जल संसाधन विभाग की ज़िम्मेदारी है कि वे ऐसे चोरों पर कार्रवाई करे, लेकिन कार्रवाई तो दूर उन्हें तो यह तक पता नहीं है कि जिले भर में चोरियां हो रही है. इस तरह जलाशयों से चोरी के लिए लो 40-50 होर्स पावर की मोटरों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लगातार बढ़ रही चोरी से पानी में रहने वाले जीवों का जीवन भी खतरे में है. पानी की चोरी से जल स्तर भी कम होता जा रहा है. ऐसे में खेती के लिए उपयोगी पानी में भी कमी आ रही है. कई लोगों ने जलाशयों से पानी चोरी कर अपना व्यवसाय चला रहे हैं. लोग इस पानी को केम्पर में सप्लाई करते हैं, तो कई लोग इसका उपयोग टेंकर भरने में करते हैं. ऐसे में गाँव-गाँव के जलाशय खतरे में है. बारिश के बाद ये जलाशय कुछ इसी तरह भर जाते हैं. इसके बाद इनसे अवैध जल दोहन धडल्ले से होता है, और गर्मी आने से पहले ही ये सुख जाते हैं. ऐसे में कई बार सिंचाई के लिए पानी भी कम पड़ जाता है और सूखे की स्थिति भी पैदा होती है. प्रतापगढ़ में 7 बड़े बाँध हैं - गादोला बाँध, बरडीया बाँध, बजरंगगढ़ बाँध, मचलाना बाँध, चान्याखेड़ी बाँध, हमजाखेड़ी बाँध और बोरिया बाँध.. ये सातों बाँध ही ग्रामीण इलाकों में हैं, जहाँ चोरी छिपे लोग आराम से चोरी कर रहे हैं. अधिकारी से बात की गई तो उन्होने ये कह कर पल्ला झाड लिया कि चोरी हो ही नहीं रही है-
नानू लाल, सहायक अभियंता, जल संसाधन खंड प्रतापगढ़ : जानकारी नहीं है. ऐसी बात तो नहीं है कि लोग मोटर डाल कर चोरी कर रहे हैं, फिर भी हम जानकारी लेंगे. जांच करेंगे!
अब अधिकारीयों को चाहिए कि ऐसे अवैध जल दोहन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि गाँवों में जीवन का आधार बचाया जा सके!
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