ये सामान राशन डीलरों के पास तो होते हैं, लेकिन लोगों तक नहीं पहुँचते. ऐसे में ये जाते कहाँ है? लोगों का आरोप है कि राशन की दुकानें सिर्फ औपचारिकता के लिए खोली गई हैं. यहाँ उन्हें सामान नहीं दिए जाते. ऐसे में उन्हें महंगे दामों पर सामान बाहर से खरीदने होते हैं. सरकार ने राशन दुकानों को इसलिए खोला है ताकि लोगों को सस्ते दामों पर चीज़े मुहैया हो सके. लेकिन सरकार की इस माशा पर अधिकारी और राशन डीलर मिल कर पानी फेर रहे हैं.
लोग राशन कार्ड को फ़ालतू बता कर डीलरो पर धांधली का आरोप लगा रहे हैं.. लोगों का कहना है कि राशन लेने जाने पर उनके साथ बदसलूकी की जाती है और भगा दिया जाता है. राशन डीलर टालम-टोल कर बाद में आने का कहते हैं, फिर भी सामान नहीं देते. इस गरीब महिला की सुनिए, इसका यह भी कहना है कि 10 किलो से ज्यादा गेंहू दिया ही नहीं जाता.
लोगों का आरोप है कि सरकार की किसी सुविधा का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है. अब प्रशासन को चाहिए कि ऐसे अधिकारीयों पर और राशन डीलरों पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि गरीबों को उनका हक़ मिल सके...
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