Friday, October 9, 2015

मिनी सचिवालय की बनावट पर उठने लगे सवाल. धुप में वाहन पार्क करने को मजबूर हैं लोग. खुद अधिकारीयों को नहीं मिलती पार्किंग की जगह. ऐसे कैसे हुआ था निर्माण?






प्रतापगढ़ मिनी सचिवालय में आने वाले कर्मचारी और अधिकारी इस बात से परेशान हैं कि आखिर बैठे तो कहाँ... यहाँ दूर-दराज से आने वालों के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं है, तो वहीँ पार्किंग के अभाव में खुद अधिकारी अपनी गाडी धुप में खड़ी करने को मजबूर हैं. करोड़ों की लागत से बना यह भवन आज भी कई परेशानियों की वजह बना हुआ है.

प्रतापगढ़ "मिनी सचिवालय" के नाम से जानी जाने वाली यह इमारत दिखने में जितनी खूबसूरत है, बनावट के 
मामले में उतनी ही खोखली है. क्योंकि निर्माण के दौरान यहाँ कई बातों का ध्यान नहीं रखा गया. यहाँ बाहर से आने वाले लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं है, ऐसे में उन्हें खड़े-खड़े ही काम करवाने पड़ते हैं. इधर पार्किंग व्यवस्था के अभाव में यहाँ आने वाली सैंकडो गाडियां खुले आसमान के नीचे खड़ी होती है. बारिश में भीगती है, और गर्मी में धुप की मार सहती है. देखिए खुद अतिरिक्त जिला कलेक्टर की गाडी धुप में खड़ी है. इसके अलावा यहाँ कई मोटरसाइकिलों का अम्बार लगा है, जो भी खुले में ही पड़ी है. यहाँ एक और समस्या है, यहाँ सचिवालय के सीधे सामने लोग मूत्र-त्याग करते हैं, जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं है. यहाँ शौचालय भी ऐसी जगह खोले गए, कि दूर-दराज से आने वालों को पता ही नहीं चलता. ऐसे में इस भवन पर करोड़ों रूपए खर्च होना, और फिर भी मुलभुत सुविधाओं का टोटा होना, सवाल खड़े करता है... ADM से जब इस बारे में बात की गई, तो उनका कहना था कि उन्होंने PWD को इस बाबत लिख दिया है-

अनुराग भार्गव, अतिरिक्त जिला कलेक्टर : अभी मामला सरकार आपके द्वार में भी उठा था. हमने PWD को भी लिखा है इस सम्बन्ध की. ऊपर का माला भी पूरा करें. और विभाग इसके अंदर संशोधित तकनीक जारी करेगा. PWD से तीन-चार पहले ही यह प्राप्त हुए हैं. यह काम भी जल्द शुरू होगा. पार्किंग लोट का काम बजट आने पर होगा.

अधिकारी पार्किंग लोट और तमाम सुविधाओं के लिए बजट आने की बात कह रहे हैं. पर सवाल यह कि जब इस भवन का निर्माण हो रहा था, तब अधिकारी क्यों नींद में थे. तब बार-बार मोनिटरिंग के बाद भी क्यों इस ओर ध्यान नहीं गया? देखना होगा कब तक यहाँ यह निर्माण कार्य होते हैं और कब तक यहाँ आने वाले लोगों को राहत मिल पाती है.

No comments:

Post a Comment