रतापगढ़ में एक पिकअप ने तीन साल की बच्ची को बड़ी बेरहमी से रोंद दिया... बच्ची की मौत हो गई... घटना सुहागपुरा की है.

पीपलखूंट मार्ग पर भाटड़ा में बच्ची अपनी माँ के साथ पानी लेने गई थी. इसी बीच सड़क क्रोस करने के दौरान तेज़ी से आ रही पिकप ने आगे चल रही बच्ची को चपेट में ले लिया. थानाधिकारी दीपक सिंह बच्ची को अस्पताल लाने लगे तो बच्ची ने दम तोड़ दिया. पुलिस ने पिकअप को बरामद किया और ड्राइवर को हिरासत में लिया. घटना के बाद जिला चिकित्सालय में बच्ची का पोस्टमार्टम कराया गया. सुहागपुरा थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. बच्ची के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. जिला चिकित्सालय की मोर्चरी क बाहर और बच्ची के घर में सिर्फ मातम पसरा है.

दीपक सिंह, थानाधिकारी : आज सुबह एक बच्ची की पिकप एक्सीडेंट में मौत हो गई... बच्ची का नाम मोनिका है... सुहागपुरा पीपलखूंट रोड पर हुआ हादसा...बच्ची को टक्कर मार दी.. बच्ची को हॉस्पिटल लाया गया. मामला दर्ज कर लिया है.

Sunday, October 18, 2015

अशोक नगर के घर में घुसे 2 कोबरा. परिजन डर के मारे घर से निकले बाहर स्नेक एक्सपर्ट राजेश सुमन ने कोबरा को लिया काबू में. सुरक्षित पकड़ कर जंगल क्षेत्र में छोड़ा. शहरी क्षेत्र में कोबरा के घुस आने की घटनाएँ बढ़ीं.




प्रतापगढ़ के अशोक नगर में एक घर में 2 कोबरा सांप के घुस आने से अफरा-तफरी मच गई... घटना के बाद परिजन बाहर आ गए तो लोगों का जमावड़ा भी लग गया..

मौके पर स्नेक एस्पार्ट राजेश सुमन को बुलाया गया, जिन्होंने अपनी सूझ-बुझ से दोनों ही कोबरा को काबू में लिया और उन्हें बॉक्स में बंद कर दिया. इसके बाद दोनों को सुरक्षित निकटवर्ती वन क्षेत्र में ले जा कर छोड़ दिया गया. कोबरा के जाने के बाद सभी ने राहत की सांस ली. कोबरा की फूफकार सुन कर परिजन को मानों सर से पैर तक कांप उठे थे. आपको बतादें कि प्रतापगढ़ के शहरी इलाके में कोबरा के घुस आने से परेशानी बढ़ी हुई है. पहले ब्लेक कोबरा के घुसने की खबरे चर्चा में थीं तो अब कोबरा के घुस आने से सभी डरे हुए हैं. घर-घर से कोबरा सांप निकल रहे हैं. आप यह मान लीजिए कि घर से निकलने से पहले भी हर कोई दस बार सोचता है. ये कोबरा अक्सर घर की सुनी जगहों में पनाह ले लेते हैं और मौका देख किसी को डस लेते हैं. इस कोबरा को मामूली समझने की भूल मत कीजिये... क्योंकि यह अगर काट ले तो 10 से 15 मिनट के भीतर मौत हो सकती है, यानी कि एम्बुलेंस बुलाने का भी फायदा नहीं है. ऐसे में लोगों को हिदायत दी जा रही है कि वे पूरी सुरक्षा बनाए रखे और घर के दरवाज़े भी बंद रखें...

गौरतलब है कि राजेश सुमन प्रतापगढ़ के एक प्रसिद्ध स्नेक-एस्पर्ट बन चुके हैं. जो बिना किसी स्वार्थ के घरों में और कहीं भी सांपों को सुरक्षित पकड़ने का काम कर रहे हैं. इनकी यह पहल सराहनीय है. ये अपनी जान जोखिम में डाल कर बिना किसी सुरक्षा के सांपो को सिर्फ इसलिए पकड़ते हैं ताकि लोगों की जान बच सके.

राजेश सुमन, स्नेक एस्पर्ट: अभी एक डेड घंटे पहले कोबरा मिलने की सुचना मिली. मैं गया और उसको लेकर आया. यहाँ सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा. आज कल स्थानीय शहर में कोबरा की इतनी सुचना आ रही है, कि हद है. ब्लेक कोबरा से ज्यादा कोबरा घूम रहे हैं. अभी अभी ही 10 कोबरा पकड़ चूका हूँ. शहरवासियों से यही कहना है कि अँधेरे में निकले तो जूते पहन कर निकलें. कोबरा प्रजाति इतनी खतरनाक है, कि अगर काट ले तो एम्बुलेंस आने से पहले ही मौत हो सकती है. इसलिए जितना हो सके सावधानी बरते हैं.

खाईं में गिरी 108 एंबुलेंस. घटनास्थल पर लोगों का लगा जमावड़ा चालक सुरक्षित निकला एम्बुलेंस से बाहर. सुहागपुरा रोड की है घटना.







लोगों की जान बचाने वाली 108 एम्बुलेंस खुद खाई में जा गिरी... घटना प्रतापगढ़ के सुहागपुरा मार्ग की है... यहाँ तेज़ी से आती एक 108 एम्बुलेंस सामने से आते ट्रेक्टर को बचाने के लिए खाई में जा गिरी. घटनास्थल पर लोगों का जमावड़ा लग गया तो वहीँ ड्राइवर जैसे-तैसे गाडी से बाहर निकला. घटना के बाद लोगों ने मौके पर जम कर हंगामा किया. 108 एम्बुलेंस की ओर से प्रबंधन ने ट्रेक्टर वाले पर आरोप लगाने लगे. इधर ट्रेक्टर चालक ने खुद 108 एम्बुलेंस वाले की गलती मानी. ट्रेक्टर चालक के परिजन और 108 वालों के बीच कहासुनी भी हुई. लंबी बहस के बाद ट्रेक्टर चालक ट्रेक्टर लेकर रवाना हुआ. गनीमत रही कि एम्बुलेंस में कोई पेशंट नहीं था, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था.

विभागों की आपसी गहमा-गहमी के बीच परेशान होती जनता. SDO कार्यालय में काम-काज पड़ा ठप्प. बिल नहीं चुकाने की वजह से कटा इंटरनेट कनेक्शन. अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने कहा- दे दिया है बजट. कैसे विभागों की आपसी नोकझोक में परेशान होती है जनता. खास रिपोर्ट.




प्रतापगढ़ में बजट के अभाव में विभागों के इंटरनेट कनेक्शन कट रहे हैं और जनता हैं कि परेशान होने को मजबूर हैं... सरकारी विभागों की आपसी नोकझोक में जनता किस तरह परेशान हो रही है इसकी बानगी पेश आती है प्रतापगढ़ जिले में.

प्रतापगढ़ के सरकारी विभागों के पास बजट तो है, लेकिन इंटरनेट का बिल नहीं चूका रहे हैं, जिस वजह से काम-काज ठप्प पड़ा है. इन दिनों जिस भी विभाग में जाओ, या तो बिजली का या इंटरनेट का बिल बकाया मिलता है. लेकिन BSNL कनेक्शन काटने पर इतना सख्त हो गया है कि सरकारी विभागों को भी नहीं छोड़ रहा... जिस वजह से जनता परेशान होने को मजबूर हैं. काम के लिए लंबी कतारे लगती है, लोग परेशान होते हैं. लेकिन एक नमूना पेश करते हैं, जिससे साफ़ होगा कि विभागों की आपसी गहमा-गहमी से कितनी परेशानी बढ़ जाती है... मसलन- अभी BSNL ने अभी जिले के SDO ऑफिस का इंटरनेट कनेक्शन काट दिया, क्योंकि वहाँ से बिल नहीं भरा गया. इस सम्बन्ध में जब कर्मचारी से बात की तो उन्होंने कहा कि बजट नहीं होने से बिल जमा नहीं हो सका... जिस वजह से काम प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन जब अतिरिक्त जिला कलेक्टर से बात की, तो उन्होंने दावा किया कि वो SDO कार्यालय को बजट दे चुके हैं... विभाग आपस में कितने उलझ गए हैं देखिए-.


महेंद्र सिंह, कर्मचारी, SDO ऑफिस: बिल नहीं चुकाने से कनेक्शन कट गया है. चार दिनों से बंद है. बजट नहीं है. बजट आने पर चालु होगा. एक महीने से ही बकाया था. पेंशन का काम होता है. आर्म्स लाइसेंस का काम होता है. बिल नहीं बनाए जा रहे. कनेक्शन होने से होगा. अभी पेंशन के काम पेंडिंग हैं. कई दिनों का लोड बढ़ गया है.

अनुराग भार्गव, अतिरिक्त जिला कलेक्टर: इंटरनेट का तो मुझे देखना होगा. क्योंकि उपलब्ध बजट कहाँ काम लिया है. क्योंकि ऑफिस का स्वयं का मामला है, तो हम देखेंगे...

इधर BSNL का कहना है कि चाहे कोई भी हो, बिल नहीं चुकाया गया तो कनेक्शन काट दिया जाएगा.



राजेश्वर पराते, BSNL अधिकारी: ब्रोडबेंड मंथली बिल आता है,. एक महीने का पेमेंट अनहि आता है तो कनेक्शन कट जाता है, दूसरा बिल आते ही कट जाता है. हर महीने पेमेंट देना होता है. आपका सेक्युरिटी डिपोजिट 1000 होता है. पूरा होते ही कनेक्शन कट जाता है. सरकारी विभागों के लिए भी यही है, कि इंटरनेट पर बिल आत अहै. बिल निकाल सकते हैं. जो भी अधिकारी हो उसका नंबर रजिस्टर कराओ, उस पर मेसेज जाएगा बिल का. बिल जारी होने के बाद भी समय रहता है कि बिल त्रेसरी से पास करके जमा कर सकते हैं. पर कई इग्नोर करते हैं तो उनके साथ परेशानी आती है.


SDO कार्यालय बजट न होने की बात कह रहा है, अतरिक्त जिला कलेक्टर बजट दे चुके होने की बात कह रहे हैं, इधर BSNL भी मानने को तैयार नहीं है, वह तो कनेक्शन काटेंगे अगर बिल न जमा हुआ तो... लेकिन इन सब के बीच परेशान जनता को ही होना पड़ रहा है. अब प्रशासन को चाहिए कि कार्रवाई करें, जांच करे कि आखिर बजट को कहाँ खर्च किया गया. क्योंकि सरकार का अमूल्य बजट फ़ालतू जगह खर्च हो रहा है तो नुकसान जनता का ही है. विभाग बिना इंटरनेट के निष्क्रिय हो रहे हैं, और काम बढते जा रहे हैं....

Saturday, October 17, 2015

सर पीटने को मजबूर अफीम काश्तार. कई काश्तकारों के पट्टे कटे. नई अफीम नीति का भी विरोध कर रहे हैं किसान. कहा- दूसरे देशों को फायदा पहुँचाना चाहती है सरकार.




प्रतापगढ़ में सरकारी की नई अफीम नीति का विरोध शुरू हो गया है. किसानों का कहना है कि सरकार ने अफीम नीति में संशोधन कर किसानों का हक छिना है, तो वहीँ सरकार ऐसा कर दूसरे देशों को फायदा पहुँचाना चाहती है. किसानों का मानना है कि इस नीति की वजह से कई किसान बरबाद हो जाएंगे.

इन किसानों के चेहरे इसलिए मुरझाए हुए हैं, क्योंकि इन्हें लगता है कि इनका हक सरकार ने छीन लिया है. सरकारी की नई अफीम नीति के विरोध में अब किसान उतर आए हैं. किसानों का आरोप है कि सरकार इस नीति से विदेशों को फायदा पहुँचाना चाहती है. किसानों का कहना है कि सरकार 56 लाख रूपए प्रति किलो की दर से विदेशों से कोटिन ला रही है. और भारत के किसानों को 1500 रूपए किलो भी नहीं दे रही. इनका यह भी कहना है कि सरकारी विदेशों से महँगी दवाई ले रही है, जबकि हमारे देश में किसान सस्ते में ही अफीम उत्पादन कर रहे हैं. इस साल अफीम काष्टकारों के पट्टे काट दिए गए, इस बात से भी किसान झल्लाए हुए हैं. इस बार मौसम की मार से जिले में अफीम की फसल बरबाद हुई थी, जिसके बाद किसान औसत पूरा नहीं कर पाए थे. जिस वजह से उनके पट्टे काट दिए गए. अब मौसम की मार पर भला किसान की करते! प्राकृतिक रूप से फसलें बरबाद हुई और किया-करा किसानों को भुगतना पड़ा. किसानों का मानना है कि सरकार उनको प्रोत्साहन देने के बजाय विश्वासघात कर रही है. अगर सरकार उनका साथ दे तो वे विदेशों से कई गुना कम दर में अफीम दे सकते हैं.

रामलाल जाट, जिलाध्यक्ष, किसान विकास समिति : भारत सरकार की नई अफीम नीति का विरोध करते हैं. हमारा आंदोलन कब से चल रहा है. कटे हुए लाइसेंस मांग रहे हैं तो वो नहीं दे रही. सरकारी विदेश से कोटिन आयत कर रही है. ऑस्ट्रेलिया से कर रही है. विदेशों से महँगी दवाई ले रही है. किसानों का ही नुकसान है. सरकार 56 लाख रूपए प्रति किलो की दर से विदेशों से कोटिन ला रही है. और भारत के किसानों को 1500 रूपए किलो भी नहीं दे रहे. इस साल 1400 लाइसेंस रद्द कर दिए. हम आगे भी जाएंगे. जयंत सिन्हा ने भी आश्वासन दिया था, कि 40000 नए पत्ते देंगे और नीमच आएँगे..लेकिन नहीं आए. ऐसे में अब 2000 किसान अब हम दिल्ली जाएंगे.


वर्ष 2015-16 के लिए अफीम नीति घोषित होने के बाद जिले में 339 कृषकों के लाइसेंस काट दिए गए हैं. काला सोना यानि अफीम के उत्पादन के लिए कांठल में इस वर्ष 5,545 कृषकों ककी ही पात्र माना गया है. इन किसानों को अभी तक अफीम बुवाई के लाइसेंस दिए जा रहे हैं. जबकि गत वर्ष नारकोटिक्स की ओर से जिले में 5,884 कृषकों को अफीम बुवाई के लिए लाइसेंस जारी किये गए थे. विभाग की ओर से प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 56 किलो प्रति निर्धारित किया गया था. जिले में 216 गांवों के किसानों को ही अफीम बुवाई के लाइसेंस दिए जाएंगे. इसमें छोटी सादडी के 74, प्रतापगढ़ के 107, अरनोद के 35 गाँव शामिल हैं.


बहरहाल सरकार की अफीम नीति को लेकर किसान विरोध में है. किसान चाहते हैं कि इस नीति में फिर संशोधन हो. संशोधन न होने की सूरत में किसान बड़े आंदोलन की तयारी कर रहे हैं. बात सिर्फ एक-दो गाँव के किसानों की नहीं है, प्रतापगढ़ जिले का लगभग हर एक अफीम काश्तकार इस नीति के विरोध में है. इस अफीम नीति से ज्यादा फायदा उन देशों को पहुँच रहा है जहाँ से सरकार अफीम आयत कर रही है, जबकि किसानों को नुकसान हो रहा है. लेकिन सवाल यह भी है, कि जब देश का अन्नदाता कम दाम में अफीम देने को तैयार है, तो क्यों सरकार विदेशों से अफीम खरीद रही है...?

Friday, October 16, 2015

प्रतापगढ़ पुलिस की नई पहल! घटना-दुर्घटना में घायलों को राहत देने के लिए अब पुलिस बनेगी डॉक्टर! गाड़ियों में होंगे फर्स्ट-एड-किट और स्ट्रेचर. घायलों को पहुँचाया जाएगा अस्पताल. एसपी ने सभी थानाधिकारियों को दिए निर्देश. CMHO ने भी दी रजामंदी.





प्रतापगढ़ पुलिस ने घटना-दुर्घटना में घायलों की जिंदगी बचाने के लिए अब एक नई पहल शुरू की है. जो काम चिकित्सा विभाग का है, वो अब पुलिस कर रही है. पुलिस अपराधों पर नियंत्रण तो कर ही रही है, साथ में लोगों की जान बचाने को भी आगे आई है.
अक्सर किसी भी घटना में लोग तुरंत इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. जिले में गत दिनों एक्सीडेंट समेत कई घटनाएँ बढ़ी है, जिसमें लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए, और कई लोगों की जानें भी गई है. ऐसे में लोगों को तुरंत राहत पहुँचाने की मंशा को सफल बनाने के लिए एसपी ने सभी थानाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी हर गाडी में फर्स्ट-एड-किट रखे, और साथ ही एक स्ट्रेचर भी. कभी भी कहीं कोई घायल मिले, या किसी को मदद की ज़रूरत हो, तो एक चिकित्सक बन कर उसका उपचार करें. उन घायलों को ज़िम्मेदारी से निकटतम अस्पताल पहुंचाएं और उसका इलाज कराएं. एसपी ने सभी को निर्देशित किया है कि कम से कम इलाज के अभाव में किसी भी दुर्घटना से पीड़ित शख्स की मृत्यु ना हो. सभी को उपचार मिल सके. योजना को सफल बनाने के लिए CMHO से भी बात हो गई है, जिन्होंने भी पहल को जनहित में मानते हुए रजामंदी दी है, और सभी को किट उपलब्ध कराने की बात कही है. किसी भी घटनास्थल पर पुलिस एम्बुलेंस से पहले पहुँच सकती हैं. क्योंकि जगह-जगह चौकी और थाने होते हैं, जो कि अधिकतर स्थलों से निकट ही पड़ते हैं. जबकि एम्बुलेंस सिर्फ गिनी-चुनी जगह ही उपलब्ध होती हैं. ऐसे में पुलिस अगर चिकित्सक बनती है, तो घायलों के लिए इससे अच्छा क्या हो सकता है! एम्बुलेंस आने तक पुलिस घायल को कुछ राहत दे सकती है.

रतन सिंह, अतिरीक्त पुलिस अधीक्षक: लोगों को तुरंत राहत देने, शीघ्र अस्पताल पहुँचाने के लिए निर्णय लिया. सभी को निर्देशित किया, कि सभी अपने वाहन में एक प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स रखेंगे. इस सम्बन्ध में CMHO से भी बात की है.
आज के समय में अक्सर लोग किसी दुर्घटनाग्रस्त को देख मूह मोड़ लेते हैं. अक्सर लोग इस बात से ही डरे हुए होते हैं कि कहीं उन्ही पर इलज़ाम ना आ जाए. लेकिन पुलिस ने यह पहल शुरू कर ना सिर्फ लोगों की यह भ्रान्ति दूर करने का प्रयास किया है, बल्कि लोगों को राहत पहुंचाने का अहम कदम भी उठाया है.

शराबियों का अड्डा बने प्रतापगढ़ के सरकारी विभाग. जलदाय खंड के परिसर में पड़ी सैंकडों शराब की बोतलें. स्वच्छ भारत अभियान के बावजूद एक शर्मनाक तस्वीर. क्या सन्देश पहुंचेगा लोगों तक?




प्रतापगढ़ के सरकारी विभाग इन दिनों किसी मयखाने से कम नहीं है. एक नहीं, दो नहीं, यहाँ शराब के इतनी बोतले हैं, कि देख पर आप भी दंग रह जाएंगे.

यह तस्वीरें है जलदाय खंड प्रतापगढ की. यहाँ रूम कूलर में ठूस-ठूस कर शराब की बोतलें पड़ी हुई हैं. यह बोतलें सैंकडों की संख्या में हैं. यहाँ रोज रात को शराबी मौज करते हैं और फिर बोतलों को यहीं छोड़ चले जाते हैं. लेकिन इतनी बोतलें एक-दो दिन में इकट्ठी नहीं हो सकती है. इन्हें देख साफ़ झलकता है कि यहाँ रोज पार्टी होती है. और इतनी बोतलें कम से कम दो-तीन महीनों में इकट्ठी हुई हैं. और ऐसे में यह भी साफ़ होता है कि यहाँ कभी सफाई होती ही नहीं है. इस विभाग में जल संसाधन विभाग के अधिकारी बैठते हैं, बावजूद इसके यह तस्वीर शर्मनाक है.

यहाँ रात में सुरक्षा गार्ड भी नहीं रहता, ऐसे में शराबियों का आना और आसान हो जाता है. सम्बंधित विभाग के अधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. लेकिन इतनी शराब की बोतलें विभाग के कम्पाउंड में होना यह भी सवाल खड़े करता है कि क्या वही अधिकारीगण और कर्मचारी तो यहाँ मौज नहीं करते ? ... सरकार स्वच्छता अभियान भी चला रही है. सरकारी विभाग साफ़ होंगे तो लोगों तक सफाई का सन्देश जाएगा. लेकिन यहाँ तो कुछ और ही सन्देश जा रहा है. जब अतिरिक्त जिला कलेक्टर से बात की, तो उन्होंने डायरेक्शन देने की बात कही.


ANURAG BHARGAV, ADM : अब सभी कार्यालयों में हमने पहले भी डायरेक्शन दिए हैं कि सफाई रखें. इसके लिए वे अपने स्तर पर कोई भी व्यवस्था करें.


कलेक्टर साहब की बात पर ताजुब होता है. लेकिन सवाल यह कि विभाग कब तक इस तरह मयखाने बनते रहेंगे! जब सरकारी विभाग की शराबियों के अड्डे बने हैं, तो क्या सन्देश आम लोगों तक जाएगा! सोचा जा सकता

खंडहरनुमा भवनों में संचालित हो रहे सरकारी विभाग. जलदाय खंड में 13 साल से नहीं हुआ रंग-रोगन! नहीं है इलेक्ट्रोनिक संसाधन. क्या यही है डिजिटल इंडिया?





देश के विभागों को उन्नत बनाने की सरकारी की मंशा कितनी ही भली क्यों ना हो, जमीनी स्तर पर आज भी हाल वैसे ही हैं, जैसे दस-बीस सालों पहले थे. प्रतापगढ़ जैसे जिले के सरकारी विभागों में आकर पुराने ज़माने की याद आती है. और लगता ही नहीं है, कि आप आज के किसी विभाग में खड़े हैं.

यह टूटी-फूटी, जर्जर और सड़ी-गली इमारत आप देख रहे हैं, यह प्रतापगढ़ के जिला मुख्यालय में विभागों में से एक है. ऐसे भवनों में प्रतापगढ़ के कई विभाग आज भी संचालित हो रहे हैं. एक तरफ सरकार कोशिश में हैं, कि विभागों की दशा सुधारी जाए, नए भवन बने, रंग-रोगन हो और साथ ही नए उपकरण और तकनीक से उन्हें डीजीटलाईज़ किया जाए. लेकिन जमीनी स्तर की हकीकत सारी योजनाओं की पोल खोलती है. मसलन- देखिए इस भवन को, क्या हाल है इसका. यह जलदाय खंड प्रतापगढ़ का भवन है. जिसका निर्माण करीब बीस सालों पहले हुआ था. इस पर आखरी बार रंग-रोगन 13 सालों पहले किया गया था. विभाग को बजट भी मिला, फिर भी पता नहीं , क्यों यहाँ कभी ना तो मरम्मत कराई गई और ना ही रंग-रोगन. अंदर से, बाहर से, हर तरफ से यह भवन खंडहर की तरह नजर आ रहा है.

इसके अलावा भी जिले में कई भवन हैं ,जो इसी तरह बदहाली की भेंट चढे हुए हैं. इन विभागों में इंटरनेट नहीं है, पंखे पुराने हो गए हैं, कंप्यूटर नही हैं, और ऐसी कोई चीज़ नहीं है, जो डिजिटल इंडिया को सिम्बलाइज करती हो. इस तरह के विभाग आज भी वैसे ही हैं, जैसे बीस सालों पहले थे. अतिरिक्त जिला कलेक्टर से बात की, तो उन्होने कहा कि इस तरह के निर्माण कार्य बजट की उल्बब्धता पर ही निर्भर करते हैं.

ANURAG BHARGAV, ADM : मजबूरी यह होती है कि बजट नहीं मिलता. या एस्टीमेट नहीं बनते. लागत बढ़ जाति है. ऐसी कई समस्या होती है. बाकी कोशिश यही रहती है कि भवन को अच्छे से रखा जाए. और कोई टूट-फूट है तो मेन्टेन होती रहे. लेकिन यह सिस्टम है, कि विभाग जिनके पास खुद का बजट है, जो खुद कर सकते हैं. बाकी जो अलग हैं, जो PWD के भरोसे रहते हैं. उनके बजट की उपलब्धता पर ही सब होता है. उसके बाद ही सब कुछ तय होता है.

ना-जाने क्यों लेकिन इन दिनों जिले के अधिकतर विभागों में बजट का टोटा है. जहाँ भी जाओ सब बजट का ही रोना रोते हैं. हो सकता है इसी वजह से इस तरह के हाल हो! लेकिन सवाल यह कि गुज़रे इतने सालों में क्या बजट मिला ही नहीं? खैर ऐसा तो कम संभव लगता है. अभी के हालत देख कर साफ़ झलकता है, कि ना तो सरकारी की और ना ही अधिकारीयों की मंशा है कि इन भवनों का सुधार करें. ये तो आज भी राज़ी हैं- उन भवनों में काम करने को, जहाँ पानी रिसता हो, सीलन से बदबू आती हो, और जो कभी गिर भी सकते हों.

Thursday, October 15, 2015

जलाशयों से अवैध जल दोहन परवान पर. प्रशासन को नहीं है खबर. धडल्ले से की जा रही है पानी की चोरी. हाई पावर की मोटरों का हो रहा इस्तेमाल.



प्रतापगढ़ जिले के जलाशयों से , नहरों से इन दिनों अवैध जल दोहन परवान पर है. प्रशासन से बेखाफ़ लोग धडल्ले से जलाशयों का बेशकीमती पानी चोरी कर रहे हैं.
जल संसाधन विभाग की ज़िम्मेदारी है कि वे ऐसे चोरों पर कार्रवाई करे, लेकिन कार्रवाई तो दूर उन्हें तो यह तक पता नहीं है कि जिले भर में चोरियां हो रही है. इस तरह जलाशयों से चोरी के लिए लो 40-50 होर्स पावर की मोटरों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लगातार बढ़ रही चोरी से पानी में रहने वाले जीवों का जीवन भी खतरे में है. पानी की चोरी से जल स्तर भी कम होता जा रहा है. ऐसे में खेती के लिए उपयोगी पानी में भी कमी आ रही है. कई लोगों ने जलाशयों से पानी चोरी कर अपना व्यवसाय चला रहे हैं. लोग इस पानी को केम्पर में सप्लाई करते हैं, तो कई लोग इसका उपयोग टेंकर भरने में करते हैं. ऐसे में गाँव-गाँव के जलाशय खतरे में है. बारिश के बाद ये जलाशय कुछ इसी तरह भर जाते हैं. इसके बाद इनसे अवैध जल दोहन धडल्ले से होता है, और गर्मी आने से पहले ही ये सुख जाते हैं. ऐसे में कई बार सिंचाई के लिए पानी भी कम पड़ जाता है और सूखे की स्थिति भी पैदा होती है. प्रतापगढ़ में 7 बड़े बाँध हैं - गादोला बाँध, बरडीया बाँध, बजरंगगढ़ बाँध, मचलाना बाँध, चान्याखेड़ी बाँध, हमजाखेड़ी बाँध और बोरिया बाँध.. ये सातों बाँध ही ग्रामीण इलाकों में हैं, जहाँ चोरी छिपे लोग आराम से चोरी कर रहे हैं. अधिकारी से बात की गई तो उन्होने ये कह कर पल्ला झाड लिया कि चोरी हो ही नहीं रही है-

नानू लाल, सहायक अभियंता, जल संसाधन खंड प्रतापगढ़ : जानकारी नहीं है. ऐसी बात तो नहीं है कि लोग मोटर डाल कर चोरी कर रहे हैं, फिर भी हम जानकारी लेंगे. जांच करेंगे!

अब अधिकारीयों को चाहिए कि ऐसे अवैध जल दोहन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि गाँवों में जीवन का आधार बचाया जा सके!

खेत विवाद में खुनी संघर्ष. एक नाबालिग समेत चार लोग घायल. सभी को लाया गया जिला चिकित्सालय. भाई ने ही किया भाई के परिवार पर हमला.



प्रतापगढ़ में खेत विवाद को लेकर भाई ने दूसरे भाई के परिवार पर भयानक हमला बोल दिया, इस मामले में आरोपियों ने एक मासूम बच्ची को तक नहीं बक्शा... मासूम बच्ची को इतना पीटा गया कि वह मौके पर बेहोश हो गई.

घटना रठांजना थाना क्षेत्र के पानमोड़ी की है. यहाँ दो भाइयों के परिवार के बीच एक खेत को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था. लेकिन इस विवाद को खुनी संघर्ष में बदलते देर नहीं लगी. एक भाई खेमराज गायरी ने अपने ही भाई के परिवार पर अपनी पत्नी के साथ हमला बोल दिया. घटना में आरोपी ने पत्थरों का खूब इस्तेमाल किया. हमले में आरोपियों ने एक मासूम बच्ची को भी नहीं बक्शा. मासूम बच्ची को इतना पीटा गया कि वह मौके पर ही बेहोश हो गई. बीच बचाव करने आई उसकी माँ संपतबाई, चाची दिलखुशबाई और दादा रामनारायण पर भी जमकर हमला किया गया. पूरी घटना में पीड़ित पक्ष के चार लोग घायल हुए. जिनमे एक नाबालिग बच्ची, दो महिलाऐं और एक बुज़ुर्ग युवक शामिल हैं. हमले भाई खेमराज इतना आगबबूला था कि पिता को भी नहीं बक्शा. घटनास्थल पर लोगों का जमावड़ा लगने लगा तो आरोपी भाग फरार हुए. सभी घायलों को जिला चिकित्साल 108 एम्बुलेंस के ज़रिये लाया गया, जहाँ उपचार शुरू हुआ. बच्ची को अस्पताल में पहुँच कर कहीं होश आया.  बहरहाल घायलों का उपचार जारी है तो वहीँ रठांजना थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

मोबाइल चार्ज करते वक्त करंट से झुलसा शख्स. गंभीर हालत में लाया गया जिला चिकित्सालय. अलग-अलग कंपनी के मोबाईल और चार्जर यूज कर रहा था शख्स.




प्रतापगढ़ में मोबाइल चार्ज करते वक्त एक युवक करंट में बुरी तरह झुलस गया... युवक की हालत गंभीर देख उसे जिला चिकित्सालय लाया गया.

मामला देवगढ़ थाना क्षेत्र के चित्तोडी का है. यह युवक बंशीलाल अपना फोन चार्ज कर रहा था. इसी दरमियान चार्जर में करंट आने से युवक झुलस गया. घटना में युवक का हाथ, पैर, सीना और सर झुलस गए. युवक के सर पर और सीने पर तो गहरे ज़ख्म हुए हैं. घटना के साथ युवक मौके पर ही अचेत हो गया. कई देर बाद भी युवक को होश नहीं आया. ऐसे में उसे तत्काल 108 एम्बुलेंस द्वारा जिला चिकित्सालय पहुँचाया गया, जहाँ चिकित्सकों की टीम ने उपचार किया. यह खबर आपके लिए इसलिए ज़रुरी है क्योंकि चार्जर लगाते वक्त हम कहीं ना कहीं लापरवाही बरतते हैं, और यह भूल बैठते हैं कि यह भी एक इलेक्ट्रिक उपकरण हैं.

हमारी पड़ताल में सामने आया कि युवक अलग-अलग कंपनी के मोबाईल और चार्जर यूज कर रहा था. मोबाइल चाइनीज कंपनी का था तो वहीँ चार्जर दूसरी कम्पनी का. ऐसे में हिदायत दी जा सकती है कि चार्जर वही यूज करें जो मोबाइल के साथ केपेबल हो. बहरहाल युवक का इलाज जिला चिकित्सालय में जारी है.

ACB ने प्रतापगढ़ के रिश्वतखोर ASI को किया गिरफ्तार. धमोतर थाने में कार्यरत था ASI. मामले में कार्रवाई की एवज में मांगी थी रिश्वत. 3000 की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार.



प्रतापगढ़ में ACB ने कार्रवाई करते हुए एक ASI को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है... ACB को सुचना मिली थी कि धमोतर थाने में कार्यरत ASI रामेश्वर लाल एक्सीडेंट के किसी केस में आरोपी पर कार्रवाई करने की एवज में 5000 रूपए की रिश्वत मांग रहा है, जिसके लिए वो 2000 रूपए सत्यापन के नाम पर पहले ही ले चूका है और अब 3000 और लेने वाला है. परिवादी मंगलराम जब ASI को रिश्वत देने पंहुचा, तब मौके पर ही ACB टीम ने दबिश देकर कार्रवाई कर डाली. यहाँ ASI को नगद 3000 रूपए लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया. गौरतलब है कि एक महीने पहले परिवादी मंगल राम के भाई के बेटे श्यामलाल का एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें कार्रवाई करने के लिए और परिवादी की मोटरसाइकिल छोड़ने के लिए यह रिश्वत मांगी जा रही थी. 
पुलिस का काम होता है अपराधों पर कार्रवाई करना, लेकिन अब ऐसे कामों में भी रिश्वत मांगी जा रही है.

Sunday, October 11, 2015

मंडी में सोयाबीन की आवक में भारी गिरावट. आधे से भी कम हो रही आवक. भाव ज्यादा मिलने के बावजूद संतुष्ट नहीं किसान. पहले अतिवृष्ट और फिर सूखे से बरबाद हुई हैं फसलें.






प्रतापगढ़ में इन दिनों कृषि उपज मंडी में सोयाबीन की आवक में भारी कमी आई है. इस बार की सोयाबीन गत वर्षों की तुलना में आधी से भी कम रह गई है. मंडी में भाव ज्यादा दिए जाने की कवायद की जा रही है, लेकिन भी भरपाई नहीं होने से किसान सर पिटने को मजबूर हैं.

प्रतापगढ़ कृषि उपज मंडी संभाग की सबसे बड़ी मंडी होने के साथ-साथ "अ" श्रेणी की मंडी है. प्रतापगढ़ जिले में सोयाबीन की बम्पर पैदावार होती है, इसलिए यहाँ इस महीने मैला-सा लगा रहता है. लेकिन इस बार स्थिति अलग है! फसल बरबादी के बाद अब मंडी में सोयाबीन की आवक बहुत कम रह गई हैं. मंडी में जहां हर साल सोयाबीन की 8500 बोरी प्रतिदिन आती थी, वहीँ इस साल 3500 बोरी प्रतिदिन ही आ रही है, जो कि आधे से भी कम है. पहले एक बीघा पर करीब 3 से 3.50 क्विंटल सोयाबीन की पैदावार होती थी, जो अब 1 बिघा पर 1 से 1.50 क्विंटल की रह गई है... और जो सोयाबीन आ रही है, उनमे से अधिकतर गुणवत्ता वाली नहीं है. क्योंकि फसल खराबे में जो फसलें बचती है, जो सामान्य रूप से कम ही गुणवत्ता वाली होती हैं. लेकिन आवक कम होने से भाव ज्यादा हो गए हैं. सोयाबीन सिमित है, और व्यापारी लेने पर आमादा! ऐसे में किसान यह सोयाबीन 3800 से 4100 रूपए के भाव तक बेच रहे हैं, जबकि हर साल यह भाव 3300 रूपए तक ही होते थे.. ज्यादा भाव मिलने के बावजूद किसानों की भरपाई नहीं हो रही है.

संतोष मोदी, मंडी सचिव : पिछले साल की तुलना में सोयाबीन आवक में बहुत कम आई है. अभी तक 8500 तक बोरी आती थी, जो अब 3500 ही आ रही है. दलहन में भी बैठक कमजोर हो रही है. भाव ज्यादा है. सोयाबीन का जहाँ तक सवाल है, तो 3800-4100 तक बिक रही है. अभी तक यह

किसानों के चेहरे मंडी में आकार भी मुरझाए हुए हैं. भाव ज्यादा भले मिल रहे हों, पर नुकसान की भरपाई नहीं हो रही है. ऐसे में किसान सर पिटने को मजबूर हो चले हैं. किसान अब यही चाहते हैं, कि यहाँ बची-कुची सोयाबीन बेच अपने गाँव लौट जाएँ...

पिक-अप हादसे में तीन युवक गंभीर घायल. तीनों को लाया गया जिला चिकित्सालय. घायलों का उपचार जारी. चेतन इंटरप्राईजेज़ की है पिकप.



प्रतापगढ़ में एक पिक-अप गड्ढे में जा गिरी... पिक-अप चकना चूर हो गई तो वहीँ तीन सवार गंभीर रूप से घायल हो गए... तीनों की कराहती आवाज़ सुन कर लोग इकट्ठे हुए, और पिक-अप में फसें तीनों घायलों को बाहर निकला गया. जिसके बाद तीनों को जिला चिकित्सालय लाया गया, जहाँ उपचार शुरू हुआ. तीनों घायल के नाम विजय सिंह, मोहम्मद, और सद्दाम.. यह पिक-अप चेतन इंटरप्राईजेज़ की है जो कि सड़क निर्माण के कार्य में लगी थी. यह युवक काम से अपने घर लौट रहे थे. बारावरदा मोड़ पर अचानक गड्ढे में जा गिरे जहाँ यह गंभीर हादसा हुआ. एक युवक के सर में गहरी चोट आई है. बहरहाल तीनों का उपचार जिला चिकित्सालय में जारी है.

Saturday, October 10, 2015

परीक्षा में फ़ैल होने के डर से घर से भागे दो नाबालिग छात्र. खुद ने ही दोस्त के साथ मिल कर अपनी माँ से मांगी 13 लाख रूपए की फिरौती. आज ही घोषित होना था परीक्षा परिणाम. देखिए प्रतापगढ़ के दो नाबालिगों की हैरान कर देने वाली करतूत!




प्रतापगढ़ में दो नाबालिग छात्रों की ऐसी करतूत सामने आई है जिसे देख कर आप हैरान रह जाएंगे. परीक्षा में फ़ैल होने के डर से दो नाबालिगों ने अपने ही अपहरण की साजिश रची. दोनों घर से भाग निकले और फिर अपने ही माँ-बाप को ब्लेकमेल करने लगे. क्या है पूरा मामला. देखिए!

प्रतापगढ़ में एक निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ने वाले दो नाबालिग छात्रों की चौंकाने वाली करतूत सामने आई है. ये बच्चे प्रतापगढ़ के गौतम नगर और मालवा कोलोनी में रहते हैं. दोनों की उम्र 15 साल है और शहर के निजी अंग्रेजी स्कूल की 9वीं कक्षा में पढते हैं. दो बच्चों ने फ़ैल होने के डर से अपने ही अपहरण की साजिश रची. और तो और अपने ही माता-पिता से 13 लाख रूपए की फिरौती भी मांगी... कैसे? हम आपको सारी कहने से सिरे से रूबरू कराते हैं.

आज 10 अक्टूबर को इनके SA1 टेस्ट का रिज़ल्ट आना था, जिसे लेकर स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग भी थी. बच्चों को पता था कि ये फ़ैल होने वाले हैं. दोनों ही गत साल भी फ़ैल हो चुके थे. ऐसे में इस बात से डरे हुए थे कि फ़ैल होने पर माता-पिता मारपीट करेंगे, प्रताडित करेंगे! इस डर से इन दोनों ही बच्चों ने भागने का प्लान बनाया. क्योंकि माता-पिता की डाट और मार से इन्हें बाहर भाग जाने में ज्यादा सहूलियत महसूस हो रही थी. कल 9 अक्टूबर की शाम को 5:30 बजे ये दोनों नाबालिग बच्चे स्कूटी लेकर किसी को बिना बताए उदयपुर के लिए रवाना हुए. एक बच्चे ने घर से 1000 रूपए चुराए तो दूसरा अपनी स्कूटी लेकर आया. एक बच्चा ट्यूशन से घर निकला था और दूसरा बच्चा मस्जिद का नाम लेकर. एक बच्चे ने फोन चालु रखा, तो दूसरे ने बंद कर दिया. अब ये दोनों प्रतापगढ़ से रिचार्ज करवा कर, खाने-पिने का सामान लेकर उदयपुर के लिए रवाना हो चुके थे. कुछ वक्त गुज़रा और दोनों ही बच्चों के माता-पिता इंतज़ार करने लगे. लेकिन बच्चे नहीं आए तो चिंता बढ़ने लगी.... इसी बीच रात 8:30 बजे एक बच्चे के मोबाइल से उसकी माँ को फोन आया. और उसने कहा - "अगर अपने बच्चे की सलामती चाहती है, तो 13 तारीख तक 13 लाख रूपए तैयार रखना..." बस कहके उसने फोन काट दिया. अब बच्चे की माँ को लग गया था कि उसका और उसके दोस्त का किसी ने अपहरण कर लिया है...(जबकि यह धमकी उसी के साथ गया वह दोस्त दे रहा था) लेकिन माता-पिता इस बात से अनजान थे. माता-पिता को तो यही था, कि उनके बच्चों का अपहरण किसी ने कर लिया है. ऐसे में माता-पिता प्रतापगढ़ थाने में मामला दर्ज कराने पहुंचे. यह मामला सेंसेटिव था, इसलिए पुलिस ने भी तुरंत तफ्तीश शुरू की. इसी बीच 10:30 बजे फिर बच्चे की माँ के पास फोन आया. जो फिर वही बच्चे ही कर रहे थे. इस बार फिर बच्चे ने यहाँ भी खूब ड्रामा किया... बच्चे ने माँ को रोती हुई आवाज़ में कहा - "माँ मुझे बचालो... पैसे नहीं दोगे तो ये मार देंगे.. ये लोग अब हमको अगवाह कर चित्तोड ले जा रहे हैं..." और बस...फोन कट हो गया. बच्चे से अपनी माँ की धड़कने अब और बढा दी. ये दोनों बच्चे माँ को चित्तोडगढ़ जाने का कह कर उदयपुर के लिए रवाना हो गए. उदयपुर रोड पर बस्सी में इन्होने ठण्ड लगने पर रात को जंगल में अलाव तापा, रास्ते में तेंदुए ने इनकी स्कूटी को क्रोस किया, और भी बहुत कुछ! घने जंगल में से होते हुए, जैसे-तैसे रात भर चलते हुए ये उदयपुर जा पहुंचे. इस बीच पुलिस WHATSAPP के ज़रिये सभी जगह इनकी फोटो पहुंचा चुकी थी. अब चप्पे-चप्पे पर खड़े पुलिस और होम गार्ड जवानों के पास इनकी फोटो थी. ये बच्चे उदयपुर के हाथीपोल थाना क्षेत्र के एक पार्क में जा पहुंचे. जहाँ इन्हें एक होम गार्ड जवान ने देख लिया. जवान ने पूछताछ की तो संतोषप्रद जवाब नहीं मिला. बच्चों ने कहा कि हमारा किसी ने अपहरण कर लिया था, और हम छूट कर आ रहे हैं. बस फिर क्या था, बच्चों की संदेहात्मक स्थिति देख इन्हें हाथीपोल थाना ले जाया गया, जहाँ दोनों से अलग-अलग से पूछताछ की गई. दोनों की कहानियों में अंतर नजर आया तो पुलिस भी समझ गई कि दाल में कुछ काला है. इसी बीच WHATSAPP पर मिले फोटो से मिलान किया गया, तो सारा मामला बेपर्दा हो गया. पुलिस को समझ आ गया था कि ये वही बच्चे हैं जो प्रतापगढ़ से भागे हैं. रात 2 बजे प्रतापगढ़ पुलिस को सुचना मिल गई कि दोनों बच्चों को सुरक्षित बरामद कर लिया गया है. जिसके बाद सभी ने चैन की साँस ली. सुबह तक दोनों को ही प्रतापगढ़ लाया गया और पूछताछ में सारी कहानी बेपर्दा हुई...

श्री रतन सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक : प्रतापगढ़ शहर के एक इंग्लिश स्कूल के दो बच्चे गायब हो गए थे. उनके अपहरण की FIR मिली थी. इस सुचना पर तुरंत नाकाबंदी करवाई गई. बच्चों की तलाश की गई. विशेष टीमों ने तलाश की. जानकारी करने पर पता चला कि दोनों में से एक ट्यूशन के लिए गया था और दूसरा स्कूटी लेकर गया था. दोनों बच्चे देर रात उदयपुर के एक पार्क में मिले. पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की. पूछताछ में पता चला कि दोनों पिछले साल फ़ैल हो गए थे. इस बार भी SA1 में फ़ैल हो रहे थे. आज टीचर-पेरेंट्स मीटिंग थे. अभिभावकों की डाट के डर से गायब हुए और खुद के अपहरण की कहानी रची. शाम को ये स्कूटी पर बैठ कर देवध की ओर रावण हुए. एक ने दूसरे की माँ को 13 तारीख तक 13 लाख रूपए के इंतजाम करने की धमकी दी. नहीं तो मारने की धमकी दी. फिर पेट्रोल भरा कर रवाना हुए. फिर बंसी में अलाव तापा. फिर उदयपुर पहुंचे. और होम गार्ड्स को ये मिल गए. वहाँ हाथीपोल थाने पर पूछताछ हुई और इन्हें लाया गया.

तो है ना हैरान कर देने वाली कहानी ! एक्जाम में फ़ैल होने के बाद माता-पिता की डाट का डर इन्हें इतना खतरनाक लगा कि इन्होने अपने ही अपहरण की कहानी बना ली... बच्चों का कहना था कि ये सिर्फ माँ-बाप की संवेदना लेना चाहते थे. इनका कोई पैसा-वैसा लेने का प्लान नहीं था. ये एक-दो दिन बाद घर लौट आते, और ऐसा करने पर इन्हें कम डाट पड़ती. लेकिन यहाँ तो सब उल्टा हो गया... पुलिस अधिकारी ऐसे माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों से कोर्डिनेट करने की सलाह दे रहे हैं-

श्री रतन सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक : अभिभावक और शिक्षक बच्चों को मोटिवेट करें कि अंक कम आने से जीवन खत्म नहीं हो जाता और अंको का भय नहीं हो. बच्चे मन लगा कर पढ़े और कम मार्क्स आने पर जो बच्चे ये गलत कदम उठाते हैं ये गलत है. इस पर रोक लगे!
इस चौंकाने वाले मामले ने एक बात साफ़ कर दी है- माता-पिता के डर से बच्चे कोई भी कदम उठा सकते हैं. ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वो बच्चों से कोर्डिनेट करें... और कम अंक आने पर उन्हें प्रताडित ना करें.. क्योंकि ऐसा करके वो जाने-अनजाने में बच्चों को अपराध की राह में मोड़ देते हैं. इस कहानी में सबसे अच्छी बात यह रही कि समय रहते इनकी बरामदगी हो गई. क्योंकि अपहरण के बाद से माता-पिता का रो-रो कर बुरा हाल था, और बच्चों कोई गलत कदम न उठा लें या अपहरणकर्ता इन्हें कुछ कर ना दें, इस बात की आशंका भी! इस कार्रवाई में WHATSAPP का भी बखूबी उपयोग हुआ, जिसके ज़रिये एक-एक पुलिसकर्मी और होमगार्ड तक इनकी तस्वीरें पहुंची...