सरकार की शिक्षण प्रणाली का तो क्या कहना...! स्कूल खोल दिए हैं गाँव-गाँव में और मास्टर भेजे ही नहीं. लगता है मानों ये बेचारे बच्चे बिना ड्राइवर की गाडी में सवार हैं. प्रतापगढ़ जिला प्रदेश के पिछड़े इलाकों में है जहाँ शिक्षा को बढ़ावा देने की ज़रूरत सबसे ज्यादा है. प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च माध्यमिक और कोलेज स्तर तक शिक्षकों का अभाव है. यहाँ तक कि कई विषयों में अध्यापकों का टोटा है. संस्था प्रधानों में 157 में से 86 पद खाली हैं. व्याख्याताओं के 728 में से 587 पद खाली हैं. मात्र 141 व्याख्याता पूरे जिले की कमान संभाले हैं. गणित का तो एक भी व्याख्याता नहीं है. विज्ञान के व्याख्याताओं की भी कमी है. जीव विज्ञान के महज 4 व्याख्याता हैं. भौतिक विज्ञान के चार और रसायन विज्ञान के 3 व्याख्याता जिले भर में कार्यरत हैं. संस्कृत के 23 में से 6 कार्यरत हैं, बाकी खाली हैं. तृतीय श्रेणी अध्यापकों के 1116 पद स्वीकृत हैं, जिनमे से महज 211 कार्यरत हैं, 905 खाली हैं.
इसके अलावा- माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में शारीरिक शिक्षकों के 70 पद स्वीकृत हैं. इनमे से प्रथम श्रेणी के चारों पद खाली हैं. द्वितीय श्रेणी में 66 में से 14 ही कार्यरत हैं. तृतीय में 104 में से 65 कार्यरत हैं. ऐसे में शारीरिक विकास की शिक्षा भी बच्चों तक नहीं पहुँच रही है. विद्यालयों में प्रयोगशाला सहायक और पुस्तकालय अध्यक्षों के पद भी रिक्त पड़े हैं. पुस्तकालय अध्यक्ष के कुल 99 पद स्वीकृत हैं. इनमे से 81 खाली हैं. इसी प्रकार प्रयोगशाला सहायकों के 66 में से 58 खाली हैं. वरिष्ट लिपिकों के 58 में से 20 खाली हैं. कनिष्ट लिपिक के 188 में से 147 खाली हैं. इसके अलावा विद्यालयों में छोटे-मोटे काम पूरे करने के लिए साहयक कर्मचारियों के 358 पद स्वीकृत हैं, जिनमे से 214 खाली हैं.
व्याख्याताओं अध्यापकों और कर्मचारियों की कमी के चलते शत प्रतिशत परिणाम की बात करना बैमानी साबित होती है. तमाम प्रयासों के बाद भी इस TSP इलाके को शिक्षकों का वरदान नहीं मिल रहा है. सरकार की मंशा पर भी संदेह हो रहा है, क्योंकि वर्षों से उठ रही मांग के बाद भी शिक्षक क्यों नहीं लगाए जा रहे. ऐसे में आदिवासी बच्चों का भविष्य संकट में है.
कैलाश चन्द्र जोशी, जिला शिक्षा अधिकारी : प्रतापगढ़ में व्याख्याताओं के कई पद खाली है. खली पदों को भरने के लिए राज्य सरकार DPC का कार्य कर रही है. इसमें पदोन्नति दी जा रही है. सरकार ने सेवानिवृत व्याख्याताओं को लगाने की योजना भी शुरू की है. यह नियुक्ति का क्रम 21 अक्टूबर तक की जाएगी. इससे उम्मीद है
अधिकारी सफाई दे रहे हैं कि कार्रवाई की जाएगी. लेकिन इस बार काम आश्वासनों से नहीं चलेगा... इस जिले की एक और समस्या है. यहाँ कोई अध्यापक आता है तो टिकना नहीं चाहता. साथ ही TSP इलाका होने से स्थानीय अध्यापकों की भर्ती के प्रयास किए जाते हैं. लेकिन वहाँ भी सफलता हाथ नहीं लगती. ऐसे कई कारण है, जिस वजह से समस्या बढती जा रही है. ज़रूरत है तो मुख्यालय के आलाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को आगे आने की... ताकि शिक्षकों की भर्ती हो सके. शिक्षकों की भर्ती के बाद ही मुख्य समस्या हल हो सकेगी.
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