Wednesday, September 30, 2015

प्रशासन पर गरीबों का फूटा गुस्सा! खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर जिले के गरीब ग्रामीण. रसूखवालों को योजना में शामिल करने का आरोप.




प्रतापगढ़ के धरियावद में खाद्य सुरक्षा योजना से बर्खास्त किए गए लोगों ने हंगामा खडा कर दिया... ये वे लोग हैं जिनका गुज़ारा इस योजना से ही चलता है, लेकिन अब योजना से बाहर हो जाने के बाद इन पर रोज़ी-रोटी का संकट मंडराने लगा है...

प्रतापगढ़ के धरियावद उपखंड के गाड़रियावास ग्राम पंचायत में खाद्य सुरक्षा योजना सूची में नाम हटाए जाने से गुस्साए ग्रामीणों ने हंगामा खडा कर दिया... लोगों ने प्रशासन का घेराव किया और जम कर खरी-खोटी सुनाई ! ग्रामीणों का आरोप है प्रशासन द्वारा बिना किसी सर्वे के पात्र लोगो के नाम खाद्य सुरक्षा सूची से हटा दिए गए... अपात्र लोगो के नाम सूचि में शामिल है जो की सरकार की योजना का अवैध तरीके से फायदा ले रहे है..ये वे रसूख वाले लोग हैं, जिन्होंने अपने दम पर गरीबों के नाम हटवा कर खुद के नाम जुडवाए हैं. गुस्साए ग्रामीणों ने करीब एक घण्टे से ज्यादा वक्त तक अधिकारीयों को घेरा और खरी खोटी सुनाई... इधर सुचना मिलते है धरियावद नायब तहसीलदार नानालाल मेघवाल पुलिस लेकर मौके पर पहुंचे...और गुस्साए ग्रामीणों से समझाइश की. ग्रामीणों ने मांग की है खाद्य सुरक्षा सूची में बदलाव कर पात्र लोगो को शामिल किया जाए... ताकि वे गरीब लोग इसका फायदा ले सकें, जिनका गुज़ारा इस योजना के बगैर नहीं चल सकता.

गौरतलब है कि प्रतापगढ़ जिले में हजारों गरीबों को योजना से बाहर कर दिया गया है, जिसका कारण विभाग स्पष्ट नहीं कर पा रहा है. खबर यह भी है कि ऐसा विभाग ने अपना सरदर्द कम करने के लिए किया है... ताकि उन्हें टारगेट से ज्यादा अनाज नहीं देना पड़े. प्रशासन के आदेश थे कि ऐसे 30% लोगों को योजना से बाहर किया जाए, जो गरीब नहीं है, या फिर जो अपना गुज़ारा करने में सक्षम हैं. इसके लिए बकायदा सर्वे करने के आदेश थे. लेकिन चार दीवारी के बीच बैठे अधिकारीयों ने सर्वे किए बिना ही फर्जी रिपोर्ट बना कर लोगों को बाहर कर दिया. अमीरों को हटाना था, लेकिन यहाँ तो अमीर योजना में आ गए, और गरीब बाहर हो गए... गरीब ग्रामवासियों का हक छीन बैठे रसूखवालों पर तो कार्रवाई हो नहीं रही, ऊपर से लगातार गरीबो को ही बाहर किया जा रहा है...


गिरीश पालीवाल के साथ संदीप माली की रिपोर्ट, धरियावाद

प्रतापगढ़ में पानी के लिए शुरू आंदोलन. सदर बाजार में किया जाम. लोगों का फूटा गुस्सा. कहा अधिकारीयों की लापरवाही से नहीं होती जलापूर्ति.



प्रतापगढ़ में लोगों ने पानी के लिए नया आंदोलन छेड़ दिया है. पानी मुलभुत सुविधाओं में से एक है, और जीने के लिए बेहद ज़रुरी है... लेकिन अब इसी पानी की बूँद-बूँद के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है.

प्रतापगढ़ में पानी नहीं मिलने से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. लोगों ने मुख्य सदर बाज़ार को पूरी तरह जाम कर दिया.. शहर भर के लोग बाज़ार में जमा होने लगे.. मटके फोड़े गए... प्रशासनिक अधिकारियो के ना पहुँचने से गुस्सा और बढ़ने लगा और मामले ने जल्द ही तूल पकड़ लिया. लोगों ने जलदाय विभाग के खिलाफ नारेबाजी करनी शुरू की.

दरअसल प्रतापगढ़ में सप्ताह भर से पेयजल आपूर्ति ठप्प पड़ी है. हालत यह हो गई है कि लोग बूँद-बूँद को भी तरस रहे हैं. ऐसे में आंदोलन शुरू हो गया है. अधिकारी आश्वासन देने पहुंचे तो लोगों ने उसे भी नहीं मना... लोगों ने कहा कि इस तरह के आश्वासन रोज सुनते हैं, पर कार्रवाई कभी होती नहीं. हालात बिगड़ते देख पहुंची पुलिस ने जैसे-तैसे मामला शांत कराया... अधिकारीयों ने आज ही जलापूर्ति करने की बात कही, तब जाकर कहीं लोग अपने घर लौटे.

गौरतलब है कि प्रतापगढ़ के जाखम बाँध में भरपूर पानी है. यहीं से शहर तक पानी पहुँचता है. लेकिन पानी सप्लाई के पुराने ढाँचे और अधिकारीयों की लापरवाही से जलापूर्ति नहीं होती. अगर सरकार चाहे तो योजना चला कर इस समस्या को हल कर सकती है. प्रशासन को समझना होगा कि पानी की अहमियत क्या होती है! क्योंकि जनता अब पानी के लिए सड़कों पर आने लगी है.

Tuesday, September 29, 2015

मंडी व्यवस्थाओं से किसान परेशान. मुलभुत सुविधा भी नहीं है मुहैया. मंडी प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं. सोयाबीन बेचने आ रहे किसान.






प्रतापगढ़ में जिले में सोयाबीन की फसल पकने लगी है. कई जगह सोयाबीन की थ्रेसिंग शुरू हो गई है... कृषि मंडी में सोयाबीन की अच्छी आवक हो रही है, लेकिन मंडी की बिगड़ी व्यवस्था का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है...

पिछले चार दनों से कृषि उपज मंडी में सोयाबीन का व्यवसाय शुरू हो चूका है. पहले दिन सोयाबीन की मंडी में अच्छी आवक हुई. यहाँ पहले दिन एक हज़ार बोरी की आवक हुई. मंडी अध्यक्ष का कहना है कि किसानों उनके सोयाबीन के बेहद अच्छे भाव मिल रहे हैं. लेकिन इधर किसानों का मानना है कि मंडी में अव्यवस्थाओं के चलते परेशानी बढ़ रही है. किसानों का यह भी आरोप है कि समय पर नीलामी नहीं हो रही है, साथ ही इस भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पेयजल भी नहीं है. व्यवस्था के अभाव में कहीं पर भी सोयाबीन के ढेर डालने पड़ रहे हैं. आवक ज्यादा होने से चोरी का खतरा भी बढ़ गया है, बावजूद इसके कोई सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं हैं. किसान खुद ही अपने अनाज की रक्षा करने को मजबूर हैं. जिसके लिए इधर-उधर मंडी परिसर में ही सो कर रात गुजारनी पड़ रही है...

कृषि मंडी में किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है... यह उदयपुर संभाग की सबसे बड़ी मंडी होने के साथ साथ "अ" श्रेणी की मंडी है , बावजूद इसके यहाँ सबसे ज्यादा लापरवाही बरती जा रही है.


कोंग्रेसी नेता की होटल के बाहर फायरिंग. सेवंती चंडालिया की है होटल. महावीर चंडालिया से मिलने आए थे आरोपी. आरोपियों की तलाश शुरू.



प्रतापगढ़ में एक कोंग्रेसी नेता के होटल के बाहर सरेआम फायरिंग से शहर भर में सनसनी फैली हुई है... यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है..फायरिंग कर आरोपी आराम से घूम रहे हैं...जो आमजन के लिए भी खतरा बने हुए हैं...

मामला शहर की पद्मावती होटल का है, जहाँ दो अज्ञात बदमाशों ने होटल में घुस कर फायरिंग कर दी... आपको बतादें कि यह होटल महावीर चंडालिया और सुरेन्द्र चंडालिया की है, जिनमे से सुरेंद्र् चंडालिया सभापति पद के हारे हुए उम्मीदवार हैं... जानकारी के मुताबिक़ बदमाश किसी जमीन विवाद को लेकर महावीर चंडालिया से मिलने होटल पर जाए. महावीर के पिता सेवंती ने महावीर के होटल पर न होने की बात कही... ऐसे में गुस्से बदमाशों ने वहीँ होटल के अंदर फायर कर दिए... फायरिंग के बाद दोनों ही अपराधी मौके से फरार हो गए...

घटना के बाद मौकाय वारदात पर लोगों का भारी जमावड़ा लग गया, और पुलिस बल भी पहुंचा... पुलिस अधिकारीयों ने मौके का जायजा लिया. फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है... पुलिस ने जगह-जगह नाकाबंदी कर आरोपियों की तलाश कर रही है...

Monday, September 28, 2015

औलाद न होने पर युवक ने की आत्महत्या. पत्नी भी छोड़ कर गई मायके. लाख मनाने के बाद भी नहीं मानी पत्नी.



प्रतापगढ़ में औलाद न होने पर एक युवक द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया है... मामला जिले के पाडलिया का है..
शादी के बाद से ही युवक को औलाद नहीं हुई.. ऐसे में पत्नी भी औलाद के लिए दबाव बनाने लगी.,. 2-3 साल गुजर जाने के बाद भी जब औलाद नहीं हुई, तो पत्नी पति को छोड़ मायके चली गई.. पति ने कई बार पत्नी को मनाया, लेकिन घर नहीं लौटी.. ऐसे में पति ने मौत का रास्ता अपना लिया.. बरबाद हो चुकी जिंदगी इस युवक को रास नहीं आ रही है, लिहाज़ा इसने अपने ही घर में छत से फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली... सुचना मिलने पर प्रतापगढ़ पुलिस की टीम मौके पर पहुंची..शव को उतरवाकर जिला चिकित्सालय लाया गया, जहाँ पोस्टमार्टम करवाया गया... युवक का नाम भीमराज मीणा है, जिसकी उम्र 32 वर्ष है..

पत्नी द्वारा औलाद के लिए दबाव बनाना पति की जान ले बैठा... बहरहाल पुलिस गहनता से मामले की जांच में जुट गई है.

खून से लिखे इच्छा मृत्यु के पत्र. होमगार्ड जवानों का आंदोलन शुरू. प्रतापगढ़ में तय हुई प्रदेश स्तरीय आंदोलन की रूपरेखा. प्रदेश अध्यक्ष ने की अगुवाई.







प्रतापगढ़ में होम गार्ड के जवानों ने आज अपने खून से प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिख कर इच्छा मृत्यु की मांग की है...

 दरअसल इन होमगार्ड की मांग है की इनका वेतन बढ़ाया जाए, साथ ही इन्हें परमानेंट किया जाए... होमगार्ड जवानों का कहना था कि सरकार ने हमेशा इनके साथ विश्वासघात किया है.. इनकी सभी मांगो को सिरे से खारिज कर दिया गया. गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया के होमगार्ड के वेतन को न बढाने के बयान पर पलटवार करते हुए ये बोले कि अगर अब सरकार उनकी मांग पूरी नहीं करती है, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे. इनका कहना था कि या तो सरकार वेतन बढ़ाए, या इनकी परिवार समेत इच्छा मृत्यु की मांग पूरी करे. इस मौके पर होमगार्ड यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री अगुवाई कर रहे थे, जहाँ सैंकडो होमगार्ड के जवान शरीक हुए थे.

प्रतापगढ़ में खून से पत्र लिखने के इस आंदोलन पर सरकार कब तक कार्रवाई करती है, देखने वाली बात होगी...फिलहाल होमगार्ड जवान मांगों के पूरे न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दे रहे है.. जिस आंदोलन की शुरुआत ही खून से हो, उसका नतीजा क्या होगा... सोचा जा सकता है!

यूनियन की कारकारिणी का गठन भी हुआ। गजेन्द्र सोलंकी जिलाध्यक्ष तो वहीँ अजय कजानी महामन्त्री चुने गए, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम का संचालन किया।

झलकन सिंह राठोर, प्रदेशाध्यक्ष : हम इच्छा मृत्यु की मांग करते है, अगर मांग पूरी नहीं कर सकते, हमें मौत दी जाए.. हम खून से पत्र लिख रहे है... सरकार ने हमेशा हमारा शोषण किया है.

Sunday, September 27, 2015

हर जगह गणपति जी की धूम. ढोल-नगाडों के साथ मनाया उत्सव. गली-गली में नाच-गा रहे लोग. उत्सव के रंग में रंगा प्रतापगढ़ !






प्रतापगढ़ में भी गणेशोत्सव की धूम मची हुई है. गली गली में आयोजन किए जा रहे हैं. लोग गणेश जी को अलग-अलग रूप में सजा कर विसर्जन के लिए ले जा रहे हैं. गणेश जी को ले जाते हुए लोग नाच-गा रहे हैं... और यही कह रहे हैं, कि गणपति जी अगले वर्ष जल्दी आना... इस बार दिपेश्वर तालाब की जगह जाखम बाँध में गणपति विसर्जन होना है. गली-गली में आज बस गणपति जी ही गणपति जी है... सारा माहौल उत्सव के रंग में रंगा हुआ है..

गणेश जी विसर्जन का यह दिन खुशी भरा तो होता है क्योंकि इस दिन पूजा-तप पूरे हो जाते हैं. गणेश स्थापना के दिन से ही शहर भर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे. जहाँ लोगों ने बढ़-चढ कर हिस्सा लिया. गौतम नगर में आयोजित संस्कृति कार्यक्रम प्रतियोगित में भी लोग बड़ी संख्या में शरीक हुए, तो वहीँ अन्य कोलोनियों में भी कार्यक्रमों की धूम रही. प्रतापगढ़ बाज़ार में भी गणपति जी की रौनक रही. देर रात तक कार्यक्रम आयोजित होते रहे.

भांग खाने से 30 लोग बीमार. कई बच्चे भी शामिल. सभी को लाया गया जिला चिकित्सालय. चिकित्सा विभाग की टीम घटनास्थल पर रवाना.





प्रतापगढ़ में भांग खाकर एक साथ 30 लोगों के बीमार होने का मामला सामने आया है. घटना जिले के गादोला की है, जहाँ गणेशोत्सव में लोगों ने जमकर भांग खाई...

भांग खाने के बाद एक के बाद एक लोगों को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत हुई... कई लोगों को तो चक्कर आए, तो कई बेहोश हो गए. धीरे-धीरे सभी की हालत बेहद खराब होता देख जिला चिकित्सालय लाया गया. चिकित्सा विभाग की टीम घटनास्थल के लिए रवाना हुई, ताकि और सभी की जांच की जा सके... दरअसल ये लोग गणेश झांकी में शरीक होने गए थे, जहाँ सभी ने दही में भांग मिला कर खाई... फिलहाल सभी बीमारों का उपचार चिकित्सालय में जारी है. किसी भी बुरी परिस्थिति को संभालने के लिए चिकित्सकों की टीम मरीजों का ध्यान रखे हुए है... एम्बुलेंस भी तैयार है, ताकि रेफर करने जेसी स्थिति में दिक्कत न हो.

डॉ. ओ.पी. बैरवा, CMHO : 30 मरीजों को उल्टी दस्त की शिकायत हुई, सभी को चिकित्सालय लाया गया. चिकित्सा टीम घटनास्थल पर रवाना हो चुकी है...

आर.एस. कछावा, PMO : गादोला में भांग खाने से कई बीमार हुए. जिनका उपचार किया गया. सभी खतरे से बाहर हैं..

Saturday, September 26, 2015

धरियावद में एक और पाम सिवेट घायल. वन विभाग ने बचाई जान. घायल पाम सिवेट का उपचार जारी. दुर्लभ जीव है पाम सिवेट.


धरियावद के जेलदा घाटी के समीप सड़क किनारे घायल अवस्था में इडियन पाम सिवेट (बिज्जू) मिलने की सुचना पर  क्षेत्रिय वन अधिकारी दारासिंह राणावत मय टीम जेलदा घाटी पहुचे. किनारे एक बिज्जू घायल अवस्था में पड़ा मिला, जिसे तत्काल धरियावद वन विभाग में लाया गया. पशु चिकित्सक एव वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप शर्मा ने घायल बिज्जू का इलाज किया.. बताया जा रहा है यह बिज्जू सड़क पर किसी अज्ञात वाहन की टक्कर से गम्भीर रूप से घायल हो गया है. फ़िलहाल बिज्जू  की स्थिति खतरे से बाहर है..!

गिरीश पालीवाल के साथ सन्दीप माली की रिपोर्ट
धरियावद

Friday, September 25, 2015

प्रदेश के लिए मिसाल बना "मधुरातालाब"! शहर जैसी सारी सुविधाएँ हैं उपलब्ध. आखिर अचानक कैसे हुआ इतना विकास? देखिए प्रतापगढ़ से इस आदर्श गाँव की एक खास रिपोर्ट.








जब बात किसी गाँव की हो तो कुछ इस तरह की तस्वीर सामने आती है- टूटी फूटी सड़कें, निचले स्तर का जीवन-स्तर, गरीबी, सर पर मटके में पानी लाती महिलाऐं...! लेकिन आज हम आपको ऐसे गाँव ले जा रहे हैं, जिसे प्रदेश भर के लिए मिसाल कायम की है. इस गाँव में हर वह सुविधा है, जो एक शहर में उपलब्ध होती है. 

प्रतापगढ़ का गाँव "मधुरातालाब" प्रदेश भर के लिए नई मिसाल बन गया है. इस गाँव में हर वह सुविधा है, जो एक शहर में होती है. दो-तीन साल पहले इस गाँव के हालात भी दूसरे गाँव की तरह थे, यहाँ भी सड़कें टूटी हुई थी, बिजली नहीं थी, पानी के लिए कोसों दूर पैदल चलना पड़ता था. लेकिन गुज़रे कुछ समय में यहाँ सब कुछ बदल गया. आज यहाँ पक्की सड़कें हैं, बिजली है, पानी है... यहाँ तक कि इंटरनेट भी बढ़िया चलता है... मधुरातालब प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर की दूरी पर है. आइए, बताते हैं क्या कुछ खास है मधुरातालब में-

1. अटल सेवा केंद्र- यह इस गाँव का अटल सेवा केंद्र है.. यहाँ EMITRA से लगाकर सारी सुविधा ग्रामवासियों को मिली है. यहाँ वे अपने बिजली के बिल जमा कर सकते हैं, परीक्षा के फॉर्म भर सकते हैं, या ज़रूरत पड़ने पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं... यहाँ हर पल एक ग्रामसचिव उनकी सेवा के लिए मौजूद रहता है.. और तो और इंटरनेट का नेटवर्क इतना बढ़िया है, कि हमेशा चालु रहता है...

2. पेयजल - अक्सर गाँवों में पेयजल सुविधा का टोटा होता है... सर पर मटका रख पानी लाती महिलाओं के दृश्य भी आपको पता होंगे. लेकिन यहाँ कुछ अलग है. यहाँ महिलाऐं कभी दूर पैदल चल कर पानी नहीं लाती... यहाँ पानी की कई सारी टंकियां लगा दी गई हैं, जहाँ ट्यूबवेल से पानी भरता रहता है.. इतना कि कभी कम नहीं पड़ता. महिलाऐं यहीं से पानी भर ले जाती हैं...

3. बिजली - दो साल पहले यहाँ की बिजली बदहाल थी... गिने-चुने घरों में ही विद्युत कनेक्शन थे. लेकिन गुज़रे दो सालों में यहाँ अब कई ट्रांसफार्मर लगे, और अब घर-घर में बिजली है.

4. उपस्वास्थ्य केंद्र - ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा कभी ठीक नहीं मिलती. स्वास्थ्य केंद्र किस कदर बदहाली की भेंट चढ़े होते हैं, इस बात से सभी वाकिब हैं... लेकीन यहाँ ऐसा नहीं है. यहाँ स्वास्थ्य केंद्र में सभी सुविधा मुहैया हैं. यहाँ हर समय एक नर्स काम करने के लिए तत्पर रहती हैं... जो आने वाले किसी भी मरीज का समय से इलाज करती हैं... यहाँ नहीं, यहाँ इलाज के लिए ज़रुरती सारे सनासाधन उपलब्ध हैं. और दवाइयां भी... यह एक गर्व की बात है!

5. विद्यालय - ग्रामीण इलाकों के विद्यालय में कितनी पढ़ाई होती है और कितनी सुविधा होती है, यह बात भी भलीभांति जानते हैं. लेकिन यहाँ विद्यालय की हालत शहर के विद्यालयों से भी अच्छी है. परिणाम यहाँ का हमेशा अच्छा रहता है, भवन पूरी तरह से पक्का है, साफ़-सफाई में तो कोई कमी नहीं है... यही नहीं, ग्रामीणों ने अपनी मेहनत से इसे क्रमोन्नत करवा दिया है.. अब इस छोटे से गाँव में यह स्कूल सेकंडरी से हायर सेकंडरी में बदल गया है...

6. आंगनवाडी - इस गाँव का आंगनवाडी केंद्र पहले पूरी तरह टूटा था, जिसे फिर से नवनिर्मित किया गया.. आज यहाँ 50 बच्चे पढ़ने आ रहे हैं. गाँव की ही आंगनवाडी कार्यकर्ता उनका पूरा ध्यान रखती हैं.. बच्चों के लिए यहाँ ग्राफिकल पोस्टर भी लगे गए हैं... यहाँ आने वाले हर बच्चे का पूरा ख्याल रखा जाता है...

7. किसान सेवा केंद्र - गांव में अधिकतर लोग अनपढ़ हैं.. किसानों को खेती से जुडी नई तकनिकी और समस्याओं को हल करने की मंशा से यहाँ एक किसान स्वास्थ्य केंद्र भी बना दिया गया, जहाँ उनकी सारी समस्याओं को हल किया जाने लगा... किसान सेवा केंद्र बनने से अब किसान यहाँ कभी भी अपनी समस्या लेकर समाधान की आस में आ सकते हैं.

इसके अलावा यहाँ हर वह सुविधा लोगों को मिली है, जो एक शहर में होती है...यह एकमात्र ऐसा गाँव हैं, जहाँ लोगों को किसी चीज़ की मांग नहीं है. अधिकतर लोग किसान हैं, जो खेती कर अपना पेट पालते हैं. कुल मिलाकर सभी खुशी से अपने इस गाँव में जीवन व्यतीत कर रहे हैं... अब हम आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो अचानक गाँव की तक़दीर ही बदल गई.. ग्रामीणों का मानना है कि- पहले यहाँ कुछ भी ठीक नहीं था.. तब सभी ग्रामवासियों ने इस गाँव को बदलने की ठानी! मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार आपके द्वार अभियान के दौरान जब प्रतापगढ़ दौरे पर आई, तब पूरा गाँव इकठ्ठा हुआ और मुख्यमंत्री के सामने गुहार लगाईं... मुख्यमंत्री ने गाँव का भी दौरा किया, और गाँव की बदहाली देख तय किया कि इसका विकास होगा... इसके बाद यह गाँव पूरी तरह से एक आदर्श गाँव के रूप में विकसित हुआ, जहाँ कभी पानी-बिजली की सुविधा भी लोगों को मुहैया नहीं थी...
इस तरह के गाँव मिसाल हैं प्रदेश के लिए. ग्रामवासियों की एकता ने वह कर दिखाया, जो अन्य गाँव नहीं कर पाते... इन गाँव वालों ने साबित किया है, कि अगर सभी एक होकर अपने-अपने क्षेत्र के विकास के लिए आगे आए, तो कुछ भी असंभव नहीं है. इस इलाके से कोई नेता या बड़ा प्रतिनिधि तालुख नहीं रखता, बावजूद इसके ग्रामवासियों ने अपनी एकता और ताकत के बूते जनप्रतिनिधियों को विवश किया कि वे इस गाँव का विकास करें... ज़रूरत है हमें भी एक होने की, ताकि अपने-अपने इलाकों की बदहाली को खत्म करें. हमारे प्रयास से ही हम अपने इलाकों की तस्वीर बदल सकते हैं...

Wednesday, September 23, 2015

कालाबाजारी का 9000 क्विंटल गेंहू बरामद! रसद विभाग की बड़ी कार्रवाई. जिले भर में हडकंप! राशन डीलरों की धांधली उजागर.




प्रतापगढ़ में रसद विभाग ने गेंहू की कालाबाजरी पर बड़ी कार्रवाई की है... रसद विभाग ने कालाबाजारी का 9000 क्विंटल गेंहू बरामद किया है. इतनी बड़ी मात्रा में बरामद गेंहू के बाद राशन डीलरों की धांधली उजागर हुई है.

लम्बे अरसे से रसद विभाग को शिकायत मिल रही थी कि राशन डीलर गेंहू में घपलेबाजी कर रहे हैं. ऐसे में विभाग सक्रीय हुआ, और अचानक राशन के होल सेलर और डीलर की दुकानों पर छापेमार कार्रवाई की. यहाँ सभी डीलरों के पिछले 2-3 माह का रिकोर्ड खंगाला गया, तो होश उड़ गए. कालाबाजारी के गेंहू की मात्र को समायोजित किया तो - 9000 क्विंटल की मात्रा सामने आई... स्थिति को देखते हुए विभाग ने जुलाई माह में 3000 क्विंटल गेंहू का समायोजन किया, इसके बाद अगस्त में 6000 क्विंटल गेंहू का समायोजन किया... रिकोर्ड खंगालने पर सामने आया कि यह गेंहू अतिरिक्त डीलरों के पास पड़ा है जिसकी वे कालाबाजारी करने वाले हैं... गौरतलब है कि जिले में चार होलसेलर हैं, जहाँ से गेंहू का वितरण किया जता है. कुल 347 डीलर अधिकृत हैं. खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत चयनित परिवारों के कुल 6,70,741 यूनिट को गेंहू का वितरण किया जता है.



बनवारी लाल मीणा, जिला रसद अधिकारी : रिकोर्ड देखा गया, उनके पास जो मात्रा वितरण से ज्यादा पड़ी थी, उसे राज्य सरकार को समर्पित किया है.. 
 ताकि भविष्य में इसकी कोई कालाबाजारी नहीं हो सके.

अक्सर राशन डीलरों के पास जाने पर, गेंहू नहीं होने का टोटा सुनने को मिलता है, इस कार्रवाई से यह भी साफ़ हो गया कि असल में वह टोटा नहीं होता, वह तो गेंहू बचा रहे होते हैं, ताकि उसकी कालाबाजारी कर सकें... बहरहाल इस कार्रवाई से राशन डीलरों में हडकंप है... अब हर कोई अपनी कालाबाजारी का गेंहू इधर-उधर छिपाने में लगा है...

विद्युत विभाग बना बदहाली का नमूना! जगह-जगह टूटी है बाउंडरी. गाजर-घांस और झाड़ियों में ऐश करते सूअर और अन्य जानवर.






प्रतापगढ़ का विद्युत विभाग इन दिनों बदहाली की भेंट चढ़ा हुआ है... यहाँ लाखों रूपए के उपकरण खतरे के साए हैं. लेकिन बावजूद इसके, अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

विद्युत विभाग की जगह-जगह से टूटी हुई बाउंडरी खतरे की घंटी बनी हुई है. क्योंकि आए दिन असामाजिक तत्व रात में विभाग परिसर में दाखिल हो रहे हैं. विद्युत विभाग परिसर में रखे लाखों के उपकरण खतरे में है... और ऊपर से झाड़ियों के बीच रखे विद्युत उपकरण भी सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं. विभाग परिसर में इतनी झाड़ियाँ और गाजर-घांस हैं, कि यहाँ अब जानवरों ने डेरा जमा लिया है.. कई जगह तो पूरे के पूरे ट्रांसफार्मर ही झाड़ियों में घिरे हुए हैं... इस जंगलनुमा विभाग में आवारा पशु भी बेख़ौफ़ घूमते हैं...

इसके अलावा बदहाल केम्पस में चोरी का डर बना रहता है. इधर जिले में ट्रांसफार्मर गिरोह भी सक्रीय है, बावजूद इसके विभाग चैन की नींद सो रहा है. बदहाल बाउंडरी को निर्मित करने और खतरों की झाड़ियों को हटाने की कोई कवायद नहीं की जा रही है... अधिशाषी अभियंता एम. डी. चौधरी से बात की गई, तो उन्होंने कार्रवाई की बात कही-
किसी भी विभाग की अनुशासनता उसकी व्यवस्थाओं से झलकती है... लेकिन यहाँ तो हाल एक दम खराब हैं. बहरहाल यहाँ काम करने वाले कर्मचारी अव्यवस्थाओं से परेशान है... देखना होगा अधिकारी अब इस ओर कब तक कार्रवाई कर पाते हैं...

Tuesday, September 22, 2015

TSP क्षेत्र का खामियाजा भुगत रहा प्रतापगढ़- जिला चिकित्सालय में नहीं आ रहे चिकित्सक. वोक इन इंटरव्यू भी रहा फ़ैल. क्या होगा चिकित्सालय का?



प्रतापगढ़ जिला TSP क्षेत्र में आता है. इसके फायदें हैं तो नुकसान भी! क्योंकि TSP होने से यहाँ चिकित्सकों की समस्या हल नहीं हो पा रही है. यहाँ से पढ़-लिख कर बनने वाले चिकित्सक बाहर का रुख कर लेते हैं... और बाहर से आने वाले चिकित्सक यहाँ रुकना नहीं चाहते.... इस समस्या को देखते हुए वाक इन इंटरव्यू भी आयोजित किया गया, लेकिन यह भी बेकार साबित हुआ... एक ने भी रूचि नहीं दिखाई! प्रतापगढ़ पिछड़ा इलाका होने का खामियाजा भुगत रहा है.

डॉक्टर कौन नहीं बनना चाहता? लेकिन बचपन से डॉक्टर बनने का सपना देखने वाला कतई उम्मीद नहीं करता कि उसकी नौकरी किसी पिछड़े इलाके में लगे, हर कोई बड़े शहरों में नौकरी कर ज़िन्दगी गुजारना चाहता है. यही वजह है कि यहाँ चिकित्सकों की भर्ती के लिए की जाने वाले हर एक कवायद फ़ैल हो जाती है... प्रतापगढ़ में चिकित्सक भर्ती के लिए आयोजित वाक इन इंटरव्यू पूरी तरह फ्लॉप रहा, क्योंकि यहाँ एक ने भी इंटरव्यू के लिए रूचि नहीं दिखाई. वहीँ गायनोलोजिस्ट की कमी दूर करने के लिए सेवानिवृत चिकित्सकों से बात की, तो उन्होंने भी नौकरी से इनकार कर दिया. ऐसे में स्थिति ढाक के तीन पात जैसी हो रही है... चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए स्थानीय स्तर पर ही वोक इन इंटरव्यू के माध्यम से भर्ती करनी चाही, जिसमें आवेदन कर स्थानीय चिकित्सक अपने गृह क्षेत्र में ही रहकर नौकरी पा सकते थे, लेकिन इसके फ़ैल होते ही चिंता और बढ़ने लगी.

जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन करीब 500 मरीज आते हैं. मौसमी बिमारियों के दौरान यह आंकड़ा 1000 पार कर जाता है. और वैसे भी, अभी तो डेंगू-मलेरिया का मौसम है. बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल के विभिन्न वार्ड में भर्ती रहते हैं... इन सब के उपचार और देखभाल के लिए 12 चिकित्सक हैं, जो भी समय पर नहीं आते... ऐसे में सभी मरीजों का उपचार नामुमकिन सा हो जाता है. चिकित्सकों के 46 पद स्वीकृत हैं, जिनमे महज़ 12 भरें है...अधिकतर तो इमरजेंसी संभालते हैं...

R. S. KACHHAWA, PMO
आर. एस. कछावा, PMO :  जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़ में डॉक्टरों की काफी कमी है. 46 में से 12 ही कार्यरत हैं. 2 डेंटिस्ट हैं... इमरजेंसी को डील करने के लिए 10 हैं... ऐसे में सारा काम इन्ही को देखना होता है. पूरे जिले से इमरजेंसी केस आते हैं, सभी को देखना होता है. हमारे पास जानना में कोई विशेषज्ञ नहीं है. एक महिला है जो वार्ड देख रही है. इसी तरह से सर्जरी वार्ड की भी यही स्थिति है...

बाहर से चिकित्सक यहाँ नहीं आते, और वे पहले अन्य जगहों पर पदस्थापन या स्थानांतरण करवा लेते हैं. यदि कोई चिकित्सक आ भी जाए, तो बाहर जाने की जुगत लगाता रहता है. और मौका मिलते ही रवानगी कर लेता हैं. इस पिछड़े इलाके की आबोहवा ही ऐसी है, कि किसी नए चिकित्सक को रास नहीं आती. ऐसे में स्थानीय लोगों के लिए की गई वोक इन इंटरव्यू की कवायद भी रंग नहीं ला पाई...

आर. एस. कछावा, PMO :  वोक इन इंटरव्यू के लिए दिया, तो वहां भी डॉक्टर नहीं आए. इसमें भी हमें सफलता हाथ नहीं लगी... जो हमने प्रतापगढ़ के रिटायर्ड डॉक्टर से कहा, तो वो भी नहीं आए. हम प्रयासरत हैं. डायरेक्टर को समय समय पर लिख रहे हैं. फिर भी अभी तक समाधान निकल नहीं पाया है...

जिला चिकित्सालय में एक मात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ 30 जुलाई को रिटायर हुई.. उसके जाने के बाद प्रसूति के दौरान काफी परेशानियाँ उठानी पड़ रही है. इसे देखते हुए कलेक्टर ने आगे से किसी गायनोलोजिस्ट की नुयुक्ति नहीं होने तक रिटायर्ड से बात कर सेवा के लिए कहा, तो उन्होंने भी इनकार कर दिया... ताजुब की बात है, प्रदेश में छोटे-मोटे CSC पर भी 16-16 गायनोलोजिस्ट कार्यरत हैं, और यहाँ जिला चिकित्सालय में एक भी नहीं.. इसलिए डिलेवरी के लिए आने वाली प्रसुताओं को भी खतरा है...


अब भला ऐसे सिस्टम को क्या कहें! प्रतापगढ़ पिछड़ा इलाका है, यहाँ कोई चिकित्सक टिकना नहीं चाहता... ऐसे पिछड़े इलाकों को ज़रूरत है डेवेलपमेंट की, जिसकी सरकार रोज़ बात करती है. ये वह इलाकों में से है, जहाँ आज मुलभुत सुविधा तक नहीं है. और जहाँ कोई नौकरी नहीं करना चाहता. बहरहाल इस डगमगाई हुई स्थिति का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं..

जलदाय विभाग की बिजली अभाव में बिगड़ी स्थिति! पानी के लिए शहर भर में त्राहि-त्राहि. विभागों की गहमा-गहमी में जनता फसी! स्पेशल रिपोर्ट.






प्रतापगढ़ में जलदाय विभाग बिजली के अभाव में अजीबो-गरीब स्थिति में है. एक तरफ लोग पानी के लिए हाहाकार मचा रहे हैं, तो इधर बिजली आपूर्ति न होने से विभाग पानी मुहैया नहीं करा पा रहा. हज़ार दरख्वास्त करने के बाद भी कार्रवाई न होने पर विभाग बेबस महसूस करने लगा, तो वहीँ लोग पानी की बूँद-बूँद को तरस रहे हैं.

प्रतापगढ़वासी इन दिनों विभागों की बिगड़ी व्यवस्था के चलते बेहाल हो रहे हैं. जलदाय विभाग के पास बिजली नहीं है, तो विद्युत विभाग बिजली दे नहीं रहा है. दोनों विभागों की गहमा-गहमी के बीच आम जनता पानी-पानी को तरसने के लिए मजबूर चली है...

डी.डी. सिंह राणावत, वरिष्ट नागरिक (अध्यक्ष, मेवाड़ क्षत्रिय महासभा) : आज से 3-4 साल पहले पानी की अच्छी सप्लाई होती थी. रोज़ पानी आता था. अभी ऐसी स्थिति हो गई है कि पानी नियमित रूप से नहीं आ रहा. 7-8 दिन में पानी आता है. जनता त्राहि-त्राहि कर रही है. जनता ने आवाज़ उठाई है. लेकिन कोई धनि-धोरी नहीं है इस विभाग का... आज के 21 वीं सदी में भी अगर सर पर मटकी लेके पानी लाना पड़े तो शर्म की बात है. जाखम डेम पूरा भरा है लेकिन सप्लाई क्यों नहीं हो रही है... प्रतापगढ़ में इतना पानी है कि रोज़ सप्लाई हो सकती है...


जलदाय विभाग की हालत यह है कि 24 घंटों में महज़ 4-5 घंटे ही बिजली मिल पाती है. कभी कभी तो पूरे दिन बंद रहती है. ऐसे में वे स्टोरेज टंकी नहीं भर सकते, न ही जाखम बाँध से पानी खींच कर ला पाते हैं. एक आधे घंटे की ट्रिपिंग से भी पानी वापिस बाँध में उतर जाता है. ऐसी तमाम समस्याएँ हैं, जिससे विभाग परेशान है. विद्युत विभाग के ढीले रवैये से जलदाय विभाग परेशान हो चला है. अधिकारीयों से कई बार गुहार लगाईं, लेकिन समाधान नहीं हुआ..

सुनील मानवताल, अधिशाषी अभियंता, जलदाय विभाग : पिछले एक वीक से पानी सप्लाई में बहुत दिक्कत आ रही है. लगातार फाल्ट आ रहे हैं बिजली में . 18 तारीख को 3 घंटे लाईट आई है. 19 को पांच घंटे लगातार लाईट गई है, इसके अलावा ट्रिपिंग आई है. यह ट्रिपिंग 5-6 घंटे की सप्लाई में ट्रिपिंग आती है, तो पानी की सप्लाई नहीं होती. 20 तारीख को भी कितना फाल्ट रहा है! फिर लाईट आई 15 मिनट के लिए.. शाम को एक बार 4 बजे लाईट गई, जो रात भर नहीं आई... हमें काफी दिक्कत का सामने करना पड  रहा है... RSEB के अधिकारी से बात की है, उन्हें अवगत कराया है कि पानी नहीं दे पा रहे हैं, जिससे जनाक्रोश बढ़ रहा है.  
हम जाखम से पानी देते हैं, जिसके लिए कम से कम 20-22 घंटे की लगातार सप्लाई चाहिए. एक बार भी ट्रिपिंग आती है तो सप्लाई में काफी फर्क पड़ता है. एक दस मिनट के ट्रिपिंग से भी 2-3 घंटे का फर्क पड़ता है. शहरवासियों के अन्दर जनाक्रोश रहता है, जब सप्लाई नहीं दे पाते. बिजली नहीं मिलने से हम सप्लाई नहीं कर पाते. प्रतापगढ़ के लोगों को रहता है कि जाखम में पानी है, फिर भी विभाग लापरवाही कर रहा है. हमको अगर सुचारू बिजली दी जाए, तो मैं सुचारू रूप से पानी दे सकते हैं.

जलदाय विभाग के आरोपों को विद्युत विभाग के अधिकारी खारिज कर रहे हैं. इनका तो कहना है कि खुद जलदाय विभाग की पाइप लाइनें टूटी है, और इसी वजह से बिजली आने पर भी जलापूर्ति नहीं हो पा रही है...

आर.एस. चौहान, अधीक्षण अभियन्ता, विद्युत विभाग : सुबह ओस गिरती है, तो फाल्ट होता है. उससे समस्या आती है. जिसे दिखाया जा रहा है... हमारी बिजली उन्हें मिलती है, बहुत अच्छी मिलती है. पानी नहीं मिलने का मुख्य कारण है कि पाइप लाइन पुरानी है, जिससे वे पानी नहीं दे पाते हैं. वो कहते हैं कि 94 करोड़ का प्रोजेक्ट है, यह नई लाइन डालने के बाद ही सोल्यूशन होगा... यह बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. हम कोशिश करते हैं कि इन्हें बिजली मिले...


सरकार ने प्रतापगढ़ जिले की जल समस्या को देखते हुए 94 करोड़ की नई योजना शुरू की है. जिसके चलते बिजली समेत पाइप लाइनों सम्बन्धी सभी समस्याओं का निदान किया जाएगा. लेकिन यह योजना कब तक मूल रूप धारण करेगी, कहा नहीं जा सकता. प्रतापगढ़ के जाखम बाँध में भरपूर पानी है, जिसके बूते रोज़ पानी की सप्लाई की जा सकती है. लेकिन बिगड़ी व्यवस्था के चलते सारे संसाधन बेकार साबित हो रहे हैं. बहरहाल विभागों की आपसी नोक-झोक में लोग परेशान हैं... क्योंकि लोगों को तो बस - पानी चाहिए! भले कारण कुछ भी हो!

अब पढ़ने में पीछे नहीं रहेंगी जनजाति क्षेत्र की बेटियां. लड़कियो के विकास के लिए ABVP ने बढ़ाया हाथ. केंद्र सरकार को भेजा जा रहा मांग पत्र.



प्रतापगढ़ में ABVP ने नई मुहीम शुरू की है, जिसके तहत जनजाति क्षेत्र की बालिकाओं का विकास किया जाएगा. अक्सर प्रतापगढ़ जैसे इलाकों में बालिकाओं का भविष्य स्कूल-कोलेज न जाने से बिगड़ जाता है, लेकिन ऐसी बालिकाओं को अब स्कूल तक पहुंचाने का ज़िम्मा ABVP ने उठाया है...
प्रतापगढ़ जैसे पिछड़े इलाके में शिक्षा को बढ़ावा देने की ज़रूरत ज्यादा है. लेकिन गरीब आदिवासी क्षेत्र होने से माता-पिता अक्सर बेटियों को पढ़ा नहीं पाते. ऐसी बेटियों को स्कूल-कोलेज तक पहुंछाने का ज़िम्मा abvp ने उठाया है. ABVP द्वारा प्रदेश स्तरीय सम्मलेन किया जा रहा है, जहाँ जनजाति छात्रों के मुद्दे पहले रखे जाएंगे. ABVP की ओर से प्रतापगढ़ के ए.पी.सी. महाविद्यालय में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जहाँ ABVP के कई छात्र-छात्राएं मौजूद रहे. मौके पर ABVP के प्रदेश मंत्री को भी बुलाया गया, जिन्होंने सभी का उत्साह वर्धन किया.

प्रदेश मंत्री राजेंद्र कुमार का कहना था कि राजस्थान छात्र संघ चुनाव में ABVP ने 142 कोलेज में अध्यक्ष पद जीते हैं, लोगों ने हमें स्वीकार किया है. 1 से 3अक्टूबर तक स्टूडेंट पार्लियामेंट आयोजित होगा- 1 अक्टूबर को जनजाति युवा पार्लियामेंट, 2 अक्टूबर को गर्ल्स पार्लियामेंट और 3 अक्टूबर को पूर्वांचल पार्लियामेंट आयोजित होगी..

यहाँ जनजाति छात्र-छात्रों की समस्याओं को उठाया जाएगा. इसके बाद केंद्र सरकार को एक मांग पत्र भेजते हुए इन सभा का समापन करेंगे. इसके बाद एक बड़ा कार्यकर्ता सम्मलेन का आयोजन होगा, जहाँ सभी जीते हुए प्रतिनिधि शरीक होंगे. जहाँ फर्जी डिग्री बाटने वाले कोलेजों के खिलाफ आयोग बनाने जैसे मुद्दे उठेंगे.
ABVP की पहल है कि जनजाति छात्र-छात्राओं का विकास हो साथ ही शिक्षा की बिगड़ी व्यवस्था में भी सुधार हो, जिसे लेकर अक्टूबर की शुरुआत से ही मुहीम शुरू करने जा रहे हैं. देखना होगा कि ABVP ने जो मोर्चा संभाला है, वह कितना आगे जा पाता है.

Monday, September 21, 2015

जिले भर में किसान आन्दोलन पर! सूखे से हुई बर्बादी के सर्वे की मांग. पहले भी घपलेबाजी के चलते नहीं मिला था मुआवजा. खून के आंसू रो रहे किसान! ख़ास रिपोर्ट.






पहले अतिवृष्टि से बर्बादी तो अब सूखे से बर्बादी. वह बर्बादी जिसने किसानों को फिर सड़कों पर ला दिया है. मौसम की मार से किसानों की कमर टूट गई है. मुआवज़े की आस में किसान अधिकारीयों के चक्कर काटने और आन्दोलन करने पर मजबूर हो चले हैं. प्रतापगढ़ जिले में किसानों ने अब एक नया आन्दोलन छेड़ दिया है.


मानसून की अच्छी ओपनिंग से किसानों ने बम्पर बुवाई की, लेकिन मौसम के छलावे ने सब कुछ बर्बाद कर रख दिया. तीन-चार दिन बारिश होने के बाद से ही जिले भर में सुखा पड़ने लगा. पानी की बूंद-बूँद को किसान तरसने लगे. बारिश हुई नहीं, ऊपर से पश्चिम से चलने वाली हवाओं ने भी फसलों को सुखा कर रख दिया. सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, तुलसी, अजवाइन, चवला, तिल, कपास, और ग्वार, यह वो फसलें हैं जिनकी बुवाई किसानों ने बड़ी उम्मीदों के साथ की थी. सबसे ज्यादा बुवाई सोयाबीन की हुई है, ऐसे में नुकसान भी इसे ही ज्यादा पहुंचा. सोयाबीन के बाद मक्के की फसल पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ.


ये है बुवाई के आंकड़े-

1,18,000 हेक्टेयर - सयाबीन
50,000 हेक्टेयर - मक्का
17000 हेक्टेयर - अन्य सभी फसलें
कुल - 1,85,000 हेक्टेयर


जिले भर के किसानों ने 185000 हेक्टेयर में बुवाई की थी, जिसमें से सोयाबीन की बुवाई 118000 हेक्टेयर पर हुई थी. सोयाबीन प्रतापगढ़ की प्रमुख फसल है. लेकिन इस बार सूखे ने इसे भी उजाड़ कर रख दिया. किसानों का तो यह भी कहना है कि उन्हें सुखा पड़ने से 80 प्रतिशत तक का नुकसान उठाना पडा है...


फसल खराबे के बाद अब जिले भर के किसान सड़कों पर उतर आए हैं. किसानों का कहना है कि -


पहली समस्या- पहले अतिवृष्टि से उनकी फसलें बर्बाद हुई. जिसकी भी गिरदावरी नहीं हुई, जिसका कोई सर्वे नहीं किया गया. मानसून की ग्रेट ओपनिंग के वक्त बम्पर बारिश हुई. इतनी कि फसलें ही गल गई. ऐसे में किसानों को भारी नुकसान पहले से ही उठाना पडा.


दूसरी समस्या- फिर अचानक सुखा पड़ने से दोबारा नुकसान उठाना पडा. तीन-चार दिन लगातार बारिश होने के बाद एक बूंद पानी नहीं गिरा, जिस वजह से जिले भर में सुखा पड़ने लगा. सूखे से बड़े पैमाने पर फसलें चोपट हो गई.


तीसरी समस्या- सुखी फसलों को इल्लियाँ खाने लगी, जिस वजह से बची-कुची पैदावार पर भी नुकसान पहुंचा.


चौथी समस्या - सुखा पडा, तो किसानों की आस बिजली पर आ टिकी! क्योंकि बिजली से वे मोटर चला कर सिंचाई करने लगे. लेकिन यह तीसरी समस्या तब पैदा हुई, जब विद्युत आपूर्ति भी ठप्प रहने लगी. बिजली आपूर्ति नहीं होने से भी किसान सिंचाई नहीं कर पाए. कई जगह ट्रांसफार्मर भी जले, जिस वजह से बची-कुची फसलें सिंचाई के अभाव में बर्बाद हो गई.


पहले प्रशासन के छलावे से मुआवजा न मिलने के बाद अब किसानों का विश्वास डगमगा गया है. किसानों की मांग है - कि प्रशासन सूखे से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा देने में बिलकुल देरी न करे. कई किसान हैं जिनकी पूरी की पूरी फसल ख़त्म हो चुकी है. प्रशासनिक अधिकारी लगातार किसानों में समझाइश के प्रयास कर रहे हैं.


फसल खराब के बाद अब जिले भर में आन्दोलन तेज़ हो गए हैं. किसान जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं. छोटी सादडी में तो एक साथ 10 पंचायतों के किसानों ने आन्दोलन छेड़ दिया है, जो जगह-जगह मार्ग जाम कर रहे हैं. किसान प्रशासन की एक बात मानने को राज़ी नहीं है... किसानों की इस मांग पर प्रशासन कब तक खरा उतरेगा, इसका जवाब भविष्य के गर्त में है. फिलहाल किसान प्रशासन की मानने को तैयार नहीं है..


प्रवेश परदेशी, जी मीडिया, प्रतापगढ़

थ्रेसर हादसे में कई किसान घायल. चिकित्सालय से घायल उदयपुर रेफर. छोटी सादडी के ढावटा का हादसा.

प्रतापगढ़ के छोटी सादडी में थ्रेसर हादसे में कई किसान घायल हो गए. दरअसल छोटी सादडी के ढावटा के एक खेत में थ्रेसर से सोयाबीन फसल कटाई का काम चल रहा था. इसी दरमियाँ थ्रेसर का ऊपरी ढक्कन उड़ गया. इससे वहां कार्य कर रहे किसान और परिजन घायल हो गए. सभी घायलों को चिकित्सालय पहुँचाया गया, जहाँ से उदयपुर रेफर कर दिया गया.

इसके अलावा जिले भर में फसल खराब को लेकर आन्दोलन जारी है. किसान कई रोड जाम कर रहे हैं. प्रशासनिक अधिकारी पुलिस जाप्ते के साथ समझाइश के लिए पहुँच रहे हैं. सूखे से बर्बाद हुई फसलों के सर्वे की मांग ज़ोरों से उठ रही है... देखना होगा किसानों का यह आन्दोलन कितना सफल हो पाता है...!

पुलिस की एक और बड़ी कार्रवाई. बड़ी लूट की वारदात को अंजाम देने जा रहे पांच आरोपी गिरफ्तार. धमोतर से हुए गिरफ्तार. डोडाचुरा गोदाम को लूटने जा रहे थे आरोपी. कई थानों में वांछित हैं आरोपी.






प्रतापगढ़ पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लूट की बड़ी वारदात को अंजाम देने जा रहे अंतर्राज्यीय गेंग को गिरफ्तार किया है. गेंग के बदमाश डोडा चुरा लूट की वारदात करने जा रहे थे. लेकिन अपने मंसूबों में कामयाब हो पाते, इसके पहले ही पुलिस के... हत्थे चढ़ गए!

पुलिस की गिरफ्त में आए ये आरोपी बड़े शातिर हैं, जो एक बड़ी लूट की वारदात को अंजाम देने जा रहे थे. दरअसल प्रतापगढ़ की धमोतर थाना पुलिस को सुचना मिली कि चुनाघाटी से पहले मेन-हाईवे रोड से पाॅलोटेक्निक काॅलेज जाने वाले कच्चे रास्ते पर राजस्थान के कई थानों का वाण्टेड अपराधी देवीसिहं सोंधिया समेत नानालाल दिलीप मोग्या, अशोक गुर्जर, गोपाल जाट, संग्रामसिहं राजपूत कार, लोडिंग टेम्पो और अन्य समान लेकर बैठे हैं, जो कि डोडा चुरा गोदाम को लूटने का प्लान बना रहे हैं. सुचना को गंभीरता से लेते हुए धमोतर थानाधिकारी उदय सिंह जाप्ता समेत मौके पर पहुंचे, तो मेन हाईवे रोड से करीब 50 मीटर दूरी एक कार व टेम्पो दिखाई दिया, जिस पर पुलिस बल द्वारा ललकारने पर पांच लोग वाहन छोड़कर भागने लगे... जिनको घेरकर हिरासत में लिया गया. पुलिस को देख अपराधी हक्के-बक्के रह गए, लेकिन इससे पहले की वो फरार हो पाते, पुलिस की गिरफ्त में आ गए... पुलिस ने आरोपियों से एक चोरी की कार, एक लोडिंग टेम्पो, एक मोटरसाइकिल और हथियार बरामद किए हैं. आरोपियों से 6 मोबाईल फोन और लूट की योजना में प्रयुक्त होने जा रहे एक चाकू , 5 बांस की लाठियां और आँखों में डालने वाले मिर्ची पाउडर, रस्सी भी बरामद किए हैं. आरोपियों को धारा 399, 402, आईपीसी के तहत गिरफतार किया है.

अपराध में शरीक पांच आरोपी-
1. देवीसिहं पुत्र धूलसिहं सोंधिया उम्र- 35 वर्ष, निवासी गोमाना थाना छोटीसादडी
2. गोपाल पुत्र श्यामलाल जाट उम्र- 30 वर्ष, निवासी जमलावदा थाना छोटीसादडी
3. अषोक पुत्र राजमल गुर्जर उम्र- 20 वर्ष, निवासी सूबी थाना छोटीसादडी
4. नानालाल उर्फ दिलीप कुमार पुत्र नन्दा मोग्या उम्र 327 वर्ष, निवासी नलवाई थाना बडीसादडी
5. संग्रामसिहं पुत्र लालसिहं उर्फ ईष्वरसिहं राजपूत उम्र 27 वर्ष, निवासी कोलवी मंदिर थाना रठांजना



श्री रतन सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक : पुलिस मुख्यालय और रेंज ऑफिस के निर्देश पर देर रात नाकाबंदी करवाई थी. इस दौरान धमोतर थाना पुलिस द्वारा एक गेंग को पकड़ा गया. लूट की योजना बना रहे थे, जिनसे एक कार, टेम्पो, और बाइक बरामद की है. इनमे देवी सिंह सिसोदिया नाम का एक बदमाश है, इसके साथ कई दुसरे आरोपी हैं, जो कई वारदातों में शरीक रह चुके हैं.


गिरफतार बदमाशों में से देवीसिहं सोंधिया मादक पदार्थो का तस्कर होकर थाना निम्बाहेडा व थाना जैतारण जिला पाली में एनडीपीएस एक्ट के प्रकरणों में वांछित अपराधी है... साथ ही गोपाल जाट के खिलाफ थाना डूंगला व थाना बघाना जिला नीमच पर दर्ज एनडीपीएस एक्ट के प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हैं. एक और आरोपी नानालाल उर्फ दिलीप मोग्या शातिर वाहन चोर होकर थाना बडीसादडी में वाहन चोरी व चोरी के चार प्रकरण दर्ज हैं. प्रतापगढ़ पुलिस ने आरोपियों की गिरफ़्तारी कर बड़ी लूट को होने से तो रोका ही है, साथ ही कई थानों की तलाश भी पूरी की है. क्योंकि आरोपियों की लम्बे अरसे से अन्य थानों में भी तलाश जारी थी. प्रतापगढ़ पुलिस ने मानों कार्रवाई की हेट्रिक मारी हो. लगातार हो रही कार्रवाई से अपराधियों में हडकंप है. बहरहाल पुलिस ने एक बड़ी वारदात को होने से रोका है, जिसे एक बड़ी सफलता कहा जा सकता है.

Sunday, September 20, 2015

जिले की एक और स्कूली छात्रा लापता! 12वीं कक्षा की छात्रा लापता. परिजनों ने लगाईं एसपी से गुहार. छात्रा की तलाश में जुटी पुलिस.



प्रतापगढ़ में एक ही पखवाड़े में छात्रा के लापता होने का यह दूसरा मामला है. पहले ही शालोम स्कूल की एक छात्रा के अपहरण के मामले ने काफी तूल पकड़ा था, ऐसे में दलोट से छात्रा के गायब हो जाने की बात से लोगों में रोष भी बढ़ रहा है. 

परिजनों द्वारा दर्ज रिपोर्ट के अनुसार छात्रा कसबे के निजी विद्यालय की 12 वीं कक्षा में पढ़ती है. छात्रा स्कूल तो गई लेकिन घर नहीं लौटी. परिजनों ने छात्रा का शाम तक इंतजार नहीं, लेकिन छात्रा नहीं आई. परिजनों ने छात्रा की तलाश में जहाँ हो सके वहां फोन किया, तलाश की, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. परिजनों ने कार्रवाई की मांग को लेकर एसपी कालूराम रावत से भी गुहार लगाई. सालमगढ़ थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

विवाहिता से छेड़-छाड़ का मामला. महिला का घर से निकलना हुआ दूभर! पुलिस से लगाई कार्रवाई की गुहार. बढ़ी छेड़-छाड़ की घटनाएँ.


प्रतापगढ़ में महिलाओं से छेड़-छाड़ की घटनाएँ बढ़ रही है. ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह की घटनाएँ ज्यादा बढ़ी है. एक और मामला जिले के छोटी सादडी से सामने आया है. छोटी सादडी थाना क्षेत्र बंबोरी पंचायत के गुडली गाँव की एक महिला का आरोप है - कि उसके ही गाँव का मोड़ी राम नाई आए दिन छेड़-छाड़ करता है. महिला का कहना है कि उसको इस युवक से खतरा है और युवक कई बार छेड़-छाड़ कर चूका है. ऐसे में वह अपने घर से बाहर निकलने में असुरक्षित महसूस करने लगी है. महिला ने छोटी सादडी थाने में मामला दर्ज कराया है. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. 

धरियावद के गाँव में घुसा चौसिंगा का बच्चा. वन विभाग ने चलाया रेस्क्यू ओपरेशन. वनक्षेत्र में सुरक्षित छोड़ा. संकटग्रस्त प्रजाति का जीव है चौसिंगा.



धरियावद के पञ्चगुंडा में आबादी क्षेत्र में चौसिंगा के घुस आने से अफरा-तफरी मच गई... चौसिंगा का एक बच्चा अपने झुण्ड से भटक कर जंगल से बाहर आबादी में आ गया.

चौसिंगा के घुस आने से ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई. चौसिंगा का यह बच्चा था तो छोटा, लेकिन इसने कुछ ही मिनटों में सबकी नाक में दम कर दिया. सुचना मिलने पर वन विभाग की टीम पहुंची. लेकिन चौसिंगा की चतुरता और हाथ न आता देख, स्पेशल रेस्क्यू ओपरेशन चलाया गया, जिसमें ग्रामीणों ने भी बखूबी साथ निभाया. लम्बे वक्त तक चले रेस्क्यू ओपरेशन के बाद चौसिंगा को पकड़ लिया गया. इसके बाद इसे आरामपुरा के चौसिंगा प्रजनन केंद्र में ले जा कर छोड़ दिया गया.

गौरतलब है कि चौसिंगा एशिया के सबसे छोटे गोकुलीय प्राणियों में से हैं, जिसे अंग्रेज़ी में Four-horned Antelope कहते हैं. यह टॅट्रासॅरस प्रजाति में एकमात्र जीवित जाति है और भारत तथा नेपाल के खुले जंगलों में पाया जाता है. लेकिन जंगलों में घटते क्षेत्र के चलते अब यह लुप्त होने की कगार पर है. बहरहाल प्रतापगढ़ के जंगलों का दायरा दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है, जिस वजह से जंगली जानवरों के आबादी में घुस आने की घटनाएँ बढ़ रही है. प्रतापगढ़ जिले में तेंदुए जैसे खूंख्वार जानवर की भी जंगल से भटक कर आबादी में आने की घटनाएँ हो चुकी है.

Saturday, September 19, 2015

गौ-तस्करों का वकील पर हमला. वकील की जान लेने की कोशिश. जिला कलेक्टर से वकीलों ने लगाईं कार्रवाई की गुहार! अपराधियों के हौंसले बुलंद.






प्रतापगढ़ में अपराधियों के हौंसले वैसे ही बुलंद है. छोटी-मोटी बात पर एक-दुसरे की जान लेना आम हो चला है. यहाँ एक वकील पर हमले का मामला सामने आया है. वकील रमेश शर्मा को सुचना मिली कि गायों से भरा एक ट्रक मध्यप्रदेश के मंदसौर की ओर जा रहा है. यह ट्रक गुजरात नम्बरी है और इसे गुजरात का ही एक युवक चला रहा है, जो इसे गुजरात कत्लखाने ले जा रहा है.  ऐसे में वकील ने खुद उस ट्रक का पीछा करना शुरू किया. वकील  ट्रक का पीछा करते-करते मध्यप्रदेश की सीमा में जा पहुंचे. जहाँ अपराधियों ने ट्रक कच्चे रास्ते पर मोड़ लिया और उज्जैन की तरफ ले जाने लगा. पुलिस ने नाकाबंदी की, तो ट्रक नाकाबंदी तोड़ फरार हो गया. लेकिन वकील से ट्रक का पीछा जारी रखा.

अपराधियों को जब यह लगा की यह शख्स उनका आखिर तक पीछा करने वाला है, तो उन्होंने अपने अन्य साथियों को बुलाया. इसके बाद उन्होंने ट्रक को पलटाया, और वकील पर चढाने की कोशिश की. अपनी जान पर बन आई देख वकील उल्टे पाँव लौटने लगे, और एक पत्थर से टकरा पर उसकी गाडी भी क्षतिग्रस्त हो गई. इस दरमियान आरोपी के अन्य साथी अपनी गाडी से वकील का पीछा करने लगे. वकील भागता-बचाता एक गाँव में जा पहुंचे, जहाँ किसी घर में छुप कर शरण ली. इसके बाद वकील के न मिलने पर अपराधी फरार हो गए. 

बात यहीं ख़त्म नहीं हुई, वकील का कहना है कि जब वे पुलिस थाने मामला दर्ज कराने पहुंचे, तो पुलिस ने मामला दर्ज करने से भी मना कर दिया. आखिरकार कोर्ट के आदेश पर थाने में मामला दर्ज हुआ. कार्रवाई की मांग को लेकर जिले भर के वकीलों ने जिला कलेक्टर के निवास पर कलेक्टर से मुलाक़ात की.
वकीलों पर हमले का यह पहला मामला नहीं है. पहले भी नामी वकील गिरिराज जोशी की हत्या ऐसे ही किसी मामले में हो चुकी है. इस घटना से एक बात और साफ़ हो गई... कि अपराधियों में पुलिस का नाम-मात्र भी खौफ नहीं है, और पुलिस भी मामले दर्ज न कर आरोपियों का साथ दे रही है...