प्रतापगढ़ चिकित्सालय इन दिनों बंदरों का घर बना हुआ है. ये बन्दर बच्चों को काट लेते हैं, मरीजों का खाना चुरा लेते हैं, या कभी चिकित्सालय के मुख्य द्वार को जाम कर देते हैं. इन बदमाश बंदरों ने चिकित्सालय में बदहाली ही बदहाली फैलाई हुई है. खाने-पिने की चीजे यहाँ बंदरों को आराम से मुहैया हो जाती है और भगाने वाला कोई नहीं है.
बंदरों की यह अठखेलियाँ भले ही आकर्षित कर रही हो, लेकिन ये जिला चिकित्सालय के मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं. जब कोई मरीज अस्पताल में दाखिल होता है, तो कुछ इसी तरह के नज़ारे दिखाई पड़ते हैं. हर तरह सिर्फ बन्दर ही बन्दर नजर आते हैं. दरवाज़े से लगाकर अस्पताल की छत तक बन्दर बैठे रहते हैं. ये बन्दर दिन भर अस्पताल में घूमते हैं. कभी बच्चों को काट लेते हैं, कभी मरीजों का खाना चुरा ले जाते हैं, तो कभी अस्पताल का मार्ग ही बंद कर देते हैं. बंदरों की वजह से मरीज अस्पताल में जाने से ही परहेज़ करने लगे हैं. पहले ही अपस्ताल की व्यवस्था कुछ ठीक नहीं है, ऐसे में बंदरों ने परेशानी और बढ़ाई हुई है.
देखिए किस तरह ये बन्दर मरीज की कचोरियां छीन कर ले जा रहे हैं. और अब देखिए इन बंदरों को... ये सभी एक साथ मिल के मरीजों की कचोरियां खा रहे हैं. कोई रोटी छीन कर ले जा रहा है, कोई सब्जी, तो कोई समोसा-कचोरी. बंदरों का झुण्ड एक साथ आता है और मरीजों पर टूट पड़ता है. मरीज इन्हें खाना ना खिलाएं, तो ये उन्हें काट कर खाना छीन लेते हैं. अपस्ताल में बंदरों के ऐशो-आराम की सारी व्यवस्था है, क्योंकि यहाँ खाना-पीना आराम से मिलता है, और भगाने वाला कोई नहीं है. अस्पताल प्रबंधन की ओर से बंदरों को भगाने की कोई कवायद नहीं की गई.
बाईट - डी.डी. सिंह राणावत, अध्यक्ष, मेवाड क्षत्रिय महासभा: ये बन्दर अस्पताल में आने वालों के लिए बड़ी परेशानी है. अस्पताल प्रबंधन को चाहिए कि इनको हटाने के कर्मचारी तैनात करे. इनसे लोग बेहद परेशान हो चले हैं.
बंदरों के इस आतंक से अस्पताल में आने वाला हर कोई परेशान है. अब अस्पताल प्रबंधन को चाहिए कि बंदरों की इस टीम को भगाने के लिए विशेष कर्मचारी लगाए. ताकि लगातार भगाने के बाद ये बन्दर यहाँ आने बंद हो जाएँ.
बंदरों की यह अठखेलियाँ भले ही आकर्षित कर रही हो, लेकिन ये जिला चिकित्सालय के मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं. जब कोई मरीज अस्पताल में दाखिल होता है, तो कुछ इसी तरह के नज़ारे दिखाई पड़ते हैं. हर तरह सिर्फ बन्दर ही बन्दर नजर आते हैं. दरवाज़े से लगाकर अस्पताल की छत तक बन्दर बैठे रहते हैं. ये बन्दर दिन भर अस्पताल में घूमते हैं. कभी बच्चों को काट लेते हैं, कभी मरीजों का खाना चुरा ले जाते हैं, तो कभी अस्पताल का मार्ग ही बंद कर देते हैं. बंदरों की वजह से मरीज अस्पताल में जाने से ही परहेज़ करने लगे हैं. पहले ही अपस्ताल की व्यवस्था कुछ ठीक नहीं है, ऐसे में बंदरों ने परेशानी और बढ़ाई हुई है.
देखिए किस तरह ये बन्दर मरीज की कचोरियां छीन कर ले जा रहे हैं. और अब देखिए इन बंदरों को... ये सभी एक साथ मिल के मरीजों की कचोरियां खा रहे हैं. कोई रोटी छीन कर ले जा रहा है, कोई सब्जी, तो कोई समोसा-कचोरी. बंदरों का झुण्ड एक साथ आता है और मरीजों पर टूट पड़ता है. मरीज इन्हें खाना ना खिलाएं, तो ये उन्हें काट कर खाना छीन लेते हैं. अपस्ताल में बंदरों के ऐशो-आराम की सारी व्यवस्था है, क्योंकि यहाँ खाना-पीना आराम से मिलता है, और भगाने वाला कोई नहीं है. अस्पताल प्रबंधन की ओर से बंदरों को भगाने की कोई कवायद नहीं की गई.
बाईट - डी.डी. सिंह राणावत, अध्यक्ष, मेवाड क्षत्रिय महासभा: ये बन्दर अस्पताल में आने वालों के लिए बड़ी परेशानी है. अस्पताल प्रबंधन को चाहिए कि इनको हटाने के कर्मचारी तैनात करे. इनसे लोग बेहद परेशान हो चले हैं.
बंदरों के इस आतंक से अस्पताल में आने वाला हर कोई परेशान है. अब अस्पताल प्रबंधन को चाहिए कि बंदरों की इस टीम को भगाने के लिए विशेष कर्मचारी लगाए. ताकि लगातार भगाने के बाद ये बन्दर यहाँ आने बंद हो जाएँ.
No comments:
Post a Comment