Monday, September 21, 2015

जिले भर में किसान आन्दोलन पर! सूखे से हुई बर्बादी के सर्वे की मांग. पहले भी घपलेबाजी के चलते नहीं मिला था मुआवजा. खून के आंसू रो रहे किसान! ख़ास रिपोर्ट.






पहले अतिवृष्टि से बर्बादी तो अब सूखे से बर्बादी. वह बर्बादी जिसने किसानों को फिर सड़कों पर ला दिया है. मौसम की मार से किसानों की कमर टूट गई है. मुआवज़े की आस में किसान अधिकारीयों के चक्कर काटने और आन्दोलन करने पर मजबूर हो चले हैं. प्रतापगढ़ जिले में किसानों ने अब एक नया आन्दोलन छेड़ दिया है.


मानसून की अच्छी ओपनिंग से किसानों ने बम्पर बुवाई की, लेकिन मौसम के छलावे ने सब कुछ बर्बाद कर रख दिया. तीन-चार दिन बारिश होने के बाद से ही जिले भर में सुखा पड़ने लगा. पानी की बूंद-बूँद को किसान तरसने लगे. बारिश हुई नहीं, ऊपर से पश्चिम से चलने वाली हवाओं ने भी फसलों को सुखा कर रख दिया. सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, तुलसी, अजवाइन, चवला, तिल, कपास, और ग्वार, यह वो फसलें हैं जिनकी बुवाई किसानों ने बड़ी उम्मीदों के साथ की थी. सबसे ज्यादा बुवाई सोयाबीन की हुई है, ऐसे में नुकसान भी इसे ही ज्यादा पहुंचा. सोयाबीन के बाद मक्के की फसल पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ.


ये है बुवाई के आंकड़े-

1,18,000 हेक्टेयर - सयाबीन
50,000 हेक्टेयर - मक्का
17000 हेक्टेयर - अन्य सभी फसलें
कुल - 1,85,000 हेक्टेयर


जिले भर के किसानों ने 185000 हेक्टेयर में बुवाई की थी, जिसमें से सोयाबीन की बुवाई 118000 हेक्टेयर पर हुई थी. सोयाबीन प्रतापगढ़ की प्रमुख फसल है. लेकिन इस बार सूखे ने इसे भी उजाड़ कर रख दिया. किसानों का तो यह भी कहना है कि उन्हें सुखा पड़ने से 80 प्रतिशत तक का नुकसान उठाना पडा है...


फसल खराबे के बाद अब जिले भर के किसान सड़कों पर उतर आए हैं. किसानों का कहना है कि -


पहली समस्या- पहले अतिवृष्टि से उनकी फसलें बर्बाद हुई. जिसकी भी गिरदावरी नहीं हुई, जिसका कोई सर्वे नहीं किया गया. मानसून की ग्रेट ओपनिंग के वक्त बम्पर बारिश हुई. इतनी कि फसलें ही गल गई. ऐसे में किसानों को भारी नुकसान पहले से ही उठाना पडा.


दूसरी समस्या- फिर अचानक सुखा पड़ने से दोबारा नुकसान उठाना पडा. तीन-चार दिन लगातार बारिश होने के बाद एक बूंद पानी नहीं गिरा, जिस वजह से जिले भर में सुखा पड़ने लगा. सूखे से बड़े पैमाने पर फसलें चोपट हो गई.


तीसरी समस्या- सुखी फसलों को इल्लियाँ खाने लगी, जिस वजह से बची-कुची पैदावार पर भी नुकसान पहुंचा.


चौथी समस्या - सुखा पडा, तो किसानों की आस बिजली पर आ टिकी! क्योंकि बिजली से वे मोटर चला कर सिंचाई करने लगे. लेकिन यह तीसरी समस्या तब पैदा हुई, जब विद्युत आपूर्ति भी ठप्प रहने लगी. बिजली आपूर्ति नहीं होने से भी किसान सिंचाई नहीं कर पाए. कई जगह ट्रांसफार्मर भी जले, जिस वजह से बची-कुची फसलें सिंचाई के अभाव में बर्बाद हो गई.


पहले प्रशासन के छलावे से मुआवजा न मिलने के बाद अब किसानों का विश्वास डगमगा गया है. किसानों की मांग है - कि प्रशासन सूखे से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा देने में बिलकुल देरी न करे. कई किसान हैं जिनकी पूरी की पूरी फसल ख़त्म हो चुकी है. प्रशासनिक अधिकारी लगातार किसानों में समझाइश के प्रयास कर रहे हैं.


फसल खराब के बाद अब जिले भर में आन्दोलन तेज़ हो गए हैं. किसान जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं. छोटी सादडी में तो एक साथ 10 पंचायतों के किसानों ने आन्दोलन छेड़ दिया है, जो जगह-जगह मार्ग जाम कर रहे हैं. किसान प्रशासन की एक बात मानने को राज़ी नहीं है... किसानों की इस मांग पर प्रशासन कब तक खरा उतरेगा, इसका जवाब भविष्य के गर्त में है. फिलहाल किसान प्रशासन की मानने को तैयार नहीं है..


प्रवेश परदेशी, जी मीडिया, प्रतापगढ़

No comments:

Post a Comment