प्रतापगढ़ में प्रशासन के दावे एक बार फिर सवालों के घेरे में है. पहले अतिवृष्टि से बरबादी तो फिर सूखे से बरबादी. किसानों ने जगह-जगह चक्का जाम किया, हंगामा किया और तो और इसके लिए हाल ही में प्रदेशव्यापी आंदोलन भी हुआ. ऐसे में सरकार ने फिर मुआवजे का ऐलान किया. जिसके लिए पटवारियों को खेतों में गिरदावरी रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए. ताकि किसानों को मुआवजा दिया जा सके... लेकिन इस दावे की पोल तब खुली जब किसान गुहार लगाने सचिवालय पहुंचे. किसानों ने सचिवालय पहुँच आंदोलन की चेतावनी दी है. क्योंकि इनका आरोप है कि सरकार झूठ बोल रही है. खेतों में गिरदावरी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कोई नहीं आ रहा है. किसानों का कहना है कि ये सरकार को खराब के लिए कई बार अवगत करा चुके हैं. बावजूद इसके सरकार ध्यान नहीं दे रही है. प्रतापगढ़ में अधिकतर किसान "मीणा" समाज के हैं. ऐसे में मीणा समाज के जिलाध्यक्ष की अगुवाई में एक बड़ा आंदोलन खड़ा होने जा रहा है. किसान सरकार को आखरी अल्टीमेटम दे रहे हैं.
किसानों की ना मान कर सरकार पहले ही फल भुगत चुकी है. सरकार को कतई इन गरीब किसानों की बात को हलके से नहीं लेना चाहिए. ये किसान मुआवजा ना मिलने की स्थिति में उग्र से उग्र आनोद्लन करने पर भी आमादा है. इनकी बस यही मांग है कि इन्हें कैसे भी करके खराबे का मुआवजा मिले.
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