प्रतापगढ़ के गरीबों को रसद विभाग और पंचायती राज विभाग ने करारा झटका दिया है. क्योंकि हजारों लोग अब सरकारी योजनाओं से बाहर हो गए हैं. प्रतापगढ़ राज्य के पिछड़े जिलों में शामिल है, जहाँ अधिकांश लोग गाँवों में रहकर खेती, मजदूरी और पशुपालन कर अपना पेट पालते हैं. ये वे लोग हैं जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं. पंचायत राज और रसद विभाग के आंकड़े कह रहे हैं कि जिले में गरीब कम हो गए हैं. दोनों विभागों की ओर से खाद्य सुरक्षा योजना के तहत कराए गए चयनित परिवारों के सत्यापन के बाद यह हकीकत सामने आई है. विभाग के अनुसार जिले में गरीब 85% से कम होकर 77% रह गए हैं. इसके बाद प्रमाणित सूचियों के राशन कार्ड में परिवारों की सीडिंग का कार्य चल रहा है.
विभाग के इन आंकड़ो से गड़बड़झाले की बू आ रही है. क्योंकि एक दम से जिले में इतने गरीब कम होना तो संभव नहीं है. विभाग का मानना है कि फर्जी BPL लोगों को कम कर दिया गया है, जिस वजह से आंकड़ा कम हुआ है. लेकिन यह भी तो सच है कि ग्रामीण इलाकों से BPL धारकों की संख्या में गत पांच वर्षों में भारी-भरकम इजाफा हुआ है. ऐसे में कैसे गरीबों की संख्या का प्रतिशत 77% हुआ है? कारण यह भी है कि उनके राशन कार्ड को खाद्य सुरक्षा योजना से जोड़ा ही नहीं गया, जिस वजह से वे गिनती से और योजना से बाहर हो गए. इसमें भी विभाग की लापरवाही सामने आती है. क्योंकि BPL धारकों को तत्काल खाद्य सुरक्षा से जोड़ने के सख्त निर्देश हैं.
सवाल ये कि एक ही पैमाने पर कैसे यह आंकड़ा जारी कर दिया गया? सिर्फ चंद परिवारों को हटाकर प्रतिशत कम कर दिया गया. ऐसे में उन लोगों की शामत आ गई है, जो वास्तव में गरीब हैं, और जिनका जीवन यापन खाद्य सुरक्षा से ही होता है. सरकारी निर्देशों के अनुसार केवल 79% तक ही खाद्य सुरक्षा का वितरण किया जा सकता है, लेकिन पहले गरीब 85% थे, ऐसे में सभी को खाद्य सुरक्षा की सामग्री देना संभव नहीं था, ऐसे में वे लोग विभाग के लिए सरदर्द बन रहे थे, जिनको सामग्री नहीं मिल रही थी. इस बोझ को हल्का करने के लिए विभाग ने एक तरफ़ा आंकड़ा कम कर दिया. ताकि वे आंकड़ों में पर्याप्त लोगों को खाद्य सुरक्षा की सामग्री देकर संतुष्ट कर सकें, और बोझ भी कम हो जाए. लेकिन अब शामत तो उन लोगों की है जो योजना से बाहर हो गए हैं, जो इस योजना पर ही परिवार का गुज़ारा कर रहे थे.
बनवारी लाल, जिला रसद अधिकारी : राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार सूचियों का सत्यापन कराया जा रहा है. जिले में ग्रामीण क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा का प्रतिशत 2011 की तुलना में 77% रह गया है. इससे कहीं फर्जियों को हटाया है और कईयों को सम्मिलित किया है. अगले माह से POS मशीन से राशन सामग्री का वितरण किया जाना है, राशन कार्ड के डाटाबेस में खाद्य सुरक्षा की साइडिंग हो रही है. बेंक खाता नंबर भी डाले जा रहे हैं. ताकि POS से राशन वितरण किया जा सके.
सत्यापन के बाद यह है स्थिति -
प्रतापगढ़ शहर : जनसँख्या 42079... यूनिट 21365... 50.77%
प्रतापगढ़ ग्रामीण : जनसँख्या 206734... यूनिट 147247... 71%
छोटीसादडी शहरी: जनसँख्या 18360... यूनिट 9387... 51.13%
छोटीसादडी ग्रामीण: जनसँख्या 115717... यूनिट 74532... 64%
अरनोद : जनसँख्या 141023... यूनिट 111803... 79%
धरियावद : जनसँख्या 189872... यूनिट 161921...85%
पीपलखुंट : जनसँख्या 154063... यूनिट 144486...94%
कुल : जनसँख्या 867845... यूनिट 670741...94%
गौरतलब है कि जिले में वर्ष 2011 की जनसँख्या 8 लाख 67 हजार 848 थी. दूसरी ओर जिले में खाद्य सुरक्षा के लिए चयनितों का अनुपात एक वर्ष पहले काफी अधिक था. छोटीसादडी और पीपलखूंट में तो 100% तक था. इसे देखते हुए ग्राम पंचायतों से चयनित परिवारों की सूचियों का सत्यापन कराया गया. करीब एक वर्ष की मशक्कत के बाद जिले में खाद्य सुरक्षा योजना में यूनिटों की संख्या घटकर 77% रह गई. इस आधार पर जिले में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गेंहू वितरण करना है... जिले में पीपलखूंट और धरियावद में गरीबी अधिक होने से यहाँ खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत चयनित की संख्या अधिक है. विभाग की ओर से कराए गए सर्वे में सामने आया की यहाँ खाद्य सुरक्षा की ज्यादा ज़रूरत है. पीपलखूंट में 94% और धरियावद में 85% यूनिट इस योजना में शामिल किए गए हैं.
बहरहाल विभाग ने अपना सिरदर्द कम करने के लिए कई गरीबों को योजना से मानों धक्का मार कर बाहर निकाल दिया है, ऐसे में उनकी शामत आ गई है जो इसी योजना से गुज़ारा कर रहे थे.
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