प्रतापगढ़ इन दिनो "स्यूसाइडगढ़" बना हुआ है... क्योंकि यहां पर आए दिन सुसाइड के मामले को रहे है. हमारे आंकडो के मुताबिक प्रतापगढ़ में औसतन हर महीने कम से कम 4 स्यूसाइड की घटनाएं हो रही है. भले नाबालिक हो या वयस्क, हर कोई आत्महत्या को चिंता से निपटने का रास्ता बना रहा है. कभी कोई पढ़ाई से परेशान होकर आत्महत्या कर लेता ,है तो कभी कोई प्रेम प्रसंग को लेकर. आत्महत्या के मामले विगत वर्षों की तुलना में काफी बढ़ चुके है. इसे यह भी साफ है कि लोगों में संयम की कितनी ज्यादा कमी आ रही है. आत्महत्या के बढ़ते मामले समाज के लिए चिंता का विषय है. हम आपको दिखाते है क्या है प्रतापगढ़ आत्महत्या के चौकाने वाले आंकड़े -
तारीख - 21 अक्टूबर 2015 - जंगल में पेड से फंदा लगा कर नाबालिग ने की आत्महत्या. एक सप्ताह तक पेड पर लटक कर सदती रही ललाश. छोटी सादडी थाना क्षेत्र के रावण मगरी की घटना.
तारीख - 19 अक्टूबर 2015 - युवक ने अज्ञात कारणों से लगाई फांसी. अपने ही कुए पर पेड़ से लगाईं फांसी. धोलापानी थाना क्षेत्र के अम्बावली की घटना.
तारीख - 12 अक्टूबर 2015 - अज्ञात कारणों के चलते युवक अम्बालाल मीणा ने लगाई फांसी. घर के निकट खेत पर पेड़ पर लटका मिला. सालमगढ़ थाना क्षेत्र के जुनाखाला की घटना.
तारीख - 10 अक्टूबर 2015 - विवाहिता ने फंदा लगा कर की आत्महत्या. घर में ही की आत्महत्या. पारसोला थाना क्षेत्र की घटना. मौत के कारणों का नहीं खुलासा.
तारीख - 8 अक्टूबर 2015 - STC कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा ने की आत्महत्या. अपने ही घर में फांसी लगा कर दी जान.प्रतापगढ़ के STC कॉलेज में पढ़ती थी छात्रा. धमोतर थाना क्षेत्र की है घटना.बॉयफ्रेंड की बेवफाई से उठाया आत्महत्या का कदम.
तारीख - 28 सितम्बर 2015 - औलाद न होने पर युवक ने की आत्महत्या. छत से फंदा लगा की आत्महत्या. शादी के कई वर्षों बाद भी नहीं हुई औलाद. पत्नी भी नाराज़ होकर गई मायके. जिले के पाडलिया का मामला.
तारीख - 27 सितम्बर 2015 - 22वर्षीय विवाहिता ने की आत्महत्या. घर में फंदा लगा कर की आत्महत्या. मौत के कारणों का नहीं खुलासा. धरियावद थाना क्षेत्र के केशरियावाद की घटना
तारीख - 17 सितम्बर 2015 - अरनोद में विवाहिता ने की आत्महत्या. साड़ी से फंदा लगाकर की आत्महत्या. पहले मकान मालिक पर किराए के लिए उकसाने का मामला दर्ज. बाद में प्रेमप्रसंग का खुलासा. समाज में बदनामी से की आत्महत्या.
तारीख - 3 अक्टूबर 2015 - 11 वीं कक्षा में पढ़ने वाले 15 वर्षीयछात्र ने अपने ही घर में फांसी लगा कर की आत्महत्या.सालमगद्ग थाना क्षेत्र के दलोट की घटना.
तारीख- 6 अगस्त 2015- संतान नहीं होने से युवक ने की आत्महत्या. पेड से फंदा लगा कर दी जान. शादी के कई वर्षों बाद भी नहीं हुई संतान. मंगरीफला का रहने वाला था युवक पेमा मीणा. धरियावद थाना क्षेत्र की घटना. पत्नी भी छोड़ कर चली गई थी मायके.
तारीख- 23 जुलाई 2015- ग्रामपंचायत कार्यालय के सामने बबूल के पेड़ से फंदा लगाकर निजी बस चालक युवक ने की आत्महत्या. प्रतापगढ़ थाना क्षेत्र के अमलावद की घटना.
तारीख- 15 जुलाई 2015- ससुराल में युवक ने की आत्महत्या. मंदिर के पास पेड़ से फंदा लगा कर दी जान. पत्नी से झगडे के बाद नाराज़ था युवक गेहरीलाल माली.
तारीख- 10 जुलाई 2015- जमीन विवाद में विधवा महिला रामकन्या ने की आत्महत्या. गुमशुदगी के 2 दिन बाद खेत पर मिली लाश. देवर लगातार जमीन के लिए बना रहा था दबाव. आरोपी देवर बद्रीलाल गिरफ्तार. हथुनिया थाना क्षेत्र के बसाड़ की घटना
तारीख- 7 जुलाई 2015- युवक ने फंदा कर की आत्महत्या. सुने घर में की आत्महत्या. शराब पीने का आदि था युवक केसिया. धरियावद थाना क्षेत्र के माना का मामला
तारीख- 3 जुलाई 2015- पत्नी से झगडा होने पर पति ने फांसी लगाकर की आत्महत्या. पति के शहर जाने की बात पर पत्नी ने किया था झगडा कई बार मना करने के बावजूद प्रतापगढ़ शहर आ गया था पति. सुहागपुरा थाना क्षेत्र के करोली गाँव की घटना.
यह आंकड़े महज़ गुजरे तीन महीनों के है. सोचिये साल भर में कितने मामले होंगे. आत्महत्या की बढती घटनाएं समाज के लिए चिंता का विषय है. आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, मनोभाजन, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवन जैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है. तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है. आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में मानसिक बीमारी का उपचार करना तथा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकना तथा आर्थिक विकास को बेहतर करना शामिल हैं. लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में इसके होने का समभावना तीन से चार गुना तक अधिक है. अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 10 से 20 मिलियन गैर-घातक आत्महत्या प्रयास होते हैं. युवाओं तथा महिलाओं में प्रयास अधिक आम हैं.
लोग अक्सर छोटे-मोटे तनाव से आत्महत्या कर लेते हैं जो कि गलत है. ऐसे लोग को चाहिए कि किसी भी समस्या से निपटने के लिए संयम से काम लें. साथ ही कोई भी चिंता हो उसको अपने बड़ों से साझा करें. परिवार अथवा मित्रों से बात कीजिए. अपने परिवार के किसी सदस्य या मित्र अथवा किसी सहयोगी से बात भर कर लेने से आपको बहुत राहत मिल सकती है. डॉक्टर से बात कीजिए. यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से हीन भावना से ग्रस्त है अथवा आत्महत्या करने की सोच रहा है तो वह एक मानसिक बीमारी से ग्रस्त है. रासायनिक असंतुलन के कारण इस प्रकार की चिकित्सकीय परिस्थिति उत्पन्न होती है और दवाइयों और अथवा चिकित्सा पद्धति के माध्यम से डॉक्टरों द्वारा सामान्यतः इसका उपचार किया जा सकता है.
आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान का नहीं है. ईश्वर ने जो जीवन दिया है उसे जीने में विश्वास रखना चाहिए. आज के ज़माने की तनाव भरी जिंदगी में आत्महत्या आम हो चला है. ऐसे तनावग्रस्त लोगों को चाहिए कि किसी भी समस्या में ठन्डे दिमाग काम लें. अपने आस-पास का वातावरण बदलें और खुश रहें!
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