Wednesday, July 15, 2015

दर-दर की ठोकरे खा रहे निर्माण मजदूर




कार्यक्षेत्र कोई भी हो... गरीब मजदूरों का शोषण आम हो चला है! प्रतापगढ़ में खुद प्रशासन श्रमिकों का शोषण कर रहा है. निर्माण मजदूरों से काम तो करवा लिया गया है, लेकिन नवीनीकरण के अभाव में कई मजदूरों का भुगतान अटका पडा है. लिहाज़ा इन गरीब मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है.

गरीब मजदूर करे भी तो क्या करे! समाज के हर वर्ग में इनका शोषण होता आया है. प्रतापगढ़ में निर्माण मजदूर दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. मजदूर वर्ग के विकास को सरकार भी गंभीरता से नहीं लेती. इन गरीबों के पास अब आन्दोलन के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. इन मजदूरों का कहना है कि केंद्र में इनके लिए 10 सालों पहले विशेष क़ानून लागू हुआ था. लेकिन सब दिखावा साबित हुआ. गौतलब है कि निर्माण मजदूरों के लिए प्रदेश में मजदूरों के नाम के करोड़ों बकाया हैं. प्रतापगढ़ में मजदूरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है. नए नियमों के तहत पंजीयन के नवीनीकरण के बाद ही भुगतान हो सकेगा. 6 अगस्त 2015 तक जिनका रजिस्ट्रेशन हो गया है, उनका नवीनीकरण होगा. जिनका नहीं हुआ, उनका नवीनीकरण नहीं होगा. समस्या यह है, कि श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन करने के लिए कर्मचारी ही नहीं है. ऐसे में सवाल ये कि कैसे इन मजदूरों का रजिस्ट्रेशन होगा? और कैसे इन्हें भुगतान मिलेगा? सरकारी जटिल प्रक्रिया में मजदूर पिसते नजर आ रहे हैं. इन श्रमिकों का यह भी कहना है कि नवीनीकरण के नाम पर 50 लोगों की डायरी विभाग के पास गत 2 सालों से जमा है, लेकिन आज तक नवीनीकरण नहीं हुआ है. मजदूरों ने करीब 2000 लोगों के हितों में आवेदन किए हुए हैं. नियम तो यह भी हैं कि 30 दिन में विभाग को नवीनीकरण कर डायरी लौटानी होती है. लेकिन विभाग नियमों का सरासर उल्लंघन कर रहा है. और 2 साल गुजर जाने के बावजूद नवीनीकरण नहीं किया गया है. जिसके अभाव में भुगतान नहीं हो सकेगा! सरकार ने सालाना नवीनीकरण को आवश्यक बना दिया है. लेकिन नवीनीकरण के लिए विभाग में कर्मचारी न हो, तो इस काम को अंजाम कैसे दिया जाएगा. मजदूर संघ का यह भी कहना है कि तमाम विभागीय औपचारिकताओं के लिए मजदूर पैसे खर्च कर जिला मुख्यालय आते हैं. और उन्हें मिलता है तो कुछ नहीं! विभाग की लापरवाही की वजह से मजदूर शोषित महसूस कर रहे हैं. और गुजर-बसर कर पाना भी इनके लिए मुश्किल हो रहा है.

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