Thursday, September 3, 2015

उपयोग में नहीं आ रहे विभागों में लगे सोलर पेनल. सरकार के करोड़ों रूपए हुए बरबाद. ज़िम्मेदार कौन? कब होगी कारवाई?




सरकारी विभागों में सोलर प्लांट लगाने के पीछे सरकार की मंशा थी बिजली के भारी-भरकम बिलों को कम करना! लेकिन अधिकारीयों की लापरवाही के चलते योजना को दम तोड़ते समय नहीं लगा. प्रतापगढ़ जिले के पंचायत समिति से लगाकर कई विभागों के सोलर पेनल खराब पड़े हैं. और अधिकारी इनकी सुध लेने तक को तैयार नहीं है.
सरकारी विभागों के बिजली के भार-भरकम बिलों को देखते हुए सरकार ने सोलर पेनल लगाने की मुहीम शुरू की. सोलर पेनल लगाने के नाम पर करोड़ों रूपए पानी की तरह बहा दिए. लेकिन फिर भी नतीजा रहा तो - फ़ैल! क्योंकि विभागों में इन सोलर पेनल का उपयोग हुआ ही नहीं. उपयोग में ना आने और रखरखाव के अभाव की वजह से कई सोलर पेनल खराब हो गए. वारंटी पीरियड खत्म होने से समन्धित कम्पनी से कोई रिपेयर करने भी नहीं आया. सरकारी विभागों में आज भी वही बिल आ रहे हैं, जो सोलर पेनल लगाने से पहले आया करते थे. खुद प्रतापगढ़ पंचायत समिति मुख्यालय पर लगे सोलर पेनल बेकार पड़े हैं. इनका आज तक उपयोग नहीं किया गया. इसके अलावा राजकीय बालिका छात्रावास, कृषि उपज मंडी, अटल सेवा केंद्र जैसे कई विभाग है जहाँ सोलर पेनल बेकार पड़े हैं. प्रतापगढ़ पंचायत समिति में कुल 42 पंचायतें आती हैं. जहाँ अधिकतर पंचायतों में लगे सोलर पेनल खराब हो चुके हैं. अधिकारीयों के ढीले रवैये से कारवाई भी नहीं हो पा रही है.

कारी बाई मीणा, प्रधान 


कारी बाई मीणा, प्रधान, प्रतापगढ़ पंचायत समिति :  प्रतापगढ़ पंचायत समिति की पंचायतों में खराब सोलर पेनल की सूचनाएं मिली है. जिनकी रिपेयरिंग के निर्देश दे दिए हैं. सौर ऊर्जा की योजना एक अच्छी योजना है. जिससे बिजली के बिल कम होते हैं. विभागों को इसका उपयोग करना चाहिए.


सरकारी योजनाओं के फायदे कितने ही भले क्यों ना हो, अधिकारीयों की लापरवाही से दम तोड़ देते हैं. प्रशासन को चाहिए कि उन विभागीय अधिकारीयों को सख्ती से निर्देशित करें, जिनके सोलर पेनल खराब पड़े हैं. ताकि सरकार के खर्च हुए करोड़ों रुपयों का सदुपयोग हो सके. और मंशा पूरी हो सके.

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