चौसिंगा के घुस आने से ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई. चौसिंगा का यह बच्चा था तो छोटा, लेकिन इसने कुछ ही मिनटों में सबकी नाक में दम कर दिया. सुचना मिलने पर वन विभाग की टीम पहुंची. लेकिन चौसिंगा की चतुरता और हाथ न आता देख, स्पेशल रेस्क्यू ओपरेशन चलाया गया, जिसमें ग्रामीणों ने भी बखूबी साथ निभाया. लम्बे वक्त तक चले रेस्क्यू ओपरेशन के बाद चौसिंगा को पकड़ लिया गया. इसके बाद इसे आरामपुरा के चौसिंगा प्रजनन केंद्र में ले जा कर छोड़ दिया गया.
गौरतलब है कि चौसिंगा एशिया के सबसे छोटे गोकुलीय प्राणियों में से हैं, जिसे अंग्रेज़ी में Four-horned Antelope कहते हैं. यह टॅट्रासॅरस प्रजाति में एकमात्र जीवित जाति है और भारत तथा नेपाल के खुले जंगलों में पाया जाता है. लेकिन जंगलों में घटते क्षेत्र के चलते अब यह लुप्त होने की कगार पर है. बहरहाल प्रतापगढ़ के जंगलों का दायरा दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है, जिस वजह से जंगली जानवरों के आबादी में घुस आने की घटनाएँ बढ़ रही है. प्रतापगढ़ जिले में तेंदुए जैसे खूंख्वार जानवर की भी जंगल से भटक कर आबादी में आने की घटनाएँ हो चुकी है.
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