सरकार कृषि और कृषि सम्बन्धी पढ़ाई को प्रोत्साहन देने की बात भले कहती हो, लेकिन उन इलाकों में आज भी कृषि विज्ञान की पढ़ाई बदहाल है, जहाँ उन्हें सबसे ज्यादा प्रोत्साहन की ज़रूरत है. प्रतापगढ़ में कृषि विज्ञान पढने वाले छात्रों का भविष्य अन्धकार में. 100 से 150 छात्र-छात्राएं ऐसे हैं, जिनके सामने अब कोई रास्ता नहीं बचा है. वे एडमिशन के लिए अब दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. कृषि विज्ञान की पढ़ाई को बढ़ावा देने की बातें जनप्रतिनिधियों और अधिकारीयों से आपने अक्सर सुनी होंगी. लेकिन यह बाते कितनी सच है, इसकी बानगी पेश आती है प्रतापगढ़ में. जहाँ के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कृषि विज्ञान पढने के लिए संकाय ही नहीं है. यहाँ कृषि विज्ञान पढ़ने वाले व्याख्याता नहीं है. लिहाज़ा 12वीं कक्षा में कृषि विज्ञान पढने वाले छात्र अब कोलेज में एडमिशन के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. प्रतापगढ़ जिले के किसी कोलेज में कृषि विज्ञान संकाय नहीं पढाया जाता. इन छात्र-छात्रों को उम्मीद थी कि यह भविष्य में कृषि वैज्ञानिक बनेंगे. लेकिन अब इन्हें अपना भविष्य अन्धकार में नजर आ रहा है. इन्होने शहर के आदर्श विद्यालय से कृषि विज्ञान संकाय में 12 वीं उत्तीर्ण की है. अब कोलेज के प्रथम वर्ष में एडमिशन ले लिए ये भटक रहे हैं. जिले के PG कोलेज में एडमिशन के लिए ये तो सही, लेकिन इन्हें वहां एडमिशन के लिए साफ़ मना बोल दिया गया. क्योंकि वहां कृषि विज्ञान पढ़ाने के लिए न व्याख्याता हैं,. और न ही सीटें! इन छात्रों को अब अपना भविष्य अन्धकार में नजर आ रहा है. क्योंकि प्रतापगढ़ के किसी भी कोलेज में इन्हें एडमिशन नहीं मिल रहा. इन छात्रों की अब मांग है कि सरकार इंसानियत के नाते ही सही, PG कोलेज में कृषि विज्ञान की सीटें अलोट कर दें. ताकि ये पढ़ाई कर अपना भविष्य बचा सकें.
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