दरअसल प्रतापगढ़ में बारिश नहीं होने से सुखा पड़ने लगा है. फसलों की सिंचाई-पिलाई के लिए किसान बिजली पर ही निर्भर है. ऐसे में किसान धड़ल्ले से बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन इसी बिच ट्रांसफार्मर जलने की इस घटना ने परेशानी और बढ़ा दी है. क्योंकि बिजली ठप्प होने से सिंचाई तो रुक ही गई है, साथ ही विद्युत निगम के दिन-रात चक्कर काटने पड़ रहे हैं. पहले ही जले हुए ट्रांसफार्मर निगम द्वारा नहीं बदले गए थे, ऊपर से एक साथ 200 ट्रांसफार्मर के खराब होने की घटना ने परेशानी दोगुनी कर दी है. लिहाज़ा किसान अब हर दिन विद्युत निगम के चक्कर काटने को मजबूर हैं.. जिले में एक साथ 200 ट्रांस फार्मर खराब हुए जिनमे से महज़ 50 ही बदले गए.... इसके अलावा बिजली खपत बढ़ने से रोज़ और ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं... विभाग के पास ट्रांसफार्मर तो हैं, लेकिन अन्य गतिविधियों में मशगूल होने से किसानों की नहीं सुन रहे हैं. लिहाज़ा किसान सर पीटने को मजबूर हो चले हैं...
मुरली मीणा, किसान, बारावरदा : बिजली की खपत बढ़ी है, जिस वजह से ट्रांसफार्मर जले. हम विद्युत विभाग के चक्कर काट-काट कर परेशान हो गए हैं...
इधर अधिकारी अपनी सफाई देते नहीं बच रहे हैं.. उनका कहना है कि वे ट्रांसफार्मर बदलने की कार्रवाई कर रहे हैं...
इंद्र जीत, अधिशाषी अभियंता : जिले में सोयाबीन की फसल बरसात नहीं होने से ख़राब हुई है. कृषकों की उर्जा खपत बड़ी है. यह पिलाई का समय है. समय पर बिजली दे रहे हैं. काश्तकार 2-3 मोटर अतिरिक्त डाल रहे हैं. जिससे खपत बढ़ी है. इससे लोड बढ़ा है. और ट्रांस फार्मर जल रहे हैं. हमने उच्च अधिकारीयों को सूचित किया है. अभी 200 में से 50 बदले हैं. कोई चक्कर नहीं काटने पड़ रहे... सबको निर्देश दे रखे हैं.. नियमानुसार लिस्ट चस्पा करवाते हैं. प्रतिलिपि जिला कलेक्टर को भी भेजते हैं. सभी को दे रहे हैं. किसी के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है..
पहले अतिवृष्टि और अब सूखे ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. बारिश नहीं हो रही है, और पश्चिम से चल रही हवा भी फसलें सुखा रही है. ऐसे में किसानों के पास बिजली के अलावा और कोई रास्ता नहीं है, जिससे वे अपनी फसल बचा सकें. अगर ट्रांसफार्मर नहीं बदले गए, तो जिले भर के सैंकड़ों किसानों को फसलों से हाथ धोना पड़ेगा...
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