डॉक्टर कौन नहीं बनना चाहता? लेकिन बचपन से डॉक्टर बनने का सपना देखने वाला कतई उम्मीद नहीं करता कि उसकी नौकरी किसी पिछड़े इलाके में लगे, हर कोई बड़े शहरों में नौकरी कर ज़िन्दगी गुजारना चाहता है. यही वजह है कि यहाँ चिकित्सकों की भर्ती के लिए की जाने वाले हर एक कवायद फ़ैल हो जाती है... प्रतापगढ़ में चिकित्सक भर्ती के लिए आयोजित वाक इन इंटरव्यू पूरी तरह फ्लॉप रहा, क्योंकि यहाँ एक ने भी इंटरव्यू के लिए रूचि नहीं दिखाई. वहीँ गायनोलोजिस्ट की कमी दूर करने के लिए सेवानिवृत चिकित्सकों से बात की, तो उन्होंने भी नौकरी से इनकार कर दिया. ऐसे में स्थिति ढाक के तीन पात जैसी हो रही है... चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए स्थानीय स्तर पर ही वोक इन इंटरव्यू के माध्यम से भर्ती करनी चाही, जिसमें आवेदन कर स्थानीय चिकित्सक अपने गृह क्षेत्र में ही रहकर नौकरी पा सकते थे, लेकिन इसके फ़ैल होते ही चिंता और बढ़ने लगी.
जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन करीब 500 मरीज आते हैं. मौसमी बिमारियों के दौरान यह आंकड़ा 1000 पार कर जाता है. और वैसे भी, अभी तो डेंगू-मलेरिया का मौसम है. बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल के विभिन्न वार्ड में भर्ती रहते हैं... इन सब के उपचार और देखभाल के लिए 12 चिकित्सक हैं, जो भी समय पर नहीं आते... ऐसे में सभी मरीजों का उपचार नामुमकिन सा हो जाता है. चिकित्सकों के 46 पद स्वीकृत हैं, जिनमे महज़ 12 भरें है...अधिकतर तो इमरजेंसी संभालते हैं...
R. S. KACHHAWA, PMO |
आर. एस. कछावा, PMO : जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़ में डॉक्टरों की काफी कमी है. 46 में से 12 ही कार्यरत हैं. 2 डेंटिस्ट हैं... इमरजेंसी को डील करने के लिए 10 हैं... ऐसे में सारा काम इन्ही को देखना होता है. पूरे जिले से इमरजेंसी केस आते हैं, सभी को देखना होता है. हमारे पास जानना में कोई विशेषज्ञ नहीं है. एक महिला है जो वार्ड देख रही है. इसी तरह से सर्जरी वार्ड की भी यही स्थिति है...
बाहर से चिकित्सक यहाँ नहीं आते, और वे पहले अन्य जगहों पर पदस्थापन या स्थानांतरण करवा लेते हैं. यदि कोई चिकित्सक आ भी जाए, तो बाहर जाने की जुगत लगाता रहता है. और मौका मिलते ही रवानगी कर लेता हैं. इस पिछड़े इलाके की आबोहवा ही ऐसी है, कि किसी नए चिकित्सक को रास नहीं आती. ऐसे में स्थानीय लोगों के लिए की गई वोक इन इंटरव्यू की कवायद भी रंग नहीं ला पाई...
आर. एस. कछावा, PMO : वोक इन इंटरव्यू के लिए दिया, तो वहां भी डॉक्टर नहीं आए. इसमें भी हमें सफलता हाथ नहीं लगी... जो हमने प्रतापगढ़ के रिटायर्ड डॉक्टर से कहा, तो वो भी नहीं आए. हम प्रयासरत हैं. डायरेक्टर को समय समय पर लिख रहे हैं. फिर भी अभी तक समाधान निकल नहीं पाया है...
जिला चिकित्सालय में एक मात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ 30 जुलाई को रिटायर हुई.. उसके जाने के बाद प्रसूति के दौरान काफी परेशानियाँ उठानी पड़ रही है. इसे देखते हुए कलेक्टर ने आगे से किसी गायनोलोजिस्ट की नुयुक्ति नहीं होने तक रिटायर्ड से बात कर सेवा के लिए कहा, तो उन्होंने भी इनकार कर दिया... ताजुब की बात है, प्रदेश में छोटे-मोटे CSC पर भी 16-16 गायनोलोजिस्ट कार्यरत हैं, और यहाँ जिला चिकित्सालय में एक भी नहीं.. इसलिए डिलेवरी के लिए आने वाली प्रसुताओं को भी खतरा है...
अब भला ऐसे सिस्टम को क्या कहें! प्रतापगढ़ पिछड़ा इलाका है, यहाँ कोई चिकित्सक टिकना नहीं चाहता... ऐसे पिछड़े इलाकों को ज़रूरत है डेवेलपमेंट की, जिसकी सरकार रोज़ बात करती है. ये वह इलाकों में से है, जहाँ आज मुलभुत सुविधा तक नहीं है. और जहाँ कोई नौकरी नहीं करना चाहता. बहरहाल इस डगमगाई हुई स्थिति का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं..
बाहर से चिकित्सक यहाँ नहीं आते, और वे पहले अन्य जगहों पर पदस्थापन या स्थानांतरण करवा लेते हैं. यदि कोई चिकित्सक आ भी जाए, तो बाहर जाने की जुगत लगाता रहता है. और मौका मिलते ही रवानगी कर लेता हैं. इस पिछड़े इलाके की आबोहवा ही ऐसी है, कि किसी नए चिकित्सक को रास नहीं आती. ऐसे में स्थानीय लोगों के लिए की गई वोक इन इंटरव्यू की कवायद भी रंग नहीं ला पाई...
आर. एस. कछावा, PMO : वोक इन इंटरव्यू के लिए दिया, तो वहां भी डॉक्टर नहीं आए. इसमें भी हमें सफलता हाथ नहीं लगी... जो हमने प्रतापगढ़ के रिटायर्ड डॉक्टर से कहा, तो वो भी नहीं आए. हम प्रयासरत हैं. डायरेक्टर को समय समय पर लिख रहे हैं. फिर भी अभी तक समाधान निकल नहीं पाया है...
जिला चिकित्सालय में एक मात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ 30 जुलाई को रिटायर हुई.. उसके जाने के बाद प्रसूति के दौरान काफी परेशानियाँ उठानी पड़ रही है. इसे देखते हुए कलेक्टर ने आगे से किसी गायनोलोजिस्ट की नुयुक्ति नहीं होने तक रिटायर्ड से बात कर सेवा के लिए कहा, तो उन्होंने भी इनकार कर दिया... ताजुब की बात है, प्रदेश में छोटे-मोटे CSC पर भी 16-16 गायनोलोजिस्ट कार्यरत हैं, और यहाँ जिला चिकित्सालय में एक भी नहीं.. इसलिए डिलेवरी के लिए आने वाली प्रसुताओं को भी खतरा है...
अब भला ऐसे सिस्टम को क्या कहें! प्रतापगढ़ पिछड़ा इलाका है, यहाँ कोई चिकित्सक टिकना नहीं चाहता... ऐसे पिछड़े इलाकों को ज़रूरत है डेवेलपमेंट की, जिसकी सरकार रोज़ बात करती है. ये वह इलाकों में से है, जहाँ आज मुलभुत सुविधा तक नहीं है. और जहाँ कोई नौकरी नहीं करना चाहता. बहरहाल इस डगमगाई हुई स्थिति का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं..
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