सरकार स्कूलों में बच्चे अध्यापकों की लापरवाही से पढ़ नहीं पाते. कम उम्र में बच्चों को अनुशासन का पाठ पढाना होता है, लेकिन प्रतापगढ़ के स्कूलों में खुद अध्यापक बच्चों को आज़ाद घूमने के लिए छोड़ रहे हैं. तस्वीरों में आप देख सकते हैं, बच्चों के हाथ में कोपियाँ है, पेन है, लेकिन क्लास में नहीं है. बिना सुरक्षा बंदोबस्त के ये बच्चे आराम से स्कूल युनिफोर्म में सड़कों पर घूम रहे हैं. कुछ बच्चे तो बिना बाउंडरी के इस खतरनाक तालाब के आस-पास घूमते दिखे, जहाँ कभी भी हादसा हो सकता है. इधर अध्यापक अपने काम में मशगूल हैं. यह तस्वीरें हैं जो बयान करती है किस कदर आदिवासी इलाकों में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. जब हमने अधिकारी से बात की तो उन्होंने अध्यापकों और प्रधानों को निर्देश देने के बात कही-
ग्रामीण इलाकों में बच्चों को शिक्षित करने के बाद ही असली शिक्षित समाज की स्थापना की जा सकेगी. शहरी इलाकों में तो वैसे ही बच्चे यदा-कडा शिक्षा हांसिल कर लेते हैं. ऐसे में शिक्षा को पहुंचाने की जरुरत उन गाँवों में है, जहाँ बच्चे बचपन से ही आवरागिर्दी का पाठ पड़ते हैं...और अनुशासन से वाकिब नहीं होते.
कैलाश चंद्र जोशी, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) : स्कूल समय में यदि कोई बालक बाहर घूम रहे हैं, तो संस्था प्रधान को निर्देश देंगे कि ऐसा न होने दे. और अध्यापकों को भी निर्देश देंगे.
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