Tuesday, July 28, 2015

प्रतापगढ़ में बारिश का कहर बरकरार! नदी-नाले उफान पर, यातायात बाधित, टूटी सड़कें और डूबे खेत!










प्रतापगढ़ में बारिश कहर बरपा रही है. बारिश होने से नदी-नाले तो उफान पर हैं ही, साथ ही घरों में और खेतों में भी पानी घुस आने से अब यह बारिश लोगों के लिए घातक होती जा रही है. प्रतापगढ़ जिले में 3 दिनों से लगातार बिना रुके बरसात हो रही है. लिहाज़ा हर तरफ बस पानी-पानी है. इस बारिश से जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो चला है. ग्रामीण इलाकों में दिक्कतें बढती जा रही है. टूटी सड़कों पर बारिश की मार भारी पड़ रही है. कई नदी-नाले उफान पर हैं. लोगों के घरों में पानी घुस रहा है. साथ ही कई किसानों को फिर चिंता सताने लगी है. बारिश आने से फसलें डूबने लगी है. इस बारिश ने कई लोगों की जान ले ली है. इन तीन दिनों में अलग-अलग जगह चार लोग पानी में बहे. जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. कहीं पुलिया पर बहता पानी, कहीं नदी-नाले उफान पर तो कहीं मार्ग बाधित. इसी तरह के हालात प्रतापगढ़ जिले में बने हुए हैं. तड़के से ही क्षेत्र में मूसलाधार बारिश का दौर शुरू हो गया. इससे नदी-नाले उफान पर आ गए. अरनोद क्षेत्र में शिवना नदी भी पहली बार उफान पर रही. उपखंड के मध्यप्रदेश से सटे इलाकों में मूसलाधार बारिश का दौर शाम तक जारी है. प्रतापगढ़-पिपलौदा मार्ग स्थित निनोर पुलिया पर पानी बहने से सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक मार्ग बाधित रहा. यहां हाल ही में बनी पुलिया भी टूट गई. शिवना नदी उफान पर रहने से आसपास के खेतों में फसलें जलमग्न हो गई. अब तक के बारिश के आंकड़े-

प्रतापगढ़ 441 mm
अरनोद 518 mm
छोटीसादडी 541 mm
धरियावद 352 mm
पीपलखूंट 384 mm


इस बार सबसे ज्यादा बारिश अरनोद में हुई है. अभी तक जिले में कुल औसत 408.68 mm बारिश हुई. बारिश से मुख्य मार्ग से जुड़े गांवों को जोडऩे वाले मार्ग भी बाधित हो रहे हैं. जिले के पीपलखूंट क्षेत्र में केलामेला मार्ग की पुलिया टूटने से आवागमन बंद हो गया. कई तालाब इस बारिश में लबालब हो गए है. अरनोद उपखंड के निनोर, जिरावता आदि गांवों में घरों में पानी घुस गया. जिले का प्रमुख दर्शनीय स्थल जाखम बाँध भी पानी से लबालब हो रहा है. जाखम बंद में 55.79 % पानी भर चूका है. बारिश आने से सुखाडिया स्टेडियम के हाल भी बदहाल हो गए हैं. प्रतापगढ़ का हायर सेकंडरी स्कूल और सुखाडिया स्टेडियम मानों स्विमिंग पूल बन गया है. सप्ताह भर पहले हाल यह था कि लोग बारिश के लिए तरस रहे थे, फसलें सुख रही थी, हर जगह मन्नतों का दौर जारी था. लेकिन अब लोग बारिश के रुकने की कामना कर रहे हैं. क्योंकि अब यह हर किसी के लिए बारिश घातक होती जा रही है!


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