Friday, July 31, 2015
अरनोद में दर्दनाक एक्सीडेंट. बाइक से दबने और पानी में दम घुटने से युवक की मौत.
पुलिस लाइन में पौधारोपण. अधिकारीयों ने वन-विस्तार का दिया सन्देश. पेड़ों की महत्ता से कराया रूबरू.
विद्युत लाइन में आए फॉल्ट ने लाखों के उपकरण फूंके. शिकायत के बाद लंबे वक्त तक नहीं पहुंचे विद्युत निगम कर्मचारी.
पहले ही विद्युत व्यवस्था कुछ ठीक नहीं थी. शहर के तिलकनगर सहित कुछ अन्य कोलोनियों में विद्युत लाइन फॉल्ट होने से दर्जनों घर में लाखों के विद्युत उपकरण फूंक गए. लाइनों में हाई वोल्टेज आने से चल रहे TV, ट्यूबलाईट, पंखे, फ्रिज जल गए. इससे ना सिर्फ लोगों को परेशानी का सामना करना पडा, बल्कि आर्थिक नुकसान भी उठाना पडा. शहर वासियों का कहना है कि लाइन में हुए फॉल्ट की सुचना देने पर भी विद्युत निगम की ओर से कोई नहीं पहुंचा. विद्युत निगम ने कुछ समय पहली ही मानसून पूर्व रखरखाव की कवायद की थी, लेकिन वह भी फ़ैल साबित हुई. बिजली गूल होने की समस्या ने तो मानो हर एक शहरवासी की समस्या बढ़ा रखी है. गाँवों की हालत तो फिर भी समझ आती है... लेकिन शहर में ही व्यवस्था बदहाल हो तो कोई क्या करेगा!
तेज बारिश के चलते लाइनों में अर्थिंग और न्यूट्रल गायब होने से करंट ज्यादा प्रवाहित हो रहा है. अर्थिंग और न्यूट्रल फ़ैल होने से लाइन फेज टू फेज हो जाती. जिससे करंट की क्षमता 240 वोल्ट से अधिक हो जाती. अधिक करंट आने से घर में चालु विद्युत उपकरण जल जाते हैं. लोगों को नसीहत दी जा सकती है, कि विद्युत आपूर्ति बंद हो, तो सारे स्विच भी बंद कर दे. विद्युत आपूर्ति शुरू होने के कुछ देर बाद ही उपकरण चालु करें. क्योंकि अचानक शुरू हुई आपूर्ति में हाई वोल्टेज का खतरा ज्यादा होता है.
बाईट - आर.एस. चौहान, अधीक्षण अभियंता, विद्युत निगम : लगातार बारिश होने से यह फॉल्ट हो रहे हैं. कर्मचारियों को निर्देशित किया है. कि समस्याओं का तत्काल समाधान करें.
जाखम बाँध पर हो सकता है बड़ा हादसा. सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं. लगातार हो रहे हादसों से प्रशासन ने नहीं लिया सबक!
जाखम बाँध प्रतापगढ़ का प्रमुख दर्शनीय स्थल है. यहाँ की खूबसूरती हर किसी का मन मोह लेती है. बारिश के दिनों में यह बाँध लबालब हो उठता है. जिसे देखने लोग आने लगते हैं. लेकिन हर साल यहाँ कोई ना कोई हादसा जरुर होता है. गत वर्षों में यहाँ पानी में गिरने से कई लोग मारे जा चुके हैं. साथ ही यहाँ ऊंचे पहाड़ों से गिरते पत्थर भी हादसों का कारण बनते आए हैं. बावजूद इसके सुरक्षा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है. यहाँ एक भी सुरक्षा कर्मी नहीं है. कायदे से तो यहाँ सुरक्षाकर्मी भी होने चाहिए, और उनके पास बचाव उपकरण भी. लेकिन यहाँ सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं होने से, हर दम हादसे का डर बना रहता है.
जाखम बाँध पर आने वाले लोगों की सुरक्षा राम-भरोसे है. सुरक्षा के इंतज़ाम करने के बजाय प्रशासन लोगों को ही खुद की रक्षा करने की बात कह रहा है.
Thursday, July 30, 2015
बारिश से 64 पोल और 18 ट्रांसफार्मर धराशाई! विद्युत निगम की बढ़ रही मुसीबत. लोगों का जीना मुहाल.
विपेन्द्र पालीवाल, AEN, विद्युत निगम |
विपेन्द्र पालीवाल, AEN, विद्युत निगम : अभी जो तेज बारिश का दौर जारी है. बिना रुके बारिश हो रही है. जिससे कई ट्रांसफार्मर और पोल खराब हो रहे हैं. बारिश से 11 केवी के 61 पोल, एल.टी. के 3 पोल और 18 ट्रांसफार्मर फॉल्ट हो चुके हैं. जिस वजह से विद्युत व्यवस्था चरमरा गई है. अभी जो भी शिकायते मिल रही हैं, उनका समाधान करने की पूरी कोशिश है. कर्मचारियों को भी तैनात कर दिया गया है. बारिश होने से पोल पर या ट्रांसफार्मर पर काम करना मुसीबत से कम नहीं होता. ऐसे में सुरक्षा के इंतजाम भी पुख्ता किए जा रहे हैं.
बारिश होने से पोल पर या ट्रांसफार्मर पर काम करना मुसीबत से कम नहीं होता. ऐसे में सुरक्षा के इंतजाम भी पुख्ता किए जा रहे हैं. फिलहाल बरस रही आफत पर किसी का बस नहीं चल रहा है. हर तरफ लोग बारिश से परेशान हो चले हैं. और सब कुछ ठीक हो जाने का इंतज़ार कर रहे हैं.
बाल सम्प्रेषण गृह साबित हुआ बेकार. बाल अपचारियों को भेजा जा रहा उदयपुर. व्यवस्था की बदहाली बनी कारण!
प्रतापगढ़ में बाल सम्प्रेषण गृह बने 2 साल गुजर गए हैं. बावजूद इसके कई मामलों में विचाराधीन बाल अपचारियों को उदयपुर भेजा जा रहा है. बाल सम्प्रेषण गृह में बच्चों को रखने की अच्छी-खासी केपेसिटी है. लेकिन व्यवस्था की बदहाली के बदौलत यह सम्प्रेषण गृह बेकार पडा है.
दिलीप रोकडिया, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग : बाल सम्प्रेषण गृह बन चुकी है. बिल्डिंग बहुत दूर बनी है. जिले में स्टाफ की बहुत कमी है. मेरे कार्यालय में भी बहुत कमी है. हम अभी उदयपुर भेज रहे हैं. दूरी और स्टाफ की कमी कारण है. दूरी होने से कई व्यवशएं नहीं हो पाती. मुझे ज्वाइन किए 15 दिन हुए हैं. मैं कोशिश करूँगा, कि सारी व्यवस्थाएं ठीक हो जाएँ! केपेसिटी है, मान्यता है, प्रावधान भी है! लेकिन उन्हें संभालने के लिए स्थाई कर्मचारी नहीं है. अभी सरकार से आश्वासन मिला है कि कर्मचारी लगाएंगे. कर्मचारी लगते ही सुरक्षा हो सकेगी. अभी यहाँ 3 कर्मचारी हैं. अगर हमें 2 और कर्मचारी मिल जाएँगे, तो भी हम काम चला लेंगे.
प्रतापगढ़ में दो साल पहले बाल सम्प्रेषण गृह का निर्माण किया गया था. वो इसलिए, ताकि बच्चों को सम्प्रेषण गृह उदयपुर ना भेजना पड़े. और आस-पास के बच्चे यहीं प्रतापगढ़ के सम्प्रेषण गृह में रह सके. लेकिन सरकार की मंशा पर व्यवस्था की बदहाली ने पानी फेर दिया. दो साल पहले बने इस गृह में सिर्फ 10 बच्चे रह रहे हैं. जबकि यहाँ 30 बच्चे रह सकते हैं. 20 बच्चों की जगह अभी भी खाली है. बावजूद इसके यहाँ बच्चों को नहीं भेजा जाता. इस वजह से यहाँ के अधिकतर कमरे बंद ही रहते हैं. महीने में कभी-कबार सफाई के नाम पर ही उन्हें खोला जाता है. भवन को बने दो साल ही गुज़रे हैं, और छतों से पानी गिरना शुरू हो गया है. हाल ही में हुए विभिन्न अपराधों में लिप्त बाल अपचारियों को पुलिस की ओर से उदयपुर बाल सम्प्रेषण गृह भेजा जाता रहा. प्रतापगढ़ का अपना सम्प्रेषण गृह होने के बावजूद कभी यहाँ बच्चों को लाने की कवायद नहीं की गई. और इस पूरी बिगड़ी व्यवस्था के जिम्मेदार "बाल अधिकारिता विभाग" और "समाज कल्याण विभाग" हैं. नए नियमों के तहत इन दोनों विभागों को मिल कर इस सम्प्रेषण गृह का संचालन करना है. इसके अलावा इस सम्प्रेषण गृह के हाल बेहाल है. यहाँ बच्चों को दाल-रोटी के अलावा कुछ नहीं खिलाया जाता. TV के लिए आने वाला बजट भी अधिकारी डकार जाते हैं. दूध और चाय देखे तो महीनों गुजर गए हैं.
कर्मचारी - मैं मेरे घर से रोज दूध ला रही हूँ. यहाँ दूध नहीं आता है आगे से. जब से यहाँ आई हूँ, तब से रोज दूध लाती हूँ. रोज एक ग्लास दूध लाती हूँ. खाने में चावल-रोटी बनती है. हरी सब्जी तो आती है, लेकिन फल नहीं आते.
हैं ना चौकाने वाली बात? कर्मचारी का कहना है कि वे रोज अपने घर से एक ग्लास दूध लाती है. इंसानियत के नाते जैसे-तैसे यह गरीब कर्मचारी महिला घर से एक ग्लास दूध तो ले आती है. लेकिन इस एक ग्लास दूध में दस बच्चों का काम नहीं चल पाता. इस महिला के अनुसार, यहाँ चावल, दाल, रोटी के अलावा कुछ नहीं खिलाया जाता. फल तो कभी यहाँ लाए ही नहीं जाते. व्यवस्था की बदहाली के चलते रहने वाले बच्चे परेशान होने को मजबूर हैं. अधिकारी से जब हमने इस बारे में बात की, तो उन्होंने कर्मचारियों की कमी को कारण बता कर पल्ला झाड लिया.
कर्मचारी - मैं मेरे घर से रोज दूध ला रही हूँ. यहाँ दूध नहीं आता है आगे से. जब से यहाँ आई हूँ, तब से रोज दूध लाती हूँ. रोज एक ग्लास दूध लाती हूँ. खाने में चावल-रोटी बनती है. हरी सब्जी तो आती है, लेकिन फल नहीं आते.
हैं ना चौकाने वाली बात? कर्मचारी का कहना है कि वे रोज अपने घर से एक ग्लास दूध लाती है. इंसानियत के नाते जैसे-तैसे यह गरीब कर्मचारी महिला घर से एक ग्लास दूध तो ले आती है. लेकिन इस एक ग्लास दूध में दस बच्चों का काम नहीं चल पाता. इस महिला के अनुसार, यहाँ चावल, दाल, रोटी के अलावा कुछ नहीं खिलाया जाता. फल तो कभी यहाँ लाए ही नहीं जाते. व्यवस्था की बदहाली के चलते रहने वाले बच्चे परेशान होने को मजबूर हैं. अधिकारी से जब हमने इस बारे में बात की, तो उन्होंने कर्मचारियों की कमी को कारण बता कर पल्ला झाड लिया.
दिलीप रोकडिया, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग |
दिलीप रोकडिया, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग : बाल सम्प्रेषण गृह बन चुकी है. बिल्डिंग बहुत दूर बनी है. जिले में स्टाफ की बहुत कमी है. मेरे कार्यालय में भी बहुत कमी है. हम अभी उदयपुर भेज रहे हैं. दूरी और स्टाफ की कमी कारण है. दूरी होने से कई व्यवशएं नहीं हो पाती. मुझे ज्वाइन किए 15 दिन हुए हैं. मैं कोशिश करूँगा, कि सारी व्यवस्थाएं ठीक हो जाएँ! केपेसिटी है, मान्यता है, प्रावधान भी है! लेकिन उन्हें संभालने के लिए स्थाई कर्मचारी नहीं है. अभी सरकार से आश्वासन मिला है कि कर्मचारी लगाएंगे. कर्मचारी लगते ही सुरक्षा हो सकेगी. अभी यहाँ 3 कर्मचारी हैं. अगर हमें 2 और कर्मचारी मिल जाएँगे, तो भी हम काम चला लेंगे.
कर्मचारियों की कमी भी एक परेशानी है, बात मानी जा सकती है. लेकिन सरकार से मिलने वाली सुविधा बच्चों को नहीं मिल रही है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता. सरकार इस सम्प्रेषण गृह के संचालन लिए बजट भी पूरा देती है. लेकिन उसका फायदा बच्चों से ज्यादा अधिकारी लेते हैं. यहाँ TV से लगाकर खाने-पीने की सारी चीजे जैसे दूध, फल आदि का बजट विभाग को मिलता है. लेकिन बच्चों तक वह नहीं पहुँचता. इस तरह के वाक्ये विभागीय अधिकारीयों की नियत पर सवाल खड़े करते हैं. इस सम्प्रेषण गृह की हालत, किसी कारागृह से भी बदतर है. और बच्चे मजबूर हैं, कई निराश्रित हैं, जो यह गृह छोड़ कहीं जा नहीं सकते.
Wednesday, July 29, 2015
जैन संत सुनील सागर जी महाराज के आशीर्वचनों को सुनने के लिए उमड़ रहे लोग
प्रतापगढ़ में जैन संत सुनील सागर जी महाराज के आशीर्वचनों को सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने सन्मति समवशरण में चली रही व्याख्यानमाला में कहा - "जैसे छोटे बालक को चलने के लिए उंगली का सहारा चाहिए, ठीक उसी प्रकार सांसारिक जीवो को मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए सहारे की जरुरत होती है... और ये सहारा देते है दिगम्बर गुरु जो संसारी जीवो को मोक्षमार्ग पर चलना सिखाते है."
श्रधालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा - "आज इस संसार में बिरले जिव मिलेंगे, जिन्हें किसी सहारे की जरुरत नहीं पडी. जिन्होंने अपने-आप को स्वयं संभाला. लेकिन आज भौतिकता के इस युग में किसी ना किसी के सहारे की जरुरत है. छोटा सा सहारा भी आदमी को बड़ी सफलता दिला सकता है. संसार में भटकते जीवो को आज सहारे की जरुरत है." महाराज ने लोगों को नशा छोड़ने की हिदायत दी. अपने प्रवचनों ने सुनील सागरजी ने कहा - "हम आज सांसारिक कामो में सुख ढूंढते है. हमारी ये सोच है की दूकान और ऑफिस में काम करने से पैसा मिलेगा और वो ही सुख देगा. लेकिन ये सब दुःख के कारण है. असली सुख तो मंदिर में भगवान और गुरु की सेवा में मिलता है. जिस प्रकार बरसते पानी में भी किसान अपने खेतों में काम करता है, अपना कर्तव्य नहीं भूलता है. उसी प्रकार साधकों को भी अपना कर्तव्य नहीं भूलना चाहिए. चाहे कितनी भी मुसीबतें आए. जिनवानी और गुरु सेवा के लिए समय निकालना ही चाहिए. केवल मर कर ही मोक्ष में कोई नहीं जाता है. मोक्ष में जाने के लिए व्रत-संयम सहित समाधि मरण होना चाहिए. ज्ञानीजन जब व्रत लेते है, तो फिर चाहे उनके प्राण ही क्यों न चले जाए, अपने व्रत को पूरा करते हैं. इसलिए जिनवानी का चीन्तन और श्रवण जरूरी है."
प्रतापगढ़ में बारिश ने ढाया कहर! कई पेड गिरे. दर्जन भर भवन क्षतिग्रस्त.
समता टोकिज़ |
सेशन जज के घर की बाउंडरी |
श्याम टांक, सेवादल |
श्याम टाँक, संगठक, सेवा दल : तेज बारिश से परेशानी बढती जा रही है. कई दिनों से बारिश का दौर जारी है. जगह-जगह गिर रहे पेड परेशानी खड़ी कर रहे हैं. प्रशासन को तत्काल राहत देने की व्यवस्था करनी चाहिए.
इधर प्रशासन खुद को आने वाली आपदा के लिए पूरी तरह तैयार बता रहा है. जिला कलेक्टर तमाम सुरक्षा व्यवस्थाओं के होने का दावा कर रहे हैं.
सत्य प्रकाश बसवाला, जिला कलेक्टर : हमारा विभाग किसी भी आपदा के लिए पूरी तरह तैयार है, और कोई भी आपदा आने पर हम उससे निपटेंगे, लोगों को चाहिए कि बारिश में खास सावधानी बरते...
फ़िलहाल लगातार हो रही बारिश से प्रतापगढ़ का जनजीवन बेहद अस्त-व्यस्त हो चला है... लगातार गिर रहे भवन लोगों में डर पैदा कर रहे हैं. प्रशासन को चाहिए कि वे किसी भी अनहोनी के लिए अलर्ट रहें. और लोगों को चाहिए कि वे एहतियात बरत कर रहे...
इधर प्रशासन खुद को आने वाली आपदा के लिए पूरी तरह तैयार बता रहा है. जिला कलेक्टर तमाम सुरक्षा व्यवस्थाओं के होने का दावा कर रहे हैं.
सत्य प्रकाश बसवाला, जिला कलेक्टर : हमारा विभाग किसी भी आपदा के लिए पूरी तरह तैयार है, और कोई भी आपदा आने पर हम उससे निपटेंगे, लोगों को चाहिए कि बारिश में खास सावधानी बरते...
फ़िलहाल लगातार हो रही बारिश से प्रतापगढ़ का जनजीवन बेहद अस्त-व्यस्त हो चला है... लगातार गिर रहे भवन लोगों में डर पैदा कर रहे हैं. प्रशासन को चाहिए कि वे किसी भी अनहोनी के लिए अलर्ट रहें. और लोगों को चाहिए कि वे एहतियात बरत कर रहे...
तेज बारिश से गिरे विद्युत पोल. शहर समेत कई गाँवों की विद्युत ठप्प. लोगों की बढ़ी परेशानी.
प्रतापगढ़ जिले में तेज बारिश से ठप्प होती बिजली बड़ी परेशानी बन कर सामने आ रही है. जिले भर में दर्जनों बिजली के पोल गिर रहे हैं. जिस वजह से जिला मुख्यालय सहित 6 गाँवों की बिजली पूरी तरह ठप्प पड़ी है. तेज बारिश का दौर जिले भर में जारी है. जिस वजह से इधर-उधर गिरते पेड औए विद्युत पोल आम हो चले हैं. पिछले चार दिनों से लगातार मूसलाधार बारिश जारी है. विद्युत पोल गिरने से विद्युत आपूर्ति पूरी तरह चरमरा गई है. लोग इस बाद से बेहद परेशान हैं. क्योंकि कल शाम से ही आपूर्ति बंद है. बिजली गूल होने से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों के काम धंधे ठप्प हैं, तो वहीँ घरों में अँधेरे में लोग रहने को मजबूर हो चले हैं. विद्युत पोल तो बड़ी संख्या में गिरे हैं. लिहाज़ा इतने सरे पोल लगाना विद्युत निगम के लिए भी टेढ़ी खीर बन रहा है. पोल गिरने से करजू, माला की भागल, पूजा की भागल, पीपली खेडा सहित कई आस-पास के गाँवों में बिजली गूल है. तस्वीरों में आप देख सकते हैं, इधर-उधर बिजली एक खम्बे गिरे हैं. प्रतापगर शहर के जीरो माइल चौराहे पर तो लोहे की घुमटीयों पर विद्युत पोल गिरे. गनीमत थी, कि उस वक्त आपूर्ति बंद थी. नहीं तो बड़ा हादसा यहाँ हो सकता था. रोज गिर रहे विद्युत पोल की बात से लोग भी डरे हुए हैं. कुछ लोग विद्युत निगम को दोष दे रहे हैं, तो कुछ लोग मान रहे हैं मौसम के प्रकोप के आगे किसी का बस नहीं चलता.
बारिश ने खोली मिनी सचिवालय की पोल. घटिया सामग्री से किया गया था निर्माण. छत से झरते पानी से कर्मचारी-अधिकारी परेशान!
प्रतापगढ़ का मिनी सचिवालय! जिले का सबसे बड़ा कार्यालय, जिसे करोड़ों रूपए खर्च कर बनाया गया था. लेकिन आज इस भवन की हालत पूरी तरह बदहाल पड़ी है! घटिया सामग्री से बनाए गए इस सचिवालय की पोल बारिश ने खोल कर रख दी है.! जिले में लगातार हो रही बारिश ने मिनी सचिवालय भवन की पोल खोल कर रख दी है. मिनी सचिवालय की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है. बारिश होने से छत टपकने लगी है. और ये हाल किसी एक कोने का नहीं, समुचि बिल्डिंग का है. बिल्डिंग के हर ऑफिस-हर जगह इस तरह पानी टपक रहा है. सचिवालय में आने वाले लोग और काम करने वाले कर्मचारी इस बात से बेहद परेशान है. कर्मचारियों की मुहाली यह है कि उन्हें हर दम झरते पानी के बीच बैठ काम करना होता है. हर दम छत से पानी झरता रहता है, जिससे फाइलों के गीला होने और कंप्यूटर समेत कई इलेक्ट्रोनिक उपकरण के खराब होने का खतरा पैदा हो रहा है. ऐसे में प्रशासन की ओर से कोई कारवाई ना होती देख कर्मचारी इस पानी से बचने के लिए खुद ही उपाय सुझा लेते हैं. कर्मचारी अपनी फाइलों और इलेक्ट्रोनिक उपकरणों को कपड़ों से ढक लेते हैं. जब कपडा ज्यादा गीला हो जाए, तो कपडा बदला जाता है. ऐसे करके जैसे-तैसे कर्मचारी दिन गुजारते हैं. काम से ज्यादा उनका ध्यान फाइलें बचाने में जाता है. क्योंकि छत से बरसती यह आफत वर्षों की मेहनत पर पानी फेर सकती है. खुद कर्मचारियों-अधिकारीयों को टपकते पानी के नीचे काम करना होता है. गीले होकर भी कर्मचारी काम करते रहते हैं.
ऐसा नहीं है कि सचिवालय में काम करने वाले कर्मचारियों-अधिकारीयों ने जिला कलेक्टर को समस्या से अवगत नहीं कराया! कई बार अधिकारी जिला कलेक्टर से इस बारे में बात कर चुके हैं. लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ.
मनोज शर्मा, कर्मचारी : यहाँ पर काफी पानी गिरता रहता है, सारे ऑफिस में गिरता रहता है, बारिश होते ही हालत खराब हो जाती है, अधिकारी अपने रूप में नहीं बैठ सकता, सब टेबल कुर्सी बाहर निकालनी होती है, हम यहाँ बैठ ही नहीं सकते. बारिश में बैठने में दिक्कत आती है, स्टेशनरी नहीं रख सकते, रिकोर्ड गीले हो जाते हैं. सभी हमारे कंप्यूटर सिस्टम हैं, रिकोर्ड है, काफी बार कहा है कलेक्टर साहब से भी, लेकिन समाधान हो नहीं पाता है!
Tuesday, July 28, 2015
प्रतापगढ़ ने जनसंख्या स्थिरीकरण के क्षेत्र में की शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल. धमोतर में जिला स्तरीय समारोह आयोजित.
प्रतापगढ़ ने जनसंख्या स्थिरीकरण के क्षेत्र में शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल कर नई मिसाल कायम की है. अब विभाग प्रतापगढ़ को ऐसा जिला बनाने की कवायद में जुट गया है, जहाँ सबसे कम दर से जनसँख्या वृद्धि हो! जनसंख्या स्थिरीकरण के क्षेत्र में शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल कर प्रतापगढ़ जिले ने राज्य में तीसरा स्थान हासिल किया है. जनसँख्या स्थायित्व, परिवार कल्याण और शिशु-मातृ सेवाओं में प्रतापगढ़ नए आयाम स्थापित कर रहा है. प्रतापगढ़ में महिला-शिशु मृत्यु दर में भी गिरावट आई है. चिकित्सा विभागों के अथक प्रयासों से प्रतापगढ़ ने परिवार कल्याण और शिशु-मातृ सेवाओं के लिए प्रदेश में तीसरा स्थान हांसिल किया है. विभाग अब "जनसँख्या स्थिरीकरण" के फायदों को लोगों तक पहुंचाने में जुट गया है. प्रतापगढ़ लक्ष्य से अधिक काम करके दिखा रहा है, जिसकी सराहना प्रदेश भर में की जा रही है. इस वर्ष जिले ने राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य स्तर से दिए गए नसबंदी लक्ष्य 4227 के विरूद्ध 4235 नसबंदी केस कराते हुए शत-प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त की. इसी के साथ जिले ने अन्य विभागीय गतिविधियों जैसे संस्थागत प्रसव में 95 प्रतिशत, पूर्ण टीकाकरण में 91 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है. सीमित मानव संसाधन होने पर भी जिले के जिला चिकित्सालय, सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्यरत चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाओं के लिए समर्पित स्टाफ की मेहनत से जिले ने यह उल्लेखनीय उपलब्धि पहली बार प्राप्त की है. जिला वर्ष 2014 में चतुर्थ एवं 2013 में पांचवी रैंक पर आ चुका है. अब विभाग ने नया अभियान शुरू किया है. प्रशासन प्रतापगढ़ को ऐसा जिला बनाना चाहता हैं, जहाँ जनसँख्या वृद्धि दर सबसे कम हो.
सत्य प्रकाश बसवाला, जिला कलेक्टर : मुझे बहुत खुशी है कि हमने तीसरा स्थान प्राप्त किया है, अब हम पहला स्थान प्राप्त करने की कवायद करेंगे.
प्रतापगढ़ के मौजूदा हालत देख यह काम आसान भी नजर आ रहा है. क्योंकि यहाँ काफी कम दर से जनसँख्या वृद्धि होती आई है. विभाग ने प्रतापगढ़ को परिवार कल्याण और शिशु-मातृ सेवाओं के लिए प्रदेश में नंबर वन जिला बनाने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए सभी चिकित्सकों और कर्मचारियों को निर्देशित भी किया गया है. धमोतर में आयोजित जिला स्तरीय समारोह में जिला कलेक्टर सत्यप्रकाश बसवाला ने सभी को निर्देशित किया. मौके पर जिला कलेक्टर सत्य प्रकाश बसवाला, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ओ.पी. बैरवा, PMO आर. एस. कछावा, तहसीलदार विनोद मल्होत्रा मौजूद रहे. साथ ही आशा-सहयोगिनी, आंगनवाडी कार्यकर्ता, महिला एवं बाल विकास विभाग से अधिकारी, महिला सुपरवाइजर्स सहित सैंकडों लोगों ने भी भाग लिया. समारोह में वर्ष परिवार कल्याण, मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया गया. जिले में राज्य स्तर से जिले की अरनोद पंचायत समिति को परिवार कल्याण क्षेत्र में लक्ष्य के विरूद्ध 119 प्रतिषत उपलब्धि पर प्रथम स्थान पर चयन करते हुये 4 लाख का पुरस्कार मिला. ऐसे ही जिले के साखथली, नकोर, सियाखेडी, नाड एवं जामली को एक-एक लाख का पुरस्कार दिया गया. जिले की उपलब्धि में विशेष योगदान देने वाले सर्जन टीम के सदस्य एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, आयुर्वेद विभाग के अधिकारी व कार्मिक कुल 55 को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा उपस्थित समस्त जन समुदाय को बेटी बचाओ अभियान की शपथ दिलवाई गई.
बारिश में ठप्प होती बिजली ने अधिकारीयों की नाक में किया दम. कर्मचारियों को किया तैनात.
आपको बतादें कि प्रतापगढ़ में तीन दिनों से बिना रुके बारिश लगातार जारी है. बारिश से जिले के हाल बेहाल हैं. ऐसे में बिजली की नई परेशानी पैदा हो गई है. लगता है मानों बारिश रुकने के साथ ही बिजली की ये नई समस्या खत्म हो पाएगी. फिलहाल लोगों से यही अपील हैं कि किसी भी तरह का फॉल्ट होने पर धीरज बनाए रखें!
एम. डी. चौधरी, अधिशाषी अभियंता, विद्युत निगम : हमारे लाइन मैन सिमित हैं, दो गाडियां और लगाईं हैं, सारी शिकायतों को हल करने के लिए सब लगे हैं. अटेंडर भी और लगाए गए हैं, अब कोई दिक्कत नहीं होगी.
एम. डी. चौधरी, अधिशाषी अभियंता, विद्युत निगम : हमारे लाइन मैन सिमित हैं, दो गाडियां और लगाईं हैं, सारी शिकायतों को हल करने के लिए सब लगे हैं. अटेंडर भी और लगाए गए हैं, अब कोई दिक्कत नहीं होगी.
प्रतापगढ़ में बारिश का कहर बरकरार! नदी-नाले उफान पर, यातायात बाधित, टूटी सड़कें और डूबे खेत!
प्रतापगढ़ में बारिश कहर बरपा रही है. बारिश होने से नदी-नाले तो उफान पर हैं ही, साथ ही घरों में और खेतों में भी पानी घुस आने से अब यह बारिश लोगों के लिए घातक होती जा रही है. प्रतापगढ़ जिले में 3 दिनों से लगातार बिना रुके बरसात हो रही है. लिहाज़ा हर तरफ बस पानी-पानी है. इस बारिश से जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो चला है. ग्रामीण इलाकों में दिक्कतें बढती जा रही है. टूटी सड़कों पर बारिश की मार भारी पड़ रही है. कई नदी-नाले उफान पर हैं. लोगों के घरों में पानी घुस रहा है. साथ ही कई किसानों को फिर चिंता सताने लगी है. बारिश आने से फसलें डूबने लगी है. इस बारिश ने कई लोगों की जान ले ली है. इन तीन दिनों में अलग-अलग जगह चार लोग पानी में बहे. जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. कहीं पुलिया पर बहता पानी, कहीं नदी-नाले उफान पर तो कहीं मार्ग बाधित. इसी तरह के हालात प्रतापगढ़ जिले में बने हुए हैं. तड़के से ही क्षेत्र में मूसलाधार बारिश का दौर शुरू हो गया. इससे नदी-नाले उफान पर आ गए. अरनोद क्षेत्र में शिवना नदी भी पहली बार उफान पर रही. उपखंड के मध्यप्रदेश से सटे इलाकों में मूसलाधार बारिश का दौर शाम तक जारी है. प्रतापगढ़-पिपलौदा मार्ग स्थित निनोर पुलिया पर पानी बहने से सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक मार्ग बाधित रहा. यहां हाल ही में बनी पुलिया भी टूट गई. शिवना नदी उफान पर रहने से आसपास के खेतों में फसलें जलमग्न हो गई. अब तक के बारिश के आंकड़े-
प्रतापगढ़ 441 mm
अरनोद 518 mm
छोटीसादडी 541 mm
धरियावद 352 mm
पीपलखूंट 384 mm
इस बार सबसे ज्यादा बारिश अरनोद में हुई है. अभी तक जिले में कुल औसत 408.68 mm बारिश हुई. बारिश से मुख्य मार्ग से जुड़े गांवों को जोडऩे वाले मार्ग भी बाधित हो रहे हैं. जिले के पीपलखूंट क्षेत्र में केलामेला मार्ग की पुलिया टूटने से आवागमन बंद हो गया. कई तालाब इस बारिश में लबालब हो गए है. अरनोद उपखंड के निनोर, जिरावता आदि गांवों में घरों में पानी घुस गया. जिले का प्रमुख दर्शनीय स्थल जाखम बाँध भी पानी से लबालब हो रहा है. जाखम बंद में 55.79 % पानी भर चूका है. बारिश आने से सुखाडिया स्टेडियम के हाल भी बदहाल हो गए हैं. प्रतापगढ़ का हायर सेकंडरी स्कूल और सुखाडिया स्टेडियम मानों स्विमिंग पूल बन गया है. सप्ताह भर पहले हाल यह था कि लोग बारिश के लिए तरस रहे थे, फसलें सुख रही थी, हर जगह मन्नतों का दौर जारी था. लेकिन अब लोग बारिश के रुकने की कामना कर रहे हैं. क्योंकि अब यह हर किसी के लिए बारिश घातक होती जा रही है!
अपराधियों के हौंसले बुलंद. पुलिस पर तानी बन्दूक. बाइक छोड़ फरार हुए अपराधी.
प्रतापगढ़ पुलिस ने फिर वारदात को अंजाम देने जा रहे अपराधियों को रोका है. पुलिस गश्त पर थी, तभी कुछ बाइक सवार संदिग्ध नज़र आए! पीछा किया तो बाइक सवारों ने पुलिस पर बन्दूक तान कर धमकाना शुरू कर दिया.
प्रतापगढ SHO ज्ञानचंद अपने पुलिस कर्मियों के साथ गश्त पर थे. इसी दरमियान एक बिना नम्बरी बाइक गंधेर से आती दिखी. बाइक पर तीन लोग सवार थे. संदेह होने पर पुलिस कर्मियों ने बाइक का पीछा किया. पुलिस को देख बाइक सवारों ने रफ़्तार बढ़ा ली और बाइक को पुरानी सिविल लाइन्स की गलियों में भगाने लगे. झांसडी रोड पर पीछा करने के दौरान बाइक पर बीच में बैठे युवक ने पुलिस की ओर बन्दूक तान दी... और गोली चलाने की धमकी देने लगा. लेकिन पुलिस ने बहादुरी दिखाई और अपना बचाव करते हुए बाइक का पीछा जारी रखा. आगे झांसडी मार्ग पर अपराधी बाइक छोड़ अपराधी फरार हो गए. पुलिस ने तत्काल बाइक को बरामद किया. अज्ञात तीनों लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस मान रही है कि एक बार फिर उन्होंने किसी वारदात को होने से रोका है. पुलिस ने अंदेशा जताया है कि तीनों युवकों के पास हथियार थे, और किसी वारदात को अंजाम देने वाले थे. आपको बता दें कि प्रतापगढ़ अवैध हथियारों का गढ़ बन गया है. और खुले आम फायर करना, डराना-धमकाना आम हो चला है.
ज्ञान चंद, SHO, प्रतापगढ़ : हम गश्त पर थे, एक बाइक दिखी तो पीछा किया, उसने पुरानी सिविल लाइन्स की गलियों में बाइक भगाई, फिर आगे रोड पर जाकर हम पर बन्दूक तान दी, फिर बाइक छोड़ कर भाग गए, हमने बाइक जब्त की... उनके पास हथियार थे, और तीनों के पास हथियार हो सकते थे...
Sunday, July 26, 2015
प्रतापगढ़ में मिड-डे-मिल योजना की खुली पोल. घटिया सामग्री से बनाया जाता है पोषाहार. ठेकेदारों की घपलेबाजी भी आई सामने. खास रिपोर्ट!
सरकारी स्कूलों में चलाई जाने वाली मिड-डे-मिल योजना! योजना का मकसद बच्चों को स्कूलों से जोड़े रखना. लेकिन यह योजना एक बार फिर सवालों के घेरे में है. मिड-डे-मिल में बनने वाले खाने से स्कूल बिमारियों का घर बने हुए है. इस ख़ास रिपोर्ट में बताएंगे मिड-डे-मिल में बनने वाले घटिया खाने के बारे में! और बताएंगे कैसे इस योजना में ठेकेदारों की चांदी हो रही है.
स्कूलों में पोषाहार योजना यानि मिड-डे-मिल का मकसद है - गरीब परिवारों के बच्चों को स्कूल तक लाना... और पोषाहार का मतलब है - पौष्टिक आहार. लेकिन स्कूलों में मिलने वाला खाना पोषण देने वाला नहीं है. बजाय, यह खाना बच्चों के लिए खतरे का सबब बना हुआ है. प्रतापगढ़ जिले के स्कूलों में खाना खाकर बच्चे बीमार हो रहे हैं. स्कूलों में धडल्ले से घटिया सामग्री से पोषाहार बनाया जा रहा है. स्कूलों में खाना बनाने के लिए घटिया क्वालिटी के गेंहू का इस्तेमाल हो रहा है. सरकारी स्कूलों को मुख्यालय के सख्त निर्देश हैं कि मिड-डे-मिल में आने वाला अनाज उत्तम क्वालिटी का हो. साथ ही इसके लिए समय-समय पर जांच हो. लेकिन ऐसा होता नहीं! मिड-डे-मिल के तहत स्कूलों में अनाज ठेकेदार के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है. इसके बाद खाने से लगाकर उसकी क्वालिटी तक की सारी ज़िम्मेदारी उसी ठेकेदार की होती है. लेकिन मुनाफाखोरी के लालच में ठेकेदार घटिया क्वालिटी के गेंहू स्कूलों में पहुंचाते हैं. क्योंकि ये घटिया क्वालिटी के गेंहू कम दाम पर मिल जाते हैं. यह बच्चे इस बात से अंजान हैं... कि स्कूल इन्हें मिलने वाली रोटी खतरे से खली नहीं है. बात यहीं ख़त्म नहीं होती, स्कूलों में पहुँचने वाले गेंहू-चावल में भी घपलेबाजी परवान पर है.
50-50 किलो की बोरियों में महज़ 35 से 45 किलो गेंहू और चावल निकलते है... और बिल 50 किलो का थमा दिया जाता है. यानि की ठेकेदार अमूमन 10 किलो गेंहू का पैसा डकार जाता है. यही नहीं, किसी को शक न हो, इसलिए अध्यापकों की अनुपस्थिति में ही ठेकेदार स्कूलों में गेंहू डालने आते हैं. पहला मामला झेलदा प्राथमिक विद्यालय का है. यहाँ 50 किलो गेंहू-चावल के बिल उठाए गए हैं. लेकिन तौलने पर वजन 42 किलो सामने आया. दूसरा मामला नला के विद्यालय से है. जहाँ रसीद में गेंहू की सप्लाई 50 किलो बताई ग़ई. लेकिन तौलने पर असली वजन 40 किलो निकला. इसके बाद जवाहर नगर और महुडीखेडा के पोषाहार की पड़ताल में भी इसी तरह का सच सामने आया. एक बोरी पर आराम से ठेकेदार 10 किलो गायब करते हैं. स्कूलों में कम मात्रा में पोषाहार पहुँच रहा है. और जो पहुँच रहा है, वो खाने के लायक नहीं है. इस बात से खुद अध्यापक परेशान हैं. अध्यापकों का कहना है कि अनाज कम मात्रा में पहुँच रहा है... और घटिया क्वालिटी होने से इस अनाज को खाकर बच्चे बीमार हो रहे हैं.
बाईट - 1 - मनोज मोची, शिक्षक : पोषाहार सप्लायर जब आए तब मैं नोडल पर था, उस समय पोषाहार सप्लायर ने गेंहू कम मात्रा में डाले, फिर क्वालिटी भी ख़राब थी, मैं आया तब तक ठेकेदार जा चूका था, सहायक अध्यापिका ने रसीद दी तो उसमे 50-50 किलो लिखा था, लेकिन मात्रा चेक की तो कम निकली, गेंहू 45-45 किलो थे, और चावल भी 45-45 किलो निकले, मैंने ब्लोक शिक्षा अधिकारी को कहा तो उन्होंने कहा की पूरा माल लीजिए, मैं ठेकेदार के पीछे गया और कहा कि माल सही डालिए, मैं इस माल को नहीं ले जा सकता.
बाईट - 2 - मनोज मोची, शिक्षक : एक तरह तो जो मांग थी, उसके अनुरूप पोशःर नहीं दिया, और जो दिया वो भी घटिया दिया, अब मैं इससे कैसे भोजन बनाऊ, बनाना मजबूरी हो गई है, बच्चे खा पर बीमार हो रहे हैं, सबसे निचे पायदान पर शिक्षक हैं, इसलिए फिर सारी ज़िम्मेदारी भी हम ही पर आ जाती है.
बाईट - 3 - मनोहर लाल, शिक्षक : गेंहू जो है, वो घटिया क्वालिटी के है, 50 किलो नहीं है, 40-45 किलो ही हैं, हम इसका क्या कर सके हैं, हम खुद सोच में हैं की कैसे खिलाएं, बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है, गेंहू की क्वालिटी बहुत घटिया है.
बाईट - 4 - महेश शर्मा, शिक्षक : नल में जो गेंहू है, वो वजन में भी कम हिया, 40 किलो ही मिलते हैं, गेंहू की क्वालिटी भी खराब है, खिलने पर बच्चों को फ़ूड पोइजन भी हो सकता है.
VO. 2 : अध्यापकों के साथ-साथ अभिभावकों में भी घटिया पोषाहार के प्रति रोष है. अभिभावकों का कहना है कि बच्चे घटिया पोषाहार खाकर बीमार होंगे, तो ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
बाईट - 5 - बाबूलाल मीणा, अभिभावक : स्कूलों में मेरा बच्चा पढ़ रहा है, स्कूल में घटिया खाना बन रहा है, बच्चा कैसे खाएगा! और बीमार होगा तो ज़िम्मेदारी कौन लेगा.
VO. 3 : प्रशासन के ढीले रवैये से इस तरह के ठेकेदारों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं. जब हमने अधिकारीयों से इस बारे में बात की, तो उन्होंने आश्वासन का बस्ता थमा दिया.
बाईट - 6 - भावे लाल शर्मा, ब्लोक शिक्षा अधिकारी : विद्यालयों में हम पोषाहार व्यवस्था को ठीक करेंगे, अच्छी व्यवस्था करेंगे, सभी को सरकारी नियमों की पालन के निर्देश दिए जाएंगे, जहाँ निर्देश पालन नहीं होंगे, वहां सख्ती से कारवाई की जाएगी. किसी भी हालत में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
बाईट - 7 - दुर्गा सुखवाल, जिला शिक्षा अधिकारी : मैं खुद भी पूछती हूँ, और अरनोद का तो लार्ज स्केल पर मामला सामने आया है.. वहाँ तो तोल कर ही नहीं देते, यह सप्लायर की गड़बड़ी है, इसके सुधार के लिए स्कूलों से रसीद मांगी है. ब्लोक अधिकारीयों को भी निर्देशित किया है कि सारे माल की रसीद दिखाई जाए. डिमांड भी दिखाई जाए. ठेकेदारों के खिलाफ कारवाई करना मेरे क्षेत्र में नहीं है... हम तो सूचनाएं दे रहे हैं, जो भी सुचना प्राप्त हुई, उस पर कारवाई का अधिकार हमारे पास नहीं है... यह काम कार्यकारी अधिकारी का है.
VO. 4 : शिक्षा अधिकारीयों ने भी इस बात पर मोहर लगाई कि स्कूलों में घटिया और कम मात्रा में पोषाहार पहुँच रहा है. लेकिन कारवाई की ज़िम्मेदारी का ठीकरा कार्यकारी अधिकारी पर लाकर फोड़ दिया. अब कारवाई के लिए ज़िम्मेदार कार्यकारी अधिकारी की दलील भी सुन लीजिये. जो इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं, कि स्कूलों में कम मात्रा में और घटिया पोषाहार पहुँच रहा है.
बाईट - 8 - रामेश्वर मीणा, अतिरिक्त कार्यकारी अधिकारी : जो भी गेंहू उठाते हैं, अच्छी क्वालिटी के गेंहू ही लाते हैं, सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को निर्देश हैं, कि गेंहू तोल कर ही लें, अगर तोल कर नहीं देता है, तो कारवाई करें. पोषाहार की गुणवत्ता के लिए टीम गठित की हुई है. शिक्षा अधिकारीयों की देख-रेख में सप्लाई होती है. लेकिन कोई गड़बड़ है, तो निश्चित रूप से कारवाई करेंगे. समय-समय पर निरिक्षण भी करते हैं.
VO. 5 : अधिकारी के अनुसार समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है. अगर वाकई में निरीक्षण होता है. तो व्यवस्था क्यों नहीं सुधरती. कहीं निरीक्षकों की नियत में तो गडबड नहीं? सरकार स्कूलो में पोषाहार के लिए खूब पैसे खर्च कर रही है. लेकिन ठेकेदारों की धांधली की वजह से योजना का फायदा बच्चों तक नहीं पहुँच रहा. बच्चों का अनाज ठेकेदार खा जाते हैं, जो बचा-कूचा बच्चों को मिलता है, वह भी खतरे से खाली नहीं होता. यह हाल जिले भर के स्कूलों का हैं. हमारी पड़ताल के अनुसार घपलेबाजी और घटिया पोषाहार में धरियावद और अरनोद के स्कूल सबसे आगे हैं, इसके बाद प्रतापगढ़, छोटी-सादडी और पीपलखूंट के स्कूल आते हैं. मिड-डे-मिल योजना शुरू से ही सवालों में रही है. स्कूलों को बच्चों का स्वास्थ्य चेक करते रहने के भी सख्त निर्देश हैं. लेकिन कई स्कूलों में वर्षों से स्वास्थ्य परिक्षण हुआ ही नहीं. सूत्रों के मुताबिक़ पूर्व में कुछ ठेकेदारों के खिलाफ कारवाई तो हुई, लेकिन अधिकारीयों की मिली-भगत से मामला रफा-दफा कर दिया गया. यही नहीं, स्कूलों में मेन्यू के मुताबिक़ खाना नहीं दिया जाता. खाने में मौसमी सब्जियों का अक्सर अभाव रहता है. अधिकतर स्कूल दाल-रोटी से काम चला लेते हैं. कई स्कूलों से तो बच्चों की यह भी शिकायत आती रही है, कि उन्हें चावल तक नहीं खिलाए जाते. और कई किलो चावल अध्यापक घर ले जाते हैं. ऐसी कई वजह हैं जिससे मिड-डे-मिल योजना बदहाल हो चली है. सरकार को चाहिए कि मिड-डे-मिल व्यवस्था में सुधार करें. ताकि योजना का लाभ बच्चों को मिल सके.
PRAVESH PARDESHI (प्रवेश परदेशी)
ZEE MEDIA
PRATAPGARH
Saturday, July 25, 2015
अफीम तस्करी पर पुलिस की कारवाई. 570 ग्राम अवैध अफीम ले जाता युवक गिरफ्तार. प्रतापगढ़ से बांसवाडा ले जा रहा था अफीम.
प्रतापगढ़ पुलिस ने अफीम तस्करी के खिलाफ कारवाई है. पुलिस ने 570 ग्राम अवैध अफीम ले जाते युवक को गिरफ्तार किया है. पुलिस को सुचना मिली थी कि राठान्जना थाना क्षेत्र के गर्दोडी का रहने वाला मनोहर मोटरसाइकिल पर अफीम ले जा रहा है. सूचना मिलने पर उप निरीक्षक ज्ञानचन्द मय जाब्ता नाकाबंदी करने पहुंचे. नाकाबंदी के दौरान एक मोटरसाइकिल को रुकवाया गया. मोटरसाइकिल सवार युवक से पूछताछ करने पर उसने संतोषप्रद जवाब नहीं दिया. युवक ने अपना नाम मनोहर बताया. ऐसे में पुलिस का शक और मजबूत हो गया. युवक की तलाशी लेने पर 570 ग्राम अवैध अफीम हाथ लगी. मोटरसाईकिल को प्रकरण में जब्त किया और अभियुक्त मनोहर को गिरफ्तार किया. पूछताछ पर मनोहर ने यह अवैध अफीम प्रतापगढ़ के ही सुरेश से प्राप्त करना बताया. युवक इस अफीम को लेकर बांसवाडा की ओर जा रहा था. और मुह-मांगे दाम पर बेचने की फिराक में था. सुरेश की तलाष में भी पुलिस द्वारा दबिश दी गई लेकिन वह नहीं मिला. NDPS एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच की जा रही हैं. सुरेष पूर्व में भी तस्करी के कई प्रकरणों में लिप्त रहा हैं.
बाईट - ज्ञान चंद, वृत्त अधिकारी : हमें सुचना मिली थी की एक युवक है जो अफीम ले जा रहा है, नाकाबंदी कर एक युवक की तलाशी ली गई, उसके पास 570 ग्राम अफीम मिली, युवक को गिरफ्तार किया और बाइक जब्त की. (सारी बात)
धरियावद प्रशासन की लापरवाही. पंचायत समिति लोगों को कर रही गुमराह. गलत जानकारी की जा रही चस्पा!
प्रशासन की ज़िम्मेदारी होती है, लोगों को सही ज्ञान देना, या फिर सही सुचना देना! लेकिन प्रतापगढ़ में नज़ारे कुछ ओर ही तस्वीर बयां कर रहे हैं.
प्रतापगढ़ प्रशासन अपनी ज़िम्मेदारी को शायद ठीक से समझ नहीं पा रहा है. हर अधिकारी को अपने-अपने विभागों के बहर विभाग सम्बन्धी जानकारी चस्पा करनी होती है. जिसको अच्छे से चेक करना भी उसी अधिकारी की ज़िम्मेदारी होती है. धरियावद की तस्वीर पर नजर डालते हैं. धरियावाद पंचायत में 38 ग्राम पंचायत आती है. लेकिन पंचायत समिति के पास चस्पा जानकारी में महज़ 31 ग्राम पंचायतो के नाम लिखे हैं. जिससे आने-जाने वाले लोग गुमराह हो रहे हैं. और ग्राम पंचायत की संख्या के साथ हमेशा संदेहात्मक स्थिति बनी रहती है.
इस तरह के कई विभाग है जो गलत जानकारी दे रहे हैं. अटल सेवा केंद्र बने लम्बा समय गुजर चूका है, लेकिन राजीव गाँधी सेवा केंद्र के बोर्ड आज भी लगे देखे जा सकते हैं. अधिकारीयों को चाहिए कि विभागीय व्यवस्था को दुरुस्त करे... और सही सुचना प्रेषित करे. ताकि विभाग के प्रति लोगों की विश्वसनीयता भंग न हो!
बाईट - नरेन्द्र सिंह, विकास अधिकारी : पंचायत समिति में पहले 31 थी, अब 38 हुई हैं, सात नाम नए नहीं जोड़े गए हैं, वो गलती से रह गए हैं... वो आज ही ठीक करवा देंगे.
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