Thursday, July 23, 2015

देश के लिए मिसाल बना प्रतापगढ़ का धरियावद. पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या ज्यादा. देखिए इस आदर्श इलाके की खास रिपोर्ट!



बेटियों को कोख में मार देने की घटनाएं आम हो चली है. आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल फिमेल चाइल्ड अबोर्शन के लिए धड़ल्ले से हो रहा है. और बेटियों की कम होती संख्या एक चिंता का विषय है. लेकिन आज हम आपको ऐसी जगह से रूबरू कराने जा रहे हैं, जहां महिलाओं की संख्या पुरुषों की संख्या से कहीं ज्यादा है...! देखिए इस आदर्श इलाके की कहानी!

प्रतापगढ़ के धरियावद में महिलाओं की संख्या ने रिकोर्ड तोड़ दिए हैं. सुनने में ताजुब जरुर होगा, लेकिन यह सच है. शहर में ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में भी महिलाओं की संख्या पुरुषों से कहीं ज्यादा है, जहां बेटियों को अक्सर मार दिया जाता है. धरियावद उन सभी लोगों के लिए आदर्श है जो बेटियों को कोख में मार देते हैं. एक तरफ बेटियों की कम होती संख्या पर चिंता जताई जा रही है. वहीँ दूसरी ओर धरियावद ने ऐसा शहर और ऐसा गाँव होने की मिसाल कायम की है, जहाँ महिलाओं की संख्या पुरुषों की संख्या को मात दे रही है. यही नहीं, यहाँ गत कई वर्षों से एक भी भ्रूण हत्या का मामला नहीं आया. धरियावाद उपखंड के 168 गाँवों की कुल जनसँख्या 1,89,872 है. जिनमे 94,500 पुरुष हैं और 95,372 महिलाऐं! हैं न चौकाने वाला आंकड़ा? यानी कुल जनसँख्या में 49.77 प्रतिशत पुरुष हैं और 50.23 प्रतिशत महिलाऐं! यही नहीं, आस पास के कई गाँव जैसे अम्बरेटी, झरना, गगरी, केलि, चारी, बोराज, भानावाता, चिटोरिया कलां, धोली मगरी जैसे कई गाँव हैं, जहाँ महिलाओं की संख्या पुरुषों की संख्या से कहीं ज्यादा है. गाँवों में अक्सर बेटियों को पसंद नहीं किया जाता, लेकिन धरियावाद के गाँवों में तो बेटियां ही बेटियां है. 

SHANTI LAL JAIN, TAHSILDAR : धरियावाद की जनसँख्या में कुल 168 गाँवों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है, यहाँ महिला जनसँख्या की बहुत खूब स्थिति देखने को मिलती है.

सच में! धरियावद के मेल-फिमेल रेशिओ ने तो सभी को मात दे दी है. धरियावद की महिला जनसँख्या उन लोगों के गाल पर तमाचा है, जो बेटियों को कोख में ही मार देते हैं. हमें भी धरियावद से सिख लेनी चाहिए, और यहाँ के लोगों की तरह बेटियों को बचाने के लिए आगे आना चाहिए.

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