Saturday, October 10, 2015

परीक्षा में फ़ैल होने के डर से घर से भागे दो नाबालिग छात्र. खुद ने ही दोस्त के साथ मिल कर अपनी माँ से मांगी 13 लाख रूपए की फिरौती. आज ही घोषित होना था परीक्षा परिणाम. देखिए प्रतापगढ़ के दो नाबालिगों की हैरान कर देने वाली करतूत!




प्रतापगढ़ में दो नाबालिग छात्रों की ऐसी करतूत सामने आई है जिसे देख कर आप हैरान रह जाएंगे. परीक्षा में फ़ैल होने के डर से दो नाबालिगों ने अपने ही अपहरण की साजिश रची. दोनों घर से भाग निकले और फिर अपने ही माँ-बाप को ब्लेकमेल करने लगे. क्या है पूरा मामला. देखिए!

प्रतापगढ़ में एक निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ने वाले दो नाबालिग छात्रों की चौंकाने वाली करतूत सामने आई है. ये बच्चे प्रतापगढ़ के गौतम नगर और मालवा कोलोनी में रहते हैं. दोनों की उम्र 15 साल है और शहर के निजी अंग्रेजी स्कूल की 9वीं कक्षा में पढते हैं. दो बच्चों ने फ़ैल होने के डर से अपने ही अपहरण की साजिश रची. और तो और अपने ही माता-पिता से 13 लाख रूपए की फिरौती भी मांगी... कैसे? हम आपको सारी कहने से सिरे से रूबरू कराते हैं.

आज 10 अक्टूबर को इनके SA1 टेस्ट का रिज़ल्ट आना था, जिसे लेकर स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग भी थी. बच्चों को पता था कि ये फ़ैल होने वाले हैं. दोनों ही गत साल भी फ़ैल हो चुके थे. ऐसे में इस बात से डरे हुए थे कि फ़ैल होने पर माता-पिता मारपीट करेंगे, प्रताडित करेंगे! इस डर से इन दोनों ही बच्चों ने भागने का प्लान बनाया. क्योंकि माता-पिता की डाट और मार से इन्हें बाहर भाग जाने में ज्यादा सहूलियत महसूस हो रही थी. कल 9 अक्टूबर की शाम को 5:30 बजे ये दोनों नाबालिग बच्चे स्कूटी लेकर किसी को बिना बताए उदयपुर के लिए रवाना हुए. एक बच्चे ने घर से 1000 रूपए चुराए तो दूसरा अपनी स्कूटी लेकर आया. एक बच्चा ट्यूशन से घर निकला था और दूसरा बच्चा मस्जिद का नाम लेकर. एक बच्चे ने फोन चालु रखा, तो दूसरे ने बंद कर दिया. अब ये दोनों प्रतापगढ़ से रिचार्ज करवा कर, खाने-पिने का सामान लेकर उदयपुर के लिए रवाना हो चुके थे. कुछ वक्त गुज़रा और दोनों ही बच्चों के माता-पिता इंतज़ार करने लगे. लेकिन बच्चे नहीं आए तो चिंता बढ़ने लगी.... इसी बीच रात 8:30 बजे एक बच्चे के मोबाइल से उसकी माँ को फोन आया. और उसने कहा - "अगर अपने बच्चे की सलामती चाहती है, तो 13 तारीख तक 13 लाख रूपए तैयार रखना..." बस कहके उसने फोन काट दिया. अब बच्चे की माँ को लग गया था कि उसका और उसके दोस्त का किसी ने अपहरण कर लिया है...(जबकि यह धमकी उसी के साथ गया वह दोस्त दे रहा था) लेकिन माता-पिता इस बात से अनजान थे. माता-पिता को तो यही था, कि उनके बच्चों का अपहरण किसी ने कर लिया है. ऐसे में माता-पिता प्रतापगढ़ थाने में मामला दर्ज कराने पहुंचे. यह मामला सेंसेटिव था, इसलिए पुलिस ने भी तुरंत तफ्तीश शुरू की. इसी बीच 10:30 बजे फिर बच्चे की माँ के पास फोन आया. जो फिर वही बच्चे ही कर रहे थे. इस बार फिर बच्चे ने यहाँ भी खूब ड्रामा किया... बच्चे ने माँ को रोती हुई आवाज़ में कहा - "माँ मुझे बचालो... पैसे नहीं दोगे तो ये मार देंगे.. ये लोग अब हमको अगवाह कर चित्तोड ले जा रहे हैं..." और बस...फोन कट हो गया. बच्चे से अपनी माँ की धड़कने अब और बढा दी. ये दोनों बच्चे माँ को चित्तोडगढ़ जाने का कह कर उदयपुर के लिए रवाना हो गए. उदयपुर रोड पर बस्सी में इन्होने ठण्ड लगने पर रात को जंगल में अलाव तापा, रास्ते में तेंदुए ने इनकी स्कूटी को क्रोस किया, और भी बहुत कुछ! घने जंगल में से होते हुए, जैसे-तैसे रात भर चलते हुए ये उदयपुर जा पहुंचे. इस बीच पुलिस WHATSAPP के ज़रिये सभी जगह इनकी फोटो पहुंचा चुकी थी. अब चप्पे-चप्पे पर खड़े पुलिस और होम गार्ड जवानों के पास इनकी फोटो थी. ये बच्चे उदयपुर के हाथीपोल थाना क्षेत्र के एक पार्क में जा पहुंचे. जहाँ इन्हें एक होम गार्ड जवान ने देख लिया. जवान ने पूछताछ की तो संतोषप्रद जवाब नहीं मिला. बच्चों ने कहा कि हमारा किसी ने अपहरण कर लिया था, और हम छूट कर आ रहे हैं. बस फिर क्या था, बच्चों की संदेहात्मक स्थिति देख इन्हें हाथीपोल थाना ले जाया गया, जहाँ दोनों से अलग-अलग से पूछताछ की गई. दोनों की कहानियों में अंतर नजर आया तो पुलिस भी समझ गई कि दाल में कुछ काला है. इसी बीच WHATSAPP पर मिले फोटो से मिलान किया गया, तो सारा मामला बेपर्दा हो गया. पुलिस को समझ आ गया था कि ये वही बच्चे हैं जो प्रतापगढ़ से भागे हैं. रात 2 बजे प्रतापगढ़ पुलिस को सुचना मिल गई कि दोनों बच्चों को सुरक्षित बरामद कर लिया गया है. जिसके बाद सभी ने चैन की साँस ली. सुबह तक दोनों को ही प्रतापगढ़ लाया गया और पूछताछ में सारी कहानी बेपर्दा हुई...

श्री रतन सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक : प्रतापगढ़ शहर के एक इंग्लिश स्कूल के दो बच्चे गायब हो गए थे. उनके अपहरण की FIR मिली थी. इस सुचना पर तुरंत नाकाबंदी करवाई गई. बच्चों की तलाश की गई. विशेष टीमों ने तलाश की. जानकारी करने पर पता चला कि दोनों में से एक ट्यूशन के लिए गया था और दूसरा स्कूटी लेकर गया था. दोनों बच्चे देर रात उदयपुर के एक पार्क में मिले. पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की. पूछताछ में पता चला कि दोनों पिछले साल फ़ैल हो गए थे. इस बार भी SA1 में फ़ैल हो रहे थे. आज टीचर-पेरेंट्स मीटिंग थे. अभिभावकों की डाट के डर से गायब हुए और खुद के अपहरण की कहानी रची. शाम को ये स्कूटी पर बैठ कर देवध की ओर रावण हुए. एक ने दूसरे की माँ को 13 तारीख तक 13 लाख रूपए के इंतजाम करने की धमकी दी. नहीं तो मारने की धमकी दी. फिर पेट्रोल भरा कर रवाना हुए. फिर बंसी में अलाव तापा. फिर उदयपुर पहुंचे. और होम गार्ड्स को ये मिल गए. वहाँ हाथीपोल थाने पर पूछताछ हुई और इन्हें लाया गया.

तो है ना हैरान कर देने वाली कहानी ! एक्जाम में फ़ैल होने के बाद माता-पिता की डाट का डर इन्हें इतना खतरनाक लगा कि इन्होने अपने ही अपहरण की कहानी बना ली... बच्चों का कहना था कि ये सिर्फ माँ-बाप की संवेदना लेना चाहते थे. इनका कोई पैसा-वैसा लेने का प्लान नहीं था. ये एक-दो दिन बाद घर लौट आते, और ऐसा करने पर इन्हें कम डाट पड़ती. लेकिन यहाँ तो सब उल्टा हो गया... पुलिस अधिकारी ऐसे माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों से कोर्डिनेट करने की सलाह दे रहे हैं-

श्री रतन सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक : अभिभावक और शिक्षक बच्चों को मोटिवेट करें कि अंक कम आने से जीवन खत्म नहीं हो जाता और अंको का भय नहीं हो. बच्चे मन लगा कर पढ़े और कम मार्क्स आने पर जो बच्चे ये गलत कदम उठाते हैं ये गलत है. इस पर रोक लगे!
इस चौंकाने वाले मामले ने एक बात साफ़ कर दी है- माता-पिता के डर से बच्चे कोई भी कदम उठा सकते हैं. ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वो बच्चों से कोर्डिनेट करें... और कम अंक आने पर उन्हें प्रताडित ना करें.. क्योंकि ऐसा करके वो जाने-अनजाने में बच्चों को अपराध की राह में मोड़ देते हैं. इस कहानी में सबसे अच्छी बात यह रही कि समय रहते इनकी बरामदगी हो गई. क्योंकि अपहरण के बाद से माता-पिता का रो-रो कर बुरा हाल था, और बच्चों कोई गलत कदम न उठा लें या अपहरणकर्ता इन्हें कुछ कर ना दें, इस बात की आशंका भी! इस कार्रवाई में WHATSAPP का भी बखूबी उपयोग हुआ, जिसके ज़रिये एक-एक पुलिसकर्मी और होमगार्ड तक इनकी तस्वीरें पहुंची...

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