प्रतापगढ़ में एक बार फिर किसानों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं. क्योंकि सुखा पड़ने से जिले की अधिकांश फसल खत्म होने लगी है. इधर पश्चिम से चल रही हवा भी फसलों के लिए घातक साबित हो रही है. पश्चिम से चलने वाली हवा फसलों को सुखा देती है. किसान लगातार सिंचाई कर रहे हैं. लेकिन गर्मी, बारिश की बेरुखी और लगातार चल रही हवा सारी मेहनत पर पानी फेर रही है. खरीफ की उपज में सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, तुलसी, अजवाइन, चवला, तिल, कपास, और ग्वार शामिल हैं. इन फसलों पर खतरा सबसे ज्यादा है. सबसे ज्यादा बुवाई सोयाबीन की हुई है, ऐसे में सोयाबीन को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुँच रहा है. सोयाबीन के बाद मक्के की फसल पर सबसे ज्यादा खतरा है. कोढ़ में खाज की स्थिति पश्चिम से चलती हवाओं ने कर दी है. इससे खेतों की नमी सूखने लगी है. किसान मौसम की बेरुखी से चिंता में नजर आने लगे हैं.
ये है बुवाई के आंकड़े-
1,18,000 हेक्टेयर - सोयाबीन
50,000 हेक्टेयर - मक्का
17000 हेक्टेयर - अन्य सभी फसलें
कुल - 1,85,000 हेक्टेयर
बारिश नहीं होने से खरीफ उप्तादन तो प्रभावित होगा ही, साथ ही गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा. किसानों के पास अब बारिश की राह देखने के सिवाय और कोई चारा नहीं है. क्योंकि अब किसानों को राहत बारिश ही दे सकती है. बारिश होने से फसलों को नमी तो मिलेगी ही, साथ ही पश्चिम से चल रही हवा भी रुक सकेगी. बहरहाल जिले के किसान परेशान है. अधिकांश फसलें बर्बादी की भेंट चढ़ चुकी है. दो दिन में बारिश नहीं हुई तो बची-कुची फसलें भी बरबाद हो जाएगी.
बंशी लाल मीणा, किसान : पानी गिर नहीं रहा. पानी की बहुत ज़रूरत है. दो दिन में पानी नहीं आया, तो बची कुची फसल भी खत्म हो जाएगी.
गिरधारी लाल, किसान : पानी की बहुत ज़रूरत है. हवा बहुत चल रही है. धुप बहुत है. बारिश का कोई ठिकाना नहीं है. बारिश नहीं होने से कीड़े भी लगने लगे हैं. पानी नहीं आया, तो अब कुछ भी नहीं है.
मुरली मीणा, किसान : पानी की बहुत ज़रूरत है अभी. कीड़े बहुत लग गए हैं. अभी पानी होता तो फूल भी होते. कुछ नहीं बचा है. इल्ली भी बहुत लग रही है. समस्या बहुत बड़ी है.
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