Thursday, July 23, 2015

बारिश शुरू होते ही राजकीय बालक छात्रावास की बदहाली आई सामने. छतों से टपकने लगा पानी. छात्रों की मुसीबत बढ़ी.

प्रतापगढ़ में बारिश की शुरुआत होते ही राजकीय बालक छात्रावास की बदहाली सामने आने लगी है. छतों से टपकती पानी की बुँदे घटिया निर्माण की पोल खोल रही है. छात्रावस में टपकता पानी और मरे कबूतर यहाँ की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

यह जो आप देख रहे हैं, यह जिले का सबसे बड़ा राजकीय बालक छात्रावास है. इसकी बदहाली देख कर आपको भी तरस आएगा. बारिश शुरू होते ही यहाँ छतें टपकने लगी है. हर पल यहाँ छत से पानी टपकता है. दीवारों में पानी होने से इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड पर भी करंट लगने का खतरा पैदा होता है. इस छात्रावास में पढ़ने वाले 95 छात्र परेशान होने को मजबूर हैं. हाल ही में प्रादेशिक टीम ने छात्रावास का निरिक्षण किया... और सारी व्यवस्था दुरुस्त करने की बात भी कही. लेकिन हुआ कुछ नहीं. छतों से पानी टपक रहा है, इधर-उधर कबूतर मरे पड़े हैं.

जगदीश मीणा, विभागीय कर्मचारी : यहाँ फाइलें गीली होती है, बारिश होती है तो परेशानी बढ़ जाती है.

छात्रावास अधिकारी ने सारा ठीकरा बजट पर लाकर फ़ोड दिया. अधीक्षक का कहना है कि उनके पास मरम्मत के लिए बजट नही है. बजट मिलेगा, तो ही काम होगा!

किशोर चन्द्र, छात्रावास अधीक्षक : यह बिल्डिंग बड़ी पुरानी है, 1956 कि है, इसलिए हालत खराब है, बजट आएगा तो सारा काम होगा, अभी बजट नहीं मिला है.

छात्रावास का यह भवन 1956 में बनाया गया था. गुज़रे सालों में बार-बार मेंटेनेंस पर खर्च होना, और फिर भी हालात जस के तस बने रहना, अधिकारीयों की नियत पर भी सवाल खड़े करता है. अधिकारी को चाहिए कि बजट के लिए मुख्यालय को अवगत कराए. क्योंकि 2 दिनों बाद छात्र यहाँ रहने आएँगे. और सारी अव्यवस्थाओं का खामियाजा उन्हें ही भुगतना होगा.

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