Wednesday, July 29, 2015

जैन संत सुनील सागर जी महाराज के आशीर्वचनों को सुनने के लिए उमड़ रहे लोग




प्रतापगढ़ में जैन संत सुनील सागर जी महाराज के आशीर्वचनों को सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने सन्मति समवशरण में चली रही व्याख्यानमाला में कहा - "जैसे छोटे बालक को चलने के लिए उंगली का सहारा चाहिए, ठीक उसी प्रकार सांसारिक जीवो को मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए सहारे की जरुरत होती है... और ये सहारा देते है दिगम्बर गुरु जो संसारी जीवो को मोक्षमार्ग पर चलना सिखाते है." 


श्रधालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा - "आज इस संसार में बिरले जिव मिलेंगे, जिन्हें किसी सहारे की जरुरत नहीं पडी. जिन्होंने अपने-आप को स्वयं संभाला. लेकिन आज भौतिकता के इस युग में किसी ना किसी के सहारे की जरुरत है. छोटा सा सहारा भी आदमी को बड़ी सफलता दिला सकता है. संसार में भटकते जीवो को आज सहारे की जरुरत है." महाराज ने लोगों को नशा छोड़ने की हिदायत दी. अपने प्रवचनों ने सुनील सागरजी ने कहा - "हम आज सांसारिक कामो में सुख ढूंढते है. हमारी ये सोच है की दूकान और ऑफिस में काम करने से पैसा मिलेगा और वो ही सुख देगा. लेकिन ये सब दुःख के कारण है. असली सुख तो मंदिर में भगवान और गुरु की सेवा में मिलता है. जिस प्रकार बरसते पानी में भी किसान अपने खेतों में काम करता है, अपना कर्तव्य नहीं भूलता है. उसी प्रकार साधकों को भी अपना कर्तव्य नहीं भूलना चाहिए. चाहे कितनी भी मुसीबतें आए. जिनवानी और गुरु सेवा के लिए समय निकालना ही चाहिए. केवल मर कर ही मोक्ष में कोई नहीं जाता है. मोक्ष में जाने के लिए व्रत-संयम सहित समाधि मरण होना चाहिए. ज्ञानीजन जब व्रत लेते है, तो फिर चाहे उनके प्राण ही क्यों न चले जाए, अपने व्रत को पूरा करते हैं. इसलिए जिनवानी का चीन्तन और श्रवण जरूरी है."

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