प्रतापगढ़ ने बाल विवाह के मामले में प्रदेशभर के लिए मिसाल कायम की है. प्रतापगढ़ एक पिछड़ा, गरीब, आदिवासी इलाका है. बावजूद इसके यहाँ बाल-विवाह के मामले दूसरे इलाकों से कम है. यहाँ के अधिकाँश लोग गाँव में निवास करते है, और खेती-बाड़ी कर पेट पालते है. अधिकतर लोग अनपढ़ हैं. लेकिन एक अनपढ़, गरीब ग्रामीण भी अपने बच्चों का विवाह सही उम्र के बाद ही करता है. जो कि ताजुब की बात हैं. अभी तो ग्रामीण इलाको में शिक्षा का भी ठीक से प्रचार प्रसार नहीं हुआ है. बावजूद इसके प्रतापगढ़ के ग्रामीण अच्छे और बुरे को भलीभांति समझने लगे हैं. लड़कियों को तो माता-पिता कम उम्र में ही ब्याहने की सोचते हैं. लेकिन यहाँ ऐसा नहीं होता. लड़कियों का विवाह भी सही उम्र पर ही किया जाता है.
प्रतापगढ़ में बच्चे महफूज़ हैं, क्योंकि उन्हें पता है उनका विवाह सही उम्र के बाद ही होना है. इधर माँ-बाप भी उनका पूरा साथ देते हैं, भले कितने ही पिछड़े गाँव से हों! आंकड़े यही कहते हैं, प्रतापगढ़ में गत वर्ष टीम बाल विवाह के मामले आए थे. उसके बाद गुज़रे कई महीनों में एक मामला भी सामने नहीं आया है. जबकि ग्रामीण इलाकों में शादी सीज़न में लगभग हर रोज एक मामला सामने आता है. लेकिन यहाँ तो तस्वीर बिलकुल जुदा है. बाल विवाह के यहाँ मामले ना के बराबर हैं.
श्री रतन सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक : प्रतापगढ़ आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहाँ बाल विवाह के प्रकरण नहीं के बराबर है. इसलिए गत वर्ष दो-तीन मामले आए थे.. बाल विवाह के यहाँ ज्यादा प्रकरण नहीं होते..
बाल विवाह को बतौर सामाजिक कुरुति देखा जाता है. ऐसे में प्रतापगढ़ ने बाल विवाह पर रोकथाम लगाकर ना सिर्फ बच्चों का भविष्य निहारा है, बल्कि प्रदेश के लिए मिसाल भी कायम की है.
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